कई टीवी चैनलों के लिए काम करने वाले और अपनी खोजी रिपोर्टिंग के लिए मशहूर पत्रकार मुकेश चंद्राकर शुक्रवार को छत्तीसगढ़ के बीजापुर शहर में स्थानीय ठेकेदार सुरेश चंद्राकर की संपत्ति पर बने सेप्टिक टैंक में मृत पाए गए।
33 वर्षीय स्वतंत्र पत्रकार की हत्या के बाद मीडिया संगठनों ने गहन जांच और पत्रकारों के लिए सुरक्षा की मांग की है।
कई टीवी चैनलों के लिए काम करने वाले और अपनी खोजी रिपोर्टिंग के लिए मशहूर मुकेश चंद्राकर शुक्रवार को छत्तीसगढ़ के बीजापुर शहर में स्थानीय ठेकेदार सुरेश चंद्राकर की संपत्ति पर बने सेप्टिक टैंक में मृत पाए गए थे। पुलिस सूत्रों ने मीडिया को यह जानकारी दी।
द टेलिग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने बताया कि मुकेश की रिपोर्ट के बाद राज्य की भाजपा सरकार ने सड़क परियोजना की जांच के आदेश दिए थे, जिसका ठेका सुरेश को दिया गया था।
छत्तीसगढ़ पुलिस ने मुकेश के एक चचेरे भाई समेत तीन आरोपियों को हिरासत में लिया है, जिसने कथित तौर पर 1 जनवरी को मुकेश और सुरेश के बीच मुलाकात कराई थी। इसी दिन से पत्रकार लापता हुए थे। माना जा रहा है कि पुलिस कई लोगों से पूछताछ कर रही है, लेकिन अधिकारियों ने बताया कि सुरेश छिपा हुआ है।
शनिवार को एडिटर्स गिल्ड ने एक बयान में कहा, "युवा पत्रकार की मौत गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि इससे गड़बड़ी का संदेह उत्पन्न होता है।"
इसने राज्य सरकार से "मामले की तेजी से जांच करने और दोषियों को सजा दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ने" का आग्रह किया।
मुकेश ने बताया था कि माओवादी केंद्र बस्तर में गंगालूर और हिरोली को जोड़ने वाली सड़क परियोजना के लिए शुरुआती टेंडर की कीमत 50 करोड़ रुपये थी, लेकिन बाद में काम के दायरे में कोई बदलाव किए बिना इसे बढ़ाकर 120 करोड़ रुपये कर दिया गया।
सूत्रों ने बताया कि इस रिपोर्ट के बाद राज्य सरकार ने ठेकेदारों से जुड़ी कथित अनियमितताओं की जांच के आदेश दिए थे, जिससे इलाके के ताकतवर ठेकेदारों के लॉबी में हड़कंप मच गया था।
पत्रकारों के एक प्रमुख संगठन प्रेस एसोसिएशन ने शनिवार को कहा कि इस हत्या ने पत्रकारों के बिना किसी डर के काम करने के लिए मजबूत सुरक्षा उपायों की आवश्यकता को उजागर किया है।
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के एक बयान में इस हत्या की निंदा की गई और अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई। इंडियन वूमन प्रेस कॉर्प्स ने पीसीआई के बयान का समर्थन किया और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया से राज्य सरकार से कार्रवाई करने के लिए कहने का अनुरोध किया।
प्रेस क्लब के बयान में कहा गया है, "छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग से रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों पर हमले और हत्याएं कोई नई बात नहीं हैं, लेकिन जिस तरह से इन घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है, वह अस्वीकार्य है और इसे प्रभावी ढंग से समाप्त किया जाना चाहिए।"
"राज्य सरकार को पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कानून बनाने की स्थानीय पत्रकारों की लंबे समय से चली आ रही मांगों पर तुरंत गौर करना चाहिए।"
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट में कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, "बस्तर, छत्तीसगढ़ के पत्रकार मुकेश चंद्राकर जी की हत्या का समाचार स्तब्ध करने वाला है। खबरों के मुताबिक, मुकेश जी ने अपनी रिपोर्ट में भ्रष्टाचार का खुलासा किया था, जिसके बाद उनकी बेरहमी से हत्या कर दी गई। मेरी राज्य सरकार से मांग है कि इस मामले में सख्त और त्वरित कार्रवाई हो, दोषियों को कड़ी सजा मिले और दिवंगत के परिजनों को उचित मुआवजा एवं नौकरी पर विचार किया जाए। विनम्र श्रद्धांजलि।"
मुकेश ने 2012 में पत्रकारिता में अपना करियर शुरू किया, बाद में अपना यूट्यूब चैनल बस्तर जंक्शन बनाया, जिसके 1.59 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर हैं। बीजापुर के बासागुड़ा गांव के निवासी मुकेश अपनी खोजी स्टोरी और स्थानीय मुद्दों पर अपनी निडर रिपोर्टिंग के लिए जाने जाते थे।
शनिवार को रायपुर प्रेस क्लब के बैनर तले पत्रकारों ने हत्या के विरोध में राज्य की राजधानी रायपुर में विरोध प्रदर्शन किया।
सूत्रों ने बताया कि बस्तर में ठेकेदारों की लॉबी पर अक्सर स्थानीय पत्रकारों, खासकर भ्रष्टाचार को कवर करने वाले पत्रकारों को धमकाने और डराने का आरोप लगता रहा है।
छत्तीसगढ़ के कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, "पत्रकार मुकेश चंद्राकर ने पांच दिन पहले एक समाचार प्रकाशित किया था और तीसरे या चौथे दिन उनकी हत्या कर दी गई। मैं मुकेश को व्यक्तिगत रूप से जानता था और उनसे कई बार मिल चुका हूं। वह एक देशभक्त थे, जो समाज की सेवा कर रहे थे और अपनी जिम्मेदारियों को पूरा कर रहे थे। उसने ऐसा करने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल दी। भ्रष्टाचार को उजागर करने वाला कोई भी व्यक्ति सुरक्षित नहीं है।"
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छत्तीसगढ़ में पत्रकार का शव टैंक में मिला, कुछ दिन पहले भ्रष्टाचार पर रिपोर्ट किया था
33 वर्षीय स्वतंत्र पत्रकार की हत्या के बाद मीडिया संगठनों ने गहन जांच और पत्रकारों के लिए सुरक्षा की मांग की है।
कई टीवी चैनलों के लिए काम करने वाले और अपनी खोजी रिपोर्टिंग के लिए मशहूर मुकेश चंद्राकर शुक्रवार को छत्तीसगढ़ के बीजापुर शहर में स्थानीय ठेकेदार सुरेश चंद्राकर की संपत्ति पर बने सेप्टिक टैंक में मृत पाए गए थे। पुलिस सूत्रों ने मीडिया को यह जानकारी दी।
द टेलिग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने बताया कि मुकेश की रिपोर्ट के बाद राज्य की भाजपा सरकार ने सड़क परियोजना की जांच के आदेश दिए थे, जिसका ठेका सुरेश को दिया गया था।
छत्तीसगढ़ पुलिस ने मुकेश के एक चचेरे भाई समेत तीन आरोपियों को हिरासत में लिया है, जिसने कथित तौर पर 1 जनवरी को मुकेश और सुरेश के बीच मुलाकात कराई थी। इसी दिन से पत्रकार लापता हुए थे। माना जा रहा है कि पुलिस कई लोगों से पूछताछ कर रही है, लेकिन अधिकारियों ने बताया कि सुरेश छिपा हुआ है।
शनिवार को एडिटर्स गिल्ड ने एक बयान में कहा, "युवा पत्रकार की मौत गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि इससे गड़बड़ी का संदेह उत्पन्न होता है।"
इसने राज्य सरकार से "मामले की तेजी से जांच करने और दोषियों को सजा दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ने" का आग्रह किया।
मुकेश ने बताया था कि माओवादी केंद्र बस्तर में गंगालूर और हिरोली को जोड़ने वाली सड़क परियोजना के लिए शुरुआती टेंडर की कीमत 50 करोड़ रुपये थी, लेकिन बाद में काम के दायरे में कोई बदलाव किए बिना इसे बढ़ाकर 120 करोड़ रुपये कर दिया गया।
सूत्रों ने बताया कि इस रिपोर्ट के बाद राज्य सरकार ने ठेकेदारों से जुड़ी कथित अनियमितताओं की जांच के आदेश दिए थे, जिससे इलाके के ताकतवर ठेकेदारों के लॉबी में हड़कंप मच गया था।
पत्रकारों के एक प्रमुख संगठन प्रेस एसोसिएशन ने शनिवार को कहा कि इस हत्या ने पत्रकारों के बिना किसी डर के काम करने के लिए मजबूत सुरक्षा उपायों की आवश्यकता को उजागर किया है।
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के एक बयान में इस हत्या की निंदा की गई और अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई। इंडियन वूमन प्रेस कॉर्प्स ने पीसीआई के बयान का समर्थन किया और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया से राज्य सरकार से कार्रवाई करने के लिए कहने का अनुरोध किया।
प्रेस क्लब के बयान में कहा गया है, "छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग से रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों पर हमले और हत्याएं कोई नई बात नहीं हैं, लेकिन जिस तरह से इन घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है, वह अस्वीकार्य है और इसे प्रभावी ढंग से समाप्त किया जाना चाहिए।"
"राज्य सरकार को पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कानून बनाने की स्थानीय पत्रकारों की लंबे समय से चली आ रही मांगों पर तुरंत गौर करना चाहिए।"
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट में कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, "बस्तर, छत्तीसगढ़ के पत्रकार मुकेश चंद्राकर जी की हत्या का समाचार स्तब्ध करने वाला है। खबरों के मुताबिक, मुकेश जी ने अपनी रिपोर्ट में भ्रष्टाचार का खुलासा किया था, जिसके बाद उनकी बेरहमी से हत्या कर दी गई। मेरी राज्य सरकार से मांग है कि इस मामले में सख्त और त्वरित कार्रवाई हो, दोषियों को कड़ी सजा मिले और दिवंगत के परिजनों को उचित मुआवजा एवं नौकरी पर विचार किया जाए। विनम्र श्रद्धांजलि।"
मुकेश ने 2012 में पत्रकारिता में अपना करियर शुरू किया, बाद में अपना यूट्यूब चैनल बस्तर जंक्शन बनाया, जिसके 1.59 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर हैं। बीजापुर के बासागुड़ा गांव के निवासी मुकेश अपनी खोजी स्टोरी और स्थानीय मुद्दों पर अपनी निडर रिपोर्टिंग के लिए जाने जाते थे।
शनिवार को रायपुर प्रेस क्लब के बैनर तले पत्रकारों ने हत्या के विरोध में राज्य की राजधानी रायपुर में विरोध प्रदर्शन किया।
सूत्रों ने बताया कि बस्तर में ठेकेदारों की लॉबी पर अक्सर स्थानीय पत्रकारों, खासकर भ्रष्टाचार को कवर करने वाले पत्रकारों को धमकाने और डराने का आरोप लगता रहा है।
छत्तीसगढ़ के कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, "पत्रकार मुकेश चंद्राकर ने पांच दिन पहले एक समाचार प्रकाशित किया था और तीसरे या चौथे दिन उनकी हत्या कर दी गई। मैं मुकेश को व्यक्तिगत रूप से जानता था और उनसे कई बार मिल चुका हूं। वह एक देशभक्त थे, जो समाज की सेवा कर रहे थे और अपनी जिम्मेदारियों को पूरा कर रहे थे। उसने ऐसा करने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल दी। भ्रष्टाचार को उजागर करने वाला कोई भी व्यक्ति सुरक्षित नहीं है।"
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