वाराणसी में किसानों पर पुलिसिया तांडव-लाठीचार्ज, महिलाओं से अभद्रता, मारपीट

Written by sabrang india | Published on: May 18, 2023
प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के रोहनिया विधानसभा के बैरवन गांव में भूमि अधिग्रहण के विरोध करने पर पुलिस ने मंगलवार की दोपहर और मंगल-बुधवार की आधी रात को जमकर तांडव किया। नागरिकों की सुरक्षा के लिए कसमें खाने वाले यूपी पुलिस के सैकड़ों पुलिसकर्मियों ने सैकड़ों किसानों और महिलाओं को दौड़ा-दौड़ा कर बेरहमी से पीटा।



जनचौक की एक रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस के लाठीचार्ज में तकरीबन दो दर्जन से अधिक महिला, पुरुष, किशोरियां और नौजवान घायल हुए हैं। इसके साथ ही पुलिस कम से कम 15 ग्रामीणों को अपने साथ थाने ले गई। जिसमें कई महिलाएं भी शामिल थीं। पुलिसिया दमन यहीं नहीं रुका। ग्रामीणों ने बताया कि “जब गांव वाले आधी रात में सो रहे थे, तो 300 से अधिक पुलिसकर्मियों ने बैरवन गांव की चौहद्दी को घेरकर 15-15 की संख्या में लाठी और हथियार लिए गांव में दाखिल हुए।

जो मिला, जहां मिला, सोते-जागते, सभी को लाठी-डंडे से पीटने लगे। महिलाओं और जवान लड़कियों के साथ छेड़छाड़, अभद्रता करने के साथ गाली-गलौज और मारपीट की गई। घर के दरवाजे राइफल की बट बूटों से तोड़ दिये। घर में रखे सामानों को उठाकर पटकने लगे, बर्तन, संदूक को लात मारकर क्षतिग्रस्त कर दिया। महिलाओं के चूल्हे-चौके को भी नहीं बख्शा गया।”

सदमे में पूरा गांव

पुलिसिया बर्बरता सबसे अधिक बैरवन गांव के ग्रामीणों के साथ हुई है। निर्दयी पुलिस की मार झेल चुके गांव में सन्नाटा पसरा है और लोग सदमे में हैं। बुधवार को किसी के भी घर चूल्हा नहीं जला। सभी जहां-तहां दर्द से कराह और सिसक रहे हैं। गेंदा फूल की खेती करने वाले ग्रामीणों के चेहरे मुरझाये हुए हैं। पुलिस के लाठीचार्ज में घायल सुनीता देवी (44) का चेहरा व आंखें सूजी हुई हैं। उनके जख्म पर बैंडेज चिपका हुआ है।

जान दे देंगे, लेकिन खेत नहीं

सुनीता “जनचौक” से कहती हैं कि “दस बिस्वा ही हम लोग की जमीन है। परिवार में बच्चे और लड़कियां हैं। मैं जमीन नहीं देना चाहती। यही जमीन ही हम लोगों की पूंजी है। वीडीए ने बैगर हमारी अनुमति के हमारे खेत में जेसीबी चला दिया। मना करने पर हम पर पुलिस ने जानलेवा हमला किया। लाठी मारकर सिर फोड़ दिया। इसके बाद भी तब तक पीटते रहे, जब तक मैं बेहोश नहीं हो गई। सरकार चाहे अब हमारी जान ही क्यों न ले ले, मैं अपनी जमीन नहीं देने वाली।” 

अखिलेश यादव ने जताया विरोध

ट्रांसपोर्ट नगर योजना को लेकर यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि “चुनाव ख़त्म होते ही वाराणसी के मोहनसराय की कृषि योग्य भूमि को ग़ैरक़ानूनी तरीके से ट्रांसपोर्ट नगर व आवासीय योजना के नाम पर किसानों से हड़प कर भू-माफ़ियाओं को देने का भाजपाई नाटक शुरू हो गया है। अब गरीबों के ऊपर बुलडोज़र भी चलेगा और उन्हें घर-खेत से भाजपा सरकार बेदख़ल भी करेगी।”

गरीबों की जमीन पूंजीपतियों को देना चाह रही सरकार

पिंडरा के पूर्व विधायक व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय राय ने “जनचौक” से कहा कि “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के रोहानिया ट्रांसपोर्ट नगर में ग्रामीणों को पीटा गया है। जिसमें कई महिलाएं और ग्रामीण घायल हो गए हैं। सरकार मनमानी पर उतारू है। सरकार के इशारे पर पूंजीपति मित्रों के लिये ज़मीन ख़ाली कराई जा रही है और ग़रीब किसानों को खदेड़ा जा रहा है। किसानों व महिलाओं के साथ पुलिस बर्बरता से पेश आ रही है।”

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय राय ने कहा कि “भाजपा के राज में नियम-कानून हाशिये पर जा पहुंचे हैं। बैरवन गांव की महिलाओं और बच्चियों से छेड़छाड़ और उनके कपड़े फाड़े गए हैं। मोदी जी ऐसे ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ योजना को सफल बनाएंगे। किसानों के साथ मिलकर हम लोग हाईकोर्ट से स्टे आर्डर लेकर आये हैं। किसी भी कीमत पर किसानों की खेती योग्य जमीन पूंजीपतियों को नहीं दी जाएगी। इसके लिए जो लड़ाई लड़नी होगी, लड़ेंगे।”

क्या है ट्रांसपोर्ट नगर?

मोहनसराय ट्रांसपोर्ट नगर योजना को लेकर 4 गांवों के किसान 21 साल से आंदोलन कर रहे हैं। धरना-प्रदर्शन, महापंचायतों के जरिए किसान अपनी जमीन बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। किसानों और वीडीए के अफसरों के बीच कई राउंड की वार्ता हुई। लेकिन दोनों पक्ष अपनी-अपनी बातों पर अड़े रहे और आज तक सहमति नहीं बन पाई। इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में मामला लंबित है। किसानों को कहना है कि प्रशासन ने हाईकोर्ट के आदेश का इंतजार नहीं किया और मनमाने ढंग से जमीन पर कब्जे के लिए बुलडोजर चलाना शुरू कर दिया।

किसानों के साथ छल

किसान संघर्ष समिति के अधिवक्ता अश्विनी कुमार सचान ने “जनचौक” को बताया कि “बुधवार इलाहाबाद हाईकोर्ट में हुई सुनवाई में मंगलवार को हुए बवाल और पुलिसिया बर्बरता के फोटो-वीडियो उपलब्ध करवाए गए थे।” सुनवाई के दौरान जज को मंंगलवार को हुई घटना की CCTC फुटेज और फाेटो दिखाए गए। सुनवाई के दौरान वीडीए के वकील ने कहा कि प्रशासन जिन किसानों को मुआवजा दे चुका है, उन जमीनों पर कब्जा ले रहा है।

इस पर किसानों की ओर से कहा गया कि 337 किसानों का 2012 में अवार्ड किया गया। जबकि 857 किसानों ने कोई मुआवजा ही नहीं लिया है। जबकि इससे पहले साल 2003 में ही वीडीए ने बिना सबको मुआवजा दिए किसानों का खतौनी से नाम काटकर अपना नाम चढ़वा लिया।

हाईकोर्ट ने दिया स्टे

हाईकोर्ट में बहस के दौरान न्यायाधीश ने कहा कि धारा 5 के तहत भूमि अधिग्रहण के लिए किसानों की सहमति नहीं ली गई। अदालत ने स्थगन (स्टे) आदेश दे दिया। इस दौरान वीडीए के वकील अपनी बात कहने की कोशिश कर रहे थे तो अदालत ने कहा कि अगली डेट पर बात रखना। फिलहाल वाराणसी के मोहन सराय में चल रही ट्रांसपोर्ट नगर योजना पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। ट्रांसपोर्ट नगर परियोजना में लगे सभी बुलडोजर, पुलिस फोर्स और वीडीए की टीम वापस लौट गई है।

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