यूपी के बांदा में 'राम-राम' न कहने पर ऊंची जाति के लोगों ने कथित तौर पर दो दलित बुजुर्गों पर हमला किया

Written by sabrang india | Published on: October 3, 2025
पुलिस ने मारपीट और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया है।



उत्तर प्रदेश के फतेहगंज थाना क्षेत्र के जबरापुर गांव में 30 सितंबर को अनुसूचित जाति के दो बुज़ुर्गों, भगत वर्मा (60) और कल्लू श्रीवास (70) पर ऊंची जाति के लोगों ने कथित तौर पर लाठी-डंडों और चाकू से हमला कर दिया। आरोप है कि यह हमला तब हुआ जब पीड़ितों ने खड़े होकर हमलावरों को "राम-राम" नहीं कहा। हमलावरों ने कथित तौर पर जातिसूचक गालियां दीं और एक बुज़ुर्ग से 500 रुपये छीन लिए।

द ऑब्जर्वर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना उस समय हुई जब पीड़ित अपने खेतों में काम कर रहे थे। भगत को लाठियों से पीटा गया और बीच-बचाव करने की कोशिश करने पर कल्लू पर चाकू से हमला किया गया। आस-पास के ग्रामीणों ने हस्तक्षेप नहीं किया और हमलावर धमकाकर वहां से भाग निकले। भगत के बेटे गंगाराम ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है।

पुलिस ने मारपीट और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया है। हालांकि, सीओ प्रवीण कुमार ने कहा कि शिकायतकर्ताओं ने हमलावरों की संलिप्तता को बढ़ा-चढ़ाकर बताया होगा और मृतक अपराधी अंबिका पटेल उर्फ ठोकिया से उनके संबंध होने का दावा किया होगा, जिसका गिरोह अब कथित तौर पर सक्रिय नहीं है। मामले की जांच जारी है।

ज्ञात हो कि दलितों के खिलाफ हिंसा और भेदभाव का यह कोई नया मामला नहीं है। इससे पहले भी कई बर्बर घटनाएं सामने आ चुकी हैं। हाल ही में शिमला जिले के रोहड़ू उपमंडल के एक 12 वर्षीय दलित लड़के ने कथित तौर पर पड़ोसी द्वारा अपमानित किए जाने और गौशाला में बंद कर दिए जाने के बाद आत्महत्या कर ली थी।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, लड़के के चाचा सुरेश बंता के मुताबिक, बच्चा एक ऊंची जाति के पड़ोसी के घर गया था, तभी एक महिला ने उसे पकड़ लिया और उस पर घर अपवित्र करने का आरोप लगाया। बंता ने बताया, "उसने उसे एक गौशाला में बंद कर दिया। बाद में, उसने लड़के से कहा कि उसके माता-पिता को घर की शुद्धि के लिए एक बकरा देना होगा।" बच्चा किसी तरह बचकर घर लौटा और उसने ज़हर खा लिया। उसे शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन एक दिन बाद उसकी मौत हो गई।

वहीं, तमिलनाडु के तंजावुर जिले से जातिगत भेदभाव का एक बेहद शर्मनाक मामला सामने आया, जहां कोल्लनगराई गांव में स्कूल जा रहे दलित समाज के कुछ बच्चों को एक बुजुर्ग महिला ने कथित तौर पर लाठी दिखाकर रोक दिया। इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद लोगों में भारी नाराज़गी देखी गई।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वायरल वीडियो में साफ़ दिखाई देता है कि एक युवक कुछ स्कूली बच्चों को लेकर रास्ते से गुजर रहा है, तभी एक बुजुर्ग महिला हाथ में लाठी लेकर उनका रास्ता रोक लेती है। युवक द्वारा लाठी हटाने की कोशिश के बावजूद महिला बार-बार उन्हें आगे बढ़ने से रोकने की कोशिश करती है।

इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए तमिलनाडु अस्पृश्यता उन्मूलन मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष चेल्लकन्नू ने इस कृत्य की सख़्त निंदा की। उन्होंने बताया कि वृद्धा ने बच्चों को रोकते समय 'एलिया साथी' शब्द का इस्तेमाल किया, जो दलित समुदाय के लिए अत्यंत अपमानजनक है।

चेल्लकन्नू ने कहा कि जिस रास्ते को लेकर विवाद हुआ, वह एक सामान्य कच्चा रास्ता है। यह रास्ता सरकारी दस्तावेज़ों में 'वांडी पाथाई' के रूप में दर्ज है, जिसका मतलब है कि यह गाड़ियों के आने-जाने का अधिकृत मार्ग है।

बीते महीने राजस्थान के चूरू जिले की सरदारशहर तहसील के सादासर गांव के मंदिर में प्रवेश को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया। दलित समुदाय के कुछ युवाओं को मंदिर में प्रवेश से न केवल रोका गया बल्कि जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए उनके साथ मारपीट भी की गई। इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आने के बाद इलाके में तनाव फैल गया। मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की।

द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, घटना उस समय हुई जब गांव में आयोजित भागवत कथा के समापन पर शोभायात्रा निकाली जा रही थी। शोभायात्रा के बाद, 19 वर्षीय कानाराम मेघवाल अपने दोस्तों संदीप, मुकेश, विष्णु और कालूराम के साथ ठाकुरजी मंदिर में दर्शन करने पहुंचे। पीड़ित कानाराम द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर में कहा गया है कि मंदिर परिसर में पहले से मौजूद कुछ लोगों ने उन्हें जाति का हवाला देकर रोक लिया।

हाल ही में प्रकाशित एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2023 में देश में अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय के खिलाफ अपराध के मामलों में 29% की वृद्धि हुई है। खासकर भाजपा-शासित राज्यों में दलित समुदाय पर अपराध के आंकड़े तेज़ी से बढ़े हैं। उत्तर प्रदेश में अपराध, हत्या, अपहरण, महिलाओं के खिलाफ अपराध और बलात्कार के मामलों में भी इज़ाफ़ा दर्ज हुआ है।

इसी रिपोर्ट के अनुसार, अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के खिलाफ अपराधों में भी वृद्धि देखी गई। 2022 में एसटी के खिलाफ 10,064 मामले दर्ज हुए थे, जो 2023 में बढ़कर 12,960 हो गए—यानी 28% की बढ़ोतरी। साइबर अपराधों में भी 31.2% की वृद्धि दर्ज की गई। 2023 में कुल 86,420 साइबर अपराध के मामले आए, जबकि 2022 में यह संख्या 65,893 थी। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि हत्या के मामलों में 2.8% की कमी आई। 2022 में हत्या के 28,522 मामले दर्ज हुए थे, जो 2023 में घटकर 27,721 रह गए। इसके अलावा, अपहरण के 1.16 लाख से अधिक मामले दर्ज हुए, जिनमें लगभग 18,000 मामले ऐसे थे, जिनमें 9,000 बच्चे और 8,800 वयस्क अपनी मर्ज़ी से गए थे।

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