यादव ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे लोगों को उनके वोट के अधिकार का प्रयोग करने से रोका जा रहा है।
समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि देश के अल्पसंख्यकों, खासकर मुसलमानों को “दूसरे दर्जे का नागरिक” बनाने की कोशिशें की जा रही है और उनकी संपत्तियों, जिनमें पूजा स्थल भी शामिल हैं, को “हड़पा जा रहा है”।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, संविधान के 75 साल पूरे होने पर चर्चा के दौरान लोकसभा में बोलते हुए यादव ने पिछड़ा, दलित (अनुसूचित जाति) और अल्पसंख्यक के मुद्दों को उठाते हुए कहा कि आज संविधान को बचाने के लिए “करो या मरो” आंदोलन की जरूरत है। इस नारे ने अंग्रेजों के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की।
अपने संबोधन में यादव ने सरकार पर अल्पसंख्यकों की अनदेखी करने का आरोप लगाया और कहा, "उन पर (अल्पसंख्यकों पर) अत्याचार बढ़ रहे हैं... उनकी संपत्ति लूटी जा रही है, उन्हें मारा जा रहा है, उनके घर तोड़े जा रहे हैं और प्रशासन की मदद से उनके पूजा स्थलों पर कब्जा किया जा रहा है।"
यादव ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे लोगों को उनके वोट के अधिकार का प्रयोग करने से रोका जा रहा है। हाल ही में उत्तर प्रदेश के मीरापुर की अल्पसंख्यक बहुल सीट पर हुए विधानसभा उपचुनाव का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, "देश भर के लोगों ने वह तस्वीर देखी होगी जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देश पर एक पुलिस अधिकारी महिलाओं को वोट डालने से रोक रहा है और रिवॉल्वर दिखाकर उन्हें धमका रहा है।"
तानाशाही सरकार से तुलना करते हुए यादव ने कहा, "यह व्यवस्था तेजी से तानाशाही की ओर बढ़ रही है... हिटलर ने भी लोगों द्वारा चुने जाने के बाद संविधान में संशोधन किया और तानाशाही स्थापित की। हमारी सरकार भी इसी के समानांतर चलने की कोशिश कर रही है।
यादव ने यह भी आरोप लगाया कि आज की स्थिति में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब है "देशद्रोह" और "अगर आप भाजपा की राय से सहमत नहीं हैं और दूसरे धर्म से ताल्लुक रखते हैं, तो आप प्रताड़ित किए जाएंगे।" उन्होंने कहा, "और अब इबादत में भी दिक्कत आ रही है। क्योंकि हर मस्जिद के नीचे मंदिर की तलाश करने वाले तत्व देश में शांति नहीं चाहते और उन्हें कानून की परवाह नहीं है।"
यादव ने आरोप लगाया कि सरकार "केवल 10 प्रतिशत" आबादी का ख्याल रख रही है और 2014 के बाद देश में असमानता बढ़ी है। उन्होंने कहा कि देश की 140 करोड़ आबादी में से 82 करोड़ अभी भी सरकारी राशन पर जिंदा हैं, जबकि देश की कुल संपत्ति का 2/3 हिस्सा कुछ परिवारों के कब्जे में है।
ज्ञात हो कि हाल ही में उत्तर प्रदेश के शहर मुजफ्फरनगर में रेलवे स्टेशन के पास स्थित करीब एक सदी से भी पुराने मस्जिद गृह मंत्रालय द्वारा “दुश्मनों की संपत्ति” घोषित किए जाने के बाद विवादों में आ गई है।
यह संपत्ति जिस पर 1918 से मस्जिद है वह पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली के पिता रुस्तम अली के नाम पर रजिस्टर्ड बताई जाती है। मस्जिद के निर्माण और स्वामित्व को लेकर चिंता जताते हुए राष्ट्रीय हिंदू शक्ति संगठन द्वारा शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद जांच शुरू की गई थी।
वहीं यूपी के वाराणसी में अब दूसरी वक्फ संपत्ति को लेकर विवाद शुरू हाे गया। यूपी काॅलेज के बाद चाैक के बीबी रजिया मस्जिद पर अधिवक्ताओं ने शिकायत दर्ज कराई। साथ ही इसके जांच की भी मांग की गई।
अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, चौक स्थित बीबी रजिया मस्जिद के वक्फ संपत्ति होने पर आपत्ति की गई। मामले की शिकायत शासन से भी हुई। इसकी जांच कराकर उचित कार्रवाई की मांग हुई है।
साथ ही उत्तर प्रदेश के जौनपुर स्थित अटाला मस्जिद विवाद को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है।
ज्ञात हो कि बीते सप्ताह इलाहाबाद हाईकोर्ट के सिटिंग जज ने कहा था कि भारत बहुसंख्यकों की इच्छा के अनुसार चलेगा। इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा कि "एक सिटिंग जज द्वारा हिंदू संगठन के उनके राजनीतिक एजेंडे पर आयोजित कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लेना शर्मनाक है।"
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समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि देश के अल्पसंख्यकों, खासकर मुसलमानों को “दूसरे दर्जे का नागरिक” बनाने की कोशिशें की जा रही है और उनकी संपत्तियों, जिनमें पूजा स्थल भी शामिल हैं, को “हड़पा जा रहा है”।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, संविधान के 75 साल पूरे होने पर चर्चा के दौरान लोकसभा में बोलते हुए यादव ने पिछड़ा, दलित (अनुसूचित जाति) और अल्पसंख्यक के मुद्दों को उठाते हुए कहा कि आज संविधान को बचाने के लिए “करो या मरो” आंदोलन की जरूरत है। इस नारे ने अंग्रेजों के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की।
अपने संबोधन में यादव ने सरकार पर अल्पसंख्यकों की अनदेखी करने का आरोप लगाया और कहा, "उन पर (अल्पसंख्यकों पर) अत्याचार बढ़ रहे हैं... उनकी संपत्ति लूटी जा रही है, उन्हें मारा जा रहा है, उनके घर तोड़े जा रहे हैं और प्रशासन की मदद से उनके पूजा स्थलों पर कब्जा किया जा रहा है।"
यादव ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे लोगों को उनके वोट के अधिकार का प्रयोग करने से रोका जा रहा है। हाल ही में उत्तर प्रदेश के मीरापुर की अल्पसंख्यक बहुल सीट पर हुए विधानसभा उपचुनाव का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, "देश भर के लोगों ने वह तस्वीर देखी होगी जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देश पर एक पुलिस अधिकारी महिलाओं को वोट डालने से रोक रहा है और रिवॉल्वर दिखाकर उन्हें धमका रहा है।"
तानाशाही सरकार से तुलना करते हुए यादव ने कहा, "यह व्यवस्था तेजी से तानाशाही की ओर बढ़ रही है... हिटलर ने भी लोगों द्वारा चुने जाने के बाद संविधान में संशोधन किया और तानाशाही स्थापित की। हमारी सरकार भी इसी के समानांतर चलने की कोशिश कर रही है।
यादव ने यह भी आरोप लगाया कि आज की स्थिति में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब है "देशद्रोह" और "अगर आप भाजपा की राय से सहमत नहीं हैं और दूसरे धर्म से ताल्लुक रखते हैं, तो आप प्रताड़ित किए जाएंगे।" उन्होंने कहा, "और अब इबादत में भी दिक्कत आ रही है। क्योंकि हर मस्जिद के नीचे मंदिर की तलाश करने वाले तत्व देश में शांति नहीं चाहते और उन्हें कानून की परवाह नहीं है।"
यादव ने आरोप लगाया कि सरकार "केवल 10 प्रतिशत" आबादी का ख्याल रख रही है और 2014 के बाद देश में असमानता बढ़ी है। उन्होंने कहा कि देश की 140 करोड़ आबादी में से 82 करोड़ अभी भी सरकारी राशन पर जिंदा हैं, जबकि देश की कुल संपत्ति का 2/3 हिस्सा कुछ परिवारों के कब्जे में है।
ज्ञात हो कि हाल ही में उत्तर प्रदेश के शहर मुजफ्फरनगर में रेलवे स्टेशन के पास स्थित करीब एक सदी से भी पुराने मस्जिद गृह मंत्रालय द्वारा “दुश्मनों की संपत्ति” घोषित किए जाने के बाद विवादों में आ गई है।
यह संपत्ति जिस पर 1918 से मस्जिद है वह पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली के पिता रुस्तम अली के नाम पर रजिस्टर्ड बताई जाती है। मस्जिद के निर्माण और स्वामित्व को लेकर चिंता जताते हुए राष्ट्रीय हिंदू शक्ति संगठन द्वारा शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद जांच शुरू की गई थी।
वहीं यूपी के वाराणसी में अब दूसरी वक्फ संपत्ति को लेकर विवाद शुरू हाे गया। यूपी काॅलेज के बाद चाैक के बीबी रजिया मस्जिद पर अधिवक्ताओं ने शिकायत दर्ज कराई। साथ ही इसके जांच की भी मांग की गई।
अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, चौक स्थित बीबी रजिया मस्जिद के वक्फ संपत्ति होने पर आपत्ति की गई। मामले की शिकायत शासन से भी हुई। इसकी जांच कराकर उचित कार्रवाई की मांग हुई है।
साथ ही उत्तर प्रदेश के जौनपुर स्थित अटाला मस्जिद विवाद को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है।
ज्ञात हो कि बीते सप्ताह इलाहाबाद हाईकोर्ट के सिटिंग जज ने कहा था कि भारत बहुसंख्यकों की इच्छा के अनुसार चलेगा। इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा कि "एक सिटिंग जज द्वारा हिंदू संगठन के उनके राजनीतिक एजेंडे पर आयोजित कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लेना शर्मनाक है।"
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