BHU स्टूडेंट्स की गिरफ्तारी के खिलाफ बनारस नागरिक समाज का प्रदर्शन, राष्ट्रपति के नाम जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा

Written by sabrang india | Published on: January 4, 2025
प्रतिनिधियों द्वारा कचहरी पहुंच कर जिलाधिकारी के प्रतिनिधि को ज्ञापन सौंपा गया जिसमें मांग की गई कि स्टूडेंट्स पर दर्ज FIR को तत्काल रद्द किया जाए। इस मामले में पुलिस की भूमिका संदेहास्पद है इसलिए पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए।



BHU में 25 दिसंबर को मनुस्मृति दहन दिवस पर चर्चा करने को लेकर गिरफ्तार किए गए स्टूडेंट्स के समर्थन में नाराजगी जाहिर करते हुए आक्रोश मार्च निकाला गया और उनकी रिहाई की मांग की गई। इस आक्रोश मार्च में बनारस के प्रतिष्ठित सामाजिक- राजनैतिक कार्यकर्ताओं अधिवक्ताओं और जनपक्षधर पत्रकारों ने शास्त्री घाट से जिलाधिकारी कार्यालय तक विशाल मार्च निकाला।

प्रतिनिधियों द्वारा कचहरी पहुंच कर जिलाधिकारी के प्रतिनिधि को ज्ञापन सौंपा गया जिसमें मांग की गई कि स्टूडेंट्स पर दर्ज FIR को तत्काल रद्द किया जाए। इस मामले में पुलिस की भूमिका संदेहास्पद है इसलिए पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए। साथ ही सभी साथियों को बिना शर्त तत्काल रिहा करने की मांग की गई तथा इस बाबत इससे पहले दी गई ज्ञापन में क्या कार्यवाही की गई है, इसकी मांग की गई।

ज्ञात हो कि मार्च में मुख्य रूप से छेदीलाल निराला, एस पी राय, अनूप श्रमिक, राम जनम चौधरी राजेंद्र, प्रवाल कुमार सिंह, अधिवक्ता राजेश कुमार यादव, अफलातून, आर डी सिंह, राजकुमार गुप्ता, लक्ष्मण प्रसाद मौर्या, संदीप कुमार, अशोक प्रजापति, मनीष शर्मा, सागर, शहजादी, शिवदास, विनय, चहेटू, मोहन और आकांक्षा सहित बड़ी संख्या में लोग शामिल रहे। इस मार्च में निर्दोष स्टूडेंट्स को रिहा करो, बाबा साहब आंबेडकर अमर रहे, योगी आदित्यनाथ इस्तीफा दो, फर्जी मुकदमा रद्द करो, मनुस्मृति मुर्दाबाद जैसे नारे लगाए गए।


ज्ञात हो कि बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में भगतसिंह स्टूडेंट्स मोर्चा के 13 कार्यकर्ताओं को मनुस्मृति पर चर्चा आयोजित करने के लिए गिरफ्तार किए जाने के विरोध में गत गुरूवार को शहर के प्रतिष्ठित सामाजिक, राजनीतिक और शैक्षणिक कार्यकर्ताओं ने अहम बैठक की। यह बैठक पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) के वाराणसी अध्यक्ष प्रवाल कुमार सिंह की अध्यक्षता में संपन्न हुई।

रिपोर्ट के अनुसार, इस बैठक में वाराणसी पुलिस की भूमिका और उनके द्वारा दर्ज किए गए फर्जी व मनगढ़ंत एफआईआर की कड़ी आलोचना की गई। वक्ताओं ने इसे छात्रों के भविष्य को बर्बाद करने की साजिश करार देते हुए बीएचयू के चीफ प्रॉक्टर शिव प्रकाश सिंह के तत्काल इस्तीफे की मांग की।

बता दें कि पिछले सप्ताह अधिवक्ताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने वाराणसी के पुलिस आयुक्त से मुलाकात कर बीएचयू से गिरफ्तार छात्रों पर दर्ज फर्जी आरोप को हटाने की मांग की थी। अधिवक्ताओं ने छात्रों पर लगाई गई मनगढ़ंत, गंभीर और गैर जमानती धाराओं को हटाने तथा मामले की जांच डीसीपी स्तर के अधिकारी से कराने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की।

छात्रों की गिरफ्तारियां 26 दिसंबर 2024 की एक घटना के बाद हुई जब बीएचयू के मार्क्सवादी छात्र संगठन भगत सिंह छात्र मोर्चा (बीएसएम) से जुड़े तीन महिलाओं सहित 13 छात्रों को वाराणसी के लंका पुलिस स्टेशन ने हिरासत में लिया था। इसके बाद उन्हें वाराणसी जिला न्यायालय ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। ये गिरफ्तारियां 25 दिसंबर को मनुस्मृति दहन दिवस पर आयोजित एक चर्चा के बाद हुई, जो डॉ बीआर अंबेडकर द्वारा 1927 में मनुस्मृति को जलाने की ऐतिहासिक घटना की याद में मनाया जाता है। विश्वविद्यालय के कला संकाय में आयोजित इस चर्चा को विश्वविद्यालय के अधिकारियों और सुरक्षा कर्मचारियों ने बाधित कर दिया, जिससे छात्रों और सुरक्षा गार्डों के बीच झड़प हो गई। 

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