मनुस्मृति विरोध प्रदर्शन को लेकर गिरफ्तार बीएचयू के छात्रों को 17 दिन बाद जमानत मिली

Written by sabrang india | Published on: January 13, 2025
भगत सिंह छात्र मोर्चा के बैनर तले अधिवक्ताओं और कार्यकर्ताओं ने गैरकानूनी हिरासत की निंदा की और कहा कि वे न्याय व लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।



बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में मनुस्मृति को जलाने के प्रयास के आरोप में गिरफ्तार किए गए तेरह छात्रों को 11 जनवरी, 2025 को जमानत दे दी गई। इसके अगले दिन रविवार को छात्रों ने मैदागिन स्थित पराड़कर भवन में भगत सिंह छात्र मोर्चा के बैनर तले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस किया। गौरतलब है कि गिरफ्तार किए गए छात्रों मुकेश कुमार, संदीप जायसवाल, अमर शर्मा, अरविंद पाल, अनुपम कुमार, लक्ष्मण कुमार, अविनाश, अरविंद, शुभम कुमार, आदर्श, इप्सिता अग्रवाल, सिद्धि तिवारी और कात्यायनी बी रेड्डी शामिल थे।

इस कार्यक्रम के दौरान अधिवक्ता प्रेम प्रकाश सिंह यादव ने इन गिरफ्तारियों की आलोचना करते हुए कहा कि छात्रों की हिरासत पूरी तरह से अवैध थी। अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, अधिवक्ता यादव ने आरोप लगाया कि उनकी हिरासत में सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों और मौलिक मानवाधिकारों का उल्लंघन किया गया है। अधिवक्ता यादव ने पुलिस रिकॉर्ड में विसंगतियों को उजागर करते हुए कहा कि 25 दिसंबर की शाम को तीन छात्राओं को गिरफ्तार किया गया था, जबकि प्राथमिकी में गिरफ्तारी की तारीख 26 दिसंबर बताई गई थी। उन्होंने आश्वासन दिया कि गिरफ्तारी में शामिल अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

भगत सिंह छात्र मोर्चा की अध्यक्ष आकांक्षा आजाद ने प्रेस को संबोधित करते हुए संगठन की लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए लड़ने और पिछले एक दशक में बीएचयू प्रशासन की अन्यायपूर्ण नीतियों को चुनौती देने की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता पर जोर दिया। उन्होंने पिछले साल की एक घटना को याद किया जिसमें विश्वविद्यालय और जिला प्रशासन ने आईआईटी-बीएचयू की छात्रा से जुड़े सामूहिक बलात्कार के मामले में आरोपियों को कथित तौर पर बचाया था। उन्होंने कहा कि मोर्चा के लगातार प्रयासों के कारण तीनों अपराधियों की गिरफ्तारी हुई जिससे उनके संगठन को प्रतिशोध का सामना करना पड़ा। आजाद ने कहा कि मनुस्मृति मामले में हाल ही में हुई गिरफ्तारियां अधिकारियों द्वारा इसी प्रतिशोध का हिस्सा थीं।


नागरिक समाज के प्रतिनिधि एसपी राय ने विश्वविद्यालय के इस विरोधाभास पर सवाल उठाया और कहा कि बीएचयू मनुस्मृति पर शोध के लिए फेलोशिप तो देता है लेकिन अपने परिसर में इस पर चर्चा करने वालों को दंडित करता है। राय ने छात्रों के साथ एकजुटता व्यक्त की और पुष्टि की कि नागरिक समाज उनके साथ मजबूती से खड़ा है। इप्सिता, सिद्धि, कात्यायनी, संदीप और मुकेश समेत कई कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लिया।

भगत सिंह छात्र मोर्चा ने छात्रों के खिलाफ लगाए गए मनगढ़ंत आरोपों को और स्पष्ट करने के लिए एक और प्रेस कॉन्फ्रेंस की घोषणा की थी। अधिवक्ता प्रेम प्रकाश यादव ने दोहराया कि आरोप निराधार हैं और दुर्भावनापूर्ण इरादे से लगाए गए हैं।

घटना की पृष्ठभूमि

भगत सिंह छात्र मोर्चा (बीएसएम) से जुड़ी तीन महिलाओं समेत 13 लोगों की गिरफ्तारी 26 दिसंबर, 2024 को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में हुई एक घटना के बाद हूई। मार्क्सवादी छात्र संगठन बीएसएम ने 25 दिसंबर को मनुस्मृति दहन दिवस मनाने के लिए एक चर्चा का आयोजन किया था जो जातिगत भेदभाव के खिलाफ डॉ. बी.आर. अंबेडकर द्वारा 1927 में प्रतीकात्मक रूप से मनुस्मृति को जलाने की याद में मनाया जाता है। कला संकाय में आयोजित इस कार्यक्रम को विश्वविद्यालय के अधिकारियों और सुरक्षा कर्मियों ने बाधित किया जिससे टकराव हुआ। छात्रों पर मनुस्मृति की प्रतियां जलाने की योजना बनाने का आरोप लगाया गया और उन्हें जबरन हिरासत में लिया गया।

अगले दिन, बीएचयू के सुरक्षा अधिकारी ओमप्रकाश तिवारी और सहायक सुरक्षा अधिकारी हसन अब्बास जैदी ने 13 बीएसएम सदस्यों के खिलाफ एक एफआईआर (संख्या 523/2024) दर्ज की। एफआईआर में आरोप लगाया गया कि छात्रों ने कला संकाय चौक के पास अपनी सभा के दौरान सुरक्षा कर्मचारियों को धक्का देने और हमला करने के साथ साथ हिंसक और नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों में शामिल थे। गिरफ्तार किए गए लोगों में नौ मौजूदा छात्र और चार पूर्व छात्र थे। उन पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), 2023 की कई धाराओं के तहत आरोप लगाए गए, जिसमें एक लोक सेवक को रोकने के लिए हमला करना या आपराधिक कार्य करना, जानबूझकर किए गए कृत्यों के माध्यम से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना, दंगा करना और गैर इरादतन हत्या करने का प्रयास करना शामिल है।

शिकायत में आरोप लगाया गया था कि 25 दिसंबर को 20-25 बीएसएम सदस्यों का एक समूह मनुस्मृति को जलाने के इरादे से शाम 5:30 बजे कला संकाय के पास इकट्ठा हुआ था। जब सुरक्षा कर्मियों ने उनसे संपर्क किया तो छात्रों ने कथित तौर पर दुर्व्यवहार किया, गार्डों पर हमला किया और दो महिला सुरक्षा कर्मचारियों शिप्रा मिश्रा और शिखा मिश्रा को घायल कर दिया जिन्हें बीएचयू ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया। एफआईआर में आगे कहा गया कि छात्रों की हरकतों ने सार्वजनिक सद्भाव को बिगाड़ा।

गिरफ्तार छात्रों को लंका पुलिस स्टेशन ने हिरासत में ले लिया। बाद में उन्हें वाराणसी जिला न्यायालय द्वारा 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया और वे चौकाघाट स्थित जिला जेल में रखे गए।

छात्रों की रिपोर्ट में हिरासत के दौरान काफी दुर्व्यवहार का आरोप लगाया गया था। दावा किया गया है कि छात्रों के साथ मारपीट की गई, उनके कपड़े फाड़े गए और निजी सामान को नुकसान पहुंचाया गया। प्रॉक्टोरियल बोर्ड और पुलिस ने कथित तौर पर उनके शैक्षणिक और भविष्य को बर्बाद करने की धमकी दी थी। हिरासत में लिए गए छात्रों को कानूनी सलाह के बिना रात भर रखा गया और कथित तौर पर हिरासत में पीटा गया जिससे वे घायल हो गए।

जैसे ही उन्हें जेल ले जाया गया छात्रों ने “मनुस्मृति मुर्दाबाद”, “इंकलाब जिंदाबाद”, “जय भीम” और “छात्रों के खिलाफ हिंसा बंद करो” जैसे नारे लगाकर विरोध जताया, जो सरकारी दमन के रूप में उनके प्रतिरोध को दर्शाता है। 13 छात्रों के खिलाफ लगाए गए आरोपों में अधिकतम 10 साल की जेल की सजा का प्रावधान है।

विस्तृत रिपोर्ट यहां पढ़ी जा सकती है।

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