ओडिशा के स्थानीय ऑनलाइन न्यूज पोर्टल 'टाइम्स ओड़िया' के पत्रकार नरेश कुमार की 13 जुलाई की शाम बेरहमी से हत्या कर दी गई। रिपोर्ट के अनुसार, पांच अज्ञात हमलावरों ने उन पर तलवार और अन्य धारदार हथियारों से हमला किया, जिससे उनकी मृत्यु हो गई।

फोटो साभार : द न्यू इंडियन एक्सप्रेस
ओडिशा के मलकानगिरी जिले के मुरलीगुड़ा गांव के नजदीक स्थानीय ऑनलाइन न्यूज पोर्टल 'टाइम्स ओड़िया' से जुड़े पत्रकार नरेश कुमार की शनिवार, 13 जुलाई की शाम बेरहमी से हत्या कर दी गई।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, पांच अज्ञात हमलावर दो मोटरसाइकिलों पर सवार होकर आए और नरेश पर कार के अंदर ही तलवारों और अन्य धारदार हथियारों से हमला कर दिया। वारदात को अंजाम देने के बाद वे मौके से तुरंत फरार हो गए।
द वायर ने लिखा, मृतक की पहचान मोटू निवासी सीएच नरेश कुमार के रूप में हुई है, जो छत्तीसगढ़ सीमा से लगे क्षेत्र से ताल्लुक रखते थे। यह घटना शाम लगभग 6 बजे उस वक्त घटी, जब नरेश चार अन्य लोगों के साथ बातचीत कर रहे थे, जिनमें दो स्थानीय पत्रकार भी मौजूद थे। हमले में नरेश गंभीर रूप से घायल हो गए। पहले उन्हें मोटू प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, लेकिन हालत बिगड़ने पर मलकानगिरी जिला अस्पताल रेफर किया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
रिपोर्टों के अनुसार, हमले वाले दिन दो अज्ञात युवक नरेश के घर पहुंचे थे और किसी जरूरी काम का हवाला देकर उन्हें बाहर बुलाया था। नरेश की पत्नी फूलन देवी बिस्वास ने बताया कि दोपहर करीब साढ़े तीन बजे दो युवक उनके घर आए और किसी बहाने से नरेश को अपने साथ ले गए। शाम को उन्हें नरेश पर हमले की खबर मिली।
न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, मलकानगिरी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रश्मि रंजन सेनापति ने जानकारी दी कि कोरापुट से आई साइबर और फॉरेंसिक विशेषज्ञों की टीम ने घटनास्थल पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी है। उन्होंने मलकानगिरी के पुलिस अधीक्षक विनोद पाटिल के साथ घटनास्थल और मोटू थाने का दौरा भी किया।
सेनापति ने बताया कि हत्या के पीछे की मंशा का पता लगाया जा रहा है। इस सिलसिले में चार लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। उन्होंने कहा कि अपराध में शामिल सभी आरोपियों की जल्द पहचान कर उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा।
13 जुलाई को हुई इस घटना के विरोध में मलकानगिरी जिले के पत्रकारों ने जिला पुलिस कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। मलकानगिरी यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स ने मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी के नाम एक ज्ञापन जिला पुलिस अधीक्षक को सौंपा, जिसमें पत्रकार नरेश की हत्या की उच्च स्तरीय जांच कराए जाने और उनके परिवार को मुआवजा देने की मांग की गई है।
वर्ष 2025 में नरेश तीसरे भारतीय पत्रकार हैं, जिनकी हत्या की गई है। इससे पहले 3 जनवरी को छत्तीसगढ़ में स्वतंत्र पत्रकार मुकेश चंद्राकर का शव एक सेप्टिक टैंक में मिला था, जबकि 8 मार्च को उत्तर प्रदेश में 'दैनिक जागरण' से जुड़े पत्रकार और आरटीआई कार्यकर्ता राघवेंद्र बाजपेयी की हत्या कर दी गई थी।
अंतरराष्ट्रीय पत्रकार महासंघ (आईजेयू) ने इस घटना की निंदा की है और उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
आईजेयू ने कहा है कि नरेश कुमार की हत्या इस बात का उदाहरण है कि सच्चाई की रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकार कितने गंभीर खतरों का सामना करते हैं। यह केवल एक व्यक्ति पर हमला नहीं, बल्कि लोकतंत्र के स्तंभों पर हमला है। संगठन ने इस मामले में किसी वर्तमान न्यायाधीश की निगरानी में उच्च स्तरीय जांच की मांग की है, ताकि जल्द न्याय सुनिश्चित हो और हत्या के पीछे की साजिश का खुलासा हो सके। आईजेयू ने पत्रकारों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया है।
वहीं, पत्रकार सीएच नरेश की हत्या पर प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने गहरा शोक और आक्रोश व्यक्त किया है।
प्रेस क्लब ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, ‘मोटू में पत्रकार नरेश की नृशंस हत्या से हम बेहद व्यथित और चिंतित हैं। यह घटना न केवल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है, बल्कि पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल भी खड़े करती है।’
संस्था ने ओडिशा सरकार से अनुरोध किया है कि इस मामले की जांच निश्चित समयसीमा के भीतर पूरी की जाए और दोषियों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई की जाए।
पोस्ट में आगे कहा गया है, ‘इस दुखद समय में प्रेस क्लब ऑफ इंडिया नरेश के परिवारजनों और मित्रों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता है।’
इस घटना से कुछ दिन पहले, 4 जुलाई को महाराष्ट्र के पुणे के पास एक कस्बे में नदी के किनारे अवैध निर्माण की रिपोर्टिंग के दौरान पत्रकार स्नेहा बर्वे पर जानलेवा हमला किया गया। इस हमले में उन्हें डंडों से बुरी तरह पीटा गया, जिससे वह बेहोश हो गईं।
बर्वे को तुरंत स्थानीय अस्पताल ले जाया गया और बाद में पिंपरी चिंचवाड़ के डीवाई पाटिल अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया। उन्हें सिर और पीठ में चोटें आई हैं और उनके सिर के सीटी स्कैन में अंदरूनी चोट तथा सूजन भी पाई गई है।
बर्वे ने बताया कि आरोप है कि मोर्डे ने नदी का पानी रोकने के लिए एक दीवार बना दी है, जिससे सब्जी मंडी में पानी भरने का खतरा पैदा हो गया था। बर्वे इसी मामले की रिपोर्टिंग करने वहां गई थीं। राजनीतिक संबंध रखने वाले स्थानीय व्यवसायी और इस मामले के मुख्य आरोपी पांडुरंग सखाराम मोर्डे को पुलिस अब तक गिरफ्तार नहीं कर सकी है।
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फोटो साभार : द न्यू इंडियन एक्सप्रेस
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मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, पांच अज्ञात हमलावर दो मोटरसाइकिलों पर सवार होकर आए और नरेश पर कार के अंदर ही तलवारों और अन्य धारदार हथियारों से हमला कर दिया। वारदात को अंजाम देने के बाद वे मौके से तुरंत फरार हो गए।
द वायर ने लिखा, मृतक की पहचान मोटू निवासी सीएच नरेश कुमार के रूप में हुई है, जो छत्तीसगढ़ सीमा से लगे क्षेत्र से ताल्लुक रखते थे। यह घटना शाम लगभग 6 बजे उस वक्त घटी, जब नरेश चार अन्य लोगों के साथ बातचीत कर रहे थे, जिनमें दो स्थानीय पत्रकार भी मौजूद थे। हमले में नरेश गंभीर रूप से घायल हो गए। पहले उन्हें मोटू प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, लेकिन हालत बिगड़ने पर मलकानगिरी जिला अस्पताल रेफर किया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
रिपोर्टों के अनुसार, हमले वाले दिन दो अज्ञात युवक नरेश के घर पहुंचे थे और किसी जरूरी काम का हवाला देकर उन्हें बाहर बुलाया था। नरेश की पत्नी फूलन देवी बिस्वास ने बताया कि दोपहर करीब साढ़े तीन बजे दो युवक उनके घर आए और किसी बहाने से नरेश को अपने साथ ले गए। शाम को उन्हें नरेश पर हमले की खबर मिली।
न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, मलकानगिरी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रश्मि रंजन सेनापति ने जानकारी दी कि कोरापुट से आई साइबर और फॉरेंसिक विशेषज्ञों की टीम ने घटनास्थल पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी है। उन्होंने मलकानगिरी के पुलिस अधीक्षक विनोद पाटिल के साथ घटनास्थल और मोटू थाने का दौरा भी किया।
सेनापति ने बताया कि हत्या के पीछे की मंशा का पता लगाया जा रहा है। इस सिलसिले में चार लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। उन्होंने कहा कि अपराध में शामिल सभी आरोपियों की जल्द पहचान कर उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा।
13 जुलाई को हुई इस घटना के विरोध में मलकानगिरी जिले के पत्रकारों ने जिला पुलिस कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। मलकानगिरी यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स ने मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी के नाम एक ज्ञापन जिला पुलिस अधीक्षक को सौंपा, जिसमें पत्रकार नरेश की हत्या की उच्च स्तरीय जांच कराए जाने और उनके परिवार को मुआवजा देने की मांग की गई है।
वर्ष 2025 में नरेश तीसरे भारतीय पत्रकार हैं, जिनकी हत्या की गई है। इससे पहले 3 जनवरी को छत्तीसगढ़ में स्वतंत्र पत्रकार मुकेश चंद्राकर का शव एक सेप्टिक टैंक में मिला था, जबकि 8 मार्च को उत्तर प्रदेश में 'दैनिक जागरण' से जुड़े पत्रकार और आरटीआई कार्यकर्ता राघवेंद्र बाजपेयी की हत्या कर दी गई थी।
अंतरराष्ट्रीय पत्रकार महासंघ (आईजेयू) ने इस घटना की निंदा की है और उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
आईजेयू ने कहा है कि नरेश कुमार की हत्या इस बात का उदाहरण है कि सच्चाई की रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकार कितने गंभीर खतरों का सामना करते हैं। यह केवल एक व्यक्ति पर हमला नहीं, बल्कि लोकतंत्र के स्तंभों पर हमला है। संगठन ने इस मामले में किसी वर्तमान न्यायाधीश की निगरानी में उच्च स्तरीय जांच की मांग की है, ताकि जल्द न्याय सुनिश्चित हो और हत्या के पीछे की साजिश का खुलासा हो सके। आईजेयू ने पत्रकारों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया है।
वहीं, पत्रकार सीएच नरेश की हत्या पर प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने गहरा शोक और आक्रोश व्यक्त किया है।
प्रेस क्लब ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, ‘मोटू में पत्रकार नरेश की नृशंस हत्या से हम बेहद व्यथित और चिंतित हैं। यह घटना न केवल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है, बल्कि पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल भी खड़े करती है।’
संस्था ने ओडिशा सरकार से अनुरोध किया है कि इस मामले की जांच निश्चित समयसीमा के भीतर पूरी की जाए और दोषियों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई की जाए।
पोस्ट में आगे कहा गया है, ‘इस दुखद समय में प्रेस क्लब ऑफ इंडिया नरेश के परिवारजनों और मित्रों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता है।’
इस घटना से कुछ दिन पहले, 4 जुलाई को महाराष्ट्र के पुणे के पास एक कस्बे में नदी के किनारे अवैध निर्माण की रिपोर्टिंग के दौरान पत्रकार स्नेहा बर्वे पर जानलेवा हमला किया गया। इस हमले में उन्हें डंडों से बुरी तरह पीटा गया, जिससे वह बेहोश हो गईं।
बर्वे को तुरंत स्थानीय अस्पताल ले जाया गया और बाद में पिंपरी चिंचवाड़ के डीवाई पाटिल अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया। उन्हें सिर और पीठ में चोटें आई हैं और उनके सिर के सीटी स्कैन में अंदरूनी चोट तथा सूजन भी पाई गई है।
बर्वे ने बताया कि आरोप है कि मोर्डे ने नदी का पानी रोकने के लिए एक दीवार बना दी है, जिससे सब्जी मंडी में पानी भरने का खतरा पैदा हो गया था। बर्वे इसी मामले की रिपोर्टिंग करने वहां गई थीं। राजनीतिक संबंध रखने वाले स्थानीय व्यवसायी और इस मामले के मुख्य आरोपी पांडुरंग सखाराम मोर्डे को पुलिस अब तक गिरफ्तार नहीं कर सकी है।
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