आरोपियों ने कथित तौर पर कहा, “तुम चमा.. जाति की हो, तुम्हारा काम भीख मांगना है।”

फोटो साभार : पीटीआई
एक दलित महिला रेशमा कांबले ने आरोप लगाया है कि विले पारले में एक उत्तर भारतीय गुप्ता परिवार ने सड़क किनारे व्यवसाय को लेकर हुए विवाद के बाद उनके और उनके घायल बेटे के साथ मारपीट की। यह घटना शनिवार को हुई थी। मुंबई मिरर की रिपोर्ट के अनुसार, इस दौरान रेशमा कांबले की जाति को लेकर जातिसूचक गालियां भी दी गईं। आरोपियों ने कथित तौर पर कहा, “तुम चमा.. जाति की हो, तुम्हारा काम भीख मांगना है।”
एक वायरल वीडियो में कांबले ने दावा किया कि परिवार ने उन्हें और उनके बेटे को एक कमरे में बंद कर दिया और 15 मिनट तक बुरी तरह पीटा। उन्होंने बताया कि गुप्ता परिवार के तीन पुरुषों और एक महिला ने उन पर हमला किया, उनके बाल खींचे और उनकी गर्दन पर गंभीर चोट पहुंचाई। इस बीच, पहले से ही घायल उनके बेटे को भी आरोपियों के दो बेटों और उनकी मां ने पीटा।
कांबले ने आरोप लगाया कि जब वह अपने बेटे के साथ पुलिस स्टेशन पहुंचीं तो आरोपियों ने अधिकारियों की मौजूदगी में उन्हें जान से मारने की धमकी दी। उन्होंने पुलिस पर गुप्ता परिवार का पक्ष लेने, उनके साथ दुर्व्यवहार करने और कार्रवाई करने के बजाय उन्हें थाने से भगाने का भी आरोप लगाया।
बता दें कि देश में दलित समाज के लोगों के साथ भेदभाव और उनके साथ बदसलूकी रोजाना की सुर्खियां बन गई हैं। हाल में हरियाणा में एक दलित युवक की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हुई जिसके बाद परिवार ने दस दिनों तक न्याय की मांग को लेकर शव के साथ प्रदर्शन किया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसको लेकर प्रदेश सरकार पर तीखा हमला किया।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, गणेश कुमार की मौत के बाद से उनके परिजन 7 जुलाई से लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे थे और पुलिस पर उनकी हत्या का आरोप लगा रहे थे। परिजन आरोप लगा रहे हैं कि गणेश की मौत पुलिस द्वारा उसे छत से धक्का देने के कारण हुई।
प्रदेश की सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री कृष्ण कुमार बेदी ने कहा कि गणेश कुमार के परिवार ने राज्य सरकार द्वारा उनकी पांच मांगों को स्वीकार किए जाने के बाद विरोध समाप्त करने और शव का अंतिम संस्कार करने पर सहमति जताई थी।
भेदभाव को लेकर अदालत सख्त
ज्ञात हो कि बीते दिनों मद्रास हाईकोर्ट ने दलितों के साथ भेदभाव को लेकर सख्त नाराजगी जाहिर की थी। सार्वजनिक जल स्रोतों से पानी लेने में अनुसूचित जाति समुदाय के साथ हो रहे भेदभाव को लेकर हाईकोर्ट ने नारागी जाहिर करते हुए कहा है कि यह "वैज्ञानिक युग में भी हैरान करने वाला और दुखद है" कि कुछ समुदायों को अब भी अपने हक के पानी के लिए इंतजार करना पड़ता है।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, न्यायमूर्ति आर. एन. मंजुला ने कहा था कि यह बेहद दुःखद है कि आज भी कुछ समुदायों को सार्वजनिक संसाधनों तक पहुंच दूसरों के बाद ही मिलती है, जबकि संविधान और कानून सभी नागरिकों को बराबर के अधिकार देते हैं।
अदालत ने कहा, “पानी जैसी प्राकृतिक संपत्ति सभी लोगों के लिए है। यह बेहद हैरान करने वाली बात है कि आज के वैज्ञानिक और आधुनिक युग में भी कुछ समुदायों को केवल अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है। क्या हम सभी एक ही मानव समाज का हिस्सा नहीं हैं?”
‘मूकदर्शक नहीं रह सकता प्रशासन’
हाईकोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि हालांकि जाति और वर्ग आधारित मानसिकता को पूरी तरह खत्म करना आसान नहीं है, लेकिन जो लोग सत्ता और प्रशासनिक दायित्वों में हैं, वे केवल मूकदर्शक बनकर नहीं रह सकते।
कोर्ट ने कहा, “अगर प्रशासनिक पदों पर बैठे लोग ऐसी घटनाओं पर चुप्पी साधे रहते हैं, तो उन्हें भी इस संकीर्ण मानसिकता का सहभागी माना जाएगा। हमें केवल दिखावे की नहीं, बल्कि ठोस, व्यावहारिक और शांतिपूर्ण कदम उठाने की जरूरत है।”
ऊंची जाति के लोगों द्वारा अपमान के बाद की आत्महत्या
करीब एक सप्ताह पहले गुजरात के बनासकांठा जिले के वासरदा गांव में ऊंची जाति के पांच लोगों द्वारा कथित तौर पर मारपीट और अपमान का सामना करने के बाद 19 वर्षीय दलित युवक महेंद्र कलाभाई परमार ने आत्महत्या कर ली।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार महेंद्र के चाचा द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी के अनुसार, 10 जुलाई को ग्राम पंचायत के पास रबारी समुदाय के पांच लोगों - खेताभाई, सेंधाभाई, रुदाभाई, अमराभाई और लाखाभाई - ने युवक की पिटाई की थी। उन्होंने कथित तौर पर "उनके जैसे" कपड़े पहनने पर आपत्ति जताई थी।
महेंद्र का शव दो दिन बाद पास के एक कुएं में मिला। उसके परिवार का मानना है कि जाति-आधारित अपमान ने उसे आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया।
डीजे बजाने पर हमला
इसी महीने की शुरूआत में उत्तर प्रदेश में ऊंची जातियों द्वारा दलित की शादी को निशाना बनाया गया। मथुरा के दहरूआ गांव में दो दलित दूल्हों की बारात के दौरान डीजे पर भीमराव अंबेडकर और जाटव समुदाय की शान में बज रहे गीतों को लेकर हिंसा भड़क उठी। आरोप था कि ठाकुर समुदाय के कुछ लोगों ने इन गीतों पर आपत्ति जताते हुए बारात पर पथराव किया और मारपीट की।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना थाना जमुनापार क्षेत्र के दहरूआ गांव में शनिवार शाम करीब 6:30 से 7:30 बजे के बीच हुई। एफआईआर के अनुसार, पीड़ित परिवार के सदस्य देवेंद्र कुमार ने बताया कि उनके भाई राम कुमार (22) और सौरभ कुमार (23) की बारात में डीजे पर जाटव समाज की महिमा और डॉ. भीमराव अंबेडकर के सम्मान में गीत बजाए जा रहे थे। इसी दौरान ठाकुर समुदाय के कुछ लोगों ने इन गीतों का विरोध किया और गाली-गलौज करते हुए बारात पर पथराव शुरू कर दिया।
दलित हॉल में शादी कैसे कर सकते हैं?
ज्ञात हो कि इसी साल जून के शुरूआत में यूपी में एक शादी समारोह के दौरान कुछ लोगों ने लाठी-डंडों से एक दलित परिवार पर हमला कर दिया। हमलावरों ने कथित तौर पर जाति-सूचक गालियां दीं, क्योंकि वे इस बात से नाराज थे कि उत्तर प्रदेश के रसरा में एक दलित परिवार मैरिज हॉल का इस्तेमाल कर रहा था।
द ऑब्जर्वर की रिपोर्ट के अनुसार, एक घायल व्यक्ति राघवेंद्र गौतम ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने कहा, “हम जश्न मना रहे थे, तभी अचानक कुछ लोगों का एक समूह आया और चिल्लाने लगा, ‘दलित हॉल में शादी कैसे कर सकते हैं?’ फिर उन्होंने सभी को पीटना शुरू कर दिया।”
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फोटो साभार : पीटीआई
एक दलित महिला रेशमा कांबले ने आरोप लगाया है कि विले पारले में एक उत्तर भारतीय गुप्ता परिवार ने सड़क किनारे व्यवसाय को लेकर हुए विवाद के बाद उनके और उनके घायल बेटे के साथ मारपीट की। यह घटना शनिवार को हुई थी। मुंबई मिरर की रिपोर्ट के अनुसार, इस दौरान रेशमा कांबले की जाति को लेकर जातिसूचक गालियां भी दी गईं। आरोपियों ने कथित तौर पर कहा, “तुम चमा.. जाति की हो, तुम्हारा काम भीख मांगना है।”
एक वायरल वीडियो में कांबले ने दावा किया कि परिवार ने उन्हें और उनके बेटे को एक कमरे में बंद कर दिया और 15 मिनट तक बुरी तरह पीटा। उन्होंने बताया कि गुप्ता परिवार के तीन पुरुषों और एक महिला ने उन पर हमला किया, उनके बाल खींचे और उनकी गर्दन पर गंभीर चोट पहुंचाई। इस बीच, पहले से ही घायल उनके बेटे को भी आरोपियों के दो बेटों और उनकी मां ने पीटा।
कांबले ने आरोप लगाया कि जब वह अपने बेटे के साथ पुलिस स्टेशन पहुंचीं तो आरोपियों ने अधिकारियों की मौजूदगी में उन्हें जान से मारने की धमकी दी। उन्होंने पुलिस पर गुप्ता परिवार का पक्ष लेने, उनके साथ दुर्व्यवहार करने और कार्रवाई करने के बजाय उन्हें थाने से भगाने का भी आरोप लगाया।
बता दें कि देश में दलित समाज के लोगों के साथ भेदभाव और उनके साथ बदसलूकी रोजाना की सुर्खियां बन गई हैं। हाल में हरियाणा में एक दलित युवक की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हुई जिसके बाद परिवार ने दस दिनों तक न्याय की मांग को लेकर शव के साथ प्रदर्शन किया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसको लेकर प्रदेश सरकार पर तीखा हमला किया।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, गणेश कुमार की मौत के बाद से उनके परिजन 7 जुलाई से लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे थे और पुलिस पर उनकी हत्या का आरोप लगा रहे थे। परिजन आरोप लगा रहे हैं कि गणेश की मौत पुलिस द्वारा उसे छत से धक्का देने के कारण हुई।
प्रदेश की सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री कृष्ण कुमार बेदी ने कहा कि गणेश कुमार के परिवार ने राज्य सरकार द्वारा उनकी पांच मांगों को स्वीकार किए जाने के बाद विरोध समाप्त करने और शव का अंतिम संस्कार करने पर सहमति जताई थी।
भेदभाव को लेकर अदालत सख्त
ज्ञात हो कि बीते दिनों मद्रास हाईकोर्ट ने दलितों के साथ भेदभाव को लेकर सख्त नाराजगी जाहिर की थी। सार्वजनिक जल स्रोतों से पानी लेने में अनुसूचित जाति समुदाय के साथ हो रहे भेदभाव को लेकर हाईकोर्ट ने नारागी जाहिर करते हुए कहा है कि यह "वैज्ञानिक युग में भी हैरान करने वाला और दुखद है" कि कुछ समुदायों को अब भी अपने हक के पानी के लिए इंतजार करना पड़ता है।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, न्यायमूर्ति आर. एन. मंजुला ने कहा था कि यह बेहद दुःखद है कि आज भी कुछ समुदायों को सार्वजनिक संसाधनों तक पहुंच दूसरों के बाद ही मिलती है, जबकि संविधान और कानून सभी नागरिकों को बराबर के अधिकार देते हैं।
अदालत ने कहा, “पानी जैसी प्राकृतिक संपत्ति सभी लोगों के लिए है। यह बेहद हैरान करने वाली बात है कि आज के वैज्ञानिक और आधुनिक युग में भी कुछ समुदायों को केवल अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है। क्या हम सभी एक ही मानव समाज का हिस्सा नहीं हैं?”
‘मूकदर्शक नहीं रह सकता प्रशासन’
हाईकोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि हालांकि जाति और वर्ग आधारित मानसिकता को पूरी तरह खत्म करना आसान नहीं है, लेकिन जो लोग सत्ता और प्रशासनिक दायित्वों में हैं, वे केवल मूकदर्शक बनकर नहीं रह सकते।
कोर्ट ने कहा, “अगर प्रशासनिक पदों पर बैठे लोग ऐसी घटनाओं पर चुप्पी साधे रहते हैं, तो उन्हें भी इस संकीर्ण मानसिकता का सहभागी माना जाएगा। हमें केवल दिखावे की नहीं, बल्कि ठोस, व्यावहारिक और शांतिपूर्ण कदम उठाने की जरूरत है।”
ऊंची जाति के लोगों द्वारा अपमान के बाद की आत्महत्या
करीब एक सप्ताह पहले गुजरात के बनासकांठा जिले के वासरदा गांव में ऊंची जाति के पांच लोगों द्वारा कथित तौर पर मारपीट और अपमान का सामना करने के बाद 19 वर्षीय दलित युवक महेंद्र कलाभाई परमार ने आत्महत्या कर ली।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार महेंद्र के चाचा द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी के अनुसार, 10 जुलाई को ग्राम पंचायत के पास रबारी समुदाय के पांच लोगों - खेताभाई, सेंधाभाई, रुदाभाई, अमराभाई और लाखाभाई - ने युवक की पिटाई की थी। उन्होंने कथित तौर पर "उनके जैसे" कपड़े पहनने पर आपत्ति जताई थी।
महेंद्र का शव दो दिन बाद पास के एक कुएं में मिला। उसके परिवार का मानना है कि जाति-आधारित अपमान ने उसे आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया।
डीजे बजाने पर हमला
इसी महीने की शुरूआत में उत्तर प्रदेश में ऊंची जातियों द्वारा दलित की शादी को निशाना बनाया गया। मथुरा के दहरूआ गांव में दो दलित दूल्हों की बारात के दौरान डीजे पर भीमराव अंबेडकर और जाटव समुदाय की शान में बज रहे गीतों को लेकर हिंसा भड़क उठी। आरोप था कि ठाकुर समुदाय के कुछ लोगों ने इन गीतों पर आपत्ति जताते हुए बारात पर पथराव किया और मारपीट की।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना थाना जमुनापार क्षेत्र के दहरूआ गांव में शनिवार शाम करीब 6:30 से 7:30 बजे के बीच हुई। एफआईआर के अनुसार, पीड़ित परिवार के सदस्य देवेंद्र कुमार ने बताया कि उनके भाई राम कुमार (22) और सौरभ कुमार (23) की बारात में डीजे पर जाटव समाज की महिमा और डॉ. भीमराव अंबेडकर के सम्मान में गीत बजाए जा रहे थे। इसी दौरान ठाकुर समुदाय के कुछ लोगों ने इन गीतों का विरोध किया और गाली-गलौज करते हुए बारात पर पथराव शुरू कर दिया।
दलित हॉल में शादी कैसे कर सकते हैं?
ज्ञात हो कि इसी साल जून के शुरूआत में यूपी में एक शादी समारोह के दौरान कुछ लोगों ने लाठी-डंडों से एक दलित परिवार पर हमला कर दिया। हमलावरों ने कथित तौर पर जाति-सूचक गालियां दीं, क्योंकि वे इस बात से नाराज थे कि उत्तर प्रदेश के रसरा में एक दलित परिवार मैरिज हॉल का इस्तेमाल कर रहा था।
द ऑब्जर्वर की रिपोर्ट के अनुसार, एक घायल व्यक्ति राघवेंद्र गौतम ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने कहा, “हम जश्न मना रहे थे, तभी अचानक कुछ लोगों का एक समूह आया और चिल्लाने लगा, ‘दलित हॉल में शादी कैसे कर सकते हैं?’ फिर उन्होंने सभी को पीटना शुरू कर दिया।”
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