150 ट्रेन, 50 स्टेशनों के निजीकरण की तैयारी में मोदी सरकार

Written by sabrang india | Published on: October 11, 2019
नई दिल्ली: अच्छे दिन का वादा कर भारी बहुमत से सत्ता में आई मोदी सरकार सरकारी संसाधनों का प्राइवेटाइजेशन करने में लगी है। तेजस एक्सप्रेस के बाद सरकार 150 ट्रेनों और 50 रेलवे स्टेशनों को समयबद्ध तरीके से निजी ऑपरेटरों को सौंपने की तैयारी कर रही है। इसके लिए ब्लूप्रिंट तैयार करने के लिए एक कार्यबल गठित करने की प्रक्रिया में है।



नीति आयोग के मुख्य कार्याधिकारी अमिताभ कांत द्वारा रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वीके यादव को लिखे गए एक पत्र में कहा गया है कि प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए एक अधिकार प्राप्त समूह गठित किया जाएगा। वीके यादव और अमिताभ कांत के साथ आर्थिक मामले विभाग और आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के सचिव भी अधिकार प्राप्त समूह का हिस्सा होंगे।

अमिताभ कांत ने कहा कि रेलवे को 400 स्टेशनों को विश्व स्तर के रेलवे स्टेशनों में तब्दील करने की जरूरत थी, लेकिन अब तक इनमें से कुछ ही उन्नत हो पाए हैं। उन्होंने कहा, ‘मैंने रेल मंत्री के साथ विस्तृत चर्चा की जिसमें यह निर्णय हुआ कि कम से कम 50 स्टेशनों के लिए मामले को प्राथमिकता के साथ देखने की जरूरत है। छह हवाई अड्डों के निजीकरण में हालिया अनुभव पर विचार करते हुए कार्य को समयबद्ध तरीके से अंजाम देने के लिए सचिवों के अधिकार प्राप्त समूह का गठन किया जाएगा।’

अमिताभ कांत ने कहा, ‘जैसा कि आप पहले ही अवगत हैं कि रेल मंत्रालय ने यात्री ट्रेनों के संचालन के लिए निजी ट्रेन ऑपरेटरों को लाने का भी निर्णय किया है और पहले चरण में 150 ट्रेनों के लिए संबंधित कवायद पर विचार किया जा रहा है।’ उन्होंने यह भी कहा कि इंजीनियरिंग रेलवे बोर्ड सदस्य और यातायात रेलवे बोर्ड सदस्य भी अधिकार प्राप्त समूह में शामिल किए जाने चाहिए।

लखनऊ-दिल्ली मार्ग पर तेजस एक्सप्रेस, रेलवे का पहला अनुभव है, जिसका संचालन गैर रेलवे ऑपरेटर, इसकी अनुषांगी आईआरसीटीसी द्वारा किया जा रहा है। इस ट्रेन को गत चार अक्टूबर को लखनऊ से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हरी झंडी दिखाकर दिल्ली के लिए रवाना किया था। हालांकि रेलवे यूनियनों ने देश की पहली निजी ट्रेन आईआरसीटीसी की तेजस एक्सप्रेस के खिलाफ प्रदर्शन भी किया था।

मालूम हो कि पिछले साल केंद्र सरकार ने सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के तहत हवाई अड्डों के परिचालन, प्रबंधन और विकास के लिए लखनऊ, अहमदाबाद, जयपुर, मंगलुरु, तिरुवनंतपुरम और गुवाहाटी में हवाई अड्डों का निजीकरण करने का फैसला किया गया था। इसके बाद इस साल फरवरी में अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (एईएल) ने सबसे ऊंची बोली लगाकर देश के छह हवाई अड्डों को विकसित और उनका प्रबंधन करने का ठेका हासिल किया था।

समूह को यह ठेका 50 साल तक के लिए मिला है। इन छह हवाई अड्डों के अलावा सरकार निजीकरण के अगले चरण में 20-25 और हवाई अड्डों से बाहर निकलने की योजना बना रही है। इसकी जानकारी एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) ने दी है।

 

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