जयपुर में मस्जिद के विरोध प्रदर्शन को लेकर मचे बवाल के बीच भाजपा विधायक बालमुकुंद आचार्य ने माफी मांगी

Written by sabrang india | Published on: May 6, 2025
पहलगाम आतंकी हमले के खिलाफ भाजपा विधायक बालमुकुंद आचार्य के नेतृत्व में जयपुर की जामा मस्जिद के बाहर एक विरोध प्रदर्शन सांप्रदायिक तनाव का मुद्दा बन गया। मस्जिद के बाहर कथित तौर पर विवादास्पद नारे लगाए जाने के बाद नाराजगी फैल गई। वहीं आचार्य ने माफी मांगी और एकता का आह्वान किया। मुस्लिम नेताओं ने विरोध के समय और तरीके की निंदा की। उधर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए विधायक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।



शुक्रवार 25 अप्रैल की शाम को जयपुर का ऐतिहासिक चारदीवारी इलाका राजनीतिक और सांप्रदायिक अखाड़े का केंद्र बन गया। भाजपा विधायक बालमुकुंद आचार्य ने जामा मस्जिद के बाहर विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया जिसमें कश्मीर के पहलगाम में हाल में हुए आतंकवादी हमले की निंदा की गई। इस हमले में 26 पर्यटकों की मौत हो गई। आतंकवाद के खिलाफ एक प्रदर्शन के तौर पर शुरू हुआ यह प्रदर्शन जल्द ही एक बड़े विवाद में बदल गया जिसकी चारों तरफ तीखी आलोचना हुई।

शुक्रवार रात करीब साढ़े आठ बजे आचार्य भाजपा नेताओं और समर्थकों के साथ बड़ी चौपड़ पर आयोजित ‘आक्रोश सभा’ से जामा मस्जिद की ओर बढ़े। प्रदर्शनकारियों ने ‘जय श्री राम’ और ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’ जैसे नारे लगाए और भगवा झंडे और मशालें लहराईं। कथित तौर पर कुछ लोग मस्जिद परिसर में घुस गए और ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’ लिखे पोस्टर चिपका दिए और आपत्तिजनक नारे लगाए। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि आचार्य जूते पहनकर मस्जिद में घुसे जो इस्लामी परंपरा में बेहद अपमानजनक माना जाता है।

विरोध प्रदर्शन के कारण सांप्रदायिक तनाव बढ़ गया और बड़ी संख्या में लोग विधायक की हरकतों का विरोध करने के लिए इकट्ठा हुए।



रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस विधायक रफीक खान और अमीन कागजी पुलिस कमिश्नर बीजू जॉर्ज जोसेफ के साथ स्थिति को नियंत्रित करने के लिए मौके पर पहुंचे। उनके प्रयासों के बावजूद अशांति बनी रही।



विवाद के बाद भाजपा विधायक ने मांगी माफी, आतंकवाद के खिलाफ एकजुट रहने की अपील

बढ़ते आक्रोश के बीच आचार्य ने शनिवार 26 अप्रैल, 2025 को एक वीडियो बयान जारी कर घटना पर खेद जताया। उन्होंने कहा, "अगर पोस्टर या मेरे शब्दों से किसी की भावनाएं आहत हुई हैं, तो मैं ईमानदारी से माफी मांगता हूं। मेरा कभी भी किसी समुदाय या धर्म को ठेस पहुंचाने का इरादा नहीं था। इस समय हम सभी के बीच एकता बहुत जरूरी है।" उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत संविधान के अनुसार काम करता है, जहां हर नागरिक को अपनी धार्मिक भावनाओं का सम्मान करने का अधिकार है।



आचार्य ने आगे शांति की अपील की और लोगों से एकजुट रहने व आतंकवाद से निपटने और पाकिस्तान को कड़ा जवाब देने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों का समर्थन करने का आग्रह किया। हालांकि, उनकी माफी से मुस्लिम समुदाय और राजनीतिक विरोधियों के बीच बढ़ता असंतोष कम नहीं हुआ।

इसके अलावा, भाजपा विधायक बालमुकुंद आचार्य ने जयपुर में प्रस्तावित बंद को लेकर अटकलों को खत्म करने का आह्वान किया है। अपने आधिकारिक एक्स हैंडल से पोस्ट किए गए संदेश में उन्होंने लिखा कि, "कल जयपुर बंद के बारे में कई अफवाहें फैलाई जा रही हैं। मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि कोई बंद नहीं होना चाहिए।"



जनता के समर्थन के लिए आभार व्यक्त करते हुए आचार्य ने आगे कहा, "आपसे जो प्यार और विश्वास मुझे मिला है, वह मेरे लिए बहुत गर्व की बात है। हालांकि, मैं नहीं चाहता कि आप अपने कारोबार को नुकसान पहुंचाएं। हमें अपना काम जारी रखना चाहिए, बाजार खुले रखने चाहिए और एकजुट रहना चाहिए।"

धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में विधायक के खिलाफ एफआईआर दर्ज

घटना के बाद जामा मस्जिद कमेटी ने आचार्य के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई। आरोपों में धारा 298 (पूजा स्थल को नुकसान पहुंचाना या अपवित्र करना), 300 (धार्मिक सभा में व्यवधान डालना), 302 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से शब्द बोलना) और 351 (3) (आपराधिक धमकी) शामिल हैं।



पुलिस जांच को सीआईडी-क्राइम ब्रांच को सौंप दिया गया जो जनप्रतिनिधियों से जुड़े मामलों की जांच करने वाली नोडल एजेंसी है। शहर भर में सांप्रदायिक तनाव फैलने के कारण कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए जामा मस्जिद पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया। बाजार की लगभग सभी दुकानें बंद कर दी गईं और पुलिस ने जौहरी बाजार की मुख्य सड़क पर फ्लैग मार्च किया। राजस्थान सशस्त्र बल (आरएसी) और विशेष कार्य बल (एसटीएफ) की टुकड़ियां भी राज्य की राजधानी के संवेदनशील इलाकों में तैनात की गईं।

मुस्लिम समुदाय के लोगों ने बड़ी चौपड़ के पास विरोध प्रदर्शन किया

इस घटना से मुस्लिम समुदाय में व्यापक आक्रोश फैल गया। शाम की नमाज के बाद जौहरी बाजार में मस्जिद के बाहर युवाओं की भीड़ जमा हो गई और आचार्य की तत्काल गिरफ्तारी की मांग करते हुए नारे लगाने लगी। पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हल्का बल प्रयोग किया, लेकिन स्थिति तनावपूर्ण बनी रही।

मुस्लिम समुदाय के लोगों ने जयपुर के प्रसिद्ध स्थल हवा महल से सटे बड़ी चौपड़ के पास विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने नारे लगाए और अपने पोस्टर दिखाए। इसके बाद दोनों समूहों के बीच थोड़ी झड़प हुई, जिसके बाद आचार्य के खिलाफ माणक चौक थाने में एफआईआर दर्ज की गई। एफआईआर में उन पर धार्मिक भावनाएं भड़काने और सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने का आरोप लगाया गया।

न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, विधायक रफीक खान ने कहा, "हमें 'पाकिस्तान मुर्दाबाद' या 'आतंकवाद मुर्दाबाद' जैसे नारों से कोई आपत्ति नहीं है। हम भी आतंकवाद का विरोध करते हैं। लेकिन भाजपा विधायक ने विरोध के बहाने जानबूझकर धार्मिक भावनाओं को भड़काने की कोशिश की।"

जामा मस्जिद की घटना पर मुस्लिम नेताओं ने प्रेस वार्ता की

इस घटना के बाद शनिवार 26 अप्रैल को जयपुर के जौहरी बाजार स्थित जामा मस्जिद में एक प्रेस वार्ता आयोजित की गई, जिसमें विधायक अमीन कागजी और रफीक खान, राजस्थान वक्फ बोर्ड के चेयरमैन खान यू खान बुधावली और जमात-ए-इस्लामी हिंद के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद नजीमुद्दीन समेत कई प्रमुख मुस्लिम नेता मौजूद थे।

दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार, जमात-ए-इस्लामी हिंद के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद नजीमुद्दीन ने कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की निंदा करते हुए अपनी बात रखी। हालांकि, उन्होंने विधायक बालमुकुंद आचार्य पर भी गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि आचार्य और उनके समर्थकों ने शुक्रवार की नमाज के दौरान मस्जिद के अंदर और बाहर भड़काऊ और आपत्तिजनक नारे लगाए। इस्लाम में जुमे की नमाज को बेहद पवित्र माना जाता है।

समुदाय के नेताओं ने प्रशासन को दो दिन का अल्टीमेटम दिया

नजीमुद्दीन ने खुलासा किया कि पुलिस कमिश्नर ने उन्हें कार्रवाई का आश्वासन दिया है। हालांकि, उन्होंने कहा कि समुदाय ने प्रशासन को अल्टीमेटम जारी किया है और आचार्य के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि वे 29 अप्रैल को फिर से पुलिस कमिश्नर से मिलें और अगर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो बड़े पैमाने पर आंदोलन शुरू किया जाएगा।

रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने पूछा, "किस तरह का विधायक इस तरह का व्यवहार करता है?" उन्होंने आरोप लगाया कि आचार्य धार्मिक भावनाओं को भड़काने के अलावा कुछ नहीं करते। नजीमुद्दीन ने कहा, "उनके जैसे व्यक्ति को निर्वाचित प्रतिनिधि बने रहने का हक नहीं है।"

कोई भी मुसलमान पाकिस्तान का समर्थन नहीं करता, हम हमेशा 'पाकिस्तान मुर्दाबाद' का नारा लगाते रहेंगे: कांग्रेस विधायक अमीन कागजी

दैनिक भास्कर के अनुसार, स्थानीय कांग्रेस विधायक अमीन कागजी ने एक और उभरती हुई नैरेटिव का जिक्र किया यानी कि आरोप है कि मुसलमानों ने पाकिस्तान विरोधी नारों पर आपत्ति जताई। कागजी ने इन अफवाहों को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि, “मस्जिद के बाहर लगाए गए ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’ के नारों को लेकर गलत धारणा फैलाई जा रही है। न तो मैं और न ही यहां के मुस्लिम समुदाय के लोग पाकिस्तान के प्रति कोई सहानुभूति रखते हैं। हम हमेशा ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’ का नारा लगाते रहेंगे।”

उन्होंने आचार्य पर मस्जिद में जबरन घुसने, पोस्टर लगाने और माहौल को खराब करने का आरोप लगाया। कागजी ने कहा कि मुस्लिम नेताओं ने पुलिस कमिश्नर से मुलाकात की है और प्रशासन को समुदाय की मांगों पर कार्रवाई करने के लिए दो दिन की समयसीमा दी है।

विधायक रफीक खान ने कहा, “पाकिस्तान मुर्दाबाद हमेशा कहते रहेंगे”

इसी तरह की भावनाओं को दोहराते हुए विधायक रफीक खान ने कहा कि पहलगाम में हुई त्रासदी से पूरा देश दुखी है। हाल ही में हुई सर्वदलीय बैठक का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सभी दलों ने हमले का जवाब देने में सरकार का समर्थन करने पर सहमति जताई है, तो उन्होंने पूछा कि आचार्य इस मुद्दे का राजनीतिकरण क्यों कर रहे हैं? खान ने कहा, "पाकिस्तान मुर्दाबाद हमारा नारा था, है और हमेशा रहेगा।" "आज हम मस्जिद के अंदर ही 'पाकिस्तान मुर्दाबाद' लिखे पोस्टर के साथ खड़े हैं। हम पोस्टरों से परेशान नहीं हैं। हम जिस चीज की निंदा करते हैं, वह है नमाज के दौरान मस्जिद में घुसकर नारे लगाना। यह अपमानजनक था।"

उन्होंने आरोप लगाया कि आचार्य जानबूझकर शहर में सांप्रदायिक शांति को बाधित करने की कोशिश कर रहे हैं, उन्होंने कहा कि भाजपा विधायक ने बार-बार कानून का उल्लंघन किया है, फिर भी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। खान ने चेतावनी दी कि अगर अगले दो दिनों में कोई कार्रवाई नहीं की गई तो समुदाय सड़कों पर उतरेगा।

आगे क्या है: शांति या विरोध?

जयपुर में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। मुस्लिम नेताओं ने अब तक संयम दिखाया है, कानूनी रास्ते अपनाए हैं और कानून प्रवर्तन एजेंसियों से आधिकारिक संवाद किया है। लेकिन समुदाय का धैर्य जवाब दे रहा है। समयसीमा जारी होने और विरोध प्रदर्शन के वादे के साथ, यह देखना बाकी है कि प्रशासन बालमुकुंद आचार्य के खिलाफ कार्रवाई करेगा या राजस्थान की राजधानी में सांप्रदायिक अशांति को और बढ़ाएगा।

राजनीतिक नतीजा: भाजपा नेतृत्व ने खुद को अलग कर लिया

इस विवाद की भाजपा के भीतर से भी आलोचना हुई। रिपोर्टों के अनुसार, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और पार्टी के वरिष्ठ नेता आचार्य के कार्यों से नाखुश थे, खासकर संवेदनशील माहौल को देखते हुए। कथित तौर पर राज्य भाजपा अध्यक्ष मदन राठौर ने आचार्य को फोन करके अपनी असहमति व्यक्त की। बातचीत के बाद आचार्य ने नेतृत्व को आश्वासन दिया कि वे भविष्य में ज्यादा सावधानी बरतेंगे और ऐसी घटनाओं से बचेंगे।

पिछले विवाद: भड़काऊ कार्रवाइयों का एक पैटर्न

यह पहली बार नहीं है जब आचार्य ने खुद को विवाद के केंद्र में पाया है। इससे पहले, उन्होंने मांस खाने, मस्जिदों में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल और स्कूलों में लड़कियों द्वारा हिजाब पहनने के खिलाफ अभियान चलाया था। उन्होंने जयपुर से बांग्लादेशी और रोहिंग्या शरणार्थियों को हटाने की भी मांग की थी। इन कार्रवाइयों की चारों तरफ आलोचना हुई है। विरोधियों ने उन पर राजनीतिक लाभ के लिए सांप्रदायिक तनाव भड़काने का आरोप लगाया है।

एक घटना में, आचार्य पर जयपुर के बड़ा बदनपुरा इलाके में एक शिया धार्मिक स्थल पर अतिक्रमण और अनुचित व्यवहार करने का आरोप लगाया गया था। समुदाय के नेताओं ने सांप्रदायिक सद्भाव को खतरे में डालने और पुलिस की निष्क्रियता की शिकायतों को परेशान करने वाले कारकों के रूप में बताते हुए त्वरित कार्रवाई का आग्रह किया।

आगे की राह: सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देना

2 मई की घटनाओं ने जयपुर में नाजुक सांप्रदायिक संबंधों को उजागर कर दिया है। हालांकि आचार्य की माफी का उद्देश्य तनाव को शांत करना हो सकता है, लेकिन इससे अंतर-समुदाय विश्वास पर जो दबाव पड़ा है, उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। जबकि अदालतें अंततः कानूनी जवाबदेही तय करेंगी, लेकिन सबसे बड़ा काम शहर के सामाजिक ताने-बाने को सुधारना है।

हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के नेताओं ने आगे आकर बेहतर संवाद, आपसी सम्मान और साझा विरासत का आह्वान किया है। वे हमें याद दिलाते हैं कि भारत की ताकत विविधता में एकता के प्रति उसकी प्रतिबद्धता में निहित है और संवैधानिक आदर्शों को बनाए रखना एक साझा उद्देश्य बना रहना चाहिए।

जामा मस्जिद के बाहर विरोध-प्रदर्शन और उसके बाद की हर घटना इस बात का जिक्र करती है कि कैसे शब्द और कार्य आसानी से सांप्रदायिक जीवन के नाजुक संतुलन को आकार दे सकते हैं और कभी-कभी हिला भी सकते हैं। राजनीतिक नेताओं को, विशेष रूप से, सावधानी से कदम उठाना चाहिए, क्योंकि उन्हें पता है कि ऐसे क्षणों में उनका प्रभाव बहुत ज्यादा होता है।

जबकि जयपुर आगे बढ़ना चाहता है, तो रास्ता चुनने, सहानुभूति रखने और विश्वास को फिर से बनाने का होना चाहिए यानी कदम से कदम, पड़ोसी से पड़ोसी तक।

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