2022 में किसानों की आय डबल होनी चाहिए या नहीं होनी चाहिए?' 28 फरवरी 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक रैली में जब ये सवाल किया तो भीड़ ने एक सुर में कहा, 'हां होनी चाहिए...' उस रैली में पीएम मोदी ने कहा कि 2022 में जब भारत की आजादी के 75 साल पूरे होंगे तो उस समय तक हम किसानों की आय को दोगुना कर देंगे। पीएम के ऐलान के बाद सरकार ने मार्च 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का टारगेट रखा था। डेडलाइन खत्म होने को है, लेकिन किसानों की आय दोगुनी होना तो दूर, चार राज्यों में 30 प्रतिशत तक घट गई है। बीजेपी सांसद पीसी गद्दीगौदर की अध्यक्षता में एग्रीकल्चर पर बनी संसदीय समिति ने गुरुवार को अपनी रिपोर्ट पेश की। इस समिति की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार आय दोगुनी करने के लक्ष्य से अभी कोसों दूर है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, समिति ने अपनी रिपोर्ट में दो सर्वे के आंकड़े बताए हैं। ये सर्वे 2015-16 और 2018-19 के हैं। इनके हवाले से समिति ने बताया है कि 2015-16 में देश के किसानों की महीने की औसत आमदनी 8 हजार 59 रुपये थी, जो 2018-19 तक बढ़कर 10 हजार 218 रुपये हो गई। यानी 4 साल में महज 2 हजार 159 रुपये की बढ़ोतरी हुई है।
वैसे सबसे ज्यादा कमाई मेघालय के किसानों की है। यहां के किसान की हर महीने की आमदनी 29 हजार 348 रुपये है। दूसरे नंबर पर पंजाब है, जहां के किसान 26 हजार 701 रुपये एक महीने में कमाते हैं। वहीं, तीसरे नंबर पर 22 हजार 841 रुपये की कमाई के साथ हरियाणा के किसान हैं जबकि 4 राज्यों में किसानों की कमाई घटी है। इनमें झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा और नागालैंड शामिल हैं। झारखंड के किसानों की हर महीने की कमाई 2 हजार 173 रुपये कम हो गई है। वहीं, नागालैंड में 1551 रुपये, मध्य प्रदेश में 1400 तो ओडिशा के किसानों की आमदनी 162 रुपये घट गई है। कमेटी ने सुझाव दिया है कि सरकार स्पेशल टीम बनाकर इन राज्यों में किसानों की घटती आमदनी के कारणों का पता लगाए और उचित कदम उठाएं।
दरअसल किसानों का खर्च लगातार बढ़ रहा है। पिछले साल नवंबर में सरकार ने बताया था कि हर महीने 10,218 रुपये कमाते हैं तो 4,226 रुपये खर्च हो जाते हैं। किसान हर महीने 2 हजार 959 रुपये बुआई और उत्पादन पर तो 1 हजार 267 रुपये पशुपालन पर खर्च करता है। यानी, किसानों के पास हाथ में 6 हजार रुपये भी पूरे नहीं आते। इतनी कम कमाई के चलते ही किसान कर्ज लेने को मजबूर होते है। पिछले साल जुलाई में वित्त मंत्रालय ने बताया था कि 31 मार्च 2021 तक किसानों पर 16.80 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज बकाया है।
बजट सत्र के दूसरे चरण में कांग्रेस सांसद सैयद नासिर हुसैन ने किसानों की आय दोगुनी करने के वादे पर सवाल भी किया था तो कृषि कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने बताया था कि पीएम की घोषणा के बाद एक कमेटी का गठन किया गया था। उन्होंने बताया कि कमेटी के गठन के बाद लगातार प्रयास करते हुए कई पिलर तैयार किए गए। उन पिलर के अंतर्गत आय दोगुनी करने के लिए लागत को कैसे कम किया जाए, इस पर काम किया गया।
उधर, संयुक्त किसान मोर्चा(एसकेएम) ने भी सरकार के वादों और दावों पर हमला बोला। कहा 4 सूबों में किसानों की आय बढ़ने के बजाय 30% तक घट गई है। एसकेएम की ओर से भी यह दावा संसद की स्थाई समिति की रिपोर्ट के हवाले से ही किया गया। शनिवार शाम मोर्चे की तरफ से कहा गया कि डीजल, पेट्रोल और उर्वरकों की कीमतों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी ने बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के ‘किसान-विरोधी रवैये’ को बेनकाब कर दिया है। मौजूदा समय में कई किसान संगठनों का नेतृत्व कर रहे एसकेएम के बयान के मुताबिक, पांच राज्यों के विस चुनावों (यूपी, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर) के परिणाम घोषित होने के बाद पेट्रोल-डीजल की कीमतें हर दिन बढ़ रही हैं। कुल मूल्य वृद्धि प्रति लीटर 10 रुपए से अधिक की हो गई है, जो कि चिंता का विषय है।
एसकेएम ने समिति रिपोर्ट के हवाले से यह भी खुलासा किया कि पिछले तीन साल में कृषि मंत्रालय मंजूर बजट खर्च करने में नाकाम रहा है और 67,929 करोड़ रुपए केंद्र को लौटा दिए। मोर्चे के अनुसार, ‘‘रिपोर्ट में यह भी स्वीकार किया गया है कि किसान मानधन योजना के नाम पर किसानों को पेंशन देने की योजना पूरी तरह नाकाम हो गई है।’’ एसकेएम आगे कहता है, ‘‘ संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार को चेतावनी दी है कि देश के किसान अपने खिलाफ साजिश को बर्दाश्त नहीं करेंगे।’’
किसान संगठनों ने डीएपी व एनपीके उर्वरकों की मूल्य वृद्धि को लेकर भी चिंता जताई। इसने कहा कि पिछले साल 18 मई को इफ्को ने 50 किग्रा डीएपी उर्वरक की बोरी का मूल्य 55.3 प्रतिशत तक बढ़ा दिया। बयान में कहा गया, ‘‘हाल में केंद्र सरकार ने एक बार फिर से उर्वरकों के दाम बढ़ाए, जो किसानों संग धोखाधड़ी है। सब्सिडी के बाद भी डीएपी का मूल्य, जो 1200 रुपए प्रति बोरी उपलब्ध है, 150 रुपए तक बढ़ा दी गई, जिसके चलते इस बोरी की कीमत 1350 रुपए हो गई है।’’
इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि देश का किसान जितना सशक्त होगा, नया भारत उतना ही समृद्ध होगा। उन्होंने कहा कि ‘‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि’’ और कृषि क्षेत्र से जुड़ी अन्य योजनाएं देश के करोड़ों किसानों को ताकत दे रही हैं। पीएम ने ट्वीट किया, ‘‘हमारे किसान भाई-बहनों पर देश को गर्व है। ये जितना सशक्त होंगे, नया भारत भी उतना ही समृद्ध होगा। मुझे खुशी है कि पीएम किसान सम्मान निधि और कृषि से जुड़ी अन्य योजनाएं देश के करोड़ों किसानों को नई ताकत दे रही हैं।’’ ट्वीट के साथ उन्होंने आंकड़े भी साझा किए। मोदी ने कहा कि पीएम किसान सम्मान निधि के तहत 11.3 करोड़ किसानों के खाते में 1.82 लाख करोड़ रुपए सीधे ट्रांसफर किए गए हैं।
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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, समिति ने अपनी रिपोर्ट में दो सर्वे के आंकड़े बताए हैं। ये सर्वे 2015-16 और 2018-19 के हैं। इनके हवाले से समिति ने बताया है कि 2015-16 में देश के किसानों की महीने की औसत आमदनी 8 हजार 59 रुपये थी, जो 2018-19 तक बढ़कर 10 हजार 218 रुपये हो गई। यानी 4 साल में महज 2 हजार 159 रुपये की बढ़ोतरी हुई है।
वैसे सबसे ज्यादा कमाई मेघालय के किसानों की है। यहां के किसान की हर महीने की आमदनी 29 हजार 348 रुपये है। दूसरे नंबर पर पंजाब है, जहां के किसान 26 हजार 701 रुपये एक महीने में कमाते हैं। वहीं, तीसरे नंबर पर 22 हजार 841 रुपये की कमाई के साथ हरियाणा के किसान हैं जबकि 4 राज्यों में किसानों की कमाई घटी है। इनमें झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा और नागालैंड शामिल हैं। झारखंड के किसानों की हर महीने की कमाई 2 हजार 173 रुपये कम हो गई है। वहीं, नागालैंड में 1551 रुपये, मध्य प्रदेश में 1400 तो ओडिशा के किसानों की आमदनी 162 रुपये घट गई है। कमेटी ने सुझाव दिया है कि सरकार स्पेशल टीम बनाकर इन राज्यों में किसानों की घटती आमदनी के कारणों का पता लगाए और उचित कदम उठाएं।
दरअसल किसानों का खर्च लगातार बढ़ रहा है। पिछले साल नवंबर में सरकार ने बताया था कि हर महीने 10,218 रुपये कमाते हैं तो 4,226 रुपये खर्च हो जाते हैं। किसान हर महीने 2 हजार 959 रुपये बुआई और उत्पादन पर तो 1 हजार 267 रुपये पशुपालन पर खर्च करता है। यानी, किसानों के पास हाथ में 6 हजार रुपये भी पूरे नहीं आते। इतनी कम कमाई के चलते ही किसान कर्ज लेने को मजबूर होते है। पिछले साल जुलाई में वित्त मंत्रालय ने बताया था कि 31 मार्च 2021 तक किसानों पर 16.80 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज बकाया है।
बजट सत्र के दूसरे चरण में कांग्रेस सांसद सैयद नासिर हुसैन ने किसानों की आय दोगुनी करने के वादे पर सवाल भी किया था तो कृषि कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने बताया था कि पीएम की घोषणा के बाद एक कमेटी का गठन किया गया था। उन्होंने बताया कि कमेटी के गठन के बाद लगातार प्रयास करते हुए कई पिलर तैयार किए गए। उन पिलर के अंतर्गत आय दोगुनी करने के लिए लागत को कैसे कम किया जाए, इस पर काम किया गया।
उधर, संयुक्त किसान मोर्चा(एसकेएम) ने भी सरकार के वादों और दावों पर हमला बोला। कहा 4 सूबों में किसानों की आय बढ़ने के बजाय 30% तक घट गई है। एसकेएम की ओर से भी यह दावा संसद की स्थाई समिति की रिपोर्ट के हवाले से ही किया गया। शनिवार शाम मोर्चे की तरफ से कहा गया कि डीजल, पेट्रोल और उर्वरकों की कीमतों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी ने बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के ‘किसान-विरोधी रवैये’ को बेनकाब कर दिया है। मौजूदा समय में कई किसान संगठनों का नेतृत्व कर रहे एसकेएम के बयान के मुताबिक, पांच राज्यों के विस चुनावों (यूपी, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर) के परिणाम घोषित होने के बाद पेट्रोल-डीजल की कीमतें हर दिन बढ़ रही हैं। कुल मूल्य वृद्धि प्रति लीटर 10 रुपए से अधिक की हो गई है, जो कि चिंता का विषय है।
एसकेएम ने समिति रिपोर्ट के हवाले से यह भी खुलासा किया कि पिछले तीन साल में कृषि मंत्रालय मंजूर बजट खर्च करने में नाकाम रहा है और 67,929 करोड़ रुपए केंद्र को लौटा दिए। मोर्चे के अनुसार, ‘‘रिपोर्ट में यह भी स्वीकार किया गया है कि किसान मानधन योजना के नाम पर किसानों को पेंशन देने की योजना पूरी तरह नाकाम हो गई है।’’ एसकेएम आगे कहता है, ‘‘ संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार को चेतावनी दी है कि देश के किसान अपने खिलाफ साजिश को बर्दाश्त नहीं करेंगे।’’
किसान संगठनों ने डीएपी व एनपीके उर्वरकों की मूल्य वृद्धि को लेकर भी चिंता जताई। इसने कहा कि पिछले साल 18 मई को इफ्को ने 50 किग्रा डीएपी उर्वरक की बोरी का मूल्य 55.3 प्रतिशत तक बढ़ा दिया। बयान में कहा गया, ‘‘हाल में केंद्र सरकार ने एक बार फिर से उर्वरकों के दाम बढ़ाए, जो किसानों संग धोखाधड़ी है। सब्सिडी के बाद भी डीएपी का मूल्य, जो 1200 रुपए प्रति बोरी उपलब्ध है, 150 रुपए तक बढ़ा दी गई, जिसके चलते इस बोरी की कीमत 1350 रुपए हो गई है।’’
इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि देश का किसान जितना सशक्त होगा, नया भारत उतना ही समृद्ध होगा। उन्होंने कहा कि ‘‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि’’ और कृषि क्षेत्र से जुड़ी अन्य योजनाएं देश के करोड़ों किसानों को ताकत दे रही हैं। पीएम ने ट्वीट किया, ‘‘हमारे किसान भाई-बहनों पर देश को गर्व है। ये जितना सशक्त होंगे, नया भारत भी उतना ही समृद्ध होगा। मुझे खुशी है कि पीएम किसान सम्मान निधि और कृषि से जुड़ी अन्य योजनाएं देश के करोड़ों किसानों को नई ताकत दे रही हैं।’’ ट्वीट के साथ उन्होंने आंकड़े भी साझा किए। मोदी ने कहा कि पीएम किसान सम्मान निधि के तहत 11.3 करोड़ किसानों के खाते में 1.82 लाख करोड़ रुपए सीधे ट्रांसफर किए गए हैं।
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