CAG ने पकड़ा मोदी सरकार का आयुष्मान भारत घोटाला, PM का दरभंगा एम्स का दावा भी झूठा

Written by Navnish Kumar | Published on: August 14, 2023
"मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी आयुष्मान भारत योजना (PMJAY) में देश के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने करोड़ों का बड़ा घोटाला पकड़ा है। योजना में फर्जी मोबाइल नंबरों पर लाखों लोगों का रजिस्ट्रेशन दर्शाकर, इलाज किया जा रहा था। देश के जरूरतमंद नागरिकों को इलाज की सहूलियत देने को आयुष्मान भारत योजना शुरू की गई थी। CAG ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट में बताया कि योजना के तहत ऐसे मरीज भी लाभ उठा रहे हैं, जिन्हें पहले मृत दिखाया गया था। यहीं नहीं AB-PMJY Scheme के करीब 10 लाख लाभार्थी तो सिर्फ एक ही मोबाइल नंबर और वो भी फर्जी, से जुड़े हुए पाए गए हैं। तीन नंबर पर लगभग 9.85 लाख लोग रजिस्टर्ड हैं। मोबाइल नंबर 9999999999 पर 7.49 लाख लोग PMJAY योजना के तहत लाभार्थियों के रूप में रजिस्टर्ड हैं। कैग की ओर से जांच में ये भी सामने आया है कि इस धांधली के लिए सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले अन्य नंबरों में 8888888888, 9000000000, 20, 1435 और 185397 शामिल हैं। उधर, PM का दरभंगा एम्स का दावा भी झूठ निकला है। आरजेडी नेता मनोज झा के अनुसार, पीएम कहते हैं कि दरभंगा में एम्स खुल गया है। जबकि वहां नींव तक नहीं पड़ी है।"



भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की लोकसभा में पेश रिपोर्ट में आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY) को लेकर चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। जिसमें बताया गया है कि योजना के करीब 7.5 लाख लाभार्थी एक ही मोबाइल नंबर पर रजिस्टर्ड हैं। इस मोबाइल नंबर में सभी 10 नंबर में 9 का अंक (9999999999) है। खास बात ये है कि जिस मोबाइल नंबर से ये करीब 7.5 लाख लोगों का रजिस्ट्रेशन किया गया था, वो नंबर भी गलत था, यानी उस नंबर का कोई भी सिम कार्ड नहीं है। बेनिफिशियरी आईडेंटिफिकेशन सिस्टम (BIS) डेटाबेस के एनालिसिस से इतनी बड़ी संख्या में फर्जी रजिस्ट्रेशन का खुलासा हुआ। ऐसा ही एक दूसरे मामले का भी रिपोर्ट में जिक्र किया गया है, जिसमें बताया गया है कि करीब 1 लाख 39 हजार 300 लोग एक दूसरे नंबर 8888888888 से जुड़े हुए हैं, वहीं 96,046 अन्य लोग 90000000 नंबर से जुड़े हुए हैं। इसके अलावा ऐसे ही करीब 20 नंबर भी सामने आए हैं, जिनसे 10 हजार से लेकर 50 हजार लाभार्थी जुड़े हुए हैं।

आयुष्मान भारत, मोदी सरकार की एक हेल्थ स्कीम है, जो 1 अप्रैल 2018 को शुरू की गई थी। इसके तहत आर्थिक रूप से कमजोर नागरिक अस्पतालों में जाकर मुफ्त में अपना इलाज की सुविधा दी जाती है। पहली अगस्त 2023 तक 24.33 करोड़ कार्ड बनाए गए हैं। देश के जरूरतमंद नागरिकों को इलाज की सहूलियत देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई आयुष्मान भारत योजना में बड़ा गड़बड़झाला सामने आया है। ये हम नहीं कह रहे बल्कि देश के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। कैग ने इस योजना को लेकर जारी की अपनी ऑडिट रिपोर्ट में बताया है इस योजना के तहत ऐसे मरीज भी लाभ उठा रहे हैं, जिन्हें पहले मृत दिखाया गया था। यहीं नहीं AB-PMJY Scheme के 9 लाख से ज्यादा लाभार्थी तो सिर्फ एक ही मोबाइल नंबर से जुड़े हुए पाए गए हैं। 

तीन नंबर पर लगभग 9.85 लाख लोग रजिस्टर्ड हैं। CAG ने अपनी रिपोर्ट 8 अगस्त को लोकसभा में पेश की, जिसमें सितंबर 2018 से मार्च 2021 तक के परफॉर्मेंस ऑडिट रिजल्ट शामिल किए गए हैं। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में बताया गया है कि सीएजी की रिपोर्ट में कुल 7.87 करोड़ लाभार्थियों का रजिस्ट्रेशन पाया गया, जो 10.74 करोड़ (नवंबर 2022) के लक्षित परिवारों का 73% है। इसके बाद सरकार ने इसका दायरा बढ़ाकर 12 करोड़ कर दिया था।

6.97 करोड़ का किया गया भुगतान

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ऑडिट में सबसे बड़ी खामी ये उजागर हुई है कि इस योजना के तहत ऐसे मरीज इलाज करा रहे हैं जिन रोगियों को पहले 'मर गया' दिखाया गया था। लेकिन मरने के बाद भी वे इलाज कराते रहे। TMS में मृत्यु के मामलों के डेटा को एनालाइज करने से पता चला कि आयुष्मान भारत योजना के तहत उपचार के दौरान 88,760 रोगियों की मृत्यु हो गई। इन रोगियों के संबंध में नए इलाज से संबंधित कुल 2,14,923 दावों को सिस्टम में भुगतान के रूप में दिखाया गया है। ऑडिट रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि उपरोक्त दावों में शामिल करीब 3,903 मामलों में क्लेम की राशि का भुगतान अस्पतालों को किया गया। इनमें 3,446 मरीजों से संबंधित पेमेंट 6.97 करोड़ रुपये का था।

परिवारों के आकार पर भी संदेह

CAG की रिपोर्ट में यह बताया गया है कि 43,197 घरों में परिवार का आकार 11 से 201 सदस्यों तक का था। एक घर में इतने सदस्यों का होना न केवल रजिस्ट्रेशन प्रोसेस के दौरान वेरिफिकेशन में फर्जीवाड़े को दिखाता है, बल्कि इस बात की भी संभावना है कि लाभार्थी इस योजना में परिवार की परिभाषा स्पष्ट न होने का फायदा भी उठा रहे हैं।

गड़बड़ी सामने आने के बाद राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) ने कहा कि वह 15 से ज्यादा सदस्यों वाले किसी भी लाभार्थी परिवार के केस में एड मेम्बर ऑप्शन को डिसेबल करने के लिए सिस्टम डेवलप कर रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक 7.87 करोड़ लाभार्थी परिवार योजना में रजिस्टर्ड थे। जो नवंबर 2022 के टारगेट 10.74 करोड़ का 73% है। बाद में सरकार ने लक्ष्य बढ़ाकर 12 करोड़ कर दिया था।

6 राज्यों में पेंशन भोगी भी उठा रहे PMJAY का लाभ

​​​PMJAY का लाभ चंडीगढ़, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में कई पेंशनभोगी भी उठा रहे हैं। तमिलनाडु सरकार के पेंशनभोगी डेटाबेस की इस योजना के डेटाबेस से तुलना करने पर पता चला कि 1,07,040 पेंशनभोगियों को लाभार्थियों के रूप में शामिल किया गया था। इन लोगों के लिए राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने बीमा कंपनी को करीब 22.44 करोड़ रुपए का प्रीमियम भुगतान किया गया। ऑडिट में पता चला कि अयोग्य लोगों को हटाने में देरी के चलते बीमा प्रीमियम का भुगतान हुआ था।

नए सिस्टम से सुधरेगी गलती?

सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) ने इस ऑडिट से सहमत होते हुए कहा है कि बीआईएस 2.0 की तैनाती के साथ ये मुद्दा हल हो जाएगा। बीआईएस 2.0 सिस्टम को कॉन्फिगर किया गया है, जिससे एक तय संख्या से अधिक परिवार एक ही मोबाइल नंबर के तहत रजिस्टर न हो पाएं। इससे उस चलन पर रोक लगेगी जिसमें किसी भी नंबर को दर्ज कर रजिस्ट्रेशन कर दिया जाता है।

मोबाइल नंबर को लेकर ये हैं प्रावधान

रिपोर्ट के मुताबिक लाभार्थी गाइडबुक में ये प्रावधान है कि किसी शख्स के हॉस्पिटल में भर्ती होने से लेकर डिस्चार्ज होने के बाद तक मोबाइल नंबर से उससे संपर्क रखा जाए। दिशा-निर्देशों के तहत ये भी प्रावधान है कि कार्ड बनाते हुए दिए गए नंबर पर मैसेज भेजकर लाभार्थी को उसकी पात्रता की जांच करने के लिए सूचित किया जाएगा। बीआईएस डेटाबेस के विश्लेषण के बाद पता लगा कि हजारों लोगों का नाम एक ही नंबर पर रजिस्टर है, वहीं ज्यादातर नंबर अपने मन से डाल दिए गए हैं, यानी उन नंबर का कोई सिम कार्ड ही नहीं है। रिपोर्ट में बताया गया कि डेटाबेस में किसी भी लाभार्थी से जुड़ा हुआ रिकॉर्ड तलाशने के लिए मोबाइल नंबर काफी जरूरी है। इससे कोई भी बिना आईडी कार्ड के रजिस्ट्रेशन डेस्क से संपर्क कर सकता है। अगर मोबाइल नंबर ही गलत हो तो ई-कार्ड खो जाने की स्थिति में लाभार्थी की पहचान करना मुश्किल हो सकता है। यानी इसके बिना लाभार्थी को योजना का लाभ मिलना लगभग नामुमकिन सा हो जाएगा।

आयुष्मान भारत योजना फर्जीवाड़े का अड्डा: AAP 

आम आदमी पार्टी की प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने मोदी सरकार की आयुष्मान भारत योजना को फर्जीवाड़े का अड्डा बताया है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की आयुष्मान भारत योजना में 1.68 करोड़ फर्जी अकाउंट हैं। लोगों के इलाज के नाम पर करोड़ों का घोटाला हो रहा है। सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक योजना के 11 करोड़ बेनिफिसियरीज में से करीब 3.67 करोड़ संदिग्ध और 1.69 करोड़ फर्जी अकाउंट हैं।

फर्जी मरीज के साथ फर्जी हॉस्पिटल भी शामिल

सीएजी के मुताबिक, पूरे देश में आयुष्मान योजना के तहत 26 हजार पैनल में शामिल किए गए हैं, लेकिन अस्पतालों में ना डॉक्टर है ना मशीन और ना ही बेड। आरोप लगाया कि एक ही आईडी के जरिए अलग-अलग हॉस्पिटल में एक ही समय पर इलाज किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में कहा था कि भगवान ने उनको दरिद्र नारायण की सेवा करने का एक अवसर दिया है। इसीलिए उन्होंने प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना की शुरुआत की, जिसको आयुष्मान भारत के नाम से भी जाना जाता हैं। इसमें ऐसे परिवार आते हैं, जिनकी कुल मासिक आय 10 हजार या उससे कम है। 

हेल्थ पर जीडीपी का 2 फीसदी से भी कम खर्च

AAP प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि स्टडी 'ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज इंडेक्स’ के मुताबिक हमारी सरकार लोगों की हेल्थ पर जीडीपी का 2 फीसदी से भी कम खर्च करती है। हेल्थ पर खर्च करने के मामले में हमारी रैंक 154/180 है, जो बहुत निचले स्तर पर है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने गुरुवार को सदन में डब्ल्यूएचओ का आंकड़ा बताया था, उसी डब्ल्यूएचओ के मुताबिक हेल्थ स्पेंडिंग में भारत 191 देशों में 184 नंबर पर है। वहीं, नीति आयोग की 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक देश में लगभग 40 करोड़ लोग मध्यम वर्ग से हैं। यह लोग प्राइवेट मेडिकल हेल्थ इंश्योरेंस भी नहीं ले सकते हैं। इनकी इनकम 10 हजार प्रति महीने से भी ज्यादा है। ऐसे में वह आयुष्मान भारत योजना का लाभ नहीं ले सकते हैं।

प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि सदन में एक आंकड़ा पेश किया गया था, जिसमें बताया गया कि इस योजना के लगभग 5-6 लाख लोग प्रतिदिन वेरिफाई किया जा रहा है। सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार करीब 10 लाख लोग एक अमान्य मोबाइल नंबर से रजिस्टर हैं। कैग रिपोर्ट की रिपोर्ट बताती है कि मृतक लोगों को भी इसके तहत पैसा जा रहा है। अभी योजना के 11 करोड बेनिफिसरी हैं, जिनमें से करीब 3.67 करोड़ बेनिफिसरी संदिग्ध हैं। करीब 1.69 करोड़ फर्जी बेनेफिसरी है, जिनका कोई अस्तित्व ही नहीं है। उन्होंने कहा, "मैं मानती हूं कि यह चोर एथिकल होंगे, तो भी 1.68 करोड़ जो फर्जी अकाउंट हैं। अगर उन्होंने 50 हजार भी इस स्कीम से निकाले हैं तो भी सीधा-सीधा 8445 करोड़ का घपला हो रहा है। यह पैसा कहां जा रहा है, इस पर कौन बात करेगा? क्या मोदी जी इसकी जांच करेंगे? स्कीम की हकीकत क्या है, वह कल कैग रिपोर्ट ने साफ कर दी है।" उधर, बिहार के दरभंगा में एम्स खुलवाने का पीएम का दावा झूठ निकला है।



प्रधानमंत्री की दरभंगा एम्स खुलवाने की बात 'सफेद झूठ' : तेजस्वी यादव 

बिहार के उप मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री की दरभंगा में एम्स खुलवाने की बात सफेद झूठ है। राजद नेता ने शनिवार को ट्वीट किया कि आज प्रधानमंत्री दरभंगा में एम्स खुलवाने का झूठा श्रेय ले रहे थे। वस्तुस्थिति ये है कि बिहार सरकार ने निःशुल्क 151 एकड़ ज़मीन केंद्र को इसके लिए दिया है। साथ ही 250 करोड़ से अधिक मिट्टी भराई के लिए आवंटित किया है। लेकिन, दुर्भाग्यवश राजनीति करते हुए केंद्र ने प्रस्तावित एम्स के निर्माण को स्वीकृति नहीं दी। प्रधानमंत्री से देश कम से कम सत्य और तथ्य की अपेक्षा करता है, लेकिन उन्होंने सफ़ेद झूठ बोला।

उन्होंने आगे लिखा कि जून माह में हमने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से दूरभाष पर वार्ता कर, इसकी स्वीकृति देकर निर्माण कराने का आग्रह किया और आशान्वित होकर चिट्ठी भी लिखी। लेकिन, आज तक कोई सकारात्मक कारवाई नहीं हुई है। तेजस्वी ने ट्विटर पर वह पत्र भी पोस्ट किया है। वहीं आरजेडी नेता मनोज झा के अनुसार, "पीएम कहते हैं कि दरभंगा में एम्स खुल गया है। जबकि वहां नींव तक नहीं पड़ी है। लेकिन कोई सवाल करे तो एफआईआर करा दी जाती है।"

पूरा मामला दरभंगा में प्रस्तावित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) से जुड़ा है। दरअसल, पीएम मोदी ने एक कार्यक्रम में कह दिया कि दरभंगा में एम्स बन गया है। 'बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए असम के गुवाहाटी से लेकर पश्चिम बंगाल के कल्याणी तक, झारखंड देवघर से लेकर बिहार में दरभंगा तक, इस प्लानिंग के साथ नए-नए AIIMS खोले गए हैं। ताकि लोगों को इलाज के लिए सैकड़ों किलोमीटर दूर न जाना पड़े।' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल में पंचायती राज परिषद को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संबोधित करते ये बयान शनिवार को दिया था। जिसमें दरभंगा में AIIMS बन जाने की बात कही गई थी। मगर, हकीकत में दरभंगा AIIMS को लेकर बिहार सरकार की ओर से दी गई 151 एकड़ जमीन को केंद्र सरकार की टीम ने रिजेक्ट कर दिया है। हालांकि यहां पर मिट्टी भराई का काम भी शुरू कर दिया गया था। इसके बाद तो सोशल मीडिया पर सूबतों के साथ जंग छिड़ गई।

तेजस्वी ने दरभंगा AIIMS को लेकर क्या कहा?

प्रधानमंत्री मोदी के दरभंगा AIIMS वाले बयान के बाद बिहार के स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के नाम सोशल मीडिया पर एक मेसेज लिखा। जिसमें कहा गया कि
माननीय स्वास्थ्य मंत्री जी,

यह कौन से अदृश्य विकास की राजनीति है कि जहां स्वास्थ्य मंत्रालय ने AIIMS के लिए अभी तक स्थल ही फाइनल नहीं किया है और आदरणीय प्रधानमंत्री जी कह रहे हैं कि वहां एम्स खोल दिया गया है? जिस काल अवधि का आप वर्णन कर रहे हैं, उस वक्त से लेकर पूर्व के कई वर्षों तक बिहार में BJP के ही स्वास्थ्य मंत्री रहे हैं। शायद आप उनकी असफलता को इंगित कर रहे हैं। बिहार सरकार ने शोभन बाइपास जैसी बेहतर लोकेशन पर निःशुल्क 151 एकड़ भूमि केंद्र को हस्तांतरित की है, जिसमें मिट्टी भराई का 300 करोड़ अतिरिक्त व्यय भी राज्य सरकार वहन कर रही है। हम सकारात्मक और विकासोन्मुख राजनीति करते हैं, इसलिए हमने दरभंगा सहित अन्य जिलों को इसका संपूर्ण लाभ मिले तभी सबसे उपयुक्त स्थल चयन किया है लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण रूप से केंद्र की अभी तक स्वीकृति नहीं मिली। 

आपको अवगत कराना चाहेंगे कि दरभंगा में ही 1946 से स्थापित बिहार के प्रतिष्ठित दरभंगा मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में बिहार सरकार (569+ 2546) कुल 3115 करोड़ के अपने खर्च से (400+2100) 2500 बेड का सुपर-स्पेशियलिटी अस्पताल, आधुनिक भवन और आवासीय परिसर का निर्माण करवा रही है क्योंकि हम नकारात्मक राजनीति नहीं बल्कि जनहित में गतिशील विकास कार्यों को प्राथमिकता देते हैं।



मांडविया ने लेटर के साथ दिया तेजस्वी को जवाब

बिहार के स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी के सवालों का केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने लेटर के साथ जवाब दिया। जिसमें उन्होंने लिखा कि
प्रिय तेजस्वी जी,

मोदी सरकार विकास में राजनीति नहीं करती बल्कि विकास की राजनीति करती है। हमारी नीयत साफ है।
एम्स दरभंगा की अनुमति मोदी सरकार ने 19 सितंबर 2020 को दी थी और बिहार सरकार ने 3 नवंबर 2021 को पहली जमीन दी। दरअसल, मनसुख मांडविया की ओर से जारी की गई इस चिट्ठी में कहा गया है कि दरभंगा AIIMS के लिए एकमी शोभन बाइपास की जमीन (151 एकड़) ठीक नहीं है, वहां की मिट्टी हैवी स्ट्रक्चर के लिए सही नहीं है। इससे प्रोजेक्ट का खर्च बढ़ जाएगा। एक-एक करके रीजन भी बताए गए हैं। इस लेटर के लास्ट में लिखा हुआ है कि दरभंगा एम्स की प्रस्तावित साइट सही नहीं है, इसलिए नई साइट बिहार सरकार की ओर से दी जाए। ताकि जल्द से जल्द एम्स का निर्माण कराया जा सके। मतलब यह कि दरभंगा AIIMS की बाबत अब तक जमीन को लेकर ही फाइनल डिसीजन नहीं हुआ है।



दरभंगा AIIMS पर सबूतों की जंग में कूदे JDU के संजय झा

दरभंगा एम्स में सबूतों की इस जंग में नीतीश सरकार के मंत्री संजय कुमार झा भी कूद पड़े। उन्होंने पीएम मोदी का 31 सेकेंड का वीडियो ट्वीट किया। साथ ही लिखा कि... आदरणीय प्रधानमंत्री जी,

दरभंगा एम्स मामले में आपको गलत जानकारी दी गई है। लेकिन, अब जबकि आपने कह ही दिया है कि दरभंगा में एम्स खुल गया है, तो मिथिला सहित संपूर्ण बिहार की जनता के भले के लिए ये काम जल्द करवा ही दीजिए। आपको जानकारी दे दूं कि जिस दरभंगा AIIMS के बारे में आप कह रहे हैं कि खुल गया है, उसके लिए राज्य सरकार की ओर से दी गई जमीन पर अब तक एक ईंट भी नहीं लगी है।

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