ऐसे प्रतिबंधों को “सुपर इन्जंक्शन” कहते हुए, जो एक स्वतंत्र देश में बहुत ही दुर्लभ होते हैं, सुप्रीम कोर्ट ने दशकों पुराने हत्या और गुप्त दफन से जुड़े सनसनीखेज आरोपों की मीडिया रिपोर्टिंग रोकने से इनकार कर दिया। ये मामले धर्मस्थल मंदिर से जुड़े हैं और कर्नाटक की एसआईटी 13 संदिग्ध दफन स्थल की जांच कर रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने 8 अगस्त 2025 को उस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया, जिसमें मीडिया को धर्मस्थल सामूहिक दफन मामले की रिपोर्टिंग से रोकने की मांग की गई थी।
न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और मनमोहन की पीठ ने इस प्रकार के प्रकाशन पूर्व प्रतिबंधों को “सुपर इंजंक्शन” करार दिया और यह स्पष्ट किया कि एक लोकतांत्रिक और स्वतंत्र देश में ऐसे प्रतिबंध केवल दुर्लभ परिस्थितियों में ही स्वीकार्य होते हैं।
याचिका धर्मस्थल मंदिर प्रबंधन समिति के सचिव हर्षेन्द्र कुमार डी. द्वारा दायर की गई थी, जिन्होंने आरोप लगाया कि मंदिर के प्रबंधक परिवार को निशाना बनाते हुए अपमानजनक सामग्री व्यापक रूप से ऑनलाइन, विशेष रूप से YouTube पर प्रसारित की जा रही है। उनके द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, लगभग 8,000 यूट्यूब चैनल्स ऐसी सामग्री प्रसारित कर रहे हैं जो मंदिर के वंशानुगत प्रमुख वीरेन्द्र हेग्गड़े और ट्रस्ट के अन्य सदस्यों की छवि को नुकसान पहुंचा रही है।
किसी भी तत्काल प्रतिबंधात्मक आदेश देने से इनकार करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक की ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया कि वह हर्षेन्द्र कुमार की याचिका पर फिर विचार करे, बशर्ते कि सभी साक्ष्य रिकॉर्ड पर पेश किए गए हों। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, पीठ ने यह स्पष्ट किया कि वह मानहानि के दावे की वैधता पर कोई राय नहीं दे रही है।
कर्नाटक उच्च न्यायालय का हस्तक्षेप: 1 अगस्त 2025
सुप्रीम कोर्ट की यह आदेश उस समय आया जब कर्नाटक उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना की पीठ ने, 18 जुलाई 2025 को बेंगलुरु की एक दीवानी अदालत द्वारा हर्षेन्द्र कुमार की पूर्व मानहानि याचिका पर जारी किए गए व्यापक मीडिया प्रतिबंध को रद्द कर दिया था।
उस आदेश ने धर्मस्थल दफन के आरोप पर रिपोर्टिंग पर रोक लगाई थी और लगभग 390 मीडिया संस्थानों को निर्देश दिया था कि वे मामले से संबंधित लगभग 9,000 ऑनलाइन लिंक -जिनमें समाचार लेख, वीडियो और पोस्ट शामिल थे-हटा दें। यह आदेश एक पक्ष की बात सुनकर (ex parte) दिया गया था, यानी प्रभावित मीडिया संस्थानों की सुनवाई के बिना और तब भी जब इस मामले में कुमार या मंदिर के अधिकारियों के खिलाफ कोई एफआईआऱ दर्ज नहीं थी।
उच्च न्यायालय ने कहा कि ऐसे रोक लगाने वाले आदेश बिना वजह और ज्यादा व्यापक नहीं होने चाहिए। जब जनता के लिए कोई बहुत जरूरी मामला हो, तभी ही रिपोर्टिंग पर रोक लगानी चाहिए, और वो भी बहुत सोच समझकर, खास वजह होनी चाहिए, और सही सबूत होने चाहिए।
वर्तमान मामले की शुरुआत: 3 जुलाई 2025 को व्हिसलब्लोअर की शिकायत
यह विवाद लगभग एक महीने पहले शुरू हुआ था, जब 3 जुलाई 2025 को श्री धर्मस्थल मंजुनाथेश्वर मंदिर के एक पूर्व सफाई कर्मचारी ने दक्षिण कन्नड़ जिले के पुलिस अधीक्षक को छह पन्नों की एक शिकायत दर्ज कराई थी।
व्हिसलब्लोअर एक दलित पुरुष हैं जो 1995 से 2014 तक मंदिर में काम करते थे। उन्होंने आरोप लगाया कि अपने कार्यकाल के दौरान उसे मंदिर परिसर और आसपास की जमीनों पर सैकड़ों लोगों को दफनाने के लिए मजबूर किया गया। उन्होंने दावा किया कि इनमें कई पीड़ित नाबालिग लड़कियां थीं, जिन्हें हत्या से पहले यौन उत्पीड़न का शिकार बनाया गया था।
उस कर्मचारी ने बताया कि अगर उन्हें इन घटनाओं के बारे में कभी बात करने पर उन्हें मौत की धमकी दी गई थी। वह 2014 में धर्मस्थल से भाग गया और 11 साल तक चुप रहा, लेकिन बाद में अपराधबोध के कारण सामने आने का फैसला किया, जैसा कि Frontline Magazine की रिपोर्ट में बताया गया है।
ऐतिहासिक संदर्भ: धर्मस्थल के अनसुलझे मामले
ये आरोप तुरंत ही राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुर्खियां बन गए, क्योंकि ऐसा लग रहा था कि ये धर्मस्थल में लंबे समय से चल रहे अनसुलझे हत्या और गुमशुदगी के मामलों से जुड़े हैं।
● 1987 - पद्मलता मामला: 17 वर्षीय लड़की का बलात्कार और हत्या; कोई गिरफ्तारी नहीं हुई।
● 2012 - सौजन्या मामला: एक और 17 वर्षीय लड़की का बलात्कार और हत्या; मामला एक दशक से ज्यादा समय तक अनसुलझा रहा और आधिकारिक तौर पर 2023 में बंद कर दिया गया।
कई पीड़ितों के परिवारों और कार्यकर्ताओं ने बार-बार आरोप लगाया है कि ये अपराध मंदिर के वंशानुगत प्रमुख और 2022 से राज्यसभा सांसद वीरेंद्र हेगड़े से जुड़े थे। पिछली इंवेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग ने कथित तौर पर ताकतवर लोगों के प्रभाव में खराब पुलिस जांच की ओर इशारा किया।
बढ़ता जन दबाव और एसआईटी का गठन
व्हिसिलब्लोअर की गवाही और बढ़ते जनाक्रोश के बाद, कर्नाटक सरकार ने 19 जुलाई, 2025 को पुलिस महानिदेशक प्रणब मोहंती की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन की घोषणा की।
एसआईटी ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 13 संदिग्ध कब्रिस्तानों की पहचान की। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, 29 जुलाई, 2025 को चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में- भारी मानसूनी बारिश, जंगली इलाका और नेत्रवती नदी के नजदीक- खुदाई का काम शुरू हुआ।
4 अगस्त, 2025 तक:
● साइट संख्या 6: आंशिक मानव कंकाल बरामद।
● साइट संख्या 11-ए: कंकाल के टुकड़े बरामद; यह स्पष्ट नहीं है कि वे पूर्ण कंकाल हैं या नहीं।
● एक स्थान: एक ऐसे व्यक्ति का पैन कार्ड मिला जो कथित तौर पर 2025 में मर गया था।
परिवार और गवाह आगे आए
एसआईटी के काम ने पूर्व पीड़ितों के परिवारों को आगे आने के लिए प्रोत्साहित किया:
● सौजन्या के माता-पिता ने उम्मीद जताई कि इस मामले में आखिरकार न्याय होगा।
● अनन्या भट्ट (2003 से लापता मेडिकल छात्रा) की मां ने अपनी बेटी के अवशेषों की पहचान की उम्मीद में एक नई शिकायत दर्ज कराई।
● अन्य गवाहों ने धर्मस्थल और उसके आसपास अन्य गुप्त दफनाने के बारे में भी जानकारी दी।
फ्रंटलाइन मैगजीन के अनुसार, कुछ परिवारों और कार्यकर्ताओं ने आरोपों की गंभीरता और जांच पर संभावित स्थानीय प्रभाव का हवाला देते हुए मामले को एनआईए जैसी राष्ट्रीय एजेंसी को सौंपने की मांग की है।
धमकियां, हमले और सबूत नष्ट करने की चिंताएं
हाईकोर्ट द्वारा प्रतिबंध आदेश हटाए जाने के बावजूद, इस मामले पर रिपोर्टिंग करने वाले स्वतंत्र पत्रकारों और यूट्यूबर्स को धमकियों और शारीरिक हिंसा का सामना करना पड़ा है। हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, 6 अगस्त, 2025 को धर्मस्थल में वीडियो बनाने के दौरान दो यूट्यूबर्स पर हमला किया गया था।
रिपोर्ट में एक बड़ा खुलासा यह भी हुआ कि सबूत नष्ट करने की चिंता भी जताई गई है। बेल्थांगडी पुलिस स्टेशन ने अगस्त की शुरुआत में स्वीकार किया कि उसने 2000 से 2015 तक की अज्ञात मौतों के रिकॉर्ड मिटा दिए हैं - यह वह अवधि है जिसमें कई कथित अपराध शामिल हैं।
राजनीतिक और संस्थागत प्रतिक्रियाएं
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं ज्यादातर नहीं की गई है, कई नेता हेगड़े के खिलाफ आरोपों पर सीधी टिप्पणी करने से बच रहे हैं:
● जी. परमेश्वर (गृह मंत्री, कर्नाटक): ने कहा कि किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले "गहन जांच" होनी चाहिए और एसआईटी को यह अधिकार दिया गया है।
● आर. अशोक (भाजपा नेता प्रतिपक्ष): आरोपों को षडयंत्र बताकर खारिज कर दिया; झूठा दावा किया कि व्हिसलब्लोअर मुस्लिम था।
● बी.एस. येदियुरप्पा (पूर्व मुख्यमंत्री, बीजेपी): आरोपों को बिना आधार वाला बताया, लेकिन SIT के गठन का स्वागत किया।
हेग्गड़े ने अभी तक कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है। मंदिर के प्रवक्ता ने कहा है कि प्रशासन SIT की जांच का समर्थन करता है।
फोरेंसिक चुनौतियां
फोरेंसिक विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि कंकाल के अवशेषों की पहचान करना जटिल होगा क्योंकि:
● कंकाल का बहुत ज्यादा सड़ चुका होना।
● दफनाने की जगहों में संभावित खलल या गड़बड़ी।
● रिश्तेदारों के साथ डीएनए मिलान की आवश्यकता।
फिर भी, पीड़ित परिवार उम्मीद लगाए बैठे हैं कि इस जांच से दशकों से चले आ रहे उनके दर्द का अंत होगा और उन्हें कुछ सुकून मिलेगा।
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न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और मनमोहन की पीठ ने इस प्रकार के प्रकाशन पूर्व प्रतिबंधों को “सुपर इंजंक्शन” करार दिया और यह स्पष्ट किया कि एक लोकतांत्रिक और स्वतंत्र देश में ऐसे प्रतिबंध केवल दुर्लभ परिस्थितियों में ही स्वीकार्य होते हैं।
याचिका धर्मस्थल मंदिर प्रबंधन समिति के सचिव हर्षेन्द्र कुमार डी. द्वारा दायर की गई थी, जिन्होंने आरोप लगाया कि मंदिर के प्रबंधक परिवार को निशाना बनाते हुए अपमानजनक सामग्री व्यापक रूप से ऑनलाइन, विशेष रूप से YouTube पर प्रसारित की जा रही है। उनके द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, लगभग 8,000 यूट्यूब चैनल्स ऐसी सामग्री प्रसारित कर रहे हैं जो मंदिर के वंशानुगत प्रमुख वीरेन्द्र हेग्गड़े और ट्रस्ट के अन्य सदस्यों की छवि को नुकसान पहुंचा रही है।
किसी भी तत्काल प्रतिबंधात्मक आदेश देने से इनकार करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक की ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया कि वह हर्षेन्द्र कुमार की याचिका पर फिर विचार करे, बशर्ते कि सभी साक्ष्य रिकॉर्ड पर पेश किए गए हों। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, पीठ ने यह स्पष्ट किया कि वह मानहानि के दावे की वैधता पर कोई राय नहीं दे रही है।
कर्नाटक उच्च न्यायालय का हस्तक्षेप: 1 अगस्त 2025
सुप्रीम कोर्ट की यह आदेश उस समय आया जब कर्नाटक उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना की पीठ ने, 18 जुलाई 2025 को बेंगलुरु की एक दीवानी अदालत द्वारा हर्षेन्द्र कुमार की पूर्व मानहानि याचिका पर जारी किए गए व्यापक मीडिया प्रतिबंध को रद्द कर दिया था।
उस आदेश ने धर्मस्थल दफन के आरोप पर रिपोर्टिंग पर रोक लगाई थी और लगभग 390 मीडिया संस्थानों को निर्देश दिया था कि वे मामले से संबंधित लगभग 9,000 ऑनलाइन लिंक -जिनमें समाचार लेख, वीडियो और पोस्ट शामिल थे-हटा दें। यह आदेश एक पक्ष की बात सुनकर (ex parte) दिया गया था, यानी प्रभावित मीडिया संस्थानों की सुनवाई के बिना और तब भी जब इस मामले में कुमार या मंदिर के अधिकारियों के खिलाफ कोई एफआईआऱ दर्ज नहीं थी।
उच्च न्यायालय ने कहा कि ऐसे रोक लगाने वाले आदेश बिना वजह और ज्यादा व्यापक नहीं होने चाहिए। जब जनता के लिए कोई बहुत जरूरी मामला हो, तभी ही रिपोर्टिंग पर रोक लगानी चाहिए, और वो भी बहुत सोच समझकर, खास वजह होनी चाहिए, और सही सबूत होने चाहिए।
वर्तमान मामले की शुरुआत: 3 जुलाई 2025 को व्हिसलब्लोअर की शिकायत
यह विवाद लगभग एक महीने पहले शुरू हुआ था, जब 3 जुलाई 2025 को श्री धर्मस्थल मंजुनाथेश्वर मंदिर के एक पूर्व सफाई कर्मचारी ने दक्षिण कन्नड़ जिले के पुलिस अधीक्षक को छह पन्नों की एक शिकायत दर्ज कराई थी।
व्हिसलब्लोअर एक दलित पुरुष हैं जो 1995 से 2014 तक मंदिर में काम करते थे। उन्होंने आरोप लगाया कि अपने कार्यकाल के दौरान उसे मंदिर परिसर और आसपास की जमीनों पर सैकड़ों लोगों को दफनाने के लिए मजबूर किया गया। उन्होंने दावा किया कि इनमें कई पीड़ित नाबालिग लड़कियां थीं, जिन्हें हत्या से पहले यौन उत्पीड़न का शिकार बनाया गया था।
उस कर्मचारी ने बताया कि अगर उन्हें इन घटनाओं के बारे में कभी बात करने पर उन्हें मौत की धमकी दी गई थी। वह 2014 में धर्मस्थल से भाग गया और 11 साल तक चुप रहा, लेकिन बाद में अपराधबोध के कारण सामने आने का फैसला किया, जैसा कि Frontline Magazine की रिपोर्ट में बताया गया है।
ऐतिहासिक संदर्भ: धर्मस्थल के अनसुलझे मामले
ये आरोप तुरंत ही राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुर्खियां बन गए, क्योंकि ऐसा लग रहा था कि ये धर्मस्थल में लंबे समय से चल रहे अनसुलझे हत्या और गुमशुदगी के मामलों से जुड़े हैं।
● 1987 - पद्मलता मामला: 17 वर्षीय लड़की का बलात्कार और हत्या; कोई गिरफ्तारी नहीं हुई।
● 2012 - सौजन्या मामला: एक और 17 वर्षीय लड़की का बलात्कार और हत्या; मामला एक दशक से ज्यादा समय तक अनसुलझा रहा और आधिकारिक तौर पर 2023 में बंद कर दिया गया।
कई पीड़ितों के परिवारों और कार्यकर्ताओं ने बार-बार आरोप लगाया है कि ये अपराध मंदिर के वंशानुगत प्रमुख और 2022 से राज्यसभा सांसद वीरेंद्र हेगड़े से जुड़े थे। पिछली इंवेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग ने कथित तौर पर ताकतवर लोगों के प्रभाव में खराब पुलिस जांच की ओर इशारा किया।
बढ़ता जन दबाव और एसआईटी का गठन
व्हिसिलब्लोअर की गवाही और बढ़ते जनाक्रोश के बाद, कर्नाटक सरकार ने 19 जुलाई, 2025 को पुलिस महानिदेशक प्रणब मोहंती की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन की घोषणा की।
एसआईटी ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 13 संदिग्ध कब्रिस्तानों की पहचान की। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, 29 जुलाई, 2025 को चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में- भारी मानसूनी बारिश, जंगली इलाका और नेत्रवती नदी के नजदीक- खुदाई का काम शुरू हुआ।
4 अगस्त, 2025 तक:
● साइट संख्या 6: आंशिक मानव कंकाल बरामद।
● साइट संख्या 11-ए: कंकाल के टुकड़े बरामद; यह स्पष्ट नहीं है कि वे पूर्ण कंकाल हैं या नहीं।
● एक स्थान: एक ऐसे व्यक्ति का पैन कार्ड मिला जो कथित तौर पर 2025 में मर गया था।
परिवार और गवाह आगे आए
एसआईटी के काम ने पूर्व पीड़ितों के परिवारों को आगे आने के लिए प्रोत्साहित किया:
● सौजन्या के माता-पिता ने उम्मीद जताई कि इस मामले में आखिरकार न्याय होगा।
● अनन्या भट्ट (2003 से लापता मेडिकल छात्रा) की मां ने अपनी बेटी के अवशेषों की पहचान की उम्मीद में एक नई शिकायत दर्ज कराई।
● अन्य गवाहों ने धर्मस्थल और उसके आसपास अन्य गुप्त दफनाने के बारे में भी जानकारी दी।
फ्रंटलाइन मैगजीन के अनुसार, कुछ परिवारों और कार्यकर्ताओं ने आरोपों की गंभीरता और जांच पर संभावित स्थानीय प्रभाव का हवाला देते हुए मामले को एनआईए जैसी राष्ट्रीय एजेंसी को सौंपने की मांग की है।
धमकियां, हमले और सबूत नष्ट करने की चिंताएं
हाईकोर्ट द्वारा प्रतिबंध आदेश हटाए जाने के बावजूद, इस मामले पर रिपोर्टिंग करने वाले स्वतंत्र पत्रकारों और यूट्यूबर्स को धमकियों और शारीरिक हिंसा का सामना करना पड़ा है। हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, 6 अगस्त, 2025 को धर्मस्थल में वीडियो बनाने के दौरान दो यूट्यूबर्स पर हमला किया गया था।
रिपोर्ट में एक बड़ा खुलासा यह भी हुआ कि सबूत नष्ट करने की चिंता भी जताई गई है। बेल्थांगडी पुलिस स्टेशन ने अगस्त की शुरुआत में स्वीकार किया कि उसने 2000 से 2015 तक की अज्ञात मौतों के रिकॉर्ड मिटा दिए हैं - यह वह अवधि है जिसमें कई कथित अपराध शामिल हैं।
राजनीतिक और संस्थागत प्रतिक्रियाएं
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं ज्यादातर नहीं की गई है, कई नेता हेगड़े के खिलाफ आरोपों पर सीधी टिप्पणी करने से बच रहे हैं:
● जी. परमेश्वर (गृह मंत्री, कर्नाटक): ने कहा कि किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले "गहन जांच" होनी चाहिए और एसआईटी को यह अधिकार दिया गया है।
● आर. अशोक (भाजपा नेता प्रतिपक्ष): आरोपों को षडयंत्र बताकर खारिज कर दिया; झूठा दावा किया कि व्हिसलब्लोअर मुस्लिम था।
● बी.एस. येदियुरप्पा (पूर्व मुख्यमंत्री, बीजेपी): आरोपों को बिना आधार वाला बताया, लेकिन SIT के गठन का स्वागत किया।
हेग्गड़े ने अभी तक कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है। मंदिर के प्रवक्ता ने कहा है कि प्रशासन SIT की जांच का समर्थन करता है।
फोरेंसिक चुनौतियां
फोरेंसिक विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि कंकाल के अवशेषों की पहचान करना जटिल होगा क्योंकि:
● कंकाल का बहुत ज्यादा सड़ चुका होना।
● दफनाने की जगहों में संभावित खलल या गड़बड़ी।
● रिश्तेदारों के साथ डीएनए मिलान की आवश्यकता।
फिर भी, पीड़ित परिवार उम्मीद लगाए बैठे हैं कि इस जांच से दशकों से चले आ रहे उनके दर्द का अंत होगा और उन्हें कुछ सुकून मिलेगा।
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