दो अलग अलग जगहों पर ईसाई प्रार्थना सभा को बाधित करने का मामला सामने आया है। राज्य के दुर्ग में जहां बजरंग दल के कुछ सदस्यों पर एक ईसाई प्रार्थना सभा को बाधित करने का आरोप है, वहीं रायगढ़ में इसी तरह की घटना सामने आई है। बताया जाता है कि दुर्ग में बजरंग दल के सदस्यों ने पुलिस के साथ मिलकर पर छापा मारा।
छत्तीसगढ़ में दो अलग अलग जगहों पर ईसाई प्रार्थना सभा को बाधित करने का मामला सामने आया है। राज्य के दुर्ग में जहां बजरंग दल के कुछ सदस्यों पर एक ईसाई प्रार्थना सभा को बाधित करने का आरोप है, वहीं रायगढ़ में इसी तरह की घटना सामने आई है। बताया जाता है कि दुर्ग में बजरंग दल के सदस्यों ने पुलिस के साथ मिलकर पर छापा मारा। पुलिस ने सात लोगों को हिरासत में ले लिया। हिरासत में लिए गए लोगों पर धर्म परिवर्तन का आरोप लगाया गया है। घटना 10 दिसंबर की बताई जा रही है। घर के मालिक ने कथित तौर पर दावा किया कि उसके घर में प्रार्थना सभा आयोजित करने में उनकी बहू भी उनके साथ शामिल है।
वहीं राज्य के रायगढ़ में 10 नवंबर को इसी तरह की एक अन्य घटना सामने आई है जहां भाजपा सदस्य अंशु टुटेजा ने एक बड़ी भीड़ के साथ एक ईसाई पादरी के घर के बाहर “जय श्री राम” का नारा लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया। उन पर प्रार्थना सभा आयोजित करने और धर्म परिवर्तन में शामिल होने का आरोप लगाया है। उनकी शिकायत पर पुलिस ने कई लोगों को हिरासत में लिया है।
देश भर में पिछले कुछ वर्षों में इस तरह की कई घटनाएं सामने आई हैं जब ईसाई समाज के लोगों द्वारा आयोजित प्रार्थना सभा को बाधित किया गया और उनपर हमले किए गए।
ज्ञात हो कि बिहार के नवादा में 1 सितंबर को दक्षिणपंथी हिंदू समूहों की भीड़ ने ईसाई समुदाय की प्रार्थना सभा में बाधा डाली थी। भीड़ ने मौजूद लोगों पर धर्म परिवर्तन में शामिल होने का आरोप लगाया था। यह घटना तब घटी जब ईसाइयों का एक समूह रविवार की प्रार्थना के लिए एक घर में इकट्ठा हुआ था।
द ऑब्जर्वर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, भगवा गमछा और शर्ट पहने उग्र भीड़ ने घर में घुसकर प्रार्थना को बाधित किया था। उन्होंने ईसाई समाज के लोगों से उलझते हुए उन पर हिंदुओं को बरगलाने और उनका धर्म परिवर्तन करने का आरोप लगाया था। घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें भीड़ को "धर्म परिवर्तन करना बंद करो" के नारे लगाते हुए देखा गया।
इसी साल 14 जुलाई को एक ईसाई प्रार्थना सभा में हिंसक रूप से उस समय बाधा पैदा की गई जब एक हिंदुत्ववादी भीड़ ने देहरादून के नेहरू कॉलोनी में एक घर में जबरन प्रवेश किया।
पूर्व सैनिक और आरएसएस कार्यकर्ता देवेंद्र डोभाल के नेतृत्व में भीड़ ने लोगों पर सामूहिक धर्मांतरण कराने का आरोप लगाया था।
पादरी राजेश भूमि द्वारा आयोजित प्रार्थना सभा में अराजकता का माहौल बन गया। न्यूज़लॉन्ड्री ने भूमि के हवाले से बताया था कि, "उन्होंने (भीड़ ने) बच्चों के साथ भी दुर्व्यवहार किया। उन्होंने उनके सिर पर थप्पड़ मारे और उनसे पूछा कि वे इस प्रार्थना में क्यों शामिल हुए। उन्होंने उनसे कहा कि वे भविष्य में कभी भी रविवार की प्रार्थना में हिस्सा न लें।"
भूमि की पत्नी दीक्षा पॉल द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत में कहा गया था, "जब वे हमारे दरवाजे पर लगातार पीटते रहे, तो मैंने आखिरकार दरवाजा खोला और उनसे पूछा कि मामला क्या है। और मुझसे बात किए बिना ही वे अंदर घुस आए और हम पर धर्मांतरण का आरोप लगाने लगे...मैंने उनसे कहा कि आपको हमसे जो भी समस्या है, हम बैठकर इस पर चर्चा कर सकते हैं। लेकिन उन्होंने मेरी बात नहीं सुनी। इसके बजाय, वे हम पर चिल्लाने लगे। उन्होंने कहा कि हमारे धर्म के लोग खून पीते हैं और हमारी महिलाएं सिंदूर नहीं लगाती हैं। मैंने उनसे कहा कि मैं अपने निजी जीवन में जो कुछ भी करती हूं, उससे आपका कोई लेना-देना नहीं है...इसके बाद, उन्होंने हमारे घर में तोड़फोड़ की।"
छत्तीसगढ़ में दो अलग अलग जगहों पर ईसाई प्रार्थना सभा को बाधित करने का मामला सामने आया है। राज्य के दुर्ग में जहां बजरंग दल के कुछ सदस्यों पर एक ईसाई प्रार्थना सभा को बाधित करने का आरोप है, वहीं रायगढ़ में इसी तरह की घटना सामने आई है। बताया जाता है कि दुर्ग में बजरंग दल के सदस्यों ने पुलिस के साथ मिलकर पर छापा मारा। पुलिस ने सात लोगों को हिरासत में ले लिया। हिरासत में लिए गए लोगों पर धर्म परिवर्तन का आरोप लगाया गया है। घटना 10 दिसंबर की बताई जा रही है। घर के मालिक ने कथित तौर पर दावा किया कि उसके घर में प्रार्थना सभा आयोजित करने में उनकी बहू भी उनके साथ शामिल है।
वहीं राज्य के रायगढ़ में 10 नवंबर को इसी तरह की एक अन्य घटना सामने आई है जहां भाजपा सदस्य अंशु टुटेजा ने एक बड़ी भीड़ के साथ एक ईसाई पादरी के घर के बाहर “जय श्री राम” का नारा लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया। उन पर प्रार्थना सभा आयोजित करने और धर्म परिवर्तन में शामिल होने का आरोप लगाया है। उनकी शिकायत पर पुलिस ने कई लोगों को हिरासत में लिया है।
देश भर में पिछले कुछ वर्षों में इस तरह की कई घटनाएं सामने आई हैं जब ईसाई समाज के लोगों द्वारा आयोजित प्रार्थना सभा को बाधित किया गया और उनपर हमले किए गए।
ज्ञात हो कि बिहार के नवादा में 1 सितंबर को दक्षिणपंथी हिंदू समूहों की भीड़ ने ईसाई समुदाय की प्रार्थना सभा में बाधा डाली थी। भीड़ ने मौजूद लोगों पर धर्म परिवर्तन में शामिल होने का आरोप लगाया था। यह घटना तब घटी जब ईसाइयों का एक समूह रविवार की प्रार्थना के लिए एक घर में इकट्ठा हुआ था।
द ऑब्जर्वर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, भगवा गमछा और शर्ट पहने उग्र भीड़ ने घर में घुसकर प्रार्थना को बाधित किया था। उन्होंने ईसाई समाज के लोगों से उलझते हुए उन पर हिंदुओं को बरगलाने और उनका धर्म परिवर्तन करने का आरोप लगाया था। घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें भीड़ को "धर्म परिवर्तन करना बंद करो" के नारे लगाते हुए देखा गया।
इसी साल 14 जुलाई को एक ईसाई प्रार्थना सभा में हिंसक रूप से उस समय बाधा पैदा की गई जब एक हिंदुत्ववादी भीड़ ने देहरादून के नेहरू कॉलोनी में एक घर में जबरन प्रवेश किया।
पूर्व सैनिक और आरएसएस कार्यकर्ता देवेंद्र डोभाल के नेतृत्व में भीड़ ने लोगों पर सामूहिक धर्मांतरण कराने का आरोप लगाया था।
पादरी राजेश भूमि द्वारा आयोजित प्रार्थना सभा में अराजकता का माहौल बन गया। न्यूज़लॉन्ड्री ने भूमि के हवाले से बताया था कि, "उन्होंने (भीड़ ने) बच्चों के साथ भी दुर्व्यवहार किया। उन्होंने उनके सिर पर थप्पड़ मारे और उनसे पूछा कि वे इस प्रार्थना में क्यों शामिल हुए। उन्होंने उनसे कहा कि वे भविष्य में कभी भी रविवार की प्रार्थना में हिस्सा न लें।"
भूमि की पत्नी दीक्षा पॉल द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत में कहा गया था, "जब वे हमारे दरवाजे पर लगातार पीटते रहे, तो मैंने आखिरकार दरवाजा खोला और उनसे पूछा कि मामला क्या है। और मुझसे बात किए बिना ही वे अंदर घुस आए और हम पर धर्मांतरण का आरोप लगाने लगे...मैंने उनसे कहा कि आपको हमसे जो भी समस्या है, हम बैठकर इस पर चर्चा कर सकते हैं। लेकिन उन्होंने मेरी बात नहीं सुनी। इसके बजाय, वे हम पर चिल्लाने लगे। उन्होंने कहा कि हमारे धर्म के लोग खून पीते हैं और हमारी महिलाएं सिंदूर नहीं लगाती हैं। मैंने उनसे कहा कि मैं अपने निजी जीवन में जो कुछ भी करती हूं, उससे आपका कोई लेना-देना नहीं है...इसके बाद, उन्होंने हमारे घर में तोड़फोड़ की।"