बिहार : अजीत अंजुम के खिलाफ मामला दर्ज करना पत्रकारों को डराना है कि वे एसआईआर प्रक्रिया पर रिपोर्टिंग न करें!

Written by sabrang india | Published on: July 15, 2025
बिहार के बेगूसराय में वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इसको लेकर जाने माने कई पत्रकारों ने इस कार्रवाई को लेकर सवाल उठाया है।



अपने यूट्यूब चैनल के माध्यम से ग्राउंड रिपोर्ट्स के लिए मशहूर जाने माने पूर्व टीवी चैनल पत्रकार अजीत अंजुम के खिलाफ बिहार के बेगूसराय में एफआईआर दर्ज किए जाने का मामला सामने आया है। अजीत अंजुम ने सोशल मीडिया पर इस मामले का संबंध बिहार में जारी विशेष मतदाता पुनरीक्षण अभियान पर अपनी हालिया ग्राउंड रिपोर्टिंग को बताया है।

अपनी निष्पक्ष और जमीनी पत्रकारिता के लिए प्रख्यात अजीत अंजुम ने दावा किया है कि बिहार के बेगूसराय जिले में उनके खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की गई है। यह एफआईआर उनकी उस रिपोर्टिंग से जुड़ी है, जिसमें उन्होंने चुनाव आयोग द्वारा बिहार में चलाए जा रहे विशेष मतदाता पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं को उजागर करने का दावा किया है।

उन्होंने 13 और 14 जुलाई 2025 को अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट किया कि उनकी एसआईआर से संबंधित फैक्ट-चेकिंग और ग्राउंड रिपोर्टिंग के कारण कुछ लोग परेशान हो गए हैं। इससे साफ जाहिर था कि उन्होंने बेगूसराय के बलिया प्रखंड में एसआईआर के तहत भरे जा रहे फॉर्म्स में अनियमितताओं की ओर संकेत दिया था।

द मूकनायक ने वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम के हवाले से लिखा, स्थानीय ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर (BDO) और सब-डिविजनल ऑफिसर (SDO) ने उनसे उनकी वीडियो रिपोर्ट को हटाने के लिए संपर्क किया था। अंजुम ने दावा किया कि एक बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) पर दबाव डालकर उनके खिलाफ FIR दर्ज की गई है, जिसमें उन पर सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने का आरोप लगाया गया है। हालांकि, अंजुम ने अपने एक वीडियो में स्पष्ट किया है कि उनकी रिपोर्टिंग में ऐसा कुछ नहीं था जो सांप्रदायिक सद्भाव को नुकसान पहुंचाए। उन्होंने लोगों से उनकी वीडियो देखकर खुद तय करने को कहा। अंजुम ने यह भी कहा कि वह इस मामले का सामना करने के लिए तैयार हैं और पत्रकारिता के अपने कर्तव्य को निभाते रहेंगे।

ज्ञात हो कि, अजीत अंजुम अपने यूट्यूब चैनल और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से बिहार में SIR प्रक्रिया की जमीनी हकीकत को उजागर करने के लिए कई जिलों का दौरा किया है। उनकी रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि चुनाव आयोग के दावों और SIR प्रक्रिया के कार्यान्वयन में कई गड़बड़ियां हैं।

पत्रकार पर एफआईआर दर्ज होने की खबर सामने आने के बाद, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कई पोस्ट्स में दावा किया गया कि अंजुम की निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकारिता ने प्रशासन को असहज कर दिया, और इसी कारण यह कार्रवाई की गई।

पत्रकार अजीत अंजुम ने 14 जुलाई को घटना पर पहली प्रतिक्रिया देते हुए सोशल मीडिया पर लिखा, 'बिहार के बेगूसराय में मेरे खिलाफ एफआईआर दर्ज किए जाने की जानकारी आ रही है। एफआईआर की कॉपी मुझे नहीं मिली है। मैं उसका इंतजार कर रहा हूं। दो दिन पहले मैंने बलिया प्रखंड में 'एसआईआऱ' योजना के लिए भरे जा रहे फॉर्म में हो रही अनियमितताओं की रिपोर्टिंग की थी।

मुझे स्थानीय BDO और SDO की तरफ से कॉल करके वीडियो डिलीट करने को कहा गया था। मैंने उनकी बात नहीं सुनी। नतीजा सामने है। बिहार में चुनाव आयोग के तौर- तरीकों पर सौ सवाल हैं। उन सवालों का जवाब देने की बजाय अब पत्रकारों को डराने की कवायद शुरू हुई है। इस वीडियो में मैंने अपना पक्ष रख दिया है। डरूंगा नहीं। जो सच है, वही दिखाऊंगा। जो खामियां हैं, उन पर रिपोर्ट करूंगा। FIR की अधिकृत सूचना का इंतजार कर रहा हूं। मैं कल रात किशनगंज से बेगूसराय आ गया हूं, ताकि मेरी तलाश में प्रशासन को ज्यादा परेशानी न हो।"

ये मामला सामने आने के बाद प्रख्यात पत्रकार रवीश कुमार ने लिखा कि, "चुनाव आयोग का नाम एफआईआर आयोग कर देना चाहिए। विपक्ष को गांव गांव जाना चाहिए और वोटर से पूछना चाहिए कि क्यों उन्हें पावती रसीद मिली है? या फिर आयोग को अपने बोर्ड से हटवा देना चाहिए कि BLO दो फॉर्म लेकर जा रहे हैं? यह निर्देश जिसने दिया है और जिसने लिखवाया है, FIR उसके खिलाफ होनी चाहिए। कायदे से आयोग को @ajitanjum का शुक्रिया अदा करना चाहिए और FIR वापस लेनी चाहिए। जिन BLO को दंडित किया गया है, उनके खिलाफ भी मामलों को वापस लेना चाहिए।"

इस मामले को लेकर वरिष्ठ पत्रकार दीपक शर्मा ने एक्स पर लिखा कि, "अजीत अंजुम उन पत्रकारों में से हैं जिन्होने पत्रकारिता कमजोर लोगों के लिये ही की है। ऐसे पत्रकार को गिरफ्तार करके जेल भेजने की धमकी देना सरासर गलत है। बेहतर हो बिहार पुलिस ऐसा जुल्म करने से बचे। उनके कलम को चलने दे। वैसे भी सरकार से सवाल करने वाले पत्रकार देश में 5-10 ही बचे हैं।"

वहीं पत्रकार अभिसार शर्मा ने भी सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट करते हुए सवाल किया कि, "शर्म कीजिए @ECISVEEP. आपके काम में साफ तौर पर पारदर्शिता की कमी है और जो पत्रकार तथ्यों के आधार पर काम कर रहा है..उसे ऐसे परेशान किया जाएगा? गलत."

अजीत अंजुम की इन रिपोर्ट्स को विपक्षी दलों, जैसे राष्ट्रीय जनता दल (RJD), कांग्रेस और अन्य ने समर्थन दिया, जो एसआईर को लेकर पहले से ही सवाल उठा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर, कुछ लोग और संगठन, खासकर सत्तारूढ़ दल से जुड़े और उनका समर्थन करने वाले लोग, उनकी पत्रकारिता को पक्षपातपूर्ण मानते हैं और इसे भाजपा-विरोधी प्रचार के रूप में देखते हैं।

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