SKM ने WTO का पुतला फूंका, हाइवे पर ट्रैक्टर खड़े कर विरोध जताया

Written by Navnish Kumar | Published on: February 27, 2024
"MSP समेत कई मांगों को लेकर आंदोलनरत किसान पंजाब-हरियाणा के बॉर्डर पर डटे हुए हैं। इसी बीच संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने सोमवार को 'भारत डब्ल्यूटीओ छोड़ो' दिवस ('WTO क्विट डे') मनाया। किसान मोर्चा के नेताओं ने कहा कि खेती को WTO से बाहर किया जाए। इसके लिए किसानों ने ट्रैक्टर हाइवे पर उतारे और दिल्ली की ओर मुंह कर खड़े किये। किसान नेताओं ने ऐलान किया था कि नेशनल और स्टेट हाईवे पर सुबह 11 से शाम 3 बजे तक बिना यातायात बाधा के ट्रैक्टर खड़े करेंगे।"



"संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार से मांग की है कि 26 से 29 फरवरी तक अबू धाबी में होने वाले विश्व व्यापार संगठन (WTO) के 13वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में खेती को डब्ल्यूटीओ से बाहर रखने के लिए विकसित देशों पर दबाव डाला जाए। भारत की खाद्य सुरक्षा और मूल्य समर्थन कार्यक्रम डब्ल्यूटीओ में बार-बार विवादों का विषय रहा है। दरअसल, प्रमुख कृषि निर्यातक देशों ने 2034 के आखिर तक खेती को समर्थन देने के लिए WTO सदस्यों के अधिकारों के वैश्विक स्तर पर 50% कटौती का प्रस्ताव दिया है।"

एसकेएम ने कहा कि भारत सरकार को इन मुद्दों के स्थायी समाधान के लिए सामूहिक रूप से लड़ने के लिए कम विकसित देशों से समर्थन जुटाना चाहिए, ताकि विकासशील देशों को न केवल अपने मौजूदा कार्यक्रमों को बनाए रखने की अनुमति दी जाए, बल्कि उन्हें बड़े पैमाने पर अपने किसानों और लोगों का समर्थन करने के लिए उन्हें मजबूत करने की अनुमति दी जाए। एसकेएम ने कहा कि देशभर के किसान 26 फरवरी को 'डब्ल्यूटीओ क्विट डे' के रूप में मनाएंगे और सुबह 11 बजे से शाम 3 बजे तक नेशनल और स्टेट हाईवे पर यातायात में बाधा डाले बिना ट्रैक्टर खड़े करेंगे। यही नहीं, इस दौरान किसान डब्ल्यूटीओ के पुतले भी फूंकेंगे। 

खास है कि संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में चल रहे किसान आंदोलन का आज 15वां दिन है। भारतीय किसान यूनियन (BKU) और संयुक्त मोर्चा से जुड़े अन्य किसान संगठनों ने सोमवार (26 फरवरी) को ट्रैक्टरों के सहारे एक बार फिर अपनी ताकत दिखाने का फैसला किया। इसके लिए किसान संगठन एमएसपी गारंटी कानून समेत अपनी कई मांगों को लेकर हरियाणा-पंजाब के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर WTO का पुतला जलाया। साथ ही नेशनल व स्टेट हाईवे पर ट्रैक्टर श्रृंखला बनाकर किसान सरकार के खिलाफ हुंकार भरी। दूसरी ओर, शंभू और खनौरी दोनों बॉर्डरों पर भी दोपहर WTO के 20 फीट से ऊंचे पुतलों को दहन करके अपना विरोध जताया। खास है कि एसकेएम गैर राजनीतिक द्वारा भले दिल्ली कूच को 29 फरवरी तक टाल दिया गया हो लेकिन किसान वही बॉर्डर पर ही डटे हुए हैं। 

दिल्ली की तरफ मुंह करके खड़े हुए ट्रैक्टर

संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर भारतीय किसान यूनियन 26 फरवरी को हल्ला बोल करेगी। हरिद्वार से लेकर गाजीपुर बॉर्डर तक किसान ट्रैक्टरों की श्रंखला बनाएंगे। किसान दिल्ली-देहरादून नेशनल हाईवे पर ट्रैक्टर दिल्ली की तरफ मुंह करके खड़ा करेंगे। कहा कि हाईवे की लेफ्ट हैंड की एक लेन में ट्रैक्टर खड़े किए जाएंगे। सुबह 11 बजे से लेकर दोपहर 3 बजे तक दिल्ली-देहरादून नेशनल हाईवे पर किसानों का कब्जा होगा। किसानों ने ऐलान कर दिया है कि लड़ाई आर-पार की होगी।

राकेश टिकैत बोले ट्रैक्टर खड़े कर सरकार से हक मांगेंगे किसान

भाकियू प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि दिल्ली जाने वाले रास्तों पर ट्रैक्टर खड़े कर किसान हक मांगेंगे। शांतिपूर्ण तरीके से किसान खड़े होंगे। एक तरफ से वाहन चलते रहेंगे।

रविवार को भाकियू प्रवक्ता ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा ने देशभर में विरोध प्रदर्शन का यह तरीका निकाला है। भाकियू ने तहसील और ब्लॉक स्तर पर इसकी रणनीति तैयार की है। ब्लॉक और गांव की सीमा में ही किसान खड़े होंगे। दिल्ली-देहरादून हाईवे, दिल्ली-सहारनपुर हाईवे, मुरादाबाद से दिल्ली जाने वाले हाईवे पर किसान खड़े होंगे। किसान सुबह 11 बजे हाईवे पर आ जाएंगे और शाम चार बजे तक वापस चले जाएंगे। सरकार ने गांव, गरीब, मजदूरों के खिलाफ गलत फैसले दिए हैं। यूपी पुलिस के अभ्यर्थियों का ताजा उदाहरण सबके सामने हैं। अग्निवीर भर्ती का विरोध है। ड्राइवरों के खिलाफ लाया गया फैसला गलत है।

हर जिले में बनाए गए हैं प्वाइंटस 

भारतीय किसान यूनियन ने सोमवार को बनने वाली ट्रैक्टर श्रंखला को लेकर हर जिले में कई प्वाइंट बनाए हैं. मुजफ्फरनगर में 8, मेरठ में 4 और गाजियाबाद में भी 4 प्वाइंट बनाए हैं। किसानों से कह दिया गया है कि गांव में एक भी ट्रैक्टर नहीं रहना चाहिए, सभी ट्रैक्टर हाईवे पर नजर आने चाहिए। किसान ट्रैक्टर श्रंखला बनाकर सरकार से अपनी नाराजगी जताएंगे और यह भी बताने की कोशिश करेंगे कि किसान गुस्से में हैं, कभी भी बड़े आंदोलन का ऐलान हो सकता है। दिल्ली दूर नहीं है।

Related:

बाकी ख़बरें