ऑल असम आदिवासी संघ (AATS) ने दिलीप सैकिया के भूमि नीतियों पर बयान की कड़ी निंदा की, और छठी अनुसूची तथा आदिवासी बेल्ट/ब्लॉक सुरक्षा प्रावधानों में दखल न देने की सार्वजनिक रूप से बयान वापस लेने की मांग की।

ऑल असम आदिवासी संघ (AATS) ने असम भाजपा अध्यक्ष और सांसद दिलीप सैकिया के हालिया बयानों को "आदिवासी विरोधी" और आदिवासी समुदायों की जमीन और सांस्कृतिक अधिकारों की संवैधानिक सुरक्षा के लिए एक सीधा खतरा बताते हुए उनका बहिष्कार करने की घोषणा की है।
संघ ने चेतावनी दी है कि सैकिया के बयान बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र (BTR), कार्बी आंगलोंग, दीमा हसाओ और अन्य संरक्षित आदिवासी क्षेत्र एवं खंडों में आदिवासी लोगों के अधिकारों को कमजोर करते हैं। संगठन ने कहा कि इन टिप्पणियों ने आदिवासी समुदायों की भावनाओं को "काफी चोट" पहुंचाया है और सैकिया से मांग की है कि वे अपना बयान वापस लें और सार्वजनिक रूप से यह आश्वासन दें कि वे छठी अनुसूची या असम भूमि और राजस्व विनियमन के अध्याय दस के तहत दी गई सुरक्षा में दखल नहीं देंगे। जब तक इस तरह का स्पष्टीकरण नहीं दिया जाता, बहिष्कार जारी रहेगा।
विवादास्पद बयान
2 अगस्त 2025 को दिलीप सैकिया ने यह कहते हुए विवाद खड़ा कर दिया कि छठी अनुसूची के अंतर्गत स्वायत्त परिषदों के प्रावधान और आदिवासी बेल्ट/ब्लॉक की भूमि नीतियां एक साथ लागू नहीं हो सकतीं। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, “छठी अनुसूची और आदिवासी बेल्ट व ब्लॉक-जमीन की दो नीतियां- एक साथ लागू नहीं हो सकतीं। एक ही क्षेत्र में दो कानून लागू नहीं होंगे। एक ही कानून लागू होना चाहिए।”
सैकिया का आगे का बयान
दिलीप सैकिया ने आगे सुझाव दिया कि छठी अनुसूची में संशोधन के जरिए गुवाहाटी, डिब्रूगढ़ जैसे शहरों के लोग संरक्षित आदिवासी क्षेत्रों में जमीन खरीद सकेंगे। उन्होंने यह भी दावा किया कि छठी अनुसूची क्षेत्रों में आदिवासी बेल्ट/ब्लॉक को लेकर अध्याय दस के अंतर्गत मिलने वाले संरक्षण लागू नहीं होंगे।
AATS की प्रतिक्रिया
अखिल असम आदिवासी संघ (AATS) ने दिलीप सैकिया के इन सभी दावों को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि इस प्रकार के प्रस्ताव असम के स्वदेशी जनजातीय समुदायों के क्षेत्रीय, सांस्कृतिक और सामाजिक-आर्थिक अधिकारों की रक्षा के लिए बनाए गए संवैधानिक प्रावधानों को सीधे तौर पर खतरे में डालते हैं। संगठन ने सैकिया से बिना शर्त बयान वापसी की मांग की है और साफ किया है कि यदि ऐसा नहीं किया गया, तो उनका बहिष्कार जारी रहेगा।
ये वीडियो यहां देखा जा सकता है:

ऑल असम आदिवासी संघ (AATS) ने असम भाजपा अध्यक्ष और सांसद दिलीप सैकिया के हालिया बयानों को "आदिवासी विरोधी" और आदिवासी समुदायों की जमीन और सांस्कृतिक अधिकारों की संवैधानिक सुरक्षा के लिए एक सीधा खतरा बताते हुए उनका बहिष्कार करने की घोषणा की है।
संघ ने चेतावनी दी है कि सैकिया के बयान बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र (BTR), कार्बी आंगलोंग, दीमा हसाओ और अन्य संरक्षित आदिवासी क्षेत्र एवं खंडों में आदिवासी लोगों के अधिकारों को कमजोर करते हैं। संगठन ने कहा कि इन टिप्पणियों ने आदिवासी समुदायों की भावनाओं को "काफी चोट" पहुंचाया है और सैकिया से मांग की है कि वे अपना बयान वापस लें और सार्वजनिक रूप से यह आश्वासन दें कि वे छठी अनुसूची या असम भूमि और राजस्व विनियमन के अध्याय दस के तहत दी गई सुरक्षा में दखल नहीं देंगे। जब तक इस तरह का स्पष्टीकरण नहीं दिया जाता, बहिष्कार जारी रहेगा।
विवादास्पद बयान
2 अगस्त 2025 को दिलीप सैकिया ने यह कहते हुए विवाद खड़ा कर दिया कि छठी अनुसूची के अंतर्गत स्वायत्त परिषदों के प्रावधान और आदिवासी बेल्ट/ब्लॉक की भूमि नीतियां एक साथ लागू नहीं हो सकतीं। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, “छठी अनुसूची और आदिवासी बेल्ट व ब्लॉक-जमीन की दो नीतियां- एक साथ लागू नहीं हो सकतीं। एक ही क्षेत्र में दो कानून लागू नहीं होंगे। एक ही कानून लागू होना चाहिए।”
सैकिया का आगे का बयान
दिलीप सैकिया ने आगे सुझाव दिया कि छठी अनुसूची में संशोधन के जरिए गुवाहाटी, डिब्रूगढ़ जैसे शहरों के लोग संरक्षित आदिवासी क्षेत्रों में जमीन खरीद सकेंगे। उन्होंने यह भी दावा किया कि छठी अनुसूची क्षेत्रों में आदिवासी बेल्ट/ब्लॉक को लेकर अध्याय दस के अंतर्गत मिलने वाले संरक्षण लागू नहीं होंगे।
AATS की प्रतिक्रिया
अखिल असम आदिवासी संघ (AATS) ने दिलीप सैकिया के इन सभी दावों को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि इस प्रकार के प्रस्ताव असम के स्वदेशी जनजातीय समुदायों के क्षेत्रीय, सांस्कृतिक और सामाजिक-आर्थिक अधिकारों की रक्षा के लिए बनाए गए संवैधानिक प्रावधानों को सीधे तौर पर खतरे में डालते हैं। संगठन ने सैकिया से बिना शर्त बयान वापसी की मांग की है और साफ किया है कि यदि ऐसा नहीं किया गया, तो उनका बहिष्कार जारी रहेगा।
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