योगी सरकार के रामनवमी फंड के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका, 28 मार्च को सुनवाई

Written by sabrang india | Published on: March 25, 2023
यूपी में योगी सरकार द्वारा नवरात्रि और रामनवमी पर सरकारी स्तर पर आयोजन कराने के लिए जारी 10 मार्च की अधिसूचना को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। 
 


उत्तर प्रदेश सरकार के प्रमुख सचिव द्वारा 10 मार्च को समस्त जिलाधिकारी व मण्डलायुक्तों को रामनवमी के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजन की जारी अधिसूचना के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश दाखिल याचिका पर 28 मार्च को सुनवाई करेंगे। 

समाजसेवी राजीव यादव की ओर से दाखिल जनहित याचिका में कहा गया है कि प्रदेश सरकार के इस कृत्य से संविधान के मूल ढांचे की अवहेलना होती है। याचिका में कहा गया है कि भारत एक सेकुलर राष्ट्र है, जिसमें सरकार का कोई धर्म नहीं हो सकता है जबकि प्रमुख सचिव की ओर से जारी अधिसूचना में साफ तौर पर जनता के पैसे का उपयोग धार्मिक कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के लिए खर्च किया जा रहा है। यह उत्तर प्रदेश सरकार का गैर.धर्मनिरपेक्ष चेहरा दिखाता है। 

प्रमुख सचिव द्वारा जारी अधिसूचना में जिलाधिकारियों को विभिन्न निर्देश दिए गए हैं। प्रति जनपद में रामनवमी के दिन प्रस्तुति करने वाले कलाकारों को संस्कृति विभाग द्वारा एक लाख रुपये की धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी।

उपरोक्त अधिसूचना को उत्तर प्रदेश सरकार के प्रमुख सचिव मुकेश कुमार मेश्राम की ओर से जारी किया गया है। उनके प्रति याचिका में यह कहा गया है कि अपने राजनीतिक आकाओं को खुश करने के लिए अपनी महत्वपूर्ण पोस्टिंग को बचाये रखने की गरज से एक लोक सेवक के रूप में लिए गए शपथ का उल्लंघन किया गया है, जो कि संविधान के प्रति एक अपराध है और जानबूझकर किये गए इस अपराध के लिए उन्हें दंडित करने की भी मांग की गई है। 

याचिका में आगे कहा गया है कि किसी भी सरकार के द्वारा किये जाने वाले इस तरह के कार्य आधुनिक भारत के निर्माताओं के संघर्षों, स्वप्नों और भारत निर्माण के उनके मॉडल के ऊपर सीधा प्रहार है जो कि भारतीय राष्ट्र के ऊपर एक हमला है।

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