ओडिशा : बाल विवाह से इनकार करने पर दलित परिवार तीन साल से झेल रहा सामाजिक बहिष्कार 

Written by sabrang india | Published on: June 17, 2025
प्रशांत बर, उनकी पत्नी और बेटी को ग्रामीणों ने पानी, जलाऊ लकड़ी, गांव के मंदिर, स्थानीय दुकानों, बाजारों और कृषि क्षेत्रों तक पहुंच से रोक दिया है। ऐसे में उन्हें सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा है।


फोटो साभार : एक्सप्रेस

ओडिशा के बालसोर जिले के सिंगला पुलिस सीमा अंतर्गत बलिया पाटी गांव में अपनी नाबालिग बेटी की शादी से इनकार करने पर अनुसूचित जाति के एक परिवार को पिछले तीन वर्षों से सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा है।

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, प्रशांत बार, उनकी पत्नी और बेटी को ग्रामीणों ने पानी, जलाऊ लकड़ी, गांव के मंदिर, स्थानीय दुकानों, बाजारों और कृषि क्षेत्रों तक पहुंच से वंचित करके सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा है।

तीन साल पहले, प्रशांत की नौवीं कक्षा में पढ़ने वाली बेटी को जंभीराई के एक युवक ने अगवा कर लिया था और बाद में उसे बचा लिया गया। घर लौटने के बाद, ग्रामीणों और युवक के माता-पिता ने प्रशांत और उसकी पत्नी पर लड़की की युवक के साथ शादी को स्वीकार करने का दबाव बनाया।

लेकिन, प्रशांत ने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि वह नाबालिग है और वह उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहती है। इसके बाद से इस मामले को लेकर दोनों पक्षों और गांव वालों के बीच कई बैठकें हुईं। हालांकि, प्रशांत अपने फैसले पर डंटे रहे। 

इसके बाद, गांव वालों के फैसले को न मानने पर कंगारू कोर्ट ने परिवार पर सामाजिक बहिष्कार लगा दिया। सोशल मीडिया पर चल रहे इस घटनाक्रम के वीडियो में गांव के मुखिया स्थानीय बाजार में जाकर प्रशांत के परिवार के सामाजिक बहिष्कार की घोषणा करते नजर आ रहे हैं।

इस बीच, तीन साल पहले नाबालिग का अपहरण करने वाला युवक अब शादीशुदा है, लेकिन गांव वाले बहिष्कार जारी रखे हुए हैं। फिलहाल, मामला इतना बिगड़ चुका है कि दंपति मानसिक रूप से प्रताड़ित हो रहे हैं। कॉलेज में पढ़ रही प्रशांत की बेटी ने 14 जून को सिंगला थाने में शिकायत दर्ज कराई और अपने माता-पिता के लिए न्याय की मांग की, लेकिन अभी तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है।

टीएनआईई से बात करते हुए सिंगला थाने की प्रभारी निरीक्षक कमलिनी तांडी ने कहा कि लड़की की शिकायत पुलिस अधिकारियों को तब मिली जब वह बालासोर में ड्यूटी पर थी। शिकायतकर्ता से जानकारी की पुष्टि करने के बाद कार्रवाई की जाएगी।

दलित परिवारों को बहिष्कार करने का यह अनोखा मामला नहीं है। इस घटना से पहले भी कई मौकों पर दलित परिवारों को सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ा है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2020 में हैदराबाद के इलाके में, एरोला हनुमानडलू और उनके परिवार ने जकरनपल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि तथा कथित वीडीसी (विलेज डेवलपमेंट कमेटी) ने उनके खिलाफ सामाजिक बहिष्कार का आदेश जारी किया। 

यह सब तब शुरू हुआ जब मेकला बबलू और उनके परिवार ने हनुमानडलू के परिवार द्वारा उनके घर के सामने ट्रैक्टर चलाने पर आपत्ति जताई। बाद में बबलू मामला वीडीसी के पास ले गया, जिसने हनुमानडलू से आर्थिक जुर्माना मांगा। जब परिवार ने भुगतान करने से इनकार कर दिया, तो वीडीसी ने कथित तौर पर सामाजिक बहिष्कार लागू कर दिया। 

शिकायत पर कार्रवाई करते हुए, पुलिस ने एससी/एसटी अधिनियम की धारा 3(1)(जेडसी), भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं (341, 323, 290, 506, 248 आर/डब्ल्यू 34) और नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 की धारा 4 के तहत मामला दर्ज किया।

इस मामले में 15 आरोपी को इस महीने आर्थिक जुर्माने की साथ जेल की सजा सुनाई गई।

Related

"रेप करने में असफल रहा तो चेहरे पर पेशाब किया": बाराबंकी में दलित महिला का आरोप

यूपी: अनुसूचित जाति के शोधार्थी को जान से मारने की धमकी देने के आरोप में बीजेपी नेता के खिलाफ मामला दर्ज

मध्य प्रदेश : कांग्रेस नेता प्रदीप अहिरवार का आरोप “दलित पहचानने के बाद तलवार से हमला किया”

बाकी ख़बरें