राजभवन तक मार्च करने वाले प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षा बलों द्वारा स्मोक बम और आंसू गैस छोड़े गए, जिससे करीब आठ लोग घायल हो गए।

उखरुल में शिरुई महोत्सव के बीच मणिपुर राज्य परिवहन (एमएसटी) की बसों से ‘मणिपुर’ शब्द हटाने के कथित आदेश के विरोध में रविवार दोपहर इंफाल में राजभवन तक मार्च कर रहे प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षाबलों ने स्मोक बम और आंसू गैस का इस्तेमाल किया, जिसमें करीब आठ लोग घायल हो गए।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, एक प्रमुख नागरिक संगठन 'कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑन मणिपुर इंटीग्रिटी' (कोकोमी) के जन आंदोलन के आह्वान पर बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी ख्वाइरामबंद कीथेल में इकट्ठा हुए। वे करीब 500 मीटर तक ही मार्च कर पाए कि पुलिस ने उन्हें रोक दिया। इसके बाद सुरक्षाबलों ने कंगला के पश्चिमी गेट के पास उन्हें तितर-बितर करने के लिए स्मोक बम छोड़े, जिनमें आठ से ज्यादा लोग घायल हो गए।
प्रदर्शनकारी राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से इस बात को लेकर माफी मांगने को कह रहे थे, क्योंकि उन्होंने सरकारी बसों से 'मणिपुर' नाम हटाए जाने के मामले में माफी मांगने से कथित तौर पर इनकार कर दिया। कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑन मणिपुर इंटीग्रिटी (कोकोमी) ने इस मुद्दे पर राज्यव्यापी आंदोलन की घोषणा की है और मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) तथा सुरक्षा सलाहकार के इस्तीफे की मांग भी की है।
समिति ने शनिवार को जारी एक बयान में कहा कि राज्यपाल को सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगने के लिए दी गई 48 घंटे की समयसीमा समाप्त हो चुकी है। इससे पहले, मणिपुर में शुक्रवार आधी रात को 48 घंटे की आम हड़ताल खत्म हो गई थी।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, बढ़ते जन आक्रोश के बीच गृह विभाग ने मणिपुर राज्य परिवहन की बस और सुरक्षाकर्मियों से जुड़े घटनाक्रम की जांच के लिए दो सदस्यीय समिति का गठन किया है, जो संबंधित तथ्यों और परिस्थितियों की समीक्षा करेगी।
एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि राज्यपाल अपनी चुप्पी के जरिए जनता की भावनाओं की उपेक्षा कर रहे हैं। उनके और उनके प्रशासन के रवैये ने राज्य की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत का अपमान किया है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार द्वारा गठित जांच आयोग अपर्याप्त है, क्योंकि इसमें दोषियों के खिलाफ किसी भी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया है।
कोकोमी के संयोजक अथौबा ने सुरक्षाबलों की कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि कोकोमी शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों, विशेष रूप से महिलाओं पर नकली बम और आंसू गैस के अनुचित इस्तेमाल को लेकर गहरी चिंता और असंतोष व्यक्त करता है। उन्होंने कहा कि भीड़ नियंत्रण के नाम पर ऐसे आक्रामक उपायों का इस्तेमाल अत्यंत निंदनीय है और यह किसी भी लोकतांत्रिक शासन प्रणाली के सिद्धांतों के खिलाफ है।
विवाद की शुरुआत उस समय हुई जब 20 मई को 5वें शिरुई लिली महोत्सव के उद्घाटन समारोह में भाग लेने के लिए पत्रकारों को उखरुल ले जा रही मणिपुर राज्य परिवहन (एमएसटी) की एक बस को कथित रूप से रोक दिया गया और उसके साइनेज से 'मणिपुर' शब्द हटाने का निर्देश दिया गया। इस घटना को कई लोगों ने राज्य की पहचान और गौरव का अपमान माना।
प्रदर्शनकारियों को राजभवन तक पहुंचने से रोकने के लिए इंफाल के विभिन्न रणनीतिक स्थानों पर संयुक्त सुरक्षा बलों की भारी तैनाती की गई थी, जिसमें त्वरित कार्रवाई बल (आरएएफ) की बड़ी टुकड़ियाँ भी शामिल थीं। इसके बावजूद, सैकड़ों प्रदर्शनकारी ख्वाइरामबंद इमा बाजार में एकत्र हुए और बीटी रोड होते हुए राजभवन की ओर मार्च करना शुरू कर दिया।
राजभवन के मुख्य द्वार से लगभग 150 मीटर उत्तर में, कांगला पश्चिमी गेट के पास प्रदर्शनकारियों को रोक दिया गया। इसके अलावा, इंफाल पूर्व और इंफाल पश्चिम के केशमपट इलाक़ों से आए अन्य प्रदर्शनकारी भी राजभवन में एकत्र होने का प्रयास कर रहे थे, जिन्हें पैलेस कंपाउंड और केशमपट जंक्शन पर ही रोक दिया गया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने जोरदार नारे लगाए।
महिलाओं समेत करीब आठ प्रदर्शनकारियों को मामूली चोटें आईं और उन्हें इलाज के लिए नजदीकी अस्पतालों में ले जाया गया।
अथौबा ने कहा कि कोकोमी तब तक जारी ‘राज्यव्यापी जन आंदोलन’ के तहत विरोध प्रदर्शन करते रहेंगे, जब तक कि राज्यपाल सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगते, शीर्ष अधिकारियों के इस्तीफे या तत्काल तबादले नहीं होते, शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ अत्यधिक बल के प्रयोग को नहीं रोका जाता और रविवार की घटना में शामिल सुरक्षा कर्मियों की जवाबदेही सुनिश्चित नहीं की जाती।

उखरुल में शिरुई महोत्सव के बीच मणिपुर राज्य परिवहन (एमएसटी) की बसों से ‘मणिपुर’ शब्द हटाने के कथित आदेश के विरोध में रविवार दोपहर इंफाल में राजभवन तक मार्च कर रहे प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षाबलों ने स्मोक बम और आंसू गैस का इस्तेमाल किया, जिसमें करीब आठ लोग घायल हो गए।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, एक प्रमुख नागरिक संगठन 'कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑन मणिपुर इंटीग्रिटी' (कोकोमी) के जन आंदोलन के आह्वान पर बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी ख्वाइरामबंद कीथेल में इकट्ठा हुए। वे करीब 500 मीटर तक ही मार्च कर पाए कि पुलिस ने उन्हें रोक दिया। इसके बाद सुरक्षाबलों ने कंगला के पश्चिमी गेट के पास उन्हें तितर-बितर करने के लिए स्मोक बम छोड़े, जिनमें आठ से ज्यादा लोग घायल हो गए।
प्रदर्शनकारी राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से इस बात को लेकर माफी मांगने को कह रहे थे, क्योंकि उन्होंने सरकारी बसों से 'मणिपुर' नाम हटाए जाने के मामले में माफी मांगने से कथित तौर पर इनकार कर दिया। कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑन मणिपुर इंटीग्रिटी (कोकोमी) ने इस मुद्दे पर राज्यव्यापी आंदोलन की घोषणा की है और मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) तथा सुरक्षा सलाहकार के इस्तीफे की मांग भी की है।
समिति ने शनिवार को जारी एक बयान में कहा कि राज्यपाल को सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगने के लिए दी गई 48 घंटे की समयसीमा समाप्त हो चुकी है। इससे पहले, मणिपुर में शुक्रवार आधी रात को 48 घंटे की आम हड़ताल खत्म हो गई थी।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, बढ़ते जन आक्रोश के बीच गृह विभाग ने मणिपुर राज्य परिवहन की बस और सुरक्षाकर्मियों से जुड़े घटनाक्रम की जांच के लिए दो सदस्यीय समिति का गठन किया है, जो संबंधित तथ्यों और परिस्थितियों की समीक्षा करेगी।
एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि राज्यपाल अपनी चुप्पी के जरिए जनता की भावनाओं की उपेक्षा कर रहे हैं। उनके और उनके प्रशासन के रवैये ने राज्य की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत का अपमान किया है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार द्वारा गठित जांच आयोग अपर्याप्त है, क्योंकि इसमें दोषियों के खिलाफ किसी भी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया है।
कोकोमी के संयोजक अथौबा ने सुरक्षाबलों की कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि कोकोमी शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों, विशेष रूप से महिलाओं पर नकली बम और आंसू गैस के अनुचित इस्तेमाल को लेकर गहरी चिंता और असंतोष व्यक्त करता है। उन्होंने कहा कि भीड़ नियंत्रण के नाम पर ऐसे आक्रामक उपायों का इस्तेमाल अत्यंत निंदनीय है और यह किसी भी लोकतांत्रिक शासन प्रणाली के सिद्धांतों के खिलाफ है।
विवाद की शुरुआत उस समय हुई जब 20 मई को 5वें शिरुई लिली महोत्सव के उद्घाटन समारोह में भाग लेने के लिए पत्रकारों को उखरुल ले जा रही मणिपुर राज्य परिवहन (एमएसटी) की एक बस को कथित रूप से रोक दिया गया और उसके साइनेज से 'मणिपुर' शब्द हटाने का निर्देश दिया गया। इस घटना को कई लोगों ने राज्य की पहचान और गौरव का अपमान माना।
प्रदर्शनकारियों को राजभवन तक पहुंचने से रोकने के लिए इंफाल के विभिन्न रणनीतिक स्थानों पर संयुक्त सुरक्षा बलों की भारी तैनाती की गई थी, जिसमें त्वरित कार्रवाई बल (आरएएफ) की बड़ी टुकड़ियाँ भी शामिल थीं। इसके बावजूद, सैकड़ों प्रदर्शनकारी ख्वाइरामबंद इमा बाजार में एकत्र हुए और बीटी रोड होते हुए राजभवन की ओर मार्च करना शुरू कर दिया।
राजभवन के मुख्य द्वार से लगभग 150 मीटर उत्तर में, कांगला पश्चिमी गेट के पास प्रदर्शनकारियों को रोक दिया गया। इसके अलावा, इंफाल पूर्व और इंफाल पश्चिम के केशमपट इलाक़ों से आए अन्य प्रदर्शनकारी भी राजभवन में एकत्र होने का प्रयास कर रहे थे, जिन्हें पैलेस कंपाउंड और केशमपट जंक्शन पर ही रोक दिया गया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने जोरदार नारे लगाए।
महिलाओं समेत करीब आठ प्रदर्शनकारियों को मामूली चोटें आईं और उन्हें इलाज के लिए नजदीकी अस्पतालों में ले जाया गया।
अथौबा ने कहा कि कोकोमी तब तक जारी ‘राज्यव्यापी जन आंदोलन’ के तहत विरोध प्रदर्शन करते रहेंगे, जब तक कि राज्यपाल सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगते, शीर्ष अधिकारियों के इस्तीफे या तत्काल तबादले नहीं होते, शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ अत्यधिक बल के प्रयोग को नहीं रोका जाता और रविवार की घटना में शामिल सुरक्षा कर्मियों की जवाबदेही सुनिश्चित नहीं की जाती।