चुनाव जीतने के लिए सेना का राजनीतिक इस्तेमाल कर रही मोदी सरकार: कांग्रेस

Written by Navnish Kumar | Published on: October 18, 2023
"कांग्रेस ने मोदी सरकार पर चुनावों में भारतीय सेना के राजनीतिक इस्तेमाल का आरोप लगाया है। भड़के कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, "राष्ट्र की सुरक्षा करने वाले हमारे भारतीय सेना के वीर जवानों की लोकप्रियता को भुनाकर, मोदी जी स्वयं का प्रचार करवा रहें हैं। चुनाव में सेना का राजनीतिक इस्तेमाल करके मोदी सरकार ने वो किया है जो 75 सालों में कभी नहीं हुआ है।"



उन्होंने कहा, "मोदी सरकार ने, सेना को देश भर में 822 ऐसे सेल्फी प्वॉइंट्स लगाने को कहा है जो सरकारी योजनाओं का प्रचार करें। इन झांकियों में सैनिकों के पराक्रम की गाथा के बजाय प्रधानमंत्री मोदी जी की बुतनुमा तस्वीर है और उनकी योजनाओं का गुणगान है।"

खरगे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "भारतीय सेना के शौर्य एवं बलिदान पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को बेहद गर्व है। राष्ट्रवाद का पाठ पढ़ाने वाली भाजपा ने भारतीय सेना की गरिमा को चोट पहुंचाई है।"



खास है कि मोदी सरकार ने नारी सशक्तिकरण, उज्ज्वला, आत्मनिर्भर और सक्षम भारत जैसी फ्लैगशिप योजनाओं के प्रचार के काम में सैन्य और रक्षा प्रतिष्ठानों को शामिल करने की योजना बनाई है। इसे लेकर रक्षा मंत्रालय ने थलसेना, वायुसेना और नौसेना के अलावा DRDO व BRO को 9 शहरों में सेल्फी पॉइंट्स बनाने को कहा है।

कई माह पहले भी ऐसा मुद्दा सामने आया था। उसमें भारतीय सेना के ऐसे जवान, जो छुट्टी पर अपने घर जाते हैं, उन्हें नई जिम्मेदारी देने की बात कही थी। सरकार की ओर से उन्हें सामाजिक कार्यों में शामिल होने का सुझाव दिया गया था। छुट्टी के दौरान आर्मी के जवान, अपने क्षेत्र में सरकारी योजनाओं की जानकारी लोगों को देंगे। उन्हें 'स्वच्छ भारत अभियान' और 'सर्व शिक्षा अभियान' जैसी योजनाओं से अवगत कराएंगे। इससे पहले केंद्रीय अर्धसैनिक बलों 'सीएपीएफ' को भी इसी तरह की ड्यूटी दी गई थी। सीएपीएफ को अपनी तैनाती वाले भौगोलिक क्षेत्र में इतिहास की विस्तृत जानकारी एकत्रित करने के लिए कहा गया था।  अपनी ड्यूटी के अलावा, जवान, वहां के इतिहास का दस्तावेज भी तैयार करेंगे।

सोशल सर्विस और सरकारी स्कीम का प्रचार

केंद्र सरकार, सैन्य जवानों को सोशल सर्विस और सरकारी स्कीम का प्रचार करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। कई माह पहले कहा गया था कि इस तरह की गतिविधियां उन्हें छुट्टी के दौरान करनी होंगी। सरकार का मकसद है कि जवानों को सामाजिक सेवा से जोड़ा जाए। एडजुटेंट जनरल की ब्रांच के अंतर्गत सेना के समारोह और कल्याण निदेशालय द्वारा गत मई में इस बाबत पत्राचार किया गया था। सभी कमांड मुख्यालयों के साथ हुए पत्राचार में कहा गया था कि जवान अपनी छुट्टियों का बेहतर इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं। वे सामाजिक सरोकारों से जुड़कर राष्ट्र निर्माण में योगदान दे सकते हैं। किस विषय पर जवान, काम करना चाहेंगे, वह क्षेत्र वे खुद ही तय कर सकते हैं। वे जो भी अभियान शुरू करें, उसका फीडबैक अवश्य दें। अब सैन्य प्रतिष्ठानों में सेल्फी प्वाइंट, स्थापित करने की बात कही जा रही है।

2020 में सीआरपीएफ को दी थी जिम्मेदारी

देश के दूरवर्ती इलाके, जहां नक्सलवाद की छाया है या वे आतंकवाद से प्रभावित हैं, वहां पर केंद्र सरकार की योजनाओं का रिपोर्ट कार्ड तैयार करने की जिम्मेदारी, सीआरपीएफ को सौंपी गई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उत्तर पूर्व के ऐसे राज्य जहां किसी उग्रवादी समूह या दूसरी बाधाओं के चलते सरकारी योजनाएं आम लोगों तक नहीं पहुंच पाती हैं, वहां पर सीआरपीएफ जवानों द्वारा घर-घर पहुंचकर लोगों से योजना की प्रगति रिपोर्ट लेने की बात कही गई थी। बल को सौंपे गए कार्यों में सरकारी योजनाओं पर फोकस किया जाना था। जैसे, केंद्र की कोई योजना, लोगों तक पहुंची है या नहीं। उन्हें किस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। योजना के लिए उन्हें कौन सा फार्म भरना चाहिए और उसके बाद अगला कदम क्या होगा, यह मदद करने के लिए सीआरपीएफ के जवानों को लोगों के पास जाने के लिए कहा गया था।

सीएपीएफ को 'इतिहास' खोजने की ड्यूटी

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 12 जून को नई दिल्ली में आयोजित चिंतन शिविर-2 की अध्यक्षता करते हुए सुझाव दिया था। अब केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में भी उन सुझावों को त्वरित गति से लागू करने की तैयारी हो रही है। सीएपीएफ की सभी यूनिटों को वह सूची भेज दी गई थी, जिस पर उन्हें अमल करना है। सीएपीएफ कर्मी, अपने मुख्यालय, रेंज, ग्रुप केंद्र, बटालियन, कंपनी और प्लाटून/पोस्ट, जहां भी तैनात हों, वहां के भौगोलिक क्षेत्र के इतिहास की विस्तृत जानकारी एकत्रित करेंगे। इसके बाद इतिहास का दस्तावेज भी तैयार करना होगा। सीमा की सुरक्षा का मतलब केवल बॉर्डर की रक्षा नहीं है, बल्कि उसे स्थानीय जिले की कानून व्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ मुद्दा माना है। अगर सीएपीएफ को धार्मिक अतिक्रमण की कोई जानकारी मिलती है तो वहां स्थानीय प्रशासन की इजाजत से त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करनी होगी। भौगोलिक क्षेत्र के इतिहास की विस्तृत जानकारी एकत्रित कर दस्तावेज तैयार करना है। इस जानकारी के आधार पर उस क्षेत्र की भौगोलिक, सामाजिक व आर्थिक व्यवस्था का अध्ययन करें। इस तरह की जानकारियां, उस इलाके के इतिहास को जानने के प्रोफेशनल काम में मददगार साबित होंगी।

विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इसके लिए सेल्फी पॉइंट योजना बनाई गई है जिसके तहत देश के 9 शहरों में 822 सेल्फी पॉइंट बनाए जाएंगे। इनमें PM मोदी की फोटो शामिल की जाएगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में इस बारे में बैठक हो चुकी है। सैन्य और रक्षा प्रतिष्ठानों को सेल्फी पॉइंट थीम और इन्हें स्थापित करने की लोकेशन भी बताई गई है। हालांकि फिलहाल चुनाव वाले राज्यों को सेल्फी पॉइंट से अलग रखा गया है।

इन शहरों का किया गया है चयन

सेल्फी पॉइंट्स के लिए 9 शहरों का चयन किया गया है। इनमें दिल्ली, प्रयागराज, पुणे, बेंगलुरु, मेरठ, नासिक, कोल्लम, कोलकाता और गुवाहाटी शामिल हैं। ये पॉइंट्स रेल-बस स्टेशन, मॉल और पर्यटन स्थलों पर होंगे। युवाओं को आकर्षित करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) वाले डिजिटल सेल्फी पॉइंट बनेंगे।

822 सेल्फी पॉइंट्स में आर्मी को 100, वायुसेना को 75 और नेवी को 75 सेल्फी पॉइंट बनाने हैं। इसके अलावा BRO को 50, DRDO को 50, सैनिक स्कूलों को 50 सेल्फी पॉइंट्स बनाने हैं, वहीं अन्य रक्षा संगठन बाकी बचे 422 सेल्फी पॉइंट्स डेवलप करेंगे।

इससे सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं के बारे लोगों को फर्स्टहैंड जानकारी मिल सकेगी। प्रचार में सेना के शामिल होने से लोगों में गौरव का अहसास होगा। बात अगर थीम की करें तो तीनों सेनाएं आत्मनिर्भर भारत, सशक्तिकरण, नारी शक्ति पर, आर्मी-बीआरओ और एयरफोर्स: बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर विकास पर और रक्षा संगठन जनकल्याण के लिए संचालित कई योजनाओं पर पॉइंट बनाएंगे। सेल्फी प्वाइंट पर पीएम मोदी की फोटो के साथ उस योजना की जानकारी रहेगी। लोगों को यह विकल्प भी दिया गया है कि वे अपनी सेल्फी, सोशल मीडिया पर अपलोड कर सकते हैं। 

सेल्फी को अपलोड करने के लिए अलग से ऐप बनाया जा रहा है। सोशल मीडिया पर अलग हैंडल बनाकर सेल्फी अपलोड करनी होगी। ईमेल आईडी बनाकर लोगों से उस पर अपनी सेल्फी भेजने को कहना। वॉट्सऐप नंबर देकर लोगों से उस पर सेल्फी भेजने को प्रेरित करना इसमें शामिल होगा।

केंद्र सरकार में सशस्त्र बलों को मिल रहे नए टॉस्क, चर्चा का विषय बन गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एक तरफ भारतीय सेना को सरकारी योजनाओं के प्रचारक की तरह इस्तेमाल करने की बात हो रही है, तो दूसरी ओर केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को इतिहास खोजने का टॉस्क दिया जा रहा है।

बीएसएफ के पूर्व एडीजी संजीव कृष्ण सूद कहते हैं कि फौज हो चाहे केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ), इन बलों को प्रयोगशाला न बनाया जाए। सेना और सीएपीएफ, अपनी ड्यूटी शानदार तरीके से करती है। बेहतर होगा कि ये बल, अपना नियमित कार्य करते रहें। उन्हें किसी प्रचारक की भूमिका में न लाया जाए। उधर, कांग्रेस पार्टी ने भी इस मुहिम को अपने राजनीतिक प्रचार का 'घटिया प्रयास' बताया है। कहा सरकार अपने प्रचार के लिए सेना का इस्तेमाल कर रही है। 

कांग्रेस ने कहा कि मोदी सरकार सेना का राजनीतिकरण करने से भी बाज नहीं आ रही है। अब देश की सेना से अपनी योजनाओं का प्रचार कराएगी। यह शर्मनाक है। मल्लिकार्जुन खरगे के अलावा कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से अपील की है कि वे इस इस मामले में दखल देकर मोदी सरकार को इस गलत कदम को तुरंत वापस लेने का निर्देश दें। कहा मोदी सरकार अपने प्रचार के लिए सेना का इस्तेमाल करने की कोशिश कर रही है। यह एक बहुत ही खतरनाक कदम है। अर्धसैनिक बलों के जवान देश की खातिर बड़े से बड़ा बलिदान देने के लिए तैयार रहते हैं। बेहतर होगा कि ये बल, अपना नियमित कार्य करते रहें। उन्हें किसी प्रचारक की भूमिका में न लाया जाए। 

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, 'भारतीय सेना पूरे देश की सेना है और हमें गर्व है कि हमारी बहादुर सेना कभी भी देश की आंतरिक राजनीति का हिस्सा नहीं बनी।' उन्होंने कहा कि साढ़े नौ साल की सरकार में महंगाई, बेरोजगारी और हर मोर्चे पर विफलता झेलने के बाद अब मोदी सरकार सेना से अपनी राजनीतिक पब्लिसिटी पाने की बेहद घटिया कोशिश कर रही है जो शर्मनाक है।

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