बाढ़ राहत: किसान कूच रोकने को चंडीगढ़ बॉर्डर सील, 100 से ज्यादा किसान हिरासत में..., अब संगरूर में पक्का मोर्चा

Written by Navnish Kumar | Published on: August 24, 2023
"बाढ़ क्षति के मुआवजे को किसानों के कूच को लेकर चंडीगढ़ छावनी में तब्दील हो गया है  सीमाएं सील रहीं और 100 से ज्यादा किसान हिरासत में लिए गए। कई किसान नेताओं को घर पर नजरबंद कर दिया गया। खट्टर और मान की पुलिस के एकजुट एक्शन से किसान चंडीगढ़ में पक्का मोर्चा शुरू नहीं कर पाए। लेकिन अब किसानों ने भगवंत मान के गृह जनपद संगरूर में ही पक्का मोर्चा लगा दिया है। किसानों का कहना है कि भारी बारिश और बाढ़ ने खेतों और गावों को तबाह कर दिया है जिस की तुरंत भरपाई की जानी चाहिए। इसी लिए चंडीगढ़ कूच का ऐलान किया गया था। बाढ़ से हुए नुकसान के मुआवजे पर आगे की रणनीति के लिए SKM ने 2 सितंबर को चंडीगढ़ में बैठक बुलाई है। 



पंजाब के किसानों ने अब, डेढ़ साल तक दिल्ली सीमा पर लगे लंबे मोर्चे की तर्ज पर, पंजाब सरकार के खिलाफ अनिश्चित काल के लिए ‘पक्का मोर्चा’ लगा दिया है। शुरुआत हो चुकी है। किसानों ने मुख्यमंत्री भगवंत मान के गृह जिले संगरूर में पक्का मोर्चा लगा दिया है। उधर, किसानों की धरपकड़ के लिए तीसरे दिन भी भारी पुलिस फोर्स सक्रिय रही। बाढ़ के मुआवजे और अन्य मांगों के लिए चंडीगढ़ कूच कर रहे किसानों को छह हजार पुलिस कर्मियों तथा अर्धसैनिक बलों के जरिए रोक लिया गया। चंडीगढ़ से लगते पंजाब और हरियाणा के बॉर्डर पूरी तरह से सील कर दिये गये हैं। हर वाहन की गहन तलाशी ली जा रही है। बुधवार की सुबह कुछ एंबुलेंस भी रोकीं गईं। तड़के किसानों ने चंडीगढ़ में घुसने की कोशिश की लेकिन पुलिस ने उसे नाकाम कर दिया।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बाढ़ से हुए नुकसान के लिए मुआवजे की मांग को लेकर हरियाणा पंजाब से चंडीगढ़ प्रदर्शन करने जा रहे करीब 100 किसानों को मंगलवार को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। पंजाब के संगरूर जिले के लोंगोवाल में, किसानों ने मंगलवार को पूर्व निर्धारित प्रदर्शन में चंडीगढ़ जा रहे कुछ किसान नेताओं को हिरासत में लेने के खिलाफ अपना ‘धरना’ जारी रखा। प्रदर्शनकारी किसानों ने जब जिले में एक राजमार्ग को अवरुद्ध करने की कोशिश की तो उनकी पुलिस के साथ झड़प हो गई थी। केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में विरोध के मद्देनजर पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ की अंतरराज्यीय सीमाओं पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई, जबकि संगरूर में, संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के कुछ नेता मंगलवार को वहां आयोजित विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए। संगरूर में हुई झड़प में ट्रैक्टर-ट्रॉली के नीचे आने से एक किसान की मौत हो गई थी, जबकि पांच पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। पुलिस ने कई किसानों पर हत्या के प्रयास सहित भारतीय दंड संहिता की सुसंगत धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की है।

किसान मजदूर संघर्ष समिति, भारतीय किसान यूनियन (क्रांतिकारी), बीकेयू (एकता आजाद), आजाद किसान समिति, दोआबा, बीकेयू (बेहरामके) और भूमि बचाओ मुहिम सहित 16 किसान संगठनों ने यहां प्रदर्शन करने का आह्वान किया है। पुलिस ने विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि लगभग 100 किसानों को हरियाणा के अंबाला में शंभू सीमा पर उस समय हिरासत में लिया गया जब वे चंडीगढ़ की ओर जा रहे थे। उसने कहा कि उन्हें बसों में पुलिस थानों में ले जाया गया। पुलिस के मुताबिक किसान जबरन केंद्र शासित प्रदेश की ओर बढ़ने की कोशिश कर रहे थे। पुलिस ने बताया कि जब किसानों को चंडीगढ़ की ओर जाने की अनुमति नहीं दी गई तो उन्होंने अंबाला के पास हिसार-चंडीगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग को भी अवरुद्ध कर दिया।

अंबाला-चंडीगढ़ मार्ग पर पुलिस ने जांच चौकी बनाई थी और वहां से गुजरने वाले वाहनों की भी तलाशी ली जा रही थी। अंबाला रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सिबाश कबिराज ने भी अपने अधिकार क्षेत्र में स्थिति का जायजा लिया। भारी पुलिस तैनाती और कई जगहों पर कड़ी जांच के कारण कई किसान शंभू बॉर्डर तक नहीं पहुंच सके। चंडीगढ़ में, किसानों को केंद्र शासित प्रदेश में प्रवेश करने से रोकने के लिए प्रवेश और निकास बिंदुओं (एंट्री प्वॉइंट्स) पर सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया गया है।

सोमवार को हरियाणा के अंबाला से भाकियू (शहीद भगत सिंह) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमरजीत सिंह मोहरी समेत किसान नेताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया, जबकि पंजाब में किसान मजदूर संघर्ष समिति (केएमएससी) के अध्यक्ष सरवन सिंह पंढेर, सत्कार सिंह कोटली को पुलिस ने हिरासत में लिया। हिरासत में लिए गए लोगों में केएमएससी, भाकियू-बेहरामके के बोहर सिंह भी शामिल थे। उधर, आम आदमी पार्टी (आप) की पंजाब इकाई के मुख्य प्रवक्ता मलविंदर सिंह कांग ने एक बयान में कहा कि कानून- व्यवस्था बनाए रखना पंजाब सरकार की जिम्मेदारी है और वह अपनी जिम्मेदारी निभा रही है। पंजाब में सत्तारूढ़ दल के नेता ने किसान संगठनों से शांति बनाए रखने और सरकार के साथ सहयोग करने की भी अपील की।

संगरूर के लोंगोवाल में किसानों के विरोध प्रदर्शन में क्रांतिकारी किसान यूनियन के नेता गुरमीत सिंह ने कहा कि उनकी मांग हिरासत में लिए गए नेताओं की रिहाई और बाढ़ प्रभावित किसानों के लिए मुआवजा है। उन्होंने कहा कि बाढ़ से हुए नुकसान के मुआवजे के मुद्दे पर एसकेएम की बैठक दो सितंबर को चंडीगढ़ में होगी।

खास है कि किसान नेता पंजाब समेत पूरे उत्तर क्षेत्र में बाढ़ से हुए नुकसान के लिए केंद्र से 50,000 करोड़ रुपये के पैकेज की मांग कर रहे हैं। वे फसल के नुकसान के लिए 50,000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा, क्षतिग्रस्त घर के लिए पांच-पांच लाख रुपये और बाढ़ में मारे गए व्यक्तियों के परिवार के लिए 10- 10 लाख रुपये मुआवजे की भी मांग कर रहे हैं। इसके साथ एमएसपी गारंटी देने और गिरफ्तार किए गए किसानों की रिहाई की भी मांग प्रमुख हैं।

किसानों ने दावा किया था कि उनके कई नेताओं को सोमवार को पंजाब के विभिन्न हिस्सों में हिरासत में लिया गया, जबकि कुछ किसानों को प्रदर्शन में शामिल होने से पहले ही हरियाणा के अंबाला और कुरुक्षेत्र में भी हिरासत में लिया गया। उन्होंने अपने नेताओं की हिरासत के विरोध में पंजाब के अमृतसर, तरनतारन और होशियारपुर में कुछ टोल प्लाजा पर घेराबंदी भी की थी। विरोध प्रदर्शन के दौरान किसानों ने टोल प्लाजा कर्मियों को वाहनों से शुल्क वसूलने नहीं दिया।

 *आप प्रवक्ता ने की मिलकर समाधान निकालने की अपील* 

आप के मुख्य प्रवक्ता मलविंदर सिंह कांग ने कहा, ‘‘मैं किसान संगठनों से अपील करता हूं कि उन्हें लोगों के लिए परेशानी का कारण बनने की बजाय सरकार के साथ मिलकर समस्या का समाधान करने पर ध्यान देना चाहिए।’’ कांग ने बयान में कहा, ‘‘पंजाब में बंद टोल प्लाजा और सड़कों से लोगों को परेशानी होगी। शांतिपूर्ण ढंग से विरोध करना हर किसी का लोकतांत्रिक अधिकार है, लेकिन विरोध के दौरान शांति और व्यवस्था बनाए रखी जानी चाहिए।’’ उन्होंने किसानों को मुआवजे का आश्वासन दिया और कहा कि पंजाब के विभिन्न इलाकों में ‘गिरदावरी’ (नुकसान आकलन के लिए सर्वेक्षण) की प्रक्रिया चल रही है।

 *किसानों के ख़िलाफ़ एकजुट हुई खट्टर और भगवंत मान की पुलिस!* 

किसान नेताओं के मुताबिक किसानों के ख़िलाफ़ हरियाणा-पंजाब और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ पुलिस में ग़ज़ब का तालमेल दिख रहा है। तीनों पुलिस बल किसी भी हाल में किसानों को रोकना चाहते हैं। हरियाणा और पंजाब के किसान बाढ़ से हुए नुकसान के उचित मुआवजे की मांग को लेकर सड़कों पर हैं। ये किसान किसी भी हाल मे राजधानी चंडीगढ़ पहुंचना चाहते हैं। जबकि पुलिस किसी भी शर्त पर इन्हें रोकना चाहती है। इसी कड़ी में प्रशासन ने बड़ी संख्या मे किसानों को हिरासत मे लिया था। इसके बाद भी किसान आज, मंगलवार 22 अगस्त को बड़ी संख्या मे चंडीगढ़ कूच के लिए सड़क पर उतरे। जिसके बाद पुलिस ने कई जगह इन्हे रोका और कई जगह किसान और पुलिस आमने सामने हुए।

न्यूज क्लिक की एक रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के गृह जिले संगरूर में किसान आंदोलन कर रहे थे जिसे रोकने के लिए पुलिस ने बल प्रयोग किया। इस अफरातफरी में एक किसान को चोट आई और सोमवार शाम को ही उनकी मौत हो गई। यह घटना पंजाब सरकार के रवैये आर गंभीर सवाल उठा रही है। इसी तरह आज, मंगलवार को अंबाला में एक युवा किसान की टांग कटने की खबर आई। भारतीय किसान यूनियन भगत सिंह के प्रवक्ता तेजवीर सिंह ने बताया कि 30 वर्षीय रविंदर पंजाब के सरसिनी गाँव से अंबाला के लोहगढ़ किसान आंदोलन का हिस्सा बनने आए थे। इस बीच पुलिस ने आंदोलनकारियों का पीछा करना शुरू किया। जिसके बाद हादसा हुआ और उनका पाँव ट्रॉली और ट्रैक्टर के पहिया के बीच आ गया और टांग कट गई। जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है और वहाँ उनका इलाज चल रहा है। कई बड़े किसान नेताओ को घर मे भी नज़रबंद किया गया है। तराई किसान यूनियन के नेता तेजिंदर सिंह विर्क को भी पुलिस ने घर मे हिरासत मे ले लिया। विर्क ने पुलिस के रवैये को तानाशाही कहा।

विर्क के अनुसार किसानों के खिलाफ हरियाणा-पंजाब और केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ पुलिस में गजब का तालमेल दिख रहा है। तीनों पुलिस बल किसी भी हाल मे किसानों को रोकना चाहते हैं। हालांकि ये किसान किसी राज्य से अधिक केंद्र की सरकार से बाढ़ पीड़ितों के लिए स्पेशल पैकेज की मांग कर रहे हैं। ये दोनों ही राज्य खेती किसानी का केंद्र हैं। इसलिए हमने देखा है यहाँ हमेशा किसानों के सवाल पर मुखर आंदोलन रहा है। वर्तमान के हालत में खुद को किसान हितैषी कहने वाली आम आदमी पार्टी की पंजाब सरकार पर गंभीर सवाल उठे हैं। जबकि हरियाणा मे बीजेपी सरकार और किसानों का आमना सामना बीते सालों में आम बात हो गई है। तेजवीर ने कहा कि जिस तरह का समन्वय अभी दोनों राज्यों की पुलिस मे दिख रहा है। वैसा कभी उन्होंने अपराधियों को पकड़ने मे नहीं दिखाया है। हमने देखा है कि कैसे पंजाब पुलिस तेजिंदर सिंह बग्गा को दिल्ली से पकड़ कर ला रही थी और हरियाणा पुलिस ने उसे छीन कर पंजाब पुलिस को वापस भेजा था। कभी ड्रग्स कारोबारी के लिए इस तरह का अभियान नहीं चलाया लेकिन आज किसानों के आंदोलन को खत्म करने के लिए दोनों जॉइन्ट ऑपरेशन चला रहे है और 1500 से अधिक जगहों पर छपेमारी की है। लेकिन इन सबसे हम डरने वाले नहीं हैं।

भारतीय किसान यूनियन एकता के पटियाला जिला प्रधान बेंतसिंह ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में कहा कि प्रशासन को लग रहा है कि वो दमन के दम पर हमारा आंदोलन खत्म कर देगा लेकिन उन्हें समझना चाहिए हम वो हैं जिन्होंने दिल्ली में एक साल तक आंदोलन किया और सरकार को झुकाया था। आज भी हमारी ही जीत होगी। उन्होंने कहा कि सरकार हमें चंडीगढ़ नहीं जाने देगी तो हम हर जिले और ब्लॉक मे सड़क जाम करेंगे। कई जगहों पर किसानों ने रेल से लेकर टोल प्लाजा बंद कर दिया है।

 *'सोशल मीडिया पर रोक लगाकर आंदोलन का ब्लैक आउट दुर्भाग्यपूर्ण: प्रियंका'* 

इसके अलावा सरकार बड़ी संख्या मे सोशल मीडिया के अकाउंट बंद कर रही है। बताया गया कि हरियाणा और पंजाब में किसानों के आंदोलन को प्रमुखता से दिखाने वाले समाचार पोर्टल गाँव सवेरा का फेसबुक अकाउंट सोमवार देर रात ही बंद कर दिया था। आज मंगलवार को उनका x (ट्विटर अकाउंट) भी बंद कर दिया गया। इसके अलावा कई किसान नेताओं और यूनियन के अकाउंट भी बंद कर दिए गए हैं, जिससे आम लोग तक किसानों से जुड़ी खबरें न पहुँच पाएं क्योंकि जैसा कि आमतौर पर होता है बड़े और कथित तौर पर मुख्यधारा का मीडिया इस तरह के मुद्दों और खबरों से दूर ही रहता है। ऐसे में सोशल मीडिया पर सरकार का प्रतिबंध एक तरह से किसान आंदोलन का ब्लैक आउट करने जैसा है। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने फेसबुक पर एक पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने विरोध-प्रदर्शन कर रहे किसानों पर पुलिस कार्रवाई को दुर्भाग्यपूर्ण कहा।

किसानों के मुताबिक पुलिस की इस सख्त और दमन की कार्रवाई से किसानों के हौसले में कोई कमी नहीं आई है। हरियाणा के अंबाला से किसानों का एक जत्था शाम को पैदल ही चंडीगढ़ को चल दिया। इस जत्थे में शामिल किसान नेता सुरेश कोथ ने गाँव सवेरा से बात करते हुए कहा कि हमने चंडीगढ़ की कॉल दी हुई थी लेकिन पुलिस हमे रोक कर रखी हुई थी। हमें सड़कों पर इसलिए आना पड़ता है क्योंकि हमारे चुने हुए प्रतिनिधि हमारी आवाज नहीं उठाते इसलिए हमें सड़कों पर आना पड़ता है। हालांकि पुलिस ने कुछ दूर जाते ही इस जत्थे को भी रोक दिया। उसके बाद सुरेश कोथ ने प्रशासन को अपनी मांगें बताईं और साफ कहा कि हम किसी भी हाल में चंडीगढ़ जाएंगे। सड़क पर रोकेंगे तो खेतों से जाएंगे लेकिन जाएंगे जरूर। उन्होंने साफ कहा कि अगर हमारी दो मांगें मान ली जाएंगी तो हम वापस चले जाएंगे।

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था पंजाब और हरियाणा की सरकार ने खराब की है। भगवंत मान और खट्टर ने किसानों की बेइज्जती की है। ये सिर्फ हरियाणा पंजाब नहीं पूरे उत्तर भारत का सवाल है। आपको बता दें कि बाढ़ ने पंजाब व हरियाणा में किसानों की फसल और उनके कृषि जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। इस प्राकृतिक आपदा से पीड़ित किसानों ने नुक़सान के उचित मुआवज़े की मांग को लेकर मंगलवार 22 अगस्त को चंडीगढ़ कूच करने का ऐलान किया था। हरियाणा और पंजाब के 16 किसान जत्थों ने इस मार्च का आह्वान किया था। इस ऐलान के बाद से चंडीगढ़ प्रशासन और हरियाणा व पंजाब की सरकारें किसी भी शर्त पर इस मार्च को रोकना चाहती थीं। किसान संगठन चंडीगढ़ न आए इसके लिए रविवार देर शाम तक प्रशासन ने किसान जत्थे-बंदियों और उनके नेताओं से बातचीत की। यही नहीं खुद पंजाब के राज्यपाल ने राजभवन में इन 16 किसान जत्थे-बंदियों के नेताओं से बात की हालांकि इससे कोई हल नहीं निकल सका।

 *सीएम के गृह जिले संगरूर में लगाया किसानों ने ‘पक्का मोर्चा* 

पंजाब के किसानों ने अब डेढ़ साल तक दिल्ली सीमा पर लगे लंबे मोर्चे की तर्ज पर, मुख्यमंत्री के गृह जिले संगरूर में पंजाब सरकार के खिलाफ अनिश्चित काल के लिए ‘पक्का मोर्चा’ लगा दिया है। शुरुआत हो चुकी है। किसानों की धरपकड़ के लिए तीसरे दिन भी भारी पुलिस फोर्स सक्रिय रही। बाढ़ के मुआवजे और अन्य मांगों के लिए चंडीगढ़ कूच कर रहे किसानों को छह हजार पुलिस कर्मियों तथा अर्धसैनिक बलों के जरिए रोक लिया गया। चंडीगढ़ से लगते पंजाब और हरियाणा के बॉर्डर पूरी तरह से सील कर दिये गये हैं। हर वाहन की गहन तलाशी ली जा रही है। बुधवार की सुबह कुछ एंबुलेंस भी रोकीं गईं। तड़के किसानों ने चंडीगढ़ में घुसने की कोशिश की लेकिन पुलिस ने उसे नाकाम कर दिया।

खास है कि संगरूर जिले के लोगोंवाल में सोमवार को पुलिस के साथ झड़प में एक आंदोलनकारी किसान प्रीतम सिंह की मौत हो गई थी। उसका शव पटियाला के राजेंद्रा अस्पताल में रखा हुआ है और अभी उसका पोस्टमार्टम नहीं हुआ है। 16 किसान संगठनों के नेता मंगलवार को प्रीतम सिंह का शव लेने राजेंद्रा अस्पताल गए। किसान गेट पर घंटों खड़े रहे। पुलिस ने उन्हें भीतर नहीं जाने दिया। इस मामले में पुलिस ने एकतरफा एफआईआर में 50 से ज्यादा किसानों के खिलाफ धारा 307, 323, 353, 186, 148, 149 के तहत केस दर्ज किया है। लोगोंवाल में उस दिन निहत्थे किसानों पर पुलिस ने हर हथकंडा इस्तेमाल किया था। प्रीतम सिंह की मौत के साथ एक पुलिस अधिकारी भी गंभीर रूप से जख्मी हुआ था। प्रीतम सिंह की मौत के बाद से लोगोंवाल के बाजार बंद हैं। सोलह किसान संगठनों ने प्रीतम सिंह को ‘शहीद’ करार दिया है। उसके परिवार के लिए दस लाख रुपये का मुआवजा सरकार से मांगा है।

किसानों को पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने चंडीगढ़ नहीं जाने दिया तो ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ का रुख मुख्यमंत्री भगवंत मान के गृह जिले संगरूर की ओर हो गया। अब इसी जिले में पड़ते लोंगोवाल थाने के बाहर किसानों ने ‘पक्का मोर्चा’ लगा दिया है। टोल प्लाजा पर भी धरना जारी है। क्रांतिकारी किसान यूनियन के गुरमीत सिंह महिमा का कहना है कि, “आम आदमी पार्टी की सरकार जब सूबे में सत्ता में नहीं आई थी, तब किसान खुलकर उनका साथ दिया करते थे। भगवंत मान पर राजसी रंग चढ़ गया है। वह सब कुछ भूल गए हैं।”

किसान नेता जुझार सिंह कहते हैं कि, “जिस तरह शांतिपूर्वक आंदोलन करके हमने दिल्ली को झुकने को मजबूर किया, ठीक वैसे ही पंजाब में करेंगे।” किरती किसान यूनियन के भूपेंद्र सिंह पर भी पर्चा दर्ज किया गया है। वह कहते हैं, “भगवंत मान सरकार की तानाशाही से जुझारू किसान नहीं डरते। मुख्यमंत्री हमें चंडीगढ़ क्यों नहीं आने देते? वह यहां आकर हमसे बात कर लें। नहीं तो धरना चलता रहेगा और इसमें किसानों की तादाद बढ़ती रहेगी।” 

इस सारी आपाधापी के बीच, किसानों को आंदोलन से हटाने के लिए पंजाब सरकार ने फसलों के नुकसान की भरपाई के लिए 186 करोड़ रुपये जारी किए हैं। जो ऊंट के मुंह में जीरा के समान है। राजस्व पुनर्वास एवं आपदा प्रबंधन मंत्री ब्रह्म शंकर जिंपा ने बताया कि संगरूर जिले को 26.8 करोड़ रुपये, फिरोजपुर जिले को 22.44 करोड़, तरनतारन को 26.52 करोड़, पटियाला को 59.50 करोड़, मनसा को 12.92 करोड़, अमृतसर को 3.73 करोड़, फाजिल्का को 8.77 करोड़, गुरदासपुर को 5.84 करोड़, जालंधर को 2.31 करोड़, लुधियाना को 2.31 करोड़, मोगा को 3.99 करोड़, रूपनगर को 18.45 लाख, पठानकोट को 64.60 लाख, एसबीएस नगर को 1.25 करोड़, फतेहगढ़ साहिब को 1.59 करोड़ और मोहाली को 1.73 करोड़ रुपये की राशि दी गई है।

प्रख्यात अर्थशास्त्री डॉ. सुच्चा सिंह गिल इसे सरासर नाकाफी मानते हैं। उनका कहना है कि ‘किसानों के नुकसान की ओर देखिए और फिर इस राशि की ओर, यह आपको मजाक लगेगा’। पंजाब के वरिष्ठ किसान नेता राजेंद्र सिंह दीप के अनुसार ‘राज्य सरकार सबसे पहले यह स्पष्ट करे कि बीते डेढ़ साल में कितना मुआवजा, किस मद में, किसानों को दिया गया है और मौजूदा स्थिति क्या है। किसान तो मुआवजे की मांग कर रहे हैं लेकिन उन पर लाठियां बरसाईं जा रही हैं’। दीप पूछते हैं कि ‘अगर किसान अपनी राजधानी में ही नहीं जा सकते तो जाएं कहां? स्त्री सभा की गुरमीत कौर के अनुसार, “जो सुलूक दिल्ली सरकार ने किसानों के साथ करने में गुरेज किया, उससे बदतर सुलूक भगवंत मान सरकार कर रही है।” क्रांतिकारी पेंडू मजदूरी यूनियन के लखबीर सिंह लक्खी के मुताबिक, “किसानों का वहम था कि आम आदमी पार्टी विपदा की घड़ी में उनका हाथ पकड़ेगी लेकिन वह तो तोड़ने में लगी हुई है।”

इसी को लेकर 16 किसान संगठनों ने घोषणा की है कि अब जो मोर्चा संगरूर पुलिस थाने के आगे लगाया गया है, वह राज्य सरकार के खिलाफ ‘पक्का मोर्चा’ है। हरियाणा और राजस्थान के किसान भी इसमें शिरकत करेंगे। वहीं, 2 सितंबर को SKM की चंडीगढ़ बैठक में आगे की रणनीति तैयार की जाएगी।

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