“आखिरकार गाजियाबाद के एक अस्पताल ने उसे भर्ती किया, लेकिन शर्त रखी कि पहले 4,40,000 रूपये जमा करने होंगे। हमें उसकी जान बचाने के लिए कर्ज लेना पड़ा।”

साभार : द ऑब्जर्वर पोस्ट
उत्तर प्रदेश के एक 26 वर्षीय मुस्लिम युवक को गुजरात में बेरहमी से पीटा गया और बाद में दिल्ली-एनसीआर के कई अस्पतालों में उसे इलाज से वंचित कर दिया गया।
द ऑब्जर्वर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, बहराइच के रहने वाले मोहम्मद शोएब 14 अगस्त को मुंबई से निकले थे जब उन्हें वहां काम नहीं मिला। वे रोजगार की तलाश में दिल्ली जा रहे थे। लेकिन उनका यह सफर सूरत रेलवे स्टेशन के पास एक त्रासदी में उस समय बदल गया, जब ट्रेन से उतरते ही कुछ अज्ञात लोगों ने उन पर हमला कर दिया। उन्हें इतनी बुरी तरह पीटा गया कि वह बेहोश हो गए, और फिर किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा एक ट्रेन में दिल्ली भेज दिया गया।
जब मोहम्मद शोएब दिल्ली के हजरत निज़ामुद्दीन स्टेशन पहुंचे, तब तक वह कमजोरी, भूख और गंभीर चोटों काफी परेशान थे। किसी तरह उन्होंने अपने परिवार से संपर्क किया, जिसके बाद उनके परिजन पहुंचे और उन्हें तुरंत अस्पताल ले गए। हालांकि, उनके चाचा के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर के कई अस्पतालों ने उन्हें भर्ती करने से इनकार कर दिया।
शोएब के चाचा ने रोते हुए कहा, “उसे कई दिनों से खाना नहीं मिला था, शरीर में कोई ताकत नहीं थी और कोई अस्पताल हमारी मदद करने को तैयार नहीं था।”
“आखिरकार गाजियाबाद के एक अस्पताल ने उसे भर्ती किया, लेकिन शर्त रखी कि पहले 4,40,000 रूपये जमा करने होंगे। हमें उसकी जान बचाने के लिए कर्ज लेना पड़ा।”
भुगतान के बाद शोएब की सर्जरी की गई और डॉक्टरों के अनुसार ऑपरेशन सफल रहा। हालांकि, वह अभी भी बेहद कमजोर हैं और ज्यादा बोलने की स्थिति में नहीं हैं।
समुदाय के नेताओं ने न केवल इस हमले, बल्कि मोहम्मद शोएब को इलाज से वंचित किए जाने की भी कड़ी निंदा की है। जमीयत उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन क़ासमी ने कहा, “यह केवल एक व्यक्ति पर हमला नहीं है, बल्कि यह एक आइना है जो दिखाता है कि देश में मुसलमानों के साथ किस तरह का व्यवहार हो रहा है। हम FIR दर्ज करने, गिरफ्तार करने और अस्पतालों से जवाबदेही की मांग करते हैं।”
अब तक न तो गुजरात पुलिस और न ही दिल्ली पुलिस ने इस मामले में कोई FIR दर्ज की है।
कार्यकर्ताओं और सामाजिक संगठनों का कहना है कि यह चुप्पी एक व्यापक पैटर्न का हिस्सा है, जिसमें मुसलमानों के खिलाफ होने वाले अपराधों को नजरअंदाज किया जाता है।
दिल्ली स्थित मानवाधिकार वकील एडवोकेट फिरोज खान ने कहा, "यह एक आपराधिक हमला था। अभी तक FIR क्यों दर्ज नहीं हुई? हमलावर अब तक आजाद क्यों घूम रहे हैं? यही है न्याय से वंचित करने का तरीका।"
शोएब के परिवार का कहना है कि वे तबाह हो चुके हैं और लगातार बढ़ रहे इलाज के खर्चों से जूझ रहे हैं। उनके पिता, जो एक छोटे किसान हैं, ने भावुक होकर कहा, "मेरा बेटा तो सिर्फ परिवार का पेट पालने निकला था। अब वो अस्पताल के बिस्तर पर जिंदगी और मौत से लड़ रहा है। हम बस इंसाफ चाहते हैं।"
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साभार : द ऑब्जर्वर पोस्ट
उत्तर प्रदेश के एक 26 वर्षीय मुस्लिम युवक को गुजरात में बेरहमी से पीटा गया और बाद में दिल्ली-एनसीआर के कई अस्पतालों में उसे इलाज से वंचित कर दिया गया।
द ऑब्जर्वर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, बहराइच के रहने वाले मोहम्मद शोएब 14 अगस्त को मुंबई से निकले थे जब उन्हें वहां काम नहीं मिला। वे रोजगार की तलाश में दिल्ली जा रहे थे। लेकिन उनका यह सफर सूरत रेलवे स्टेशन के पास एक त्रासदी में उस समय बदल गया, जब ट्रेन से उतरते ही कुछ अज्ञात लोगों ने उन पर हमला कर दिया। उन्हें इतनी बुरी तरह पीटा गया कि वह बेहोश हो गए, और फिर किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा एक ट्रेन में दिल्ली भेज दिया गया।
जब मोहम्मद शोएब दिल्ली के हजरत निज़ामुद्दीन स्टेशन पहुंचे, तब तक वह कमजोरी, भूख और गंभीर चोटों काफी परेशान थे। किसी तरह उन्होंने अपने परिवार से संपर्क किया, जिसके बाद उनके परिजन पहुंचे और उन्हें तुरंत अस्पताल ले गए। हालांकि, उनके चाचा के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर के कई अस्पतालों ने उन्हें भर्ती करने से इनकार कर दिया।
शोएब के चाचा ने रोते हुए कहा, “उसे कई दिनों से खाना नहीं मिला था, शरीर में कोई ताकत नहीं थी और कोई अस्पताल हमारी मदद करने को तैयार नहीं था।”
“आखिरकार गाजियाबाद के एक अस्पताल ने उसे भर्ती किया, लेकिन शर्त रखी कि पहले 4,40,000 रूपये जमा करने होंगे। हमें उसकी जान बचाने के लिए कर्ज लेना पड़ा।”
भुगतान के बाद शोएब की सर्जरी की गई और डॉक्टरों के अनुसार ऑपरेशन सफल रहा। हालांकि, वह अभी भी बेहद कमजोर हैं और ज्यादा बोलने की स्थिति में नहीं हैं।
समुदाय के नेताओं ने न केवल इस हमले, बल्कि मोहम्मद शोएब को इलाज से वंचित किए जाने की भी कड़ी निंदा की है। जमीयत उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन क़ासमी ने कहा, “यह केवल एक व्यक्ति पर हमला नहीं है, बल्कि यह एक आइना है जो दिखाता है कि देश में मुसलमानों के साथ किस तरह का व्यवहार हो रहा है। हम FIR दर्ज करने, गिरफ्तार करने और अस्पतालों से जवाबदेही की मांग करते हैं।”
अब तक न तो गुजरात पुलिस और न ही दिल्ली पुलिस ने इस मामले में कोई FIR दर्ज की है।
कार्यकर्ताओं और सामाजिक संगठनों का कहना है कि यह चुप्पी एक व्यापक पैटर्न का हिस्सा है, जिसमें मुसलमानों के खिलाफ होने वाले अपराधों को नजरअंदाज किया जाता है।
दिल्ली स्थित मानवाधिकार वकील एडवोकेट फिरोज खान ने कहा, "यह एक आपराधिक हमला था। अभी तक FIR क्यों दर्ज नहीं हुई? हमलावर अब तक आजाद क्यों घूम रहे हैं? यही है न्याय से वंचित करने का तरीका।"
शोएब के परिवार का कहना है कि वे तबाह हो चुके हैं और लगातार बढ़ रहे इलाज के खर्चों से जूझ रहे हैं। उनके पिता, जो एक छोटे किसान हैं, ने भावुक होकर कहा, "मेरा बेटा तो सिर्फ परिवार का पेट पालने निकला था। अब वो अस्पताल के बिस्तर पर जिंदगी और मौत से लड़ रहा है। हम बस इंसाफ चाहते हैं।"
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