लोकसभा चुनाव के दौरान हुई अनेकों जनसभा में पहली बार आदिवासियों के अधिकारों की बात की गई। सोनभद्र के राबर्ट्सगंज में हाइडिल मैदान की जनसभा में सपा अध्यक्ष अखिलेश ने आदिवासियों को सताने पर सरकार की कड़ी निंदा की। अखिलेश यादव ने कहा कि अगर ‘भारत माँ की जय’ होती है तो ‘धरती माँ की जय’ भी होनी चाहिए। इसके साथ ही यह आश्वासन भी दिया कि अगर जल-जंगल की रक्षा करने वालों के साथ कुछ गलत किया जाता है तो समाजवादी उन्हें न्याय दिलाएंगे। इसके बाद आदिवासियों के वनाधिकार की आंदोलनकारी सुकालो गोंड का जिक्र करते हुए कहा कि “उन्हें उनके आंदोलन के कारण बहुत यातनाएं दी गई हैं। मैं अनुरोध करता हूँ कि समाजवादी पार्टी के इस प्रयास में वो भी गठबंधन का समर्थन करें।“
बता दें कि जिन आदिवासियों के अधिकारों का जिक्र आज सुनने को मिल रहा है उसके लिए ऑल इन्डिया यूनियन फॉर फॉरेस्ट वर्किंग पीपुल (AIUFWP) और सिटिज़न फॉर जस्टिस एंड पीस (CJP) की मुहिम वर्षों से जारी है। सुकालो गोंड, AIUFWP की कोषाध्यक्ष, वर्ष 2006 से ही आंदोलन से जुड़ी हुई हैं। गोंड ने आदिवासियों के अधिकारों के संरक्षण के लिए 100 दिनों का राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया था। जिसके चलते उन्हें गिरफ्तार कर मिर्जापुर की जेल में बंद कर दिया गया था। सुकालो गोंड की इस लड़ाई में सीजेपी की मुख्य सचिव तीस्ता सीतलवाड़ ने उनका साथ दिया। झूठे आरोप में सुकालो को बंदी बनाने के बाद लगभग एक माह बाद उन्हें बेल पर रिहा कर दिया गया।
गौरतलब है कि 13 फरवरी को मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आदिवासियों के खारिज दावों के निष्कासन को लेकर विवादित निर्णय सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने 21 राज्यों के आधिकारियों को निरस्त किए गए दावों को बेदखल करने का आदेश दिया था। लेकिन इस निर्णय की कड़ी निंदा होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले को अस्थाई रूप से स्थगित कर दिया। साथ ही कितने दावों को किन आधार पर खारिज किया गया है इसकी रिपोर्ट अधिकारियों से मांगी है।
सुकालो गोंड सहित अन्य आदिवासी मानवाधिकारों के संरक्षण के लिए खड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं ने वन अधिकार कानून 2006 को लागू करने की मांग की है। वन अधिकार कानून 2006 के तहत आदिवासियों को न उनके अधिकारों से और न ही उनके घरों से वंचित किया जा सकता है।
इस चुनावी आपा-धापी में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को ही सोनभद्र के आदिवासियों का दर्द सुनाई दे रहा है। वरना चुनाव प्रचार के दौरान नेताओं के बड़े-बड़े भाषण सुनने को मिले हैं पर आदिवासियों का जिक्र शायद ही किसी ने किया है। बहरहाल, गठबंधन की इस जनसभा में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव सहित गठबंधन प्रत्याशी भाईलाल कोल, पूर्व विधायक संजय गर्ग, सैय्यद कुरैशी, तनवीर अहमद कई अन्य राजनीतिक दिग्गज मंच पर मौजूद थे।
बता दें कि जिन आदिवासियों के अधिकारों का जिक्र आज सुनने को मिल रहा है उसके लिए ऑल इन्डिया यूनियन फॉर फॉरेस्ट वर्किंग पीपुल (AIUFWP) और सिटिज़न फॉर जस्टिस एंड पीस (CJP) की मुहिम वर्षों से जारी है। सुकालो गोंड, AIUFWP की कोषाध्यक्ष, वर्ष 2006 से ही आंदोलन से जुड़ी हुई हैं। गोंड ने आदिवासियों के अधिकारों के संरक्षण के लिए 100 दिनों का राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया था। जिसके चलते उन्हें गिरफ्तार कर मिर्जापुर की जेल में बंद कर दिया गया था। सुकालो गोंड की इस लड़ाई में सीजेपी की मुख्य सचिव तीस्ता सीतलवाड़ ने उनका साथ दिया। झूठे आरोप में सुकालो को बंदी बनाने के बाद लगभग एक माह बाद उन्हें बेल पर रिहा कर दिया गया।
गौरतलब है कि 13 फरवरी को मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आदिवासियों के खारिज दावों के निष्कासन को लेकर विवादित निर्णय सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने 21 राज्यों के आधिकारियों को निरस्त किए गए दावों को बेदखल करने का आदेश दिया था। लेकिन इस निर्णय की कड़ी निंदा होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले को अस्थाई रूप से स्थगित कर दिया। साथ ही कितने दावों को किन आधार पर खारिज किया गया है इसकी रिपोर्ट अधिकारियों से मांगी है।
सुकालो गोंड सहित अन्य आदिवासी मानवाधिकारों के संरक्षण के लिए खड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं ने वन अधिकार कानून 2006 को लागू करने की मांग की है। वन अधिकार कानून 2006 के तहत आदिवासियों को न उनके अधिकारों से और न ही उनके घरों से वंचित किया जा सकता है।
इस चुनावी आपा-धापी में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को ही सोनभद्र के आदिवासियों का दर्द सुनाई दे रहा है। वरना चुनाव प्रचार के दौरान नेताओं के बड़े-बड़े भाषण सुनने को मिले हैं पर आदिवासियों का जिक्र शायद ही किसी ने किया है। बहरहाल, गठबंधन की इस जनसभा में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव सहित गठबंधन प्रत्याशी भाईलाल कोल, पूर्व विधायक संजय गर्ग, सैय्यद कुरैशी, तनवीर अहमद कई अन्य राजनीतिक दिग्गज मंच पर मौजूद थे।