फॉरेस्ट मूवमेंट लीडर और ह्यूमन राइट्स डिफेंडर (HRD) सोकोलो गोंड ने 14 जुलाई को अपने बेटे मिथिलेश गोंड की याद में पुण्यतिथि मनाने का आह्वान किया है, जिसकी हिंडाल्को अस्पताल में कथित तौर पर डॉक्टरों की उदासीनता के कारण मृत्यु हो गई थी।
सुकालो गोंड बताती हैं, “जिस दिन उसकी मृत्यु हुई, हम दूसरे बच्चों के लिए स्कूल ड्रेस, पेंसिल और बाकी सभी चीजें खरीदने गए थे। उन्हें कुछ दिनों से बुखार आ रहा था। मैं उन्हें एक स्थानीय अस्पताल [मझौली के पास] ले गई। उन्होंने कहा कि उसमें ब्लड की कमी है और मुझे उन्हें कहीं और ले जाने के लिए कहा। दुद्धी में भी डॉक्टरों ने उसका इलाज करने में असमर्थता जताई और मुझ से बेटे को कहीं और ले जाने को कहा। तब मैं कुछ पैसे लेने के लिए घर गई क्योंकि मुझे पता नहीं था कि कितना खर्च आएगा।”
मेरे बेटे ने कहा, मां दीदी से कुछ पकाने के लिए कहो, रात में बाहर कहीं कुछ ठीक खाने को नहीं होगा। फिर हम हिंडाल्को अस्पताल पहुंचे और उसे अंदर ले गए। किसी डॉक्टर द्वारा जांच करने से पहले भी उसे कई घंटों तक भर्ती रखा गया। वे उसके इलाज में देरी करते रहे। नाइट शिफ्ट में आने वाला डॉक्टर कहता था कि सुबह ब्लड चढ़ाया जाएगा। अगली सुबह 8 बजे तक जब शिफ्ट बदलने वाली थी तो उन्होंने कुछ नहीं किया। उन्होंने उसे कोई दवाई भी नहीं दी। तब मेरे बेटे को और अधिक बेचैनी महसूस होने लगी तो गाँव से हमारे रिश्तेदारों को बुलाने के लिए कहा। इस तरह उन्होंने और समय लिया। उसने मुझसे कहा, या तो तुम झूठ बोल रहे हो या कुछ समस्या है। मैंने उसे आश्वस्त करने की कोशिश की, लेकिन उसकी हालत बिगड़ती गई। अंत में डॉक्टरों की लापरवाही के कारण वह हार गया।
फोरेस्ट राइट्स लीडर और ह्युमन राइट्स डिफेंडर सुकालो गोंड ने इस साल फरवरी में वनाश्रितों को बेदखल करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को संरेखित करते हुए 14 जुलाई को अपने बेटे की पुण्यतिथि को शहादत दिवस में मनाने का आह्वान किया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट के वनाधिकार संबंधी फैसले का विरोध भी किया जाएगा। सुकालो गोंड लंबे समय से वनाधिकार के लिए लड़ रही हैं। उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा है। मिथिलेश गोंड शहादत दिवस इस बार 14 जुलाई को बिरसा नगर, ग्राम मझौली, तहसील दुधि, सोनभद्र में मनाया जा रहा है। जिसमें सभी को आमंत्रित किया गया है।
सुकालो गोंड बताती हैं, “जिस दिन उसकी मृत्यु हुई, हम दूसरे बच्चों के लिए स्कूल ड्रेस, पेंसिल और बाकी सभी चीजें खरीदने गए थे। उन्हें कुछ दिनों से बुखार आ रहा था। मैं उन्हें एक स्थानीय अस्पताल [मझौली के पास] ले गई। उन्होंने कहा कि उसमें ब्लड की कमी है और मुझे उन्हें कहीं और ले जाने के लिए कहा। दुद्धी में भी डॉक्टरों ने उसका इलाज करने में असमर्थता जताई और मुझ से बेटे को कहीं और ले जाने को कहा। तब मैं कुछ पैसे लेने के लिए घर गई क्योंकि मुझे पता नहीं था कि कितना खर्च आएगा।”
मेरे बेटे ने कहा, मां दीदी से कुछ पकाने के लिए कहो, रात में बाहर कहीं कुछ ठीक खाने को नहीं होगा। फिर हम हिंडाल्को अस्पताल पहुंचे और उसे अंदर ले गए। किसी डॉक्टर द्वारा जांच करने से पहले भी उसे कई घंटों तक भर्ती रखा गया। वे उसके इलाज में देरी करते रहे। नाइट शिफ्ट में आने वाला डॉक्टर कहता था कि सुबह ब्लड चढ़ाया जाएगा। अगली सुबह 8 बजे तक जब शिफ्ट बदलने वाली थी तो उन्होंने कुछ नहीं किया। उन्होंने उसे कोई दवाई भी नहीं दी। तब मेरे बेटे को और अधिक बेचैनी महसूस होने लगी तो गाँव से हमारे रिश्तेदारों को बुलाने के लिए कहा। इस तरह उन्होंने और समय लिया। उसने मुझसे कहा, या तो तुम झूठ बोल रहे हो या कुछ समस्या है। मैंने उसे आश्वस्त करने की कोशिश की, लेकिन उसकी हालत बिगड़ती गई। अंत में डॉक्टरों की लापरवाही के कारण वह हार गया।
फोरेस्ट राइट्स लीडर और ह्युमन राइट्स डिफेंडर सुकालो गोंड ने इस साल फरवरी में वनाश्रितों को बेदखल करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को संरेखित करते हुए 14 जुलाई को अपने बेटे की पुण्यतिथि को शहादत दिवस में मनाने का आह्वान किया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट के वनाधिकार संबंधी फैसले का विरोध भी किया जाएगा। सुकालो गोंड लंबे समय से वनाधिकार के लिए लड़ रही हैं। उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा है। मिथिलेश गोंड शहादत दिवस इस बार 14 जुलाई को बिरसा नगर, ग्राम मझौली, तहसील दुधि, सोनभद्र में मनाया जा रहा है। जिसमें सभी को आमंत्रित किया गया है।