संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान 13 फरवरी, 2024 से शंभू और खनौरी सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
पंजाब-हरियाणा सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने केंद्र से अपनी मांगों को पूरा करवाने के लिए अपनी लड़ाई जारी रखते हुए 26 जनवरी को देशभर में ट्रैक्टर मार्च निकालने की घोषणा की है। यह घोषणा प्रमुख किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल की जारी भूख हड़ताल के दौरान की गई।
द ऑब्जर्वर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, खनौरी सीमा पर 26 नवंबर 2024 से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे दल्लेवाल फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं। अपनी बिगड़ती सेहत के बावजूद दल्लेवाल ने पंजाब सरकार द्वारा दी जाने वाली चिकित्सा सहायता लेने से इनकार कर दिया है।
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान 13 फरवरी, 2024 से शंभू और खनौरी सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इस दिन सुरक्षा बलों द्वारा उनके दिल्ली मार्च को रोक दिया गया था।
2021 में, किसानों ने विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया था। इस दौरान 26 जनवरी को हजारों लोगों ने नई दिल्ली के लाल किले पर धावा बोला था। यह विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया जिसमें किसानों और पुलिस के बीच झड़पें हुईं। उचित कृषि नीतियों और एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी की उनकी मांग को जारी रखते हुए किसान अब गणतंत्र दिवस पर देशव्यापी ट्रैक्टर मार्च की योजना बना रहे हैं।
बता दें कि पिछले सप्ताह खनौरी बॉर्डर पर मंच से महापंचायत को संबोधित करते हुए किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने कहा था कि जीत उनकी ही होगी। वह 40 दिन से भूख हड़ताल पर हैं। यह सब भगवान की इच्छानुसार हो रहा है। भगवान उन्हें इसके लिए शक्ति दे रहा है। उन्होंने किसानों की आत्महत्याओं पर चिंता जताते हुए कहा- सुसाइड पर अंकुश जरूरी है। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 4 लाख किसानों ने आत्महत्या की है, लेकिन असल में अब तक 7 लाख से ज्यादा किसान दम तोड़ चुके हैं। मेरी किसानों से अपील है कि बड़ी संख्या में आगे आएं, ताकि आंदोलन को बल मिल सके।
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वहीं मीडिया से बातचीत में राकेश टिकैत ने कहा कि हरियाणा सरकार एमएसपी के नाम पर किसानों को बेवकूफ बना रही है। सरकार उन फसलों पर एमएसपी देने की बात कहती है, जिन फसलों की यहां पैदावार ही नहीं होती। खनौरी बॉर्डर पर जो किसानों का धरना चल रहा है, उससे केंद्र सरकार को फायदा हो रहा है। इससे पंजाब सरकार की छवि खराब हो रही है और सड़क जाम होने से सिख समाज के कुछ लोग इस धरने से नाराज हैं। इसलिए केंद्र सरकार चाहती है कि यह धरना लंबा चले। राकेश टिकैत ने कहा कि देश भर में किसान अलग-अलग तरीके से आंदोलन कर रहे हैं। देश में 700 के करीब किसान संगठन हैं। जब भी आंदोलन होगा, सभी किसान संगठन एक साथ नजर आएंगे और मिलकर आंदोलन करेंगे। यही नहीं इस बार दिल्ली को अंदर से घेरने की बजाय केएमपी को घेरा जाएगा। ताकि दिल्ली चारों ओर से जाम हो सके। फिलहाल आंदोलन का समय तय नहीं किया गया है।
पंजाब-हरियाणा सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने केंद्र से अपनी मांगों को पूरा करवाने के लिए अपनी लड़ाई जारी रखते हुए 26 जनवरी को देशभर में ट्रैक्टर मार्च निकालने की घोषणा की है। यह घोषणा प्रमुख किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल की जारी भूख हड़ताल के दौरान की गई।
द ऑब्जर्वर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, खनौरी सीमा पर 26 नवंबर 2024 से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे दल्लेवाल फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं। अपनी बिगड़ती सेहत के बावजूद दल्लेवाल ने पंजाब सरकार द्वारा दी जाने वाली चिकित्सा सहायता लेने से इनकार कर दिया है।
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान 13 फरवरी, 2024 से शंभू और खनौरी सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इस दिन सुरक्षा बलों द्वारा उनके दिल्ली मार्च को रोक दिया गया था।
2021 में, किसानों ने विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया था। इस दौरान 26 जनवरी को हजारों लोगों ने नई दिल्ली के लाल किले पर धावा बोला था। यह विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया जिसमें किसानों और पुलिस के बीच झड़पें हुईं। उचित कृषि नीतियों और एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी की उनकी मांग को जारी रखते हुए किसान अब गणतंत्र दिवस पर देशव्यापी ट्रैक्टर मार्च की योजना बना रहे हैं।
बता दें कि पिछले सप्ताह खनौरी बॉर्डर पर मंच से महापंचायत को संबोधित करते हुए किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने कहा था कि जीत उनकी ही होगी। वह 40 दिन से भूख हड़ताल पर हैं। यह सब भगवान की इच्छानुसार हो रहा है। भगवान उन्हें इसके लिए शक्ति दे रहा है। उन्होंने किसानों की आत्महत्याओं पर चिंता जताते हुए कहा- सुसाइड पर अंकुश जरूरी है। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 4 लाख किसानों ने आत्महत्या की है, लेकिन असल में अब तक 7 लाख से ज्यादा किसान दम तोड़ चुके हैं। मेरी किसानों से अपील है कि बड़ी संख्या में आगे आएं, ताकि आंदोलन को बल मिल सके।
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