भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले खोजी पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या, सुरक्षा की मांग तेज

Written by sabrang india | Published on: January 7, 2025
32 वर्षीय खोजी पत्रकार मुकेश चंद्राकर बीजापुर में एक सेप्टिक टैंक में मृत पाए गए। सड़क परियोजनाओं और माओवादी संघर्ष में भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए जाने जाने वाले मुकेश की हत्या की जांच चल रही है। अधिकारियों ने ठेकेदार सुरेश चंद्राकर और उसके रिश्तेदारों सहित कई लोगों को गिरफ्तार किया है।


छत्तीसगढ़ के 32 वर्षीय स्वतंत्र पत्रकार मुकेश चंद्राकर का शव 3 जनवरी को एक सेप्टिक टैंक में मिला, जिससे उनके खोजी काम और इलाके में भ्रष्टाचार को उजागर करने से जुड़ी गड़बड़ी की आशंका बढ़ गई। इस साल की पहली तारीख से लापता चंद्राकर 3 जनवरी को बीजापुर में एक सड़क निर्माण ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के परिसर में मृत पाए गए। उनके परिवार ने उनके लापता होने की सूचना दी थी और पुलिस ने उनके मोबाइल फोन को ट्रैक करने के बाद शव को खोज निकाला जिसे ताजा बने कंक्रीट स्लैब के नीचे छिपाया गया था।


सार्वजनिक निर्माण परियोजनाओं में कथित भ्रष्टाचार पर अपनी विस्तृत रिपोर्ट के लिए जाने जाने वाले चंद्राकर एक लोकप्रिय YouTube चैनल के होस्ट भी थे। उनके परिवार का दावा है कि उन्हें एक सड़क परियोजना से जुड़े घोटाले को उजागर करने के लिए धमकियां मिल रही थीं, जिससे पता चलता है कि उनकी दुखद मौत इसी मामले के कारण हुई होगी। उनके शव मिलने से कुछ घंटे पहले उनके भाई ने चैनल पर एक वीडियो पोस्ट किया जिसमें मदद की अपील की गई और अपने भाई को खोने के सदमे के बारे में बताया गया।



कौन हैं मुकेश चंद्राकर?

छत्तीसगढ़ के संघर्षग्रस्त बस्तर क्षेत्र में अपनी ग्राउंड रिपोर्टिंग के लिए जाने जाने वाले निडर खोजी पत्रकार मुकेश चंद्राकर का करियर उल्लेखनीय रहा। महुआ से बने शराब बेचने और मैकेनिक के रूप में काम करने की अपनी जिंदगी की मामूली शुरुआत के बाद उन्होंने एक कार्यालय किराए पर लेकर पत्रकारिता की ओर कदम बढ़ाया और अंततः अपना YouTube चैनल 'बस्तर जंक्शन' शुरू किया। इस चैनल के करीब 1.66 लाख सब्सक्राइबर थे। सिर्फ 32 साल की उम्र में मुकेश ने खासकर माओवादी हिंसा और भ्रष्टाचार से त्रस्त क्षेत्र में महत्वपूर्ण मुद्दों पर लोगों का ध्यान खींचा और अपने लिए एक जगह बना ली।

2000 के दशक के मध्य में सशस्त्र संघर्ष से बुरी तरह प्रभावित एक गांव बासागुड़ा में जन्मे मुकेश का शुरुआती जीवन कठिनाइयों से भरा था। हिंसा के कारण विस्थापित हुए उनके परिवार ने बीजापुर में एक सरकारी शेल्टर में शरण ली। मुकेश के बचपन में ही उनके पिता की मृत्यु हो गई थी और 2013 में उनकी मां की असामयिक मृत्यु हो गई जिसके बाद मुकेश ने अपने भाई युकेश के साथ मिलकर कई चुनौतियों का डटकर सामना किया।

बीजापुर में एक सड़क की खस्ता हालत पर मुकेश ने रिपोर्टिंग की थी जो उनके चचेरे भाई के कंस्ट्रक्शन कॉन्ट्रैक्ट से जुड़ी थी। इसको लेकर आधिकारिक जांच हुई। इस पर हुई रिपोर्टिंग से नाराज़ मुकेश के चचेरे भाई ठेकेदार सुरेश चंद्राकर ने कथित तौर पर उनकी हत्या की साजिश रची जिसमें उसके भाई रितेश ने इस वारदात को अंजाम दिया। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, मुकेश की मौत इस तरह के मुश्किल क्षेत्रों में भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले पत्रकारों के सामने आने वाले जोखिमों को उजागर करती है।

प्रेस क्लब और एडिटर्स गिल्ड ने पत्रकारों की सुरक्षा पर चिंता व्यक्त की

4 जनवरी को प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने मुकेश चंद्राकर की दर्दनाक हत्या पर अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए निंदा की। क्लब ने हत्या की कड़ी निंदा की और अपराधियों के खिलाफ त्वरित, समयबद्ध कार्रवाई की मांग की। एक बयान में क्लब ने कहा "हम इस हत्या की कड़ी निंदा करते हैं और अपराधियों के खिलाफ समयबद्ध कार्रवाई की मांग करते हैं।"

प्रेस क्लब ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया से भी मामले का संज्ञान लेने और राज्य सरकार से उचित कार्रवाई करने का आग्रह किया है। क्लब ने आग्रह किया कि, "राज्य सरकार को पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कानून बनाने की स्थानीय पत्रकारों की लंबे समय से चली आ रही मांग पर तुरंत गौर करना चाहिए।"


4 जनवरी को एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने मुकेश चंद्राकर की नृशंस हत्या पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए एक बयान जारी किया। गिल्ड ने संदिग्ध हत्या की निंदा की और उनकी मौत के पीछे स्पष्ट गड़बड़ी पर चिंता जताई और कहा कि, "युवा पत्रकार की मौत गंभीर चिंता का विषय है क्योंकि इससे गड़बड़ी का संदेह पैदा होता है।" गिल्ड ने छत्तीसगढ़ सरकार से जांच में तेजी लाने और जिम्मेदार लोगों को जल्द से जल्द न्याय के कटघरे में लाने का आग्रह करते हुए कहा कि, "एडिटर्स गिल्ड छत्तीसगढ़ सरकार से मामले की तेजी से जांच करने और दोषियों को सजा दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ने की मांग करता है।"

एडिटर्स गिल्ड ने पत्रकारों खासकर छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में काम करने वालों के लिए की सुरक्षा के व्यापक मुद्दे पर टिप्पणी की। बयान में आगे कहा गया, "पत्रकारों की सुरक्षा, खास तौर पर छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में काम करने वालों की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है।" "देश भर के अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पत्रकारों को उनके पेशेवर कार्यों के दौरान कोई नुकसान या बाधा न पहुंचे।"



गिल्ड ने कहा कि लोकतंत्र में स्वतंत्र प्रेस की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। उसने आगे कहा कि, "किसी भी लोकतंत्र के लिए स्वतंत्र प्रेस महत्वपूर्ण है, जिसे बिना किसी डर के काम करने की अनुमति हो। एडिटर्स गिल्ड श्री चंद्राकर की मौत पर शोक व्यक्त करता है, लेकिन उम्मीद करता है कि अप्राकृतिक परिस्थितियों में उनकी मौत एक चेतावनी होगी और पत्रकारों की सुरक्षा के लिए बेहतर उपाय किए जाएंगे। देश को श्री चंद्राकर की मौत को पूरी तरह से व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए।"

प्रेस काउंसिल ने हत्या पर छत्तीसगढ़ सरकार से रिपोर्ट मांगी, स्वतः संज्ञान लिया

4 जनवरी को प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने पत्रकार मुकेश चंद्राकर की संदिग्ध जघन्य हत्या का स्वतः संज्ञान लिया। इसने छत्तीसगढ़ सरकार से मामले पर रिपोर्ट मांगी है। प्रेस काउंसिल की अध्यक्ष न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई ने भी इस घटना पर गहरी चिंता जाहिर की।


कोबरा (CoBRA) मिशन में मुकेश चंद्राकर की साहसी भूमिका

कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह मन्हास की रिहाई सुनिश्चित करने में मुकेश चंद्राकर ने साहसी भूमिका निभाई जिन्हें अप्रैल 2021 में माओवादियों ने बंदी बना लिया था। यह बीजापुर में घातक तकलगुडा नक्सली घात लगाए जाने के बाद हुआ जिसमें 22 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे। जंगल युद्ध पर केंद्रित सीआरपीएफ की एक विशेष इकाई कोबरा बटालियन इस घातक हमले में शामिल थी। मुकेश ने छह अन्य पत्रकारों के साथ मिलकर सुरक्षा बलों और माओवादियों के बीच बातचीत को सफल बनाने में मदद की जिससे पकड़े गए कोबरा जवान की सुरक्षित वापसी हो पाई।

न्याय की मांग को लेकर जनता का विरोध, कैंडल मार्च निकाला

मुकेश चंद्राकर की दर्दनाक हत्या ने बड़े पैमाने पर विरोध को जन्म दिया है। रविवार 5 जनवरी को महार समुदाय के सदस्यों ने आरोपियों के लिए मौत की सजा की मांग करते हुए कैंडल मार्च निकाला। पत्रकार भी सड़कों पर उतरे और रायपुर प्रेस क्लब में विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने पत्रकार की मौत के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।

द प्रिंट के अनुसार, कैंडल मार्च अंबेडकर भवन से शुरू हुआ और जयस्तंभ चौक पर जा कर समाप्त हुआ। महार समाज के सरपरस्त आरडी झाड़ी ने कहा कि इस हत्या में शामिल सभी दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।

चंद्राकर की हत्या पत्रकारों के सामने मौजूद खतरे की याद दिलाती है: केजरीवाल

मुकेश चंद्राकर की हत्या की निंदा करते हुए और पत्रकारों की सुरक्षा पर चिंता जताते हुए 'आप' के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, "मुकेश चंद्राकर की हत्या उन पत्रकारों के सामने मौजूद खतरों की याद दिलाती है, जो भ्रष्टाचार को उजागर करते हैं और सच बोलते हैं। मुकेश की हत्या के दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।"


पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या के मुख्य संदिग्ध की गिरफ़्तारी

बस्तर के पत्रकार और यूट्यूबर मुकेश चंद्राकर की हत्या के मुख्य संदिग्ध सुरेश चंद्राकर को 5 जनवरी, 2025 की रात को हैदराबाद से बीजापुर पुलिस की विशेष जांच टीम (SIT) ने गिरफ्तार किया। पुलिस ने 3 जनवरी को मुकेश का शव मिलने के बाद गिरफ्तारी की पुष्टि की जो बीजापुर के चट्टनपारा बस्ती में सुरेश के स्वामित्व वाले एक परिसर के सेप्टिक टैंक में छिपा रखा था। अपराध में शामिल तीन अन्य लोगों रितेश चंद्राकर, दिनेश चंद्राकर और सुपरवाइजर महेंद्र रामटेके को पहले ही मामले के सिलसिले में गिरफ्तार किया जा चुका है।

इस अपराध को लेकर अधिकारियों ने सुरेश चंद्राकर की अवैध संपत्तियों पर कार्रवाई की है। बीजापुर-गंगालूर रोड के किनारे वन भूमि पर अतिक्रमण करने के बाद उसने जो निर्माण यार्ड बनाया था उसे ध्वस्त कर दिया गया है। इसके अलावा पुलिस ने सुरेश चंद्राकर के बैंक खातों को फ्रीज करने के लिए कदम उठाए हैं, जिनमें से तीन खातों को पहले ही रोक दिया गया है।

सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार और कांग्रेस व भाजपा के साथ कथित गठबंधन

25 दिसंबर, 2024 को NDTV पर दिखाए गए न्यूज रिपोर्ट में बीजापुर में एक सड़क निर्माण परियोजना में कथित भ्रष्टाचार को उजागर किया गया था जिसके कारण हत्या की गई। ठेकेदार सुरेश चंद्राकर से जुड़ी इस परियोजना को अपराध का संभावित कारण माना जा रहा है। इसके अलावा छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने दावा किया कि सुरेश चंद्राकर के कांग्रेस पार्टी से संबंध थे, जबकि विपक्षी दलों का दावा है कि वह हाल ही में सत्तारूढ़ भाजपा में शामिल हुए थे।

छत्तीसगढ़ में भाजपा का जंगल राज, कांग्रेस ने हत्या की निंदा की

3 जनवरी को कांग्रेस ने पत्रकार मुकेश चंद्राकर की जघन्य हत्या को लेकर भाजपा शासित छत्तीसगढ़ सरकार की आलोचना की और राज्य की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए। अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर एक पोस्ट में, कांग्रेस ने लिखा:

“छत्तीसगढ़ में भाजपा का जंगल राज।

पत्रकार मुकेश चंद्राकर ने सड़क में भ्रष्टाचार का खुलासा किया था. इसके बाद से सड़क बनवाने वाला ठेकेदार नाराज था.

ठेकेदार ने मुकेश को बुलाया और उन्हें मारकर लाश को अपने घर की सैप्टिक टैंक में चुनवा दिया.

BJP के जंगलराज में कोई भी सुरक्षित नहीं है. कानून व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त है.

इस खबर को मीडिया दिखाएगा, BJP सरकार से सवाल करेगा, इसकी उम्मीद नहीं है. क्योंकि मीडिया में 'सब चंगा सी' मोड ऑन है.

हमारी मांग है कि इस मामले में सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए. पत्रकार मुकेश के परिवार को जल्द न्याय मिले. ”



छत्तीसगढ़ सरकार ने एसआईटी का गठन किया; कथित आरोपी कांग्रेस से जुड़े हैं

इस घटना के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने घटना की एसआईटी जांच के आदेश दिए। भाजपा ने मुख्य आरोपी सुरेश चंद्राकर और कांग्रेस पार्टी के बीच संबंध होने का आरोप लगाया। छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता अरुण राव ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा,

"जोर-जोर से चिल्लाने से झूठ सच में नहीं बदल जाता प्रिय भूपेश जी!

कांग्रेसियों का मूल मंत्र है.. जो उनके भ्रष्टाचार से टकराएगा चूर-चूर हो जाएगा।

और वही किया कांग्रेसी ठेकेदार ने बीजापुर के जांबाज पत्रकार मुकेश के साथ!

हत्या के आरोपी ठेकेदार की पैरवी करने वालों ने नैतिकता शर्मसार किया है।”



कांग्रेस द्वारा मुकेश चंद्राकर के बहिष्कार का पत्र सोशल मीडिया पर वायरल

आरोपी ठेकेदार सुरेश चंद्राकर को कांग्रेस पार्टी से जोड़ने के आरोपों के बीच बीजापुर जिला कांग्रेस कमेटी की ओर से 29 अप्रैल, 2024 को लिखा गया एक पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस पत्र से पता चलता है कि पत्रकार मुकेश चंद्राकर, उनके साथियों ईश्वर सोनी, रंजन दास और चेतन का जिला कांग्रेस कमेटी द्वारा आधिकारिक रूप से बहिष्कार किया गया था। यह कार्रवाई पत्रकारों पर बीजापुर विधायक विक्रम मंडावी के बारे में झूठी खबर प्रकाशित करने और रिपोर्ट करने का आरोप लगने के बाद की गई थी। इस पत्र को लेकर विवाद ने और अटकलों तथा बहस को हवा दे दी है, आलोचकों ने इस बहिष्कार के पीछे के उद्देश्यों पर सवाल उठाए हैं।


वायनाड सांसद प्रियंका गांधी ने भी हत्या की निंदा की, सख्त कार्रवाई की मांग की

कांग्रेस नेता और लोकसभा सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने मुकेश चंद्राकर की हत्या की निंदा की। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स हैंडल के जरिए अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए लिखा कि, “बस्तर, छत्तीसगढ़ के पत्रकार मुकेश चंद्राकर जी की हत्या का समाचार स्तब्ध करने वाला है। खबरों के मुताबिक, मुकेश जी ने अपनी रिपोर्ट में भ्रष्टाचार का खुलासा किया था जिसके बाद उनकी बेरहमी से हत्या कर दी गई।

मेरी राज्य सरकार से मांग है कि इस मामले में सख्त और त्वरित कार्रवाई हो, दोषियों को कड़ी सजा मिले और दिवंगत के परिजनों को उचित मुआवजा एवं नौकरी पर विचार किया जाए।

विनम्र श्रद्धांजलि।”


छत्तीसगढ़ के एक साहसी 32 वर्षीय स्वतंत्र पत्रकार मुकेश चंद्राकर की दुखद मौत ने न केवल पूरे देश को झकझोर दिया है, बल्कि खतरनाक क्षेत्रों में पत्रकारों के सामने आने वाले गंभीर जोखिमों को भी उजागर किया है। सार्वजनिक निर्माण परियोजनाओं में भ्रष्टाचार पर अपनी खोजी रिपोर्टिंग के लिए जाने जाने वाले चंद्राकर की हत्या कर उनके शव सेप्टिक टैंक में डाल दिया गया था, जिससे संदेह पैदा हो रहा है कि उनकी मौत सीधे तौर पर अवैध गतिविधियों को उजागर करने के उसके काम से जुड़ी थी। उनकी मौत उन पत्रकारों के खतरे को उजागर करती है जो भ्रष्ट व्यवस्था में शक्तिशाली लोगों को चुनौती देने का साहस करते हैं। मुकेश की निडर रिपोर्टिंग और उनके यूट्यूब चैनल, “बस्तर जंक्शन” ने वंचित लोगों को आवाज दी और छत्तीसगढ़ के संघर्षग्रस्त बस्तर क्षेत्र में भ्रष्टाचार और हिंसा पर प्रकाश डाला।

इस घटना ने प्रेस क्लब ऑफ इंडिया और एडिटर्स गिल्ड जैसे प्रेस संगठनों में व्यापक आक्रोश और चिंता पैदा कर दी है, जिन्होंने पत्रकारों के लिए त्वरित न्याय और सुरक्षा की मांग की है। यह जघन्य हत्या सच को रिपोर्ट करने वालों के लिए कानूनी सुरक्षा और सुरक्षा की महत्वपूर्ण आवश्यकता की एक स्पष्ट याद दिलाती है। मुकेश की हत्या की चल रही जांच जिसमें गिरफ्तारियां भी हुई हैं, एक महत्वपूर्ण कदम है लेकिन यह पत्रकारों की सुरक्षा के व्यापक मुद्दे को निपटाने की तत्काल आवश्यकता को भी उजागर करता है। मुकेश चंद्राकर की मौत पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाने तथा यह सुनिश्चित करने के लिए कैटेलिस्ट का काम करेगी कि इस तरह के अपराधों को दंडित किया जाए।

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