नई दिल्ली। केंद्र सरकार भारतीय रेलवे को पूरी तरह से निजी हाथों में सौंपने की तैयारी तेज कर रही है। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वीके यादव को उनके पद से हटाकर मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) के रूप में नियुक्त किया गया है। बोर्ड के कई प्रमुख पदों को खत्म कर दिया गया है। बोर्ड के कई महत्वपूर्ण पदों को खत्म कर दिया गया है। ये खत्म किए गए पद स्टाफ के कर्मचारियों, इंजीनियरिंग और मैटरियल मैनेजमेंट से संबंधित हैं और आने वाले दिनों में इनकी जगह संभवत: कॉर्पोरेट प्रतिनिधि लेंगे।
'देशाभिमानी' की रिपोर्ट के मुताबिक कार्गो कॉरिडोर में निजी भागीदारी लाने के लिए स्वचलित फैक्ट्रियों के बाद 151 निजी ट्रेनों के कोचों को बेचने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। भारतीय रेलवे की सात फैक्ट्रियों का भी विलय हो जाएगा।
चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स, वाराणसी डीजल लोकोमोटिव वर्क्स, पटियाला डीजल लोक मॉडरनाइजेशन वर्क्स, चेन्नई इंटर्गल कोच फैक्टरी, कपूरथला रेलकोच फैक्टरी, बेंगलुरु व्हील एंड एग्जिल फैक्टरी, राय बरेली मॉडर्न रेल कोच फैक्टरी के सभी सरकारी स्टेक्स का एक कंपनी में विलय हो गया है।
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वीके यादव को उनके पद से हटा दिया गया है और उन्हें प्रमुख के रूप में कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) नियुक्त किया गया है। बोर्ड के कई प्रमुख पदों को खत्म कर दिया गया है और हैंडलिंग स्टाफ, मैटेरियल इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट संभवत आने वाले दिनों में संभवत: कॉर्पोरेट प्रतिनिधि संभालेंगे।
मान्यता प्राप्त कर्मचारियों की यूनियनें इस कदम पर अजीब तरह से चुप हैं. जबकि डीआईयू, ऑल इंडिया लॉक रनिंग स्टाफ एसोसिएशन स्टेशन मास्टर और गार्ड इसके खिलाफ मजबूती से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। जुलाई में आयोजित सीआईटीयू (CITU) विरोध प्रदर्शन में बड़ी संख्या में रेलवे कर्मचारी थे।
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