अंबाला: गन्ना बकाया के लिए किसानों के जल सत्याग्रह को AIKSCC का समर्थन

Written by sabrang india | Published on: August 26, 2019
अम्बाला। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (AIKSCC) ने अंबाला की बेगना नदी में जलसत्याग्रह कर रहे गन्ना किसानों का समर्थन करते हुए हरियाणा की राज्य सरकार से किसानों की बकाया राशि का नगद भुगतान तत्काल सुनिश्चित करने की मांग की है। 



समिति की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि नारायणगढ़ सुगर मिल पर 5000 से अधिक गन्ना किसानों का 101 करोड़ रूपया बकाया होने से यह आभास होता है कि भाजपा सरकार मिल मालिकों को संरक्षण दे रही है। कारखाने के मालिको के द्वारा किसानों को अगले वर्ष के चैक दिए जा रहे हैं जिससे किसानों में भारी असंतोष है।


212 किसान संगठनों के मंच अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति ने कहा है कि जरूरत होने पर आंदोलन के माध्यम से गन्ना किसानों को हजारों करोड़ का भुगतान कराने वाले नेता संयोजक वी एम सिंह तथा पूर्व सांसद राजू शेट्टी गन्ना किसानों का सक्रिय समर्थन देने अंबाला जाएंगे।


उल्लेखनीय है कि हाल ही में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के संयोजक वी एन सिंह ने उत्तर प्रदेश के 32 किसान संगठनों की बैठक बुलाई गई थी जिसमें उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों की संपूर्ण राशि का बकाया  भुगतान करने के लिए राज्यव्यापी आंदोलन की आंदोलन को लेकर गहन चर्चा की गई थी।
 

बता दें कि नारायणगढ़ चीनी मिल बनोंदि से बृहस्पतिवार को महापंचायत के बाद किसान बेगना नदी में जल सत्याग्रह पर बैठ गए थे। किसानों की मांग थी कि उनकी करीब सौ करोड़ रुपये का बकाया मिल से दिलवाया जाये। किसानों ने जल सत्याग्रह आंदोलन शुरू कर दिया था। शुक्रवार सुबह लगभग पौने दस बजे दोबारा नदी के पानी में बैठ गये। किसानों का कहना था कि अन्न उगाकर दूनिया का पेट भरने वालों को ही आज अपनी फसल के बकाया के लिये जल सत्याग्रह पर बैठने को मजबूर होना पड़ रहा है, बावजूद इसके सरकार किसान आंखें बंद किये बैठी है। करीब 12 बजे नदी में पानी कम हो गया था। इस पर किसानों ने जेसीबी मशीन मंगवाई और नदी के बीच रेत से नाका लगाकर रोकने का प्रयास किया। दुकानदार नहीं दे रहे सामान, आढ़तियों ने भी खड़े किए हाथ

किसानों ने कहा कि त्योहारों के दिन हैं घर वाले पैसे मांगते हैं, बच्चों के स्कूलों से नोटिस आ रहे हैं कि बच्चों की स्कूल में फीस जमा करवाओ। वह कहां से करवाएं। किसानों ने कहा कि हालात यह हो गए हैं कि बाजार में जाओ तो दुकानदारों ने बिना पैसे सामान देने से मना कर दिया। यही नहीं किसान का जिस आढ़ती के साथ चोली दामन का साथ रहा है उन्होंने भी पैसे देने से मना करना शुरू कर दिया। किसान आत्महत्या के सिवाय क्या करें। बिगड़ने लगा किसानों का स्वास्थ्य

दो दिन से नदी के पानी में जल सत्याग्रह कर रहे किसानों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ना शुरू हो गया है। हालांकि अभी थोड़ा प्रभाव है। इसके चलते शुक्रवार को मौके पर चिकित्सक पर पहुंचे। कुछ किसानों को नदी के पानी से खारिश और कुछ की तबीयत खराब हो गई है। डॉ.विनोद सैनी ने किसानों का स्वास्थ्य जांचकर उन्हें दवाई दी। चढूनी खुद भी बेघना में उतरे, दूसरे दिन मिला समर्थन

लगभग साढ़े तीन बजे भाकियू (चढूनी ग्रुप) प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी भी नदी के पानी में जल सत्याग्रह आंदोलन पर बैठ गए। इस दौरान किसानों ने जमकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। किसानों को विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं सहित क्षेत्र की टिप्पर ट्रांसपोर्ट यूनियन ने भी समर्थन दे दिया। यही नहीं आंदोलन के दूसरे दिन क्षेत्र की महिलाओं ने भी आंदोलन स्थल पर पहुंचकर किसानों को समर्थन दिया। इसके बाद शाम सवा पांच बजे किसान नदी से बाहर आ गए। 

किसानों के आंदोलन के दूसरे दिन कांग्रेस नेता सुखविदर नारा, धर्मवीर ढींढसा व अन्य राजनीतिक लोगों के साथ साथ महिलाओं व टिप्पर यूनियन ने भी समर्थन दे दिया। जहां महिलाएं नदी किनारे आंदोलन स्थल पर लगे टेंट में बैठी वहीं राजनीतिक लोग अर्धनग्न हो किसानों के साथ नदी में जल सत्याग्रह पर बैठ गए।  
 

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