महेंद्र का शव दो दिन बाद पास के एक कुएं में मिला। उसके परिवार का मानना है कि जाति-आधारित अपमान ने उसे आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया।

फोटो साभार : आईएएनएस
बनासकांठा जिले के वासरदा गांव में पांच ऊंची जाति के लोगों द्वारा कथित तौर पर मारपीट और अपमान का सामना करने के बाद 19 वर्षीय दलित युवक महेंद्र कलाभाई परमार ने आत्महत्या कर ली।
महेंद्र के चाचा द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी के अनुसार, 10 जुलाई को ग्राम पंचायत के पास रबारी समुदाय के पांच लोगों — खेताभाई, सेंधाभाई, रुदाभाई, अमराभाई और लाखाभाई — ने युवक की पिटाई की थी। उन्होंने कथित तौर पर "उनके जैसे" कपड़े पहनने पर आपत्ति जताई थी।
महेंद्र का शव दो दिन बाद पास के एक कुएं में मिला। उसके परिवार का मानना है कि जाति-आधारित अपमान ने उसे आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया।
पुलिस ने भारतीय दंड संहिता और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। रबारी समुदाय पशुपालक है और गुजरात में इसे ओबीसी श्रेणी में रखा गया है।
ज्ञात हो कि दलित समाज के लोगों के साथ भेदभाव और दुर्व्यवहार का यह कोई नया मामला नहीं है।
कुछ दिनों पहले उत्तर प्रदेश में ऊंची जातियों द्वारा दलित की शादी को निशाना बनाया गया। मथुरा के दहरूआ गांव में दो दलित दूल्हों की बारात के दौरान डीजे पर भीमराव अंबेडकर और जाटव समुदाय की शान में बज रहे गीतों को लेकर हिंसा भड़क उठी। आरोप था कि ठाकुर समुदाय के कुछ लोगों ने इन गीतों पर आपत्ति जताते हुए बारात पर पथराव किया और मारपीट की। पुलिस ने इस मामले में एससी/एसटी एक्ट और भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराओं के तहत तीन आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना थाना जमुनापार क्षेत्र के दहरूआ गांव में हुई। एफआईआर के अनुसार, पीड़ित परिवार के सदस्य देवेंद्र कुमार ने बताया कि उनके भाई राम कुमार (22) और सौरभ कुमार (23) की बारात में डीजे पर जाटव समाज की महिमा और डॉ. भीमराव अंबेडकर के सम्मान में गीत बजाए जा रहे थे। इसी दौरान ठाकुर समुदाय के कुछ लोगों ने इन गीतों का विरोध किया और गाली-गलौज करते हुए बारात पर पथराव शुरू कर दिया।
हालात बिगड़ते देख स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को नियंत्रित किया। इस झड़प में दो लोगों को मामूली चोटें आईं।
पिछले महीने ओडिशा के बालासोर जिले के सिंगला थाना क्षेत्र अंतर्गत बलिया पाटी गांव में, अपनी नाबालिग बेटी की शादी से इनकार करने पर अनुसूचित जाति के एक परिवार को बीते तीन वर्षों से सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ा।
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, प्रशांत बार, उनकी पत्नी और बेटी को ग्रामीणों ने पानी, जलाऊ लकड़ी, गांव के मंदिर, स्थानीय दुकानों, बाजारों और कृषि क्षेत्रों तक पहुंच से वंचित कर दिया।
तीन साल पहले, प्रशांत की नौवीं कक्षा में पढ़ने वाली बेटी को जंभीराई के एक युवक ने अगवा कर लिया था और बाद में उसे बचा लिया गया। घर लौटने के बाद, ग्रामीणों और युवक के माता-पिता ने प्रशांत और उनकी पत्नी पर लड़की की शादी उसी युवक से करने का दबाव बनाया।
लेकिन प्रशांत ने यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि वह नाबालिग है और उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहती है। इसके बाद गांव में कई बैठकें हुईं, लेकिन प्रशांत अपने फैसले पर डंटे रहे।
इसके बाद, गांव वालों के फैसले को न मानने पर ‘कंगारू कोर्ट’ ने परिवार पर सामाजिक बहिष्कार थोप दिया। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में गांव के मुखिया को स्थानीय बाजार में प्रशांत के परिवार के बहिष्कार की घोषणा करते हुए देखा जा सकता है।
इसी महीने जून की शुरुआत में उत्तर प्रदेश के रसड़ा में एक शादी समारोह के दौरान कुछ लोगों ने लाठी-डंडों से एक दलित परिवार पर हमला कर दिया। हमलावरों ने कथित तौर पर जातिसूचक गालियां दीं क्योंकि वे इस बात से नाराज थे कि एक दलित परिवार मैरिज हॉल का उपयोग कर रहा था।
द ऑब्जर्वर की रिपोर्ट के अनुसार, एक घायल व्यक्ति राघवेंद्र गौतम ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने कहा, “हम जश्न मना रहे थे, तभी अचानक कुछ लोगों का एक समूह आया और चिल्लाने लगा, ‘दलित हॉल में शादी कैसे कर सकते हैं?’ फिर उन्होंने सभी को पीटना शुरू कर दिया।”
यह हमला स्वयंवर मैरिज हॉल में रात करीब 10:30 बजे हुआ। दो लोग — अजय कुमार और मनन कांत — बुरी तरह घायल हो गए। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया।
इसके अलावा, उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से दलित उत्पीड़न का एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया। चौरी-चौरा थाना क्षेत्र के दूधई गांव में एक शादी समारोह के दौरान दलित समाज के छह लोगों को सिर्फ इस वजह से पीटा गया कि उन्होंने भोजन करने के लिए पत्तल उठा ली थी। यह घटना 9 मई की है।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, दूधई गांव के रहने वाले लालजी के घर शादी में गांव के ही दलित युवक दीनानाथ अपने परिवार के साथ पहुंचे थे। दीनानाथ का कहना है कि उन्हें न्योता दिया गया था, लेकिन जब उन्होंने खाने के लिए पत्तल उठाई, तो राजभर समाज के सोनू, रामचंद्र और भीम ने उन्हें रोका, अपमानित किया और गाली-गलौज करते हुए वहां से भगा दिया।
मामला यहीं नहीं थमा। पीड़ित परिवार किसी तरह घर लौटा, लेकिन देर रात आरोप है कि वही आरोपी अन्य साथियों के साथ लाठी-डंडों और चाकुओं से लैस होकर दीनानाथ के घर पहुंचे और पूरे परिवार पर हमला कर दिया। इस हमले में महिलाओं समेत छह लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। पुलिस ने 11 आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
इसी तरह, उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में 10 जून को एक दलित महिला के साथ उसके ही घर में एक स्थानीय व्यक्ति द्वारा दुर्व्यवहार का मामला सामने आया। महिला ने आरोप लगाया कि आरोपी ने उसके साथ यौन हिंसा करने की कोशिश की और असफल रहने पर उसे जातिसूचक गालियां दीं और अपमानित किया।
महिला के अनुसार, आरोपी की पहचान अभिनव वर्मा के रूप में हुई है, जो उसी गांव का निवासी है। यह घटना शाम लगभग 6 से 7 बजे के बीच की है, जब महिला घर पर अकेली थी। उसका पति सूरत में काम करता है और ससुराल के सदस्य भी उस समय घर पर नहीं थे।
द ऑब्जर्वर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, पीड़िता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराते हुए बताया, “वह जबरन घर में घुस आया और गलत तरीके से छूने लगा। जब मैंने विरोध किया, तो उसने मेरे मुंह पर हाथ रखने और कपड़े फाड़ने की कोशिश की।”
महिला ने बताया कि जब उसने बचने की कोशिश की तो आरोपी ने उसके दो महीने के बच्चे को नुकसान पहुंचाने की धमकी दी, जिससे उसे चोट भी आई।
पीड़िता ने बताया कि जब आरोपी अपनी मंशा में सफल नहीं हो पाया, तो उसने जातिसूचक गालियां दीं, उसे अपमानित किया और जान से मारने की धमकी देकर भाग गया।
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फोटो साभार : आईएएनएस
बनासकांठा जिले के वासरदा गांव में पांच ऊंची जाति के लोगों द्वारा कथित तौर पर मारपीट और अपमान का सामना करने के बाद 19 वर्षीय दलित युवक महेंद्र कलाभाई परमार ने आत्महत्या कर ली।
महेंद्र के चाचा द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी के अनुसार, 10 जुलाई को ग्राम पंचायत के पास रबारी समुदाय के पांच लोगों — खेताभाई, सेंधाभाई, रुदाभाई, अमराभाई और लाखाभाई — ने युवक की पिटाई की थी। उन्होंने कथित तौर पर "उनके जैसे" कपड़े पहनने पर आपत्ति जताई थी।
महेंद्र का शव दो दिन बाद पास के एक कुएं में मिला। उसके परिवार का मानना है कि जाति-आधारित अपमान ने उसे आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया।
पुलिस ने भारतीय दंड संहिता और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। रबारी समुदाय पशुपालक है और गुजरात में इसे ओबीसी श्रेणी में रखा गया है।
ज्ञात हो कि दलित समाज के लोगों के साथ भेदभाव और दुर्व्यवहार का यह कोई नया मामला नहीं है।
कुछ दिनों पहले उत्तर प्रदेश में ऊंची जातियों द्वारा दलित की शादी को निशाना बनाया गया। मथुरा के दहरूआ गांव में दो दलित दूल्हों की बारात के दौरान डीजे पर भीमराव अंबेडकर और जाटव समुदाय की शान में बज रहे गीतों को लेकर हिंसा भड़क उठी। आरोप था कि ठाकुर समुदाय के कुछ लोगों ने इन गीतों पर आपत्ति जताते हुए बारात पर पथराव किया और मारपीट की। पुलिस ने इस मामले में एससी/एसटी एक्ट और भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराओं के तहत तीन आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना थाना जमुनापार क्षेत्र के दहरूआ गांव में हुई। एफआईआर के अनुसार, पीड़ित परिवार के सदस्य देवेंद्र कुमार ने बताया कि उनके भाई राम कुमार (22) और सौरभ कुमार (23) की बारात में डीजे पर जाटव समाज की महिमा और डॉ. भीमराव अंबेडकर के सम्मान में गीत बजाए जा रहे थे। इसी दौरान ठाकुर समुदाय के कुछ लोगों ने इन गीतों का विरोध किया और गाली-गलौज करते हुए बारात पर पथराव शुरू कर दिया।
हालात बिगड़ते देख स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को नियंत्रित किया। इस झड़प में दो लोगों को मामूली चोटें आईं।
पिछले महीने ओडिशा के बालासोर जिले के सिंगला थाना क्षेत्र अंतर्गत बलिया पाटी गांव में, अपनी नाबालिग बेटी की शादी से इनकार करने पर अनुसूचित जाति के एक परिवार को बीते तीन वर्षों से सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ा।
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, प्रशांत बार, उनकी पत्नी और बेटी को ग्रामीणों ने पानी, जलाऊ लकड़ी, गांव के मंदिर, स्थानीय दुकानों, बाजारों और कृषि क्षेत्रों तक पहुंच से वंचित कर दिया।
तीन साल पहले, प्रशांत की नौवीं कक्षा में पढ़ने वाली बेटी को जंभीराई के एक युवक ने अगवा कर लिया था और बाद में उसे बचा लिया गया। घर लौटने के बाद, ग्रामीणों और युवक के माता-पिता ने प्रशांत और उनकी पत्नी पर लड़की की शादी उसी युवक से करने का दबाव बनाया।
लेकिन प्रशांत ने यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि वह नाबालिग है और उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहती है। इसके बाद गांव में कई बैठकें हुईं, लेकिन प्रशांत अपने फैसले पर डंटे रहे।
इसके बाद, गांव वालों के फैसले को न मानने पर ‘कंगारू कोर्ट’ ने परिवार पर सामाजिक बहिष्कार थोप दिया। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में गांव के मुखिया को स्थानीय बाजार में प्रशांत के परिवार के बहिष्कार की घोषणा करते हुए देखा जा सकता है।
इसी महीने जून की शुरुआत में उत्तर प्रदेश के रसड़ा में एक शादी समारोह के दौरान कुछ लोगों ने लाठी-डंडों से एक दलित परिवार पर हमला कर दिया। हमलावरों ने कथित तौर पर जातिसूचक गालियां दीं क्योंकि वे इस बात से नाराज थे कि एक दलित परिवार मैरिज हॉल का उपयोग कर रहा था।
द ऑब्जर्वर की रिपोर्ट के अनुसार, एक घायल व्यक्ति राघवेंद्र गौतम ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने कहा, “हम जश्न मना रहे थे, तभी अचानक कुछ लोगों का एक समूह आया और चिल्लाने लगा, ‘दलित हॉल में शादी कैसे कर सकते हैं?’ फिर उन्होंने सभी को पीटना शुरू कर दिया।”
यह हमला स्वयंवर मैरिज हॉल में रात करीब 10:30 बजे हुआ। दो लोग — अजय कुमार और मनन कांत — बुरी तरह घायल हो गए। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया।
इसके अलावा, उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से दलित उत्पीड़न का एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया। चौरी-चौरा थाना क्षेत्र के दूधई गांव में एक शादी समारोह के दौरान दलित समाज के छह लोगों को सिर्फ इस वजह से पीटा गया कि उन्होंने भोजन करने के लिए पत्तल उठा ली थी। यह घटना 9 मई की है।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, दूधई गांव के रहने वाले लालजी के घर शादी में गांव के ही दलित युवक दीनानाथ अपने परिवार के साथ पहुंचे थे। दीनानाथ का कहना है कि उन्हें न्योता दिया गया था, लेकिन जब उन्होंने खाने के लिए पत्तल उठाई, तो राजभर समाज के सोनू, रामचंद्र और भीम ने उन्हें रोका, अपमानित किया और गाली-गलौज करते हुए वहां से भगा दिया।
मामला यहीं नहीं थमा। पीड़ित परिवार किसी तरह घर लौटा, लेकिन देर रात आरोप है कि वही आरोपी अन्य साथियों के साथ लाठी-डंडों और चाकुओं से लैस होकर दीनानाथ के घर पहुंचे और पूरे परिवार पर हमला कर दिया। इस हमले में महिलाओं समेत छह लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। पुलिस ने 11 आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
इसी तरह, उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में 10 जून को एक दलित महिला के साथ उसके ही घर में एक स्थानीय व्यक्ति द्वारा दुर्व्यवहार का मामला सामने आया। महिला ने आरोप लगाया कि आरोपी ने उसके साथ यौन हिंसा करने की कोशिश की और असफल रहने पर उसे जातिसूचक गालियां दीं और अपमानित किया।
महिला के अनुसार, आरोपी की पहचान अभिनव वर्मा के रूप में हुई है, जो उसी गांव का निवासी है। यह घटना शाम लगभग 6 से 7 बजे के बीच की है, जब महिला घर पर अकेली थी। उसका पति सूरत में काम करता है और ससुराल के सदस्य भी उस समय घर पर नहीं थे।
द ऑब्जर्वर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, पीड़िता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराते हुए बताया, “वह जबरन घर में घुस आया और गलत तरीके से छूने लगा। जब मैंने विरोध किया, तो उसने मेरे मुंह पर हाथ रखने और कपड़े फाड़ने की कोशिश की।”
महिला ने बताया कि जब उसने बचने की कोशिश की तो आरोपी ने उसके दो महीने के बच्चे को नुकसान पहुंचाने की धमकी दी, जिससे उसे चोट भी आई।
पीड़िता ने बताया कि जब आरोपी अपनी मंशा में सफल नहीं हो पाया, तो उसने जातिसूचक गालियां दीं, उसे अपमानित किया और जान से मारने की धमकी देकर भाग गया।
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