बुलंदशहर: दोगुनी आय वाले प्रस्तावित साल में पशु चारे की किल्लत, भूसे के लिए परेशान किसान

Written by Bhavendra Prakash | Published on: April 25, 2022
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था, लेकिन उनके प्रस्तावित साल में किसान इस कदर बेहाल और परेशान हैं कि उनके सामने पशु पालने पर जेब खाली होने का खतरा मंडराने लगा है। 



'2022 में किसानों की आय डबल करनी चाहिए या नहीं करनी चाहिए?' 28 फरवरी 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक रैली में जब ये सवाल किया तो भीड़ ने एक सुर में कहा, 'हां होनी चाहिए...' उस रैली में पीएम मोदी ने कहा कि 2022 में जब भारत की आजादी के 75 साल पूरे होंगे तो उस समय तक हम किसानों की आय को दोगुना कर सकते हैं।

इस बार रबी की फसल के सीजन में सरसों की अधिक पैदावार के चलते गेहूं की फसल का रकवा घटने से भूसे के दामों में डेढ़ गुना से लेकर दो गुना की वृद्धि होने से पशुपालकों के सामने संकट गहराने लगा है। गत वर्ष भूसे के दाम 1000 रूपये बीघा से लेकर 14 सौ रूपये बीघा था। जो इस बार बढ़कर 2500 रुपये से लेकर 4000 रूपये बीघा हो गया है। किसानों में इसी संकट को लेकर अफरा तफरी का माहौल है। 

बुलंदशहर जिले के ग्राम कुंवरपुर के किसान भाई रिंकू व टिंकू कई दिन से भूसा खरीदने के लिए घूम रहे हैं। उन्होंने सबरंग इंडिया को बताया कि उनके पास एक दुधारू भैंस सहित तीन जानवर हैं लेकिन उनके पास भविष्य में खिलाने के सूखा चारा नहीं है, लगातार 10 दिन घूमने के बाद वे रिश्तेदारी से भूसा लेकर आ रहे हैं। उनका कहना है कि रिश्तेदारी की वजह से भूसा तो थोड़ा सस्ता मिल गया लेकिन इसे लाने में जो भाड़ा लगा वह उसे यहां मिल रही कीमतों की बराबर ही लाकर खड़ा कर देता है।  

एक अन्य किसान सूर्यकांत के पास कोई पशु नहीं है लेकिन उन्होंने इस बार आधा एकड़ रकबे में गेहूं की फसल बोई थी। उनके पास भूसा है लेकिन वे लगातार और भविष्य में संभावित बढ़ती कीमतों को लेकर अभी इसे बेचना नहीं चाहते। उनका अनुमान है कि इस बार भूसा के दाम 2000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंचेंगे। इसी को लेकर उन्हें उम्मीद है कि उनका भूसा गेहूं से अच्छे दाम देकर जाएगा। 

बता दें कि इस बार एक तो सरसों की फसल की बुआई अधिक की गई। जिससे गेहूं का रकवा घट गया। वहीं इस क्षेत्र के 50 प्रतिशत से ज्यादा रकबे में आलू की पैदावार होती है। इससे इतर खेतों में आवारा गोवंश फसलों को बर्बाद कर देते हैं जिससे अनाज व भूसे में कमी आती है। किसानों को पशु पालना मुश्किल हो रहा है क्योंकि इनको खिलाए जाने वाले चारे में भूसा मुख्य है। 

भूसे की मात्रा कम होने तथा मंहगाई होने से पशुपालकों के सामने आर्थिक संकट के बादल मडराने लगे हैं। पशुपालकों का कहना है कि बीते दिनों उन्होंने 5 सौ रुपये मन के हिसाब का भूसा खरीदकर पशुओं को खिलाया। जिससे उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा। वहीं पशुपालक विकल्प के रूप में धान, ज्वार, बाजरा, ईख आदि से चारे की व्यवस्था करते हैं लेकिन इस वक्त इन सभी को उपजाने में एक महीने से ज्यादा समय लगने वाला है ऐसे में किसान आने वाले समय को लेकर परेशान हैं। 

लाइव हिंदुस्तान की रिपोर्ट के मुताबिक, भूसा के दामों को नियंत्रण में करने के लिए शासन-प्रशासन की ओर से कोई कार्य योजना तैयार नहीं बनाई गई है। गेहूं के सरकारी दाम 2015 रुपये कुंतल है तो मंडियों में 2150 रुपये प्रति कुंतल के भाव हैं। भूसे के भाव भी इस बार आसमान में हैं। किसान भी भूसा कम बेच रहे हैं और वह अपने पशुओं के लिए एकत्र कर रहे हैं। पेट्रोल और डीजल के दामों में बेतहाशा वृद्धि के कारण हर चीज पर महंगाई हुई तो भूसा भी महंगाई की जद में आ गया। भूसा के बढ़ते दामों से गोशाला संचालकों को गोवंश का पालन करना मुश्किल हो रहा है।

भूसे की किल्लत से भयभीत पशुपालक अपने खेतों समेत अन्य किसानों से भूसा खरीदने के लिए रखवाली में जुट गए हैं। किसान रामवीर सिंह व चौधरी निरंकार सिंह का कहना है कि महंगाई के कारण भूसा के दाम बढ़े हैं। मौसम के कारण पैदावार भी कम है और गेहूं की बाली छोटी होने से दिक्कत हुई है।

भूसा चोरी से भयभीत किसान
पहासू ब्लॉक के ग्राम सोही के एक किसान ने बताया कि उन्होंने एक एकड़ खेत का गेहूं शाम के समय हार्वेस्ट किया था। वे गेहूं तो घर ले गए लेकिन भूसा रात को खेत में ही छोड़ गए। रात को वे घर जाकर सो गए लेकिन सुबह उठकर देखा तो उनके खेत से सारा भूसा गायब था। भूसे को कौन ले गया यह पता नहीं चल पाया, इस बारदात से वे आहत नजर आए। 

पशुओं के चारे पर इतनी महंगाई पहले कभी नहीं देखी। गेहूं और जौ का भूसा पिछली फसल में 400 से 500 रुपये प्रति कुंतल के भाव मिल रहा था। इसकी कीमत धीरे-धीरे तीन गुना तक बढ़ गई है। इससे छोटे किसान और पशुपालकों की परेशानी बढ़ गई है। वहीं दूसरी तरफ किसान अपने पशुओं का जो दूध डेयरी पर बेच रहा है उसमें कोई खास बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। किसान को अभी भी दूध के दाम 30 रूपये प्रति लीटर से 50 रूपये तक मिल रहे हैं। लेकिन पशुओं को खिलाने के लिए भूसा के अलावा खल, चोकर आदि के रेट आसमान छू रहे हैं। 

बदायूं में एक लाख हेक्टयेर से ज्यादा हुई गेहूं की फसल
यूपी के ही बुलंदशहर से सटे बदायूं जिले में इस बार गेहूं की पैदावार लगभग एक लाख 15 हजार हेक्टयर जमीन पर हुई है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार गेहूं की पैदावार ठीक हुई है। एक बीघा में तीन से चार क्विंटल गेहूं औसतन निकला है। इस लिहाज से जिले में करीब 13 से 14 लाख क्विंटल भूसे का उत्पादन होने की उम्मीद है।
 
जिले में पौने 14 लाख पशु खाते हैं भूसा
अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक, विभागीय आंकड़ों पर गौर करें तो जिले में इस बार 11 लाख सात हजार 170 महिषवंशीय और दो लाख 79 लाख 790 गोवंशीय पशु हैं। औसतन एक पशु प्रतिदिन आठ से 10 किलो भूसा खाता है, ऐसे में 140 लाख किलो भूसा प्रतिदिन यहां पशु खाते हैं। ये औसत देखा जाए तो भी जिले में मुश्किल से तीन महीने तक के लिए भूसे का भंडारण है, हालांकि पशु केवल भूसा ही नहीं बल्कि हरा चारा व खल भी खाते हैं जिससे दिक्कत नहीं आती।

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