मुंबई में करीब 250 से ज्यादा लोग 20 अगस्त को इकट्ठा हुए। नमें नेता से लेकर सांस्कृतिक हस्तियां शामिल थीं ये लोग गाजा में इज़राइल की कार्रवाई की "जनसंहार" के रूप में निंदा करने के लिए इकट्ठा हुए।

मुंबई के आजाद मैदान में 20 अगस्त को बड़ी संख्या में नागरिक इकट्ठा हुए। इनमें नेता, कार्यकर्ता, कलाकार, पत्रकार और छात्र शामिल थे। इस शांतिपूर्ण प्रदर्शन का उद्देश्य गाजा में इजराइल की जारी सैन्य कार्रवाई की निंदा करना और फिलिस्तीनी जनता के प्रति एकजुटता दिखाना था। द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, इस प्रदर्शन का नेतृत्व भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) [CPI(M)] ने किया और इसे CPI, CPI(ML), CPI(ML) लिबरेशन, PWP, समाजवादी पार्टी, NCP (SP), भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और ऑल इंडिया पीस एंड सॉलिडेरिटी ऑर्गनाइज़ेशन (AIPSO) जैसे संगठनों ने समर्थन दिया।
इस महीने दूसरी बार बॉम्बे हाईकोर्ट के दखल के बाद ही इस सभा की अनुमति दी गई। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, 12 अगस्त को मुंबई पुलिस ने अदालत को बताया कि वह महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम, 1951 के तहत कड़े नियमों के साथ इस सभा की अनुमति देगी जिनमें भड़काऊ भाषणों पर रोक भी शामिल थी। इससे पहले, पुलिस ने अंतरराष्ट्रीय संघर्षों से जुड़े प्रदर्शनों को लेकर "कानून-व्यवस्था की चिंता" का हवाला देते हुए अनुमति देने से इनकार कर दिया था।
हाईकोर्ट के आदेश को "एक बड़ी जीत" बताते हुए पीपल्स आर्काइव ऑफ रूरल इंडिया (PARI) के संस्थापक-संपादक वरिष्ठ पत्रकार पी. साइनाथ ने वहां मौजूद लोगों को याद दिलाया कि "फिलिस्तीन केवल एक वैश्विक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह एक सुपर स्थानीय मुद्दा है।" द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने महात्मा गांधी के 1938 में हरिजन में लिखे गए लेख को भी याद किया, जिसमें गांधी ने लिखा था, "फिलिस्तीन अरब की ही है उसी तरह जैसे इंग्लैंड अंग्रेजों की और फ्रांस फ्रांसीसियों की है।"
विभिन्न पार्टियों के वक्ताओं ने इजराइल की कार्रवाई को “जनसंहार” करार दिया और गाजा में मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) द्वारा इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और रक्षा मंत्री योआव गैलंट के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट का जिक्र किया। उन्होंने गाजा में पत्रकारों की हत्याओं की भी निंदा की, साथ ही रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि अक्टूबर 2023 से दर्जनों फिलिस्तीनी पत्रकारों को निशाना बनाया गया है।
कांग्रेस नेता हुसैन दलवाई, CPI(M) के नेता विवेक मोंटेरियो और प्रकाश रेड्डी, कार्यकर्ता फिरोज मितिभोरवाला, समाजवादी पार्टी की शबाना खान और अभिनेत्री स्वरा भास्कर, रंगमंच की शख्सियत डॉली ठाकुर और लेखिका बीना एलियास जैसे हस्तियों ने भी जनता को संबोधित किया। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, कुरला कॉलेज के प्रोफेसर राशिद खान ने कहा, “गाजा में जो कुछ हो रहा है वह केवल एक राजनीतिक संघर्ष नहीं है, बल्कि एक मानवतावादी संकट है। कोई भी बच्चा बमों के नीचे बड़ा नहीं होना चाहिए और कोई भी पत्रकार सच्चाई बताने के लिए चुप नहीं कराया जाना चाहिए।”
प्रदर्शन में लगे प्लैकार्ड्स पर लिखा था, "फ्री फिलिस्तीन," "जनसंहार बंद करो," "मासूम बच्चे युद्ध की कीमत नहीं हैं," और "भारत शांति के पक्ष में है।" एक कार्यकर्ता ने सफेद कपड़े में लिपटा एक बच्चे का पुतला उठाया हुआ था और जिस पर खून का प्रतीकात्मक रूप में लाल रंग लगाया गया था, साथ ही एक साइन था जिस पर लिखा था, "अगर ये बच्चे तुम्हारे होते तो?" प्रतिभागियों ने बताया कि इस तरह की तस्वीरें गाजा में मानवतावादी विनाश को उजागर करने के लिए थीं, जहां संयुक्त राष्ट्र के मानवीय कार्य समन्वय कार्यालय (OCHA) के अनुसार अक्टूबर 2023 से अब तक 40,000 से ज्यादा फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं।
हालांकि बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुरू में याचिकाकर्ताओं से कहा था कि “पहले अपने देश की चुनौतियों पर नजर डालें,” लेकिन आखिरकार उसने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(b) के तहत नागरिकों के शांतिपूर्ण सभा करने के संवैधानिक अधिकार को मान्यता दी और पुलिस को निर्देश दिया कि वह सुनिश्चित करे कि प्रदर्शन कानूनी रूप से संपन्न हो सके। बार एंड बेंच ने इस रिपोर्ट को प्रकाशित किया।
प्रदर्शन शांति पूर्ण तरीके से समाप्त हुआ, जिसमें आयोजकों ने इसे गाजा में युद्ध अपराधों, जबरन विस्थापन और भुखमरी के खिलाफ एक संयुक्त विरोध तथा तत्काल युद्धविराम, नाकेबंदी हटाने और नागरिकों व पत्रकारों के खिलाफ अपराधों के लिए जवाबदेही की मांग के रूप में घोषित किया।


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मुंबई के आजाद मैदान में 20 अगस्त को बड़ी संख्या में नागरिक इकट्ठा हुए। इनमें नेता, कार्यकर्ता, कलाकार, पत्रकार और छात्र शामिल थे। इस शांतिपूर्ण प्रदर्शन का उद्देश्य गाजा में इजराइल की जारी सैन्य कार्रवाई की निंदा करना और फिलिस्तीनी जनता के प्रति एकजुटता दिखाना था। द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, इस प्रदर्शन का नेतृत्व भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) [CPI(M)] ने किया और इसे CPI, CPI(ML), CPI(ML) लिबरेशन, PWP, समाजवादी पार्टी, NCP (SP), भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और ऑल इंडिया पीस एंड सॉलिडेरिटी ऑर्गनाइज़ेशन (AIPSO) जैसे संगठनों ने समर्थन दिया।
इस महीने दूसरी बार बॉम्बे हाईकोर्ट के दखल के बाद ही इस सभा की अनुमति दी गई। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, 12 अगस्त को मुंबई पुलिस ने अदालत को बताया कि वह महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम, 1951 के तहत कड़े नियमों के साथ इस सभा की अनुमति देगी जिनमें भड़काऊ भाषणों पर रोक भी शामिल थी। इससे पहले, पुलिस ने अंतरराष्ट्रीय संघर्षों से जुड़े प्रदर्शनों को लेकर "कानून-व्यवस्था की चिंता" का हवाला देते हुए अनुमति देने से इनकार कर दिया था।
हाईकोर्ट के आदेश को "एक बड़ी जीत" बताते हुए पीपल्स आर्काइव ऑफ रूरल इंडिया (PARI) के संस्थापक-संपादक वरिष्ठ पत्रकार पी. साइनाथ ने वहां मौजूद लोगों को याद दिलाया कि "फिलिस्तीन केवल एक वैश्विक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह एक सुपर स्थानीय मुद्दा है।" द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने महात्मा गांधी के 1938 में हरिजन में लिखे गए लेख को भी याद किया, जिसमें गांधी ने लिखा था, "फिलिस्तीन अरब की ही है उसी तरह जैसे इंग्लैंड अंग्रेजों की और फ्रांस फ्रांसीसियों की है।"
विभिन्न पार्टियों के वक्ताओं ने इजराइल की कार्रवाई को “जनसंहार” करार दिया और गाजा में मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) द्वारा इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और रक्षा मंत्री योआव गैलंट के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट का जिक्र किया। उन्होंने गाजा में पत्रकारों की हत्याओं की भी निंदा की, साथ ही रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि अक्टूबर 2023 से दर्जनों फिलिस्तीनी पत्रकारों को निशाना बनाया गया है।
कांग्रेस नेता हुसैन दलवाई, CPI(M) के नेता विवेक मोंटेरियो और प्रकाश रेड्डी, कार्यकर्ता फिरोज मितिभोरवाला, समाजवादी पार्टी की शबाना खान और अभिनेत्री स्वरा भास्कर, रंगमंच की शख्सियत डॉली ठाकुर और लेखिका बीना एलियास जैसे हस्तियों ने भी जनता को संबोधित किया। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, कुरला कॉलेज के प्रोफेसर राशिद खान ने कहा, “गाजा में जो कुछ हो रहा है वह केवल एक राजनीतिक संघर्ष नहीं है, बल्कि एक मानवतावादी संकट है। कोई भी बच्चा बमों के नीचे बड़ा नहीं होना चाहिए और कोई भी पत्रकार सच्चाई बताने के लिए चुप नहीं कराया जाना चाहिए।”
प्रदर्शन में लगे प्लैकार्ड्स पर लिखा था, "फ्री फिलिस्तीन," "जनसंहार बंद करो," "मासूम बच्चे युद्ध की कीमत नहीं हैं," और "भारत शांति के पक्ष में है।" एक कार्यकर्ता ने सफेद कपड़े में लिपटा एक बच्चे का पुतला उठाया हुआ था और जिस पर खून का प्रतीकात्मक रूप में लाल रंग लगाया गया था, साथ ही एक साइन था जिस पर लिखा था, "अगर ये बच्चे तुम्हारे होते तो?" प्रतिभागियों ने बताया कि इस तरह की तस्वीरें गाजा में मानवतावादी विनाश को उजागर करने के लिए थीं, जहां संयुक्त राष्ट्र के मानवीय कार्य समन्वय कार्यालय (OCHA) के अनुसार अक्टूबर 2023 से अब तक 40,000 से ज्यादा फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं।
हालांकि बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुरू में याचिकाकर्ताओं से कहा था कि “पहले अपने देश की चुनौतियों पर नजर डालें,” लेकिन आखिरकार उसने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(b) के तहत नागरिकों के शांतिपूर्ण सभा करने के संवैधानिक अधिकार को मान्यता दी और पुलिस को निर्देश दिया कि वह सुनिश्चित करे कि प्रदर्शन कानूनी रूप से संपन्न हो सके। बार एंड बेंच ने इस रिपोर्ट को प्रकाशित किया।
प्रदर्शन शांति पूर्ण तरीके से समाप्त हुआ, जिसमें आयोजकों ने इसे गाजा में युद्ध अपराधों, जबरन विस्थापन और भुखमरी के खिलाफ एक संयुक्त विरोध तथा तत्काल युद्धविराम, नाकेबंदी हटाने और नागरिकों व पत्रकारों के खिलाफ अपराधों के लिए जवाबदेही की मांग के रूप में घोषित किया।


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