न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की पीठ ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार बच्चे की स्कूली शिक्षा पूरी होने तक उसकी ट्यूशन फीस, यूनिफॉर्म, किताबें और परिवहन शुल्क का भुगतान करने के लिए बाध्य है।

यूपी के मुजफ्फरनगर के छात्र को थप्पड़ मारने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पीड़ित नाबालिग मुस्लिम लड़के की पढ़ाई का खर्च उठाने की प्राथमिक जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश सरकार की है। ये मामला साल 2023 का है।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की पीठ ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार बच्चे की स्कूली शिक्षा पूरी होने तक उसकी ट्यूशन फीस, यूनिफॉर्म, किताबें और परिवहन शुल्क का भुगतान करने के लिए बाध्य है।
कोर्ट ने कहा कि, "हम यह स्पष्ट करते हैं कि जैसा कि हमारे पिछले आदेशों में इशारा किया गया है, राज्य सरकार का दायित्व है कि वह बच्चे की स्कूली शिक्षा पूरी होने तक उसकी ट्यूशन फीस, यूनिफॉर्म, किताबें आदि की खर्चों और परिवहन शुल्क का भुगतान करे।"
शीर्ष अदालत कार्यकर्ता तुषार गांधी द्वारा दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रही थी, जो मुजफ्फरनगर थप्पड़ कांड और शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 के लागू होने से जुड़ा है।
अगस्त 2023 में, एक वीडियो सामने आया था जिसमें स्कूल की शिक्षिका तृप्ता त्यागी अपने छात्रों को सात वर्षीय मुस्लिम लड़के को थप्पड़ मारने को कहते हुए कथित तौर पर उसके धर्म और इस्लामोफोबिक बयानों के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करती हुई दिखाई दे रही थीं।
लाइव लॉ ने शीर्ष अदालत के हवाले से लिखा, "उपरोक्त राशि के भुगतान के लिए किसी धर्मार्थ ट्रस्ट या धर्मार्थ संस्थान की सहायता लेना राज्य का काम है। हम फिर से स्पष्ट करते हैं कि इस खर्च को पूरा करने की प्राथमिक जिम्मेदारी राज्य की है। राज्य के लिए यह भी खुला होगा कि वह स्कूल अधिकारियों को खर्च वहन करने के लिए राजी करे।"
घटना के तीन महीने बाद राज्य ने अदालत को आश्वासन दिया था कि बच्चे को मुजफ्फरनगर के एक अन्य निजी स्कूल में दाखिला दिलाया जाएगा और सभी शैक्षिक खर्च एक उपयुक्त राज्य योजना के तहत वहन किए जाएंगे।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता शादान फरासत ने अदालत को बताया कि पिछले सेमेस्टर की ट्यूशन फीस का भुगतान नहीं किया गया है, यूनिफॉर्म का खर्च अभी भी बकाया है और परिवहन खर्च का भुगतान केवल दो दिन पहले ही किया गया है। फरासत ने अनुरोध किया कि अदालत राज्य को निर्देश दे कि वह बच्चे या उसके पिता के जरिए भुगतान करने के बजाय सीधे स्कूल को भुगतान करे, क्योंकि ये किसान परिवार वित्तीय बोझ को वहन नहीं कर सकता और उसे लगातार अपमान का सामना करना पड़ रहा है।
बता देंकि अक्टूबर 2023 में, लोगों की नाराजगी के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने अदालत को बताया था कि भारतीय दंड संहिता की धारा 295A के तहत शिक्षक के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू की जाएगी, जो धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर की गई कार्रवाई से जुड़ा है। शिक्षक ने बाद में अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया और उसे जमानत पर रिहा कर दिया गया।
पिछले साल, सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य को लड़के की शिक्षा में मदद करने के लिए स्पॉन्सर की तलाश करने की भी सलाह दी थी।
हाल ही में हुई सुनवाई के दौरान, गांधी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता शादान फरासत ने स्कूल की ट्यूशन और यूनिफॉर्म की लागत का पूरा भुगतान करने की गारंटी देने में विफल रहने के लिए राज्य की आलोचना की। उन्होंने पीठ से कहा, "यह स्थिति बेहद परेशान करने वाली है। राज्य को सीधे स्कूल को भुगतान करना चाहिए।"
जवाब में, राज्य के वकील ने कहा कि सैयद मुर्तजा मेमोरियल ट्रस्ट ने खर्चों को वहन करने के लिए प्रतिबद्धता जताई है और वे औपचारिक रूप से इसका हलफनामा पेश करेंगे। राज्य के वकील ने कहा, "ट्रस्ट सीधे स्कूल को भुगतान करेगा।"
हालांकि, अदालत ने दोहराया कि जिम्मेदारी सरकार के पास ही है। अदालत ने कहा, "हालांकि ट्रस्ट एक साल के लिए योगदान दे सकता है, लेकिन हम स्पष्ट करते हैं कि इन खर्चों को पूरा करना राज्य का दायित्व है। सरकार भुगतान की व्यवस्था करने के लिए स्कूल से संपर्क कर सकती है।"
मामले की अगली सुनवाई 17 अक्टूबर को तय की गई है।
Related
उत्तराखंड के मसूरी में कश्मीरी शॉल विक्रेताओं की पिटाई के बाद बजरंग दल के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया गया

यूपी के मुजफ्फरनगर के छात्र को थप्पड़ मारने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पीड़ित नाबालिग मुस्लिम लड़के की पढ़ाई का खर्च उठाने की प्राथमिक जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश सरकार की है। ये मामला साल 2023 का है।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की पीठ ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार बच्चे की स्कूली शिक्षा पूरी होने तक उसकी ट्यूशन फीस, यूनिफॉर्म, किताबें और परिवहन शुल्क का भुगतान करने के लिए बाध्य है।
कोर्ट ने कहा कि, "हम यह स्पष्ट करते हैं कि जैसा कि हमारे पिछले आदेशों में इशारा किया गया है, राज्य सरकार का दायित्व है कि वह बच्चे की स्कूली शिक्षा पूरी होने तक उसकी ट्यूशन फीस, यूनिफॉर्म, किताबें आदि की खर्चों और परिवहन शुल्क का भुगतान करे।"
शीर्ष अदालत कार्यकर्ता तुषार गांधी द्वारा दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रही थी, जो मुजफ्फरनगर थप्पड़ कांड और शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 के लागू होने से जुड़ा है।
अगस्त 2023 में, एक वीडियो सामने आया था जिसमें स्कूल की शिक्षिका तृप्ता त्यागी अपने छात्रों को सात वर्षीय मुस्लिम लड़के को थप्पड़ मारने को कहते हुए कथित तौर पर उसके धर्म और इस्लामोफोबिक बयानों के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करती हुई दिखाई दे रही थीं।
लाइव लॉ ने शीर्ष अदालत के हवाले से लिखा, "उपरोक्त राशि के भुगतान के लिए किसी धर्मार्थ ट्रस्ट या धर्मार्थ संस्थान की सहायता लेना राज्य का काम है। हम फिर से स्पष्ट करते हैं कि इस खर्च को पूरा करने की प्राथमिक जिम्मेदारी राज्य की है। राज्य के लिए यह भी खुला होगा कि वह स्कूल अधिकारियों को खर्च वहन करने के लिए राजी करे।"
घटना के तीन महीने बाद राज्य ने अदालत को आश्वासन दिया था कि बच्चे को मुजफ्फरनगर के एक अन्य निजी स्कूल में दाखिला दिलाया जाएगा और सभी शैक्षिक खर्च एक उपयुक्त राज्य योजना के तहत वहन किए जाएंगे।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता शादान फरासत ने अदालत को बताया कि पिछले सेमेस्टर की ट्यूशन फीस का भुगतान नहीं किया गया है, यूनिफॉर्म का खर्च अभी भी बकाया है और परिवहन खर्च का भुगतान केवल दो दिन पहले ही किया गया है। फरासत ने अनुरोध किया कि अदालत राज्य को निर्देश दे कि वह बच्चे या उसके पिता के जरिए भुगतान करने के बजाय सीधे स्कूल को भुगतान करे, क्योंकि ये किसान परिवार वित्तीय बोझ को वहन नहीं कर सकता और उसे लगातार अपमान का सामना करना पड़ रहा है।
बता देंकि अक्टूबर 2023 में, लोगों की नाराजगी के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने अदालत को बताया था कि भारतीय दंड संहिता की धारा 295A के तहत शिक्षक के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू की जाएगी, जो धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर की गई कार्रवाई से जुड़ा है। शिक्षक ने बाद में अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया और उसे जमानत पर रिहा कर दिया गया।
पिछले साल, सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य को लड़के की शिक्षा में मदद करने के लिए स्पॉन्सर की तलाश करने की भी सलाह दी थी।
हाल ही में हुई सुनवाई के दौरान, गांधी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता शादान फरासत ने स्कूल की ट्यूशन और यूनिफॉर्म की लागत का पूरा भुगतान करने की गारंटी देने में विफल रहने के लिए राज्य की आलोचना की। उन्होंने पीठ से कहा, "यह स्थिति बेहद परेशान करने वाली है। राज्य को सीधे स्कूल को भुगतान करना चाहिए।"
जवाब में, राज्य के वकील ने कहा कि सैयद मुर्तजा मेमोरियल ट्रस्ट ने खर्चों को वहन करने के लिए प्रतिबद्धता जताई है और वे औपचारिक रूप से इसका हलफनामा पेश करेंगे। राज्य के वकील ने कहा, "ट्रस्ट सीधे स्कूल को भुगतान करेगा।"
हालांकि, अदालत ने दोहराया कि जिम्मेदारी सरकार के पास ही है। अदालत ने कहा, "हालांकि ट्रस्ट एक साल के लिए योगदान दे सकता है, लेकिन हम स्पष्ट करते हैं कि इन खर्चों को पूरा करना राज्य का दायित्व है। सरकार भुगतान की व्यवस्था करने के लिए स्कूल से संपर्क कर सकती है।"
मामले की अगली सुनवाई 17 अक्टूबर को तय की गई है।
Related
उत्तराखंड के मसूरी में कश्मीरी शॉल विक्रेताओं की पिटाई के बाद बजरंग दल के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया गया
पहलगाम हमला: पुरानी दिल्ली के मुसलमानों ने आतंकवाद के खिलाफ प्रदर्शन किया, पीड़ितों के लिए नमाज अदा की
कर्नाटक : भाजपा विधायक के सांप्रदायिक भाषण के कुछ दिनों बाद मंदिर प्रबंधन ने मुस्लिम समुदाय से खेद जताया