UP चुनाव: पांचवे चरण में 2017 से ज्यादा मतदान, बड़े उलटफेर के संकेत

Written by Navnish Kumar | Published on: February 28, 2022
UP चुनाव के पांचवें चरण में जहां 2017 के मुकाबले वोटिंग प्रतिशत कुछ बढ़ा है वहीं, रूझान देखें तो भाजपा का गढ़ माने जाने वाले इस फेज में बड़े उलटफेर की संभावना लग रही है। नाराजगी यहां तक है कि अयोध्या और प्रयागराज तक में बीजेपी के पसीने छूटते दिख रहे हैं। खास है कि पांचवें चरण में अवध क्षेत्र के अयोध्या से लेकर बुंदेलखंड के चित्रकूट तक में मतदान हुआ, जहां कुर्मी व पासी वोटर अहम भूमिका में हैं। चुनाव आयोग के मुताबिक, पांचवें चरण में 61 सीटों पर 58.36% वोट पड़े जबकि 2017 में इन सीटों पर 58.24% वोटिंग हुई थी। इस चरण में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के साथ मोती सिंह, सिद्धार्थनाथ सिंह, नंद गोपाल नंदी, रमापति शास्त्री, चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय व राजा भैया जैसे दिग्गज नेता हैं जिनकी किस्मत ईवीएम में क़ैद हो गई।



यूपी चुनाव के पांचवें चरण के वोटिंग ट्रेंड देखें तो पिछले चुनाव से 0.12% ज्यादा वोटिंग हुई है। इस बार 58.36% वोट पड़े हैं जबकि 2017 में इन सीटों पर 58.24% और 2012 में 55.12% वोटिंग हुई थी। इस हिसाब से देखें तो 2012 की तुलना में 2017 में वोटिंग में 3% का इजाफा हुआ था जिसके चलते बीजेपी को जबरदस्त फायदा व विपक्षी दलों का नुकसान हुआ था। इस फेज में धार्मिक नगरी अयोध्या, प्रयागराज व चित्रकूट के साथ अमेठी, बाराबंकी, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, बहराइच और कौशांबी की सीटों पर मतदान हुआ। खास यह भी कि पिछली बार शहरी वोटर्स जिस भारी उत्साह के साथ वोट देने निकला था, अबकी बार बूथों पर वैसा न तो माहौल दिखा, न ही वैसा वोटिंग पैटर्न दिखा। 

पांचवे चरण में मतदाताओं ने थोड़ा जोश जरूर दिखाया और 2017 का रिकॉर्ड तोड़ डाला। पहले 4 चरण में जहां 2017 के मुकाबले कम वोट पड़े वहीं पाचवें चरण में 2017 से ज्यादा वोट पड़े हैं। 2017 से इस बार 0.12 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। पांचवें चरण में सबसे ज्यादा वोटिंग बाराबंकी में हुई। यहां 68.45% वोट पड़े। दूसरे नंबर पर चित्रकूट रहा, जहां 63.5% वोट पड़े। तीसरे नंबर पर अयोध्या जिले में 61% वोट पड़े और सबसे कम 52.65% वोट प्रतापगढ़ में पड़े। यही नहीं, 5वें चरण में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य कौशांबी की सिराथू सीट पर भी वोट पड़े। सिराथू में 60% से ज्यादा मतदान हुआ, जबकि 2017 में यहां 55.93% वोट पड़े थे। अन्य हाई प्रोफाइल सीटों में अयोध्या सीट पर बनस्पत कम मतदान हुआ। यहां 2017 में 61.72% मतदान हुआ था, जबकि इस बार 54.5% वोट ही पड़े।

कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह की प्रयागराज पश्चिम सीट पर 51.2% वोट पड़े। पिछली बार यहां 47.34% लोगों ने मतदान किया था। कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल नंदी की प्रयागराज दक्षिण सीट पर 47.05% मतदान हुआ, जो पिछली बार के मुकाबले करीब 2% ज्यादा रहा। अमेठी की जगदीशपुर सीट पर 52.50% वोट पड़े। पिछली बार यहां 53.16% मतदान हुआ था। यहां से राज्यमंत्री सुरेश पासी मैदान में हैं।

----कहां किस जिले में पड़े कितने वोट----

जिला         2017         2022
------------------------ 
बाराबंकी    67.42%       68.45%
चित्रकूट      60.61%     63.50%
अयोध्या     60.89%     61.00%
श्रावस्ती     63.19%       60.00%
कौशांबी     56.95%      59.56%
बहराइच     58.67%      57.50%
रायबरेली    56.63%      56.60%
सुलतानपुर  57.48%        56.42%
गोंडा          57.54%         56.03%
अमेठी        56.59%       55.86%
प्रयागराज    54.13%       53.77%
प्रतापगढ़    55.84%        52.65%
-------------------------- 
कुल           58.24%        58.36%
-------------------------- 

खास है कि 2017 में इन 61 में से 50 सीटों पर बीजेपी और 2 सीटों पर उसके सहयोगी अपना दल उम्मीदवारों को जीत मिली थी जबकि सपा को 5, कांग्रेस को एक, बसपा को दो और निर्दलीय को एक सीट पर जीत मिली थी। वहीं, 2012 विधानसभा चुनाव में इन 61 सीटों में से बीजेपी को 7, सपा को 41 बसपा को 7, कांग्रेस को 6 और अन्य को एक सीटों पर जीत मिली थी। इस तरह से 2017 में बीजेपी को 42 सीटों का फायदा मिला था तो सपा को 36, कांग्रेस को 5 और बसपा को 5 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा था। बीजेपी ने 2017 में गैर-यादव ओबीसी का कार्ड चला था, जिसके चलते कुर्मी वोटर एकमुश्त उसके साथ गया था। हालांकि, इस बार कुर्मी वोटों को लिए विपक्षी दलों ने भी सियासी समीकरण बनाए हैं।

पांचवें चरण की 61 में से 23 सीटें ऐसी थीं, जहां हार जीत का फर्क 500 से 20,000 वोटों के बीच था। ऐसे में वोटों सियासी दलों के लिए पांचवें चरण का चुनाव बड़ा उल्टफेर कर सकता है। पांचवें चरण में जिन 12 जिलों में वोटिंग हुए, उसमें औसत देखें तो दलित 24% वोटर हैं, लेकिन चार जिले ऐसे हैं जहां 26 से 36% तक हैं। इसमें जाटव और पासी सबसे अहम है। कौशांबी में 36% दलित वोटर हैं, जिनमें पासी की संख्या ज्यादा है। रायबरेली, अमेठी, बाराबंकी में 30% दलित वोटर हैं, जिसमें पासी समुदाय सबसे अहम है। इन पासी बहुल सीटों पर वोटिंग औसत से ज्यादा रही है। बहराइच व श्रावस्ती में मुस्लिम वोटर 30% के करीब है। इन दोनों जिलों में ही 9 सीटें हैं, जहां औसत से ज्यादा वोटिंग हुई।

महत्वपूर्ण है कि सुप्रीम कोर्ट आदेश पर राममंदिर निर्माण के चलते अबकी अयोध्या सबसे हॉट सीट बनी हुई है। पीएम नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त 2020 को मंदिर का शिलान्यास किया। अब अयोध्या के लोगों को चुनाव में वोटिंग से बताना है कि वे खुश है या नाराज? रोजमर्रा की जिंदगी की तकलीफों पर वोट देंगे या योगी सरकार के ‘न्यू अयोध्या’ के राग पर? रामनगरी भगवा या लाल टोपी वालों की? योगी के रोड शो व अखिलेश की जनसभा और लोगों की बातों से यदि अनुमान लगाएं तो अयोध्या में लोग नाराज ही नाराज है। गुस्से की गरम हवा से भाजपा की हवाईयां उडी हुई है। भाजपा, वीएचपी, बजरंग दल, एबीवीपी से लेकर नोएडा के महेश शर्मा, संघ के वरिष्ठ प्रचारक कौशल किशोर सब अयोध्या में डेरा डाले यही मंत्र फूकते रहे कि ईश्वर के लिए प्रत्याशी पर न सोचें, भाजपा की सोचें और गुस्सा नाराजगी थूककर अयोध्या की नाक बचाने के लिए वोट करें। मंदिर निर्माण के ठप्पे का वोट दें! 

खास है कि अयोध्या की सीट 1991 से भाजपा का गढ़ है। लल्लू सिंह निर्विवाद नेता रहे है। वे एक ही बार 2012 के चुनाव में समाजवादी पार्टी के तेजनारायण पांडे से कोई 6000 वोटों से हारे है। 2017 में मोदी की हवा में भाजपा के वेदप्रताप गुप्ता एक लाख से ज्यादा वोटों से जीते थे और लल्लू सिंह 2019 में सांसद बन दिल्ली पहुंचे। 2017 की भाजपा की भारी जीत में एक कारण बसपा के उम्मीदवार को मिले 40 हजार वोटों का गणित भी था। इस दफा मुस्लिम वोट एकमुश्त किधर जाएगा, यह सब जान रहे है। बावजूद इसके 2017 की जीत का अंतर और 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा के रिकार्ड वोटों की हकीकत में अयोध्या की मौजूदा लडाई में भाजपा को आसानी ही होनी चाहिए, खासकर मंदिर निर्माण की हकीकत में। लेकिन विधायक के खिलाफ एंटी इनकंबेसी और ब्राह्यण समाजवादी उम्मीदवार तेजनारायण पांडे को यदि 20-30% भी ब्राह्मण वोट मिले व कुछ साधू-सतों तथा यादवों-मुसलमानों का एकमुश्त वोट पड़ा तो अयोध्या में गुलगपाडा होगा। अयोध्या की नाक बचने या न बचने के संशय में भाजपा 10 मार्च तक सर्वाधिक बैचेन रहेगी। 

उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की उम्मीदवारी से सुर्खियों में आई सिराथू सीट पर भी रविवार को मतदान सस्पेंस में खत्म हुआ। मतदाताओं से सभी ओर कांटे का मुकाबला सुनने को मिला। प्रचार जब शुरू हुआ था तब किसी को उम्मीद नहीं थी कि केशव प्रसाद को इतनी मेहनत करनी होगी और उनसे चुनाव लड़ने को अनिच्छुक पल्लवी पटेल के मुकाबले में आने से हाथ-पांव फूल जाएंगे। वोट डालने से पहले कइयों का कहना था कि मौर्य के परिवार वाले भी यादवों जैसा गुंडा राज, आंतक बनाए हुए थे। सिराथू में योगी, मोदी, मंदिर, हिंदू-मुस्लिम नहीं, बल्कि सिर्फ केशव प्रसाद मौर्य के चेहरे व उनके खिलाफ खडी समाजवादी पार्टी की पल्लवी पटेल की सीधी लड़ाई दिखी। केशव प्रसाद ने 5 साल क्या किया, लोगों से उनका और उनके परिवार वालों का क्या व्यवहार रहा, या तो यह मुद्दा रहा या फिर जाति का मुद्दा दिखा।

खास है कि पांचवें चरण में 693 प्रत्याशी मैदान में थे, जिनमें 90 महिला प्रत्याशी हैं। वैसे तो चुनाव शांतिपूर्ण रहा, लेकिन प्रतापगढ़ की कुंडा सीट से समाजवादी पार्टी प्रत्याशी गुलशन यादव अपने काफिले पर कथित रूप से हमले में मामूली रूप से घायल हो गए। पार्टी ने इसकी लिखित शिकायत चुनाव आयोग से की है। अब 3 मार्च को छठे व 7 मार्च को आखिरी चरण की वोटिंग है। 10 मार्च को गिनती होगी। 

उधर, मणिपुर में आज सोमवार को विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान हो रहा है। मणिपुर में दो चरणों में विधानसभा चुनाव होना है, इसमें पहले चरण का मतदान 28 फरवरी को होगा। पहले चरण में पांच जिलों की 38 विधानसभा सीटों पर मतदान होगा। बाकी 22 सीटों पांच मार्च को मतदान होना है। पहले 27 फरवरी और तीन मार्च को मतदान होना था। लेकिन चुनाव आयोग ने बाद में मणिपुर विधानसभा चुनाव की तारीखों में बदलाव किया था। यह 38 सीटें मणिपुर के जिन 5 जिलों में स्थित हैं, उनमें इंफाल पूर्व, इंफाल पश्चिम, विष्‍णुपुर, कांगपोकपी और चुराचांदपुर शामिल हैं। राज्‍य में सुबह 7 बजे से शाम 4 बजे तक मतदान होगा। 

मणिपुर में कुल 60 सीटें हैं। पहले चरण में 5,80,607 पुरुष, 6,28,657 महिलाएं व 175 ट्रांसजेंडर वोटर सहित कुल 12,09,439 मतदाता हैं। चुनाव आयोग के मुताबिक, भाजपा 38 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, वहीं कांग्रेस के 35 और जेडीयू ने 28 सीटों पर उम्‍मीदवार उतारे हैं। विकास, उग्रवाद, नशीली दवाओं का अवैध व्यापार, सशस्त्र बल (स्पेशल पॉवर) अधिनियम, 1958 (AFSPA) का निरसन, महिला सशक्तिकरण, बढ़ती बेरोजगारी और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों को लेकर राजनीतिक दलों ने प्रचार अभियान चलाया है। यहां भी मतदान से पहले हिंसा की कुछ घटनाएं हुई हैं। शनिवार को देर रात कुछ अज्ञात लोगों ने जनता दल यू के उम्मीदवार वेंगबम रोजित सिंह को गोली मार दी। शनिवार को ही एक बम धमाका भी हुआ, जिसमें दो व्यक्तियों की मौत हो गई और पांच लोग घायल हो गए। यह घटना मणिपुर के चूरचंदपुर जिले में हुई है।

Releted:

बाकी ख़बरें