नई दिल्ली। सरकारी अस्पतालों में गरीबों का समुचित इलाज के अभाव में दम तोड़ जाना स्वाभाविक सी बात हो गई है। आए दिन ऐसे कितने ही किस्से सुनने को मिलते हैं कि सरकारी अस्पताल में सुविधाओं के अभाव में मरीज ने दम तोड़ दिया। बीआरडी अस्पताल में करीब 100 नौनिहालों ने ऑक्सीजन की कमी के चलते दम तोड़ दिया था। इसके अलावा बिहार के मुजफ्फरपुर में भी सैकड़ों बच्चों की जान चली गई क्योंकि बीमार ज्यादा थे और उनका इलाज करने के लिए स्टाफ व दवाइयों की कमी थी। ऐसी ही एक घटना पांच साल पहले घटित हुई थी।
साल 2013 में सुकालो गोंड के बेटे मिथलेश गोंड का हिंडालको अस्पताल में डॉक्टरों की लापरवाही के कारण निधन हो गया था। मिथिलेश को खून की सख्त जरूरत थी लेकिन 12 घंटे से भी अधिक समय तक अस्पताल में रहने और खून के लिए पैसे देने पर भी वहां के सी एम ओ व डॉ प्रमोद यादव ने 13 वर्षीय बालक को खून नही दिया। इस मामले में जांच में भी हुई और रिपोर्ट में डॉक्टरों की लापरवाही साबित हुई है। लेकिन लापरवाह डॉक्टरों के खिलाफ कोई भी कार्यवाही नही की गई।
हिंडाल्को के अस्पताल में गरीब मज़दूरों व आस पास के आदिवासियों के साथ आये दिन के किस्से हैं। इसपर जब संग़ठन अखिल भारतीय वन जन श्रमजीवी यूनियन के तहत संघर्ष हुआ तब उल्टे ही यूनियन के सभी अगुवा कार्यकर्ताओं पर कई संगीन धाराओं में मुकदमे दर्ज करा दिए गए।
अखिल भारतीय वन जन श्रमजीवी यूनियन का कहना है कि आज भी स्वास्थ अधिकारों एवेम मिथिलेश जैसे मासूम बच्चे की जघन्य मौत का संघर्ष अभी तक जारी है। हर वर्ष मिथलेश गोंड की पुण्यतिथि शहादत दिवस के रूप में उनके समुदाय द्वारा दखल की गई 600 एकड़ सामुदायिक भूमि बिरसा नगर पर मनाते आ रहे हैं जो कि इस बार भी बदस्तूर जारी है। मिथिलेश गोंड शहादत दिवस इस बार 14 जुलाई को बिरसा नगर, ग्राम मझौली, तहसील दुधि, सोनभद्र में मनाया जा रहा है। जिसमें सभी को आमंत्रित किया गया है।
साल 2013 में सुकालो गोंड के बेटे मिथलेश गोंड का हिंडालको अस्पताल में डॉक्टरों की लापरवाही के कारण निधन हो गया था। मिथिलेश को खून की सख्त जरूरत थी लेकिन 12 घंटे से भी अधिक समय तक अस्पताल में रहने और खून के लिए पैसे देने पर भी वहां के सी एम ओ व डॉ प्रमोद यादव ने 13 वर्षीय बालक को खून नही दिया। इस मामले में जांच में भी हुई और रिपोर्ट में डॉक्टरों की लापरवाही साबित हुई है। लेकिन लापरवाह डॉक्टरों के खिलाफ कोई भी कार्यवाही नही की गई।
हिंडाल्को के अस्पताल में गरीब मज़दूरों व आस पास के आदिवासियों के साथ आये दिन के किस्से हैं। इसपर जब संग़ठन अखिल भारतीय वन जन श्रमजीवी यूनियन के तहत संघर्ष हुआ तब उल्टे ही यूनियन के सभी अगुवा कार्यकर्ताओं पर कई संगीन धाराओं में मुकदमे दर्ज करा दिए गए।
अखिल भारतीय वन जन श्रमजीवी यूनियन का कहना है कि आज भी स्वास्थ अधिकारों एवेम मिथिलेश जैसे मासूम बच्चे की जघन्य मौत का संघर्ष अभी तक जारी है। हर वर्ष मिथलेश गोंड की पुण्यतिथि शहादत दिवस के रूप में उनके समुदाय द्वारा दखल की गई 600 एकड़ सामुदायिक भूमि बिरसा नगर पर मनाते आ रहे हैं जो कि इस बार भी बदस्तूर जारी है। मिथिलेश गोंड शहादत दिवस इस बार 14 जुलाई को बिरसा नगर, ग्राम मझौली, तहसील दुधि, सोनभद्र में मनाया जा रहा है। जिसमें सभी को आमंत्रित किया गया है।