एसकेएम का ऐलान: सरकार से बातचीत के लिए आज दिन भर शंभू बॉर्डर पर करेंगे इंतजार... नहीं तो कल 8 को फिर करेंगे दिल्ली कूच

Written by Navnish Kumar | Published on: December 7, 2024
किसानों के दिल्ली कूच को लेकर जमकर हंगामा मचा है। किसानों को रोकने के लिए पुलिस ने बैरिकेड व कंटीले तारों के साथ मिर्च स्प्रे, टियर गैस व प्लास्टिक गोली आदि का जमकर इस्तेमाल किया है। पुलिस के इस बल प्रयोग के बीच अब तक 14 किसानों के घायल होने की खबर है।



"पंजाब-हरियाणा सीमा पर पुलिस जवानों के साथ झड़प में कुछ किसानों के घायल होने के बाद  प्रदर्शनकारी किसानों ने शुक्रवार को दिल्ली तक अपना पैदल मार्च शनिवार तक के लिए स्थगित कर दिया। किसान नेताओं ने कहा कि आज का दिन केंद्र सरकार से वार्ता के लिए है। केंद्र सरकार वार्ता करना चाहे तो आज करें वरना कल 8 दिसंबर को 12 बजे फिर से दिल्ली कूच किया जाएगा।"

किसानों के दिल्ली कूच को लेकर जमकर हंगामा मचा है। किसानों को रोकने के लिए पुलिस ने बैरिकेड व कंटीले तारों के साथ मिर्च स्प्रे, टियर गैस व प्लास्टिक गोली आदि का जमकर इस्तेमाल किया है। पुलिस के इस बल प्रयोग के बीच अब तक 14 किसानों के घायल होने की खबर है। घायलों का आंकड़ा अभी और बढ़ सकता है। गंभीर रूप से घायल एक किसान को पटियाला के राजेंद्र अस्पताल रेफर किया गया। इस पर किसान संगठनों ने अपनी शाम प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपना जत्था रोकने की जानकारी देते हुए कहा, हमने केंद्र सरकार को एक दिन की मोहलत दी है, अब उन्हें तय करना है कि वो बात करते हैं या नहीं, हमारा दिल्ली कूच कल 8 रविवार को होगा।

शंभू बॉर्डर पर किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने बताया कि अब 101 किसानों का 'जत्था' 8 दिसंबर को दोपहर 12 बजे दिल्ली की ओर कूच करेगा। कल का दिन केंद्र सरकार से बातचीत के लिए रखा गया है। उन्होंने कहा है कि वे बातचीत के लिए तैयार हैं, हम कल तक इंतजार करेंगे। हम सरकार से टकराव नहीं चाहते हैं।


सरवन सिंह पंधेर

वहीं, पुलिस का कहना था कि किसान दिल्ली पुलिस की अनुमति लेकर आएं तभी उन्हें आगे बढ़ने दिया जाएगा। वहीं किसान आंदोलन को देखते हुए अंबाला में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई है। अंबाला के डंगदेहरी, लोहगढ़, मानकपुर, डडियाना, बारी घेल, लहारसा, कालू माजरा, देवी नगर, सद्दोपुर, सुल्तानपुर और काकरू में 9 दिसंबर तक मोबाइल इंटरनेट सेवा बंद रहेगी।

इसी दाैरान एक किसान बैरिकेडिंग पर बने शेड पर चढ़ गया। पुलिस ने उसे चेतावनी देकर नीचे उतारा। इससे पहले कुछ किसान लोहे के जंगले पर चढ़े तो उन पर स्प्रे किया गया जिससे आंखों में जलन हो रही है। किसानों के अनुसार, स्प्रे मिर्ची वाला था। किसानों ने हाथ में अपने संगठन के झंडे पकड़े हुए हैं। इसके अलावा कई किसानों ने तिरंगा भी पकड़ा हुआ है। सभी ने मुंह पर कपड़ा बांधा हुआ है। लगभग एक घंटे बाद पुलिस की तरफ से किसानों पर आंसू गैस के गोले छोड़ने शुरू किए गए। बैरिकेड पर लगी जाली हटाने पर पुलिस ने कार्रवाई की। किसानों को हरियाणा की तरफ से वापस जाने की अपील की जा रही थी। वहीं किसानों का कहना था कि हमें अपनी राजधानी में जाने के लिए अनुमति की जरूरत नहीं है।

हरियाणा की तरफ से करीब 26 से ज्यादा आंसू गैस के गोले छोड़े गए। अमर उजाला की खबर के अनुसार हरियाणा पुलिस की तरफ से प्लास्टिक की गोलियां भी चलाई गई। जिसमें कई किसानों के जख्मी होने की खबर हैं।

शंभू बॉर्डर को पाकिस्तान या चीन की सीमा जैसा बना दिया: पंधेर

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अंबाला रेंज आईजी सिबाश कबिराज ने कहा, 'किसान संगठनों को पहले दिल्ली प्रशासन से अनुमति लेनी चाहिए और अंबाला प्रशासन को दिखाने के बाद दिल्ली मार्च करना चाहिए।' किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान जत्थे में शामिल 101 किसानों को 'मरजीवरस' (किसी उद्देश्य के लिए मरने को तैयार व्यक्ति) कहा। पंधेर ने कहा, 'कुछ किसानों की चोटों को देखते हुए हमने आज के लिए जत्था वापस बुला लिया है। हम सरकार से अपील करते हैं कि या तो हमसे बातचीत करें या हमें दिल्ली जाने की इजाजत दें। वे ऐसा व्यवहार कर रहे हैं मानो हम किसी दूसरे देश के दुश्मन हों। पंजाबियों और किसानों ने देश के लिए सबसे ज्यादा कुर्बानियां दी हैं। उन्होंने इस जगह (शंभू बॉर्डर) को पाकिस्तान या चीन की सीमा जैसा बना दिया है।'

किसानों के अगले कदम के बारे में पूछे जाने पर किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि 'जत्था' अब रविवार 8 को दिल्ली के लिए रवाना होगा। उन्होंने कहा, 'अगर (केंद्र की ओर से) बातचीत के लिए कोई प्रस्ताव आता है तो हम कल तक इंतजार करेंगे। अब, केंद्र बातचीत करना चाहता है या नहीं यह उनका फैसला होगा, हम चाहते हैं कि बातचीत हो। हम केंद्र के साथ कोई टकराव नहीं चाहते हैं और हम अपना (दिल्ली चलो) कार्यक्रम शांतिपूर्ण रखेंगे।' उधर, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने संवाददाताओं से कहा कि भाजपा सरकार ने किसानों के कल्याण के लिए जो कदम उठाए हैं, किसी अन्य सरकार ने ऐसे कदम नहीं उठाए हैं। हम किसानों की शत-प्रतिशत फसल एमएसपी पर खरीद रहे हैं।

लोकतंत्र में शांतिपूर्वक अपनी बात कहने का अधिकार 

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि लोकतंत्र में हर किसी को कहीं भी आने-जाने या शांतिपूर्वक अपनी बात कहने का अधिकार है, लेकिन भाजपा सरकार किसानों से यह अधिकार छीनना चाहती है  कांग्रेस नेता ने कहा, 'किसान सरकार की बात मानकर बिना ट्रैक्टर-ट्रॉली के दिल्ली जाने को तैयार हो गए। ऐसे में उन्हें रोकना पूरी तरह से अलोकतांत्रिक है।' वहीं, हरियाणा की अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) सुमिता मिश्रा ने कहा कि अंबाला के अलावा, चार अन्य जिलों में भी धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है ताकि कोई अप्रिय घटना न हो। उन्होंने कहा कि हरियाणा-पंजाब सीमा के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं। किसानों के मार्च से कुछ समय पहले, हरियाणा सरकार ने शुक्रवार को अंबाला जिले के 11 गांवों में 9 दिसंबर तक मोबाइल इंटरनेट और बल्क एसएमएस सेवा निलंबित कर दी। सुमिता मिश्रा ने कहा, 'हमने पंजाब सरकार को लिखा है कि उनकी तरफ से हमने 17-18 गांवों की पहचान की है, जहां हमने मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को निलंबित करने की सिफारिश की है।' बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 9 दिसंबर को एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पानीपत आने वाले हैं।

अब हमारे पैदल मार्च पर सरकार को आपत्ति क्यों: पंधेर

पत्रकारों से बात करते हुए, किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने किसानों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए केंद्र की आलोचना की। उन्होंने कहा, 'हमारे खिलाफ बल प्रयोग किया गया। क्या आपने हमारे पास कोई हथियार देखा? हमें केंद्र द्वारा अर्धसैनिक बलों की तैनाती, ड्रोन और अन्य साजो-सामान जैसी व्यवस्थाओं के बारे में पता था। हम जानते थे कि हम आगे नहीं बढ़ पाएंगे। हम देश और दुनिया को दिखाना चाहते थे कि केंद्रीय मंत्रियों और राज्य भाजपा नेताओं ने पहले कहा था कि उन्हें किसानों के ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के साथ मार्च करने पर आपत्ति है, लेकिन किसान इनके बिना भी दिल्ली आ सकते हैं। अब, जब हम पैदल मार्च कर रहे थे, तो आपत्ति क्या थी और उन्होंने हमें अनुमति क्यों नहीं दी?' उन्होंने कहा, 'मैंने कल कहा था कि अगर शांतिपूर्वक पैदल मार्च कर रहे जत्थे को रोका गया तो यह किसानों की नैतिक जीत होगी।' पंढेर ने कहा कि किसानों ने अंबाला के अधिकारियों को अपनी मांगों को लेकर एक चार्टर सौंपा है, जिन्होंने उन्हें इसे आगे बढ़ाने का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि किसान अब पंजाब के भाजपा नेताओं से केंद्र द्वारा उनके साथ किए गए व्यवहार के बारे में सवाल पूछेंगे। 

किसान एमएसपी के अलावा, कृषि ऋण माफी, किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं, पुलिस मामलों (किसानों के खिलाफ) को वापस लेने और 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय की भी मांग कर रहे हैं। भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को बहाल करना और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देना भी उनकी मांगों का हिस्सा है।

खास है कि किसान अपने मुद्दों के समाधान के लिए केंद्र पर बातचीत शुरू करने के लिए भी दबाव डाल रहे हैं। हरियाणा पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर किसानों को प्रदर्शन स्थल से कुछ मीटर की दूरी पर रोक रखा है।शंभू बॉर्डर पर वाटर कैनन व्हिकल भी तैनात किया गया था। पुलिस ने किसानों को आगे नहीं बढ़ने के लिए कहा और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 163 के तहत अंबाला प्रशासन द्वारा लगाए गए निषेधाज्ञा आदेश का हवाला दिया। इसके तहत जिले में एक साथ पांच या अधिक लोगों के एक जगह पर एकत्रित होने पर प्रतिबंध है। किसानों ने बैरिकेड्स हटाकर जबरदस्ती आगे बढ़ने का प्रयास किया, लेकिन पुलिसकर्मियों ने बल प्रयोग करते हुए उन्हें रोक दिया था।

राहुल गांधी ने सोशल मीडिया एक्स पर ट्वीट कर कहा, ”किसान सरकार के समक्ष अपनी मांगों को रखने और अपनी पीड़ा को व्यक्त करने के लिए दिल्ली आना चाहते हैं‌। उन पर आंसू गैस के गोले दागना और उन्हें तरह-तरह से रोकने का प्रयास करना निंदनीय है। सरकार को उनकी मांगों और समस्याओं को गंभीरता से सुनना चाहिए। अन्नदाताओं की तकलीफ का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आज देश में हर घंटे एक किसान आत्महत्या करने को मजबूर होते हैं। मोदी सरकार की घोर असंवेदनशीलता के कारण पहले किसान आंदोलन में 700 से अधिक किसानों की शहादत को भी देश नहीं भूला है। हम किसानों की पीड़ा को समझते हैं और उनकी मांगों का समर्थन करते हैं। MSP की लीगल गारंटी, स्वामीनाथन आयोग की सिफ़ारिशों के अनुसार खेती की व्यापक लागत का 1.5 गुना MSP, कर्ज़ माफी समेत तमाम मांगों पर सरकार को तुरंत अमल करना चाहिए। जब अन्नदाता खुशहाल होंगे तभी देश खुशहाल होगा।”

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