भड़काऊ भाषण में आदित्यनाथ पर लटकी हुई है कोर्ट की तलवार, नहीं मिली राहत

Written by | Published on: May 19, 2017
भड़काऊ भाषण के मामले में योगी आदित्यनाथ पर अदालत की तलवार लटकी हुई है। इलाहाबाद हाई कोर्ट की जस्टिस उमेश चंद्र श्रीवास्तव और जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने इस मामले में गोरखपुर कोर्ट को एक अहम आदेश देने से रोक दिया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि गोरखपुर कोर्ट 2007 में आदित्यनाथ के खिलाफ भड़काऊ भाषण के मामले में सीबी-सीआईडी की क्लोजर रिपोर्ट पर कोई आदेश न पारित करे। हाई कोर्ट का यह आदेश 11 मई को जारी किया गया था। उसी दिन  यूपी सरकार ने एक शपथ पत्र दाखिल कर कहा था कि उसने भड़काऊ भाषण के मामले में आदित्यनाथ और मामले में आरोपित अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है।
 
इलाहाबाद हाई कोर्ट की बेंच ने यूपी के चीफ सेक्रेट्री को आदेश दिया वह 27 जनवरी 2007 को गोरखपुर जिले में हुए दंगों के सिलसिले में दर्ज सभी 29 मामलों की विस्तृत स्टेटस रिपोर्ट तैयार करे। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस बात का भी संज्ञान लिया कि राज्य के प्रिसिंपल सेक्रेट्री ने योगी और अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था लेकिन राज्य के वकील विमलेंदु त्रिपाठी ने याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट को इसकी जानकारी नहीं दी।
 
इस मामले की अगली सुनवाई 7 जुलाई को होगी।

इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस फैसले से यह साबित हो गया है कि राज्य मशीनरी किस तरह इस मामले को रफा-दफा कर योगी का बचाव करना चाहती है। जबकि सच्चाई यह है कि आदित्यनाथ की राजनीति भड़काऊ भाषण देकर और सांप्रदायिक भावनाएं भड़का कर आगे बढ़ी हैं।
 
 इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस फैसले से यह साबित हो गया है कि राज्य मशीनरी किस तरह इस मामले को रफा-दफा कर योगी का बचाव करना चाहती है। जबकि सच्चाई यह है कि आदित्यनाथ की राजनीति भड़काऊ भाषण देकर और सांप्रदायिक भावनाएं भड़का कर आगे बढ़ी हैं। योगी की राजनीति 2007 में उस दौरान परवान चढ़ी, जब उन्होंने गोरखपुर शहर और इसके आसपास के ग्रामीण इलाकों में कट्टर हिंदूवादी भावनाओं को भड़का कर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का अभियान शुरू किया। इस दौरान योगी ग्रामीण इलाकों के घर-घर जाकर सांप्रदायिक भावनाएं भड़का रहे थे । उस दौर में समाजवादी पार्टी और कुछ अन्य राजनीतिक दलों से उनके संगठन के कार्यकर्ताओं की भिड़ंत भी हुईं। शहर और कुछ ग्रामीण इलाकों में भड़के दंगो में कइयों की जान गई और कई घायल हुए।
 
इलाहाबाद कोर्ट ने खास तौर पर इस पहलू का संज्ञान लेकर इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने को कहा है। सीबी-सीआईडी की क्लोजर रिपोर्ट पर फैसला देने से इनकार कर भी हाई कोर्ट ने एक तरह से नाराजगी ही जताई है। साफ है कि योगी को पाक-साफ करार देने की कोशिशों को यह बड़ा झटका है।
 
 

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