छत्तीसगढ़ : पुलिस द्वारा नौ बंगाली मुस्लिम प्रवासी मजदूरों को हिरासत में लेने पर महुआ मोइत्रा ने इसे “राज्य प्रायोजित अपहरण” बताया

Written by sabrang india | Published on: July 16, 2025
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने इसे "राज्य प्रायोजित अपहरण" करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके निर्वाचन क्षेत्र कृष्णा नगर से संबंधित नौ मजदूरों को, जो कोंडागांव जिले के अलबेडापाड़ा में एक निजी स्कूल निर्माण स्थल पर राजमिस्त्री के रूप में काम कर रहे थे, 12 जुलाई को पुलिस ने उठा लिया।


फोटो साभार : एचटी (फाइल फोटो)

पश्चिम बंगाल के नौ प्रवासी मजदूरों को छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र के कोंडागांव पुलिस ने हिरासत में ले लिया। आरोप है कि वे कई दिनों से जिले में जरूरी दस्तावेज स्थानीय प्रशासन को जमा किए बिना रह रहे थे।

यह कार्रवाई बीएनएसएस की धारा 128 (संदिग्ध व्यक्तियों से अच्छे आचरण के लिए सुरक्षा) के तहत की गई।

सोमवार को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में एक हिबीयस कॉर्पस याचिका दायर की गई।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, जिला प्रशासन द्वारा दिए गए एक पत्र के बाद सोमवार शाम को मजदूरों को रिहा कर दिया गया।

टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने इसे "राज्य प्रायोजित अपहरण" करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके निर्वाचन क्षेत्र कृष्णा नगर से संबंधित नौ मजदूरों को, जो कोंडागांव जिले के अलबेडापाड़ा में एक निजी स्कूल निर्माण स्थल पर राजमिस्त्री के रूप में काम कर रहे थे, 12 जुलाई को पुलिस ने उठा लिया।

मोइत्रा ने कहा, “वे सभी साइट पर ही रह रहे थे, तभी पुलिस आई और उन्हें उठा ले गई। उनके पास सभी वैध दस्तावेज थे।” उन्होंने आगे बताया कि तब से उनके फोन बंद हैं।

परिवारों के अनुसार, इन लोगों को बस्तर जिले के जगदलपुर जेल में रखा गया है।

मोइत्रा ने दावा किया, “ये सभी नौ मजदूर एक ठेकेदार के साथ उचित दस्तावेज ले कर गए थे।”

उन्होंने सरकार पर संवाद की घोर कमी का आरोप लगाते हुए कहा, “पश्चिम बंगाल सरकार और परिवारों को कोई सूचना नहीं दी गई। न हमें कोई हिरासत आदेश मिला है, न ही किसी सुनवाई की जानकारी। उन्हें न वकील मिला, न ही फोन करने की अनुमति।”

हालांकि अधिकारियों का कहना है कि इन मजदूरों को रिहा कर दिया गया है। वहीं मोइत्रा ने कहा, “हमारे पास उनमें से किसी से भी संपर्क नहीं हो पा रहा है, उनके मोबाइल अब भी बंद हैं।”

बेताल कृष्णानगर पुलिस के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) द्वारा जारी सत्यापन रिपोर्ट में कहा गया है कि ये सभी मज़दूर-सोहेल शेख, सहाबुल शेख, इनामुल मंडल, रहीम शेख, सयान शेख, महबूब शेख, मोनिरुल इस्लाम मंडल और रिपोन शेख- नदिया जिले के थाना थानारपाड़ा के अंतर्गत गांव मथुरापुर और लक्ष्मीपुर के स्थायी निवासी हैं।

रिपोर्ट में कहा गया, “यह प्रमाणित किया जाता है कि ये सभी भारतीय नागरिक हैं।”

ज्ञात हो कि गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और ओडिशा जैसे भाजपा शासित राज्यों में सैकड़ों बंगाली प्रवासी मजदूरों को अवैध प्रवासी होने के संदेह में हिरासत में लिया गया है। कई लोगों का आरोप है कि बंगाली भाषी मजदूरों के खिलाफ यह एक संगठित प्रयास है, भले ही उनके पास वैध दस्तावेज हों।

हाल ही में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह बंगाल के लोगों को "घुसपैठिया" समझती है और उन्हें सिस्टेमेटिक तरीके से निशाना बनाकर हटाना चाहती है।

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा शासित राज्यों में बंगाल के प्रवासी मजदूरों को निशाना बनाए जाने की खबरों के बीच, मंगलवार को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र में मतुआ समुदाय के लोगों को परेशान किया जा रहा है।

राज्यसभा सांसद और पश्चिम बंगाल प्रवासी कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष समीरुल इस्लाम ने कहा कि उनके कार्यालय को जानकारी मिली है कि उत्तर 24 परगना के कम से कम छह मतुआ समुदाय के सदस्य, जो वर्तमान में पुणे में रह रहे हैं, उन्हें पुलिस द्वारा परेशान किया जा रहा है।

उन्होंने कहा, “हमारे प्यारे मतुआ समुदाय के सदस्य महाराष्ट्र में बंगाल-विरोधी भाजपा सरकार द्वारा उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं। राजनीति में नफरत किसी को नहीं छोड़ती। भाजपा नेता बंगाली भाषी प्रवासी मजदूरों को रोहिंग्या कहकर बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं।”

एक सोशल मीडिया पोस्ट में समीरुल इस्लाम ने आरोप लगाया कि, “पुणे पुलिस ऑल इंडिया मतुआ महासंघ द्वारा जारी पहचान पत्र, इसके अलावा मतदाता पहचान पत्र (EPIC) और आधार कार्ड को मान्यता देने से इनकार कर रही है।” टीएमसी नेता ने यह भी कहा कि भाजपा सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री शांतनु ठाकुर स्वयं मतुआ समुदाय से आते हैं और सवाल उठाया, “क्या हमारे मतुआ भाई-बहन रोहिंग्या हैं?”

उन्होंने कहा कि उनके कार्यालय ने प्रभावित परिवार से संपर्क किया है, जिसने पुष्टि की कि अरुष अधिकारी और कम से कम पांच अन्य लोगों (जिनमें नाबालिग भी शामिल हैं) को बांग्लादेशी नागरिक होने के शक में पुलिस ने हिरासत में लिया है।

इससे पहले भी ओडिशा, महाराष्ट्र और राजस्थान में पश्चिम बंगाल के प्रवासी मजदूरों को परेशान और हिरासत में लिए जाने की खबरें सामने आ चुकी हैं। पिछले सप्ताह टीएमसी ने आरोप लगाया था कि ओडिशा में 400 से ज्यादा प्रवासी मजदूरों को हिरासत में लिया गया है। पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव ने इस मुद्दे पर ओडिशा के मुख्य सचिव को पत्र लिखा था।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इन घटनाओं पर विरोध जताते हुए कहा था, “केवल बंगाली बोलने से कोई व्यक्ति बांग्लादेशी नहीं हो जाता।”

Related

ओडिशा में संस्थागत हत्या: अपनी आवाज पहुंचाने के लिए एक छात्रा ने खुद को आग लगा ली

बिहार : अजीत अंजुम के खिलाफ मामला दर्ज करना पत्रकारों को डराना है कि वे एसआईआर प्रक्रिया पर रिपोर्टिंग न करें!

बाकी ख़बरें