कार्यकर्ताओं ने कहा है कि अगर 23 सितंबर तक कोई ठोस क़दम नहीं उठाया गया, तो वे बड़ा आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
फोटो साभार : एएनआई
राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच (आरडीएएम) और उससे जुड़े संगठनों के बैनर तले दलित कार्यकर्ताओं का एक समूह सोमवार को मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) पहुंचकर समुदाय से संबंधित अनसुलझे मुद्दों पर जल्द कार्रवाई की मांग करने वाला ज्ञापन सौंपा।
इस दौरान कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि अगर 23 सितंबर तक कोई ठोस क़दम नहीं उठाया गया, तो वे बड़ा आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, इस ज्ञापन में कई महत्वपूर्ण मांगें रखी गई हैं, जिनमें राज्य में जाति आधारित जनगणना कराना, अस्पृश्यता उन्मूलन के लिए विशेष जांच दल का गठन, और सरकारी योजनाओं के लिए दलितों की आय सीमा बढ़ाना शामिल है।
आरडीएएम के प्रदेश समन्वयक सुबोध कुमुद ने निराशा व्यक्त की कि मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कार्यकर्ताओं से व्यक्तिगत रूप से मुलाक़ात नहीं की।
उन्होंने कहा, “हम अपने अनसुलझे मुद्दों को साझा करने के लिए मुख्यमंत्री से मिलना चाहते थे, लेकिन सीएम ने हमसे मुलाकात नहीं की। नतीजतन, हमने सीएमओ को ज्ञापन सौंपा।”
कार्यकर्ताओं द्वारा निर्धारित 23 सितंबर की समय-सीमा डॉ. बी.आर. अम्बेडकर द्वारा अस्पृश्यता उन्मूलन और दलितों के उत्थान के लिए जीवन समर्पित करने के संकल्प दिवस के साथ मेल खाती है।
साथ ही, कार्यकर्ताओं ने 'एक गांव, एक कब्रिस्तान' नीति को सख़्ती से लागू करने या गांवों में दलितों के लिए अलग कब्रिस्तान भूमि आवंटित करने की मांग की है। वे कृषि भूमि सीलिंग अधिनियम के तहत दलितों को आवंटित भूमि का वास्तविक कब्जा, 2018 में पाटन में दलित कार्यकर्ता भानुभाई वनकर के आत्मदाह के बाद राज्य सरकार द्वारा किए गए वादों को पूरा करने और ऊना में दलित परिवार की पिटाई के मामले में न्याय की भी मांग कर रहे हैं।
इसके अलावा, कार्यकर्ताओं ने सुरेंद्रनगर के थानगढ़ में 2012 में तीन दलित युवकों की हत्या से संबंधित संजय प्रसाद समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने और विभिन्न सामुदायिक आंदोलनों के दौरान दलितों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को वापस लेने की भी मांग की।
कार्यकर्ताओं ने राज्य सरकार से इन मांगों पर तुरंत कार्रवाई करने की अपील की है और चेतावनी दी है कि यदि निर्धारित समय सीमा तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो वे बड़ा आंदोलन करेंगे।
Related
कर्नाटक: अंतरजातीय विवाह के चलते दलित महिला को ज़हर देकर मारा गया
असम के मुख्यमंत्री द्वारा 'मिया मुसलमानों' को बाहर निकालने के बयान से बंगाली मुसलमान मजदूरों पर हिंसा
CJP ने महाराष्ट्र पुलिस को कट्टरपंथी संगठनों के खिलाफ तीन शिकायतें भेजी
फोटो साभार : एएनआई
राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच (आरडीएएम) और उससे जुड़े संगठनों के बैनर तले दलित कार्यकर्ताओं का एक समूह सोमवार को मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) पहुंचकर समुदाय से संबंधित अनसुलझे मुद्दों पर जल्द कार्रवाई की मांग करने वाला ज्ञापन सौंपा।
इस दौरान कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि अगर 23 सितंबर तक कोई ठोस क़दम नहीं उठाया गया, तो वे बड़ा आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, इस ज्ञापन में कई महत्वपूर्ण मांगें रखी गई हैं, जिनमें राज्य में जाति आधारित जनगणना कराना, अस्पृश्यता उन्मूलन के लिए विशेष जांच दल का गठन, और सरकारी योजनाओं के लिए दलितों की आय सीमा बढ़ाना शामिल है।
आरडीएएम के प्रदेश समन्वयक सुबोध कुमुद ने निराशा व्यक्त की कि मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कार्यकर्ताओं से व्यक्तिगत रूप से मुलाक़ात नहीं की।
उन्होंने कहा, “हम अपने अनसुलझे मुद्दों को साझा करने के लिए मुख्यमंत्री से मिलना चाहते थे, लेकिन सीएम ने हमसे मुलाकात नहीं की। नतीजतन, हमने सीएमओ को ज्ञापन सौंपा।”
कार्यकर्ताओं द्वारा निर्धारित 23 सितंबर की समय-सीमा डॉ. बी.आर. अम्बेडकर द्वारा अस्पृश्यता उन्मूलन और दलितों के उत्थान के लिए जीवन समर्पित करने के संकल्प दिवस के साथ मेल खाती है।
साथ ही, कार्यकर्ताओं ने 'एक गांव, एक कब्रिस्तान' नीति को सख़्ती से लागू करने या गांवों में दलितों के लिए अलग कब्रिस्तान भूमि आवंटित करने की मांग की है। वे कृषि भूमि सीलिंग अधिनियम के तहत दलितों को आवंटित भूमि का वास्तविक कब्जा, 2018 में पाटन में दलित कार्यकर्ता भानुभाई वनकर के आत्मदाह के बाद राज्य सरकार द्वारा किए गए वादों को पूरा करने और ऊना में दलित परिवार की पिटाई के मामले में न्याय की भी मांग कर रहे हैं।
इसके अलावा, कार्यकर्ताओं ने सुरेंद्रनगर के थानगढ़ में 2012 में तीन दलित युवकों की हत्या से संबंधित संजय प्रसाद समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने और विभिन्न सामुदायिक आंदोलनों के दौरान दलितों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को वापस लेने की भी मांग की।
कार्यकर्ताओं ने राज्य सरकार से इन मांगों पर तुरंत कार्रवाई करने की अपील की है और चेतावनी दी है कि यदि निर्धारित समय सीमा तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो वे बड़ा आंदोलन करेंगे।
Related
कर्नाटक: अंतरजातीय विवाह के चलते दलित महिला को ज़हर देकर मारा गया
असम के मुख्यमंत्री द्वारा 'मिया मुसलमानों' को बाहर निकालने के बयान से बंगाली मुसलमान मजदूरों पर हिंसा
CJP ने महाराष्ट्र पुलिस को कट्टरपंथी संगठनों के खिलाफ तीन शिकायतें भेजी