महासभा ने यह भी घोषणा की कि उनकी अगली रणनीति में रेल रोको आंदोलन और विधानसभा घेराव जैसे कड़े कदम शामिल हो सकते हैं।

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल सोमवार को ओबीसी आरक्षण के मुद्दे का केंद्र बनी रही। राज्य भर से जुटे ओबीसी महासभा के कार्यकर्ताओं ने 27% आरक्षण की बहाली की मांग को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया। तेज बारिश और कड़ी पुलिस सुरक्षा के बावजूद प्रदर्शनकारियों का उत्साह कम नहीं हुआ। वे मुख्यमंत्री निवास का घेराव करने के लिए निकले थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें रंगमहल टॉकीज के पास ही रोक दिया।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदर्शन की शुरुआत जवाहर चौक से हुई, जहां हजारों ओबीसी कार्यकर्ता ‘हमारा हक दो’ और ‘ओबीसी विरोधी सरकार मुर्दाबाद’ जैसे नारे लगाते हुए मुख्यमंत्री निवास की ओर कूच करने लगे। रास्ते में तेज बारिश ने हालात को और मुश्किल बना दिया, लेकिन कार्यकर्ता डटे रहे और सड़कों पर अपनी उपस्थिति बनाए रखी। जैसे ही वे रंगमहल टॉकीज पहुंचे, वहां पहले से तैनात भारी पुलिस बल ने बैरिकेड्स लगाकर उन्हें रोक दिया। इस दौरान कई बार प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प की स्थिति भी बनी।
कार्यकर्ताओं की तीन प्रमुख मांगें
शासकीय नौकरी में होल्ड किए गए 13% आरक्षण को तत्काल अनहोल्ड कर 27% आरक्षण के अनुसार नियुक्तियां दी जाएं।
शासकीय सेवाओं में पदोन्नति में ओबीसी आरक्षण को तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए।
जातिगत जनगणना कराई जाए और उसके आंकड़े सार्वजनिक किए जाएं। आरक्षण जनसंख्या के अनुपात में लागू किया जाए।
ओबीसी महासभा के नेताओं ने आरोप लगाया कि प्रदेश की आधे से ज्यादा आबादी ओबीसी वर्ग से होने के बावजूद, सरकारी नौकरियों, प्रशासन, पुलिस, शासन और निजी क्षेत्रों में उनकी भागीदारी बेहद कम है। नेताओं ने बताया कि 1990 के दशक में 27% आरक्षण लागू करने की घोषणा जरूर की गई थी, लेकिन अब तक मध्य प्रदेश में इसे पूरी तरह से लागू नहीं किया गया है।
प्रदर्शन को संबोधित करते हुए एडवोकेट धर्मेंद्र कुशवाह ने कहा, “सरकार ने 13% ओबीसी आरक्षण को होल्ड पर रख दिया है, जिससे हजारों अभ्यर्थी ओवरएज हो चुके हैं। यह संविधान के साथ अन्याय है। सरकार ने रोजगार देने के वादे पर सत्ता हासिल की थी, लेकिन अब बेरोजगारी की समस्या को पूरी तरह नजरअंदाज किया जा रहा है।”
उन्होंने बताया कि 10 जुलाई को ओबीसी महासभा ने प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर चेतावनी स्वरूप प्रदर्शन किया था और सरकार से 13% आरक्षण पर लगी रोक हटाने की मांग की थी। हालांकि, सरकार की ओर से अब तक कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली, जिसके चलते राजधानी में यह बड़ा आंदोलन किया गया।
महासभा के प्रवक्ता एडवोकेट विश्वजीत रतौनिया ने कहा, “हाईकोर्ट ने ओबीसी आरक्षण का विरोध करने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है, फिर भी सरकार ने आरक्षण बहाली के लिए ठोस कदम नहीं उठाए हैं। इससे स्पष्ट होता है कि सरकार की मानसिकता संविधान के विरोध में है। हम इस मानसिकता के खिलाफ आखिरी सांस तक संघर्ष करेंगे।”
महासभा के प्रदेश अध्यक्ष राकेश लोधी ने सवाल उठाया, “जब सरकार ने सवर्णों को बिना किसी रुकावट के 10% ईडब्ल्यूएस आरक्षण दे दिया है, तो ओबीसी वर्ग को उसका संवैधानिक अधिकार 27% आरक्षण क्यों नहीं मिल रहा?”
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार का समर्थन
ओबीसी आरक्षण की मांग वाले इस प्रदर्शन को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता उमंग सिंगार का भी समर्थन मिला। वे खुद मौके पर पहुंचे और कार्यकर्ताओं के साथ बैठकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। उन्होंने कहा, “यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रदेश की बहुसंख्यक ओबीसी आबादी को आज भी अपने अधिकारों के लिए सड़कों पर उतरना पड़ रहा है। सरकार जानबूझकर इस वर्ग की उपेक्षा कर रही है। कांग्रेस इस संघर्ष में पूरी मजबूती से ओबीसी वर्ग के साथ खड़ी है।”
महासभा ने इस आंदोलन को केवल आरक्षण की मांग नहीं बल्कि संविधान विरोधी मानसिकता के खिलाफ एक व्यापक जन-संघर्ष बताया। नेताओं ने कहा कि यह आंदोलन केवल राजधानी तक सीमित नहीं रहेगा। अगर सरकार उनकी मांगें नहीं मानती है, तो आने वाले दिनों में प्रदेशव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा। महासभा ने यह भी घोषणा की कि उनकी अगली रणनीति में रेल रोको आंदोलन और विधानसभा घेराव जैसे कड़े कदम शामिल हो सकते हैं।
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मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल सोमवार को ओबीसी आरक्षण के मुद्दे का केंद्र बनी रही। राज्य भर से जुटे ओबीसी महासभा के कार्यकर्ताओं ने 27% आरक्षण की बहाली की मांग को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया। तेज बारिश और कड़ी पुलिस सुरक्षा के बावजूद प्रदर्शनकारियों का उत्साह कम नहीं हुआ। वे मुख्यमंत्री निवास का घेराव करने के लिए निकले थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें रंगमहल टॉकीज के पास ही रोक दिया।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदर्शन की शुरुआत जवाहर चौक से हुई, जहां हजारों ओबीसी कार्यकर्ता ‘हमारा हक दो’ और ‘ओबीसी विरोधी सरकार मुर्दाबाद’ जैसे नारे लगाते हुए मुख्यमंत्री निवास की ओर कूच करने लगे। रास्ते में तेज बारिश ने हालात को और मुश्किल बना दिया, लेकिन कार्यकर्ता डटे रहे और सड़कों पर अपनी उपस्थिति बनाए रखी। जैसे ही वे रंगमहल टॉकीज पहुंचे, वहां पहले से तैनात भारी पुलिस बल ने बैरिकेड्स लगाकर उन्हें रोक दिया। इस दौरान कई बार प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प की स्थिति भी बनी।
कार्यकर्ताओं की तीन प्रमुख मांगें
शासकीय नौकरी में होल्ड किए गए 13% आरक्षण को तत्काल अनहोल्ड कर 27% आरक्षण के अनुसार नियुक्तियां दी जाएं।
शासकीय सेवाओं में पदोन्नति में ओबीसी आरक्षण को तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए।
जातिगत जनगणना कराई जाए और उसके आंकड़े सार्वजनिक किए जाएं। आरक्षण जनसंख्या के अनुपात में लागू किया जाए।
ओबीसी महासभा के नेताओं ने आरोप लगाया कि प्रदेश की आधे से ज्यादा आबादी ओबीसी वर्ग से होने के बावजूद, सरकारी नौकरियों, प्रशासन, पुलिस, शासन और निजी क्षेत्रों में उनकी भागीदारी बेहद कम है। नेताओं ने बताया कि 1990 के दशक में 27% आरक्षण लागू करने की घोषणा जरूर की गई थी, लेकिन अब तक मध्य प्रदेश में इसे पूरी तरह से लागू नहीं किया गया है।
प्रदर्शन को संबोधित करते हुए एडवोकेट धर्मेंद्र कुशवाह ने कहा, “सरकार ने 13% ओबीसी आरक्षण को होल्ड पर रख दिया है, जिससे हजारों अभ्यर्थी ओवरएज हो चुके हैं। यह संविधान के साथ अन्याय है। सरकार ने रोजगार देने के वादे पर सत्ता हासिल की थी, लेकिन अब बेरोजगारी की समस्या को पूरी तरह नजरअंदाज किया जा रहा है।”
उन्होंने बताया कि 10 जुलाई को ओबीसी महासभा ने प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर चेतावनी स्वरूप प्रदर्शन किया था और सरकार से 13% आरक्षण पर लगी रोक हटाने की मांग की थी। हालांकि, सरकार की ओर से अब तक कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली, जिसके चलते राजधानी में यह बड़ा आंदोलन किया गया।
महासभा के प्रवक्ता एडवोकेट विश्वजीत रतौनिया ने कहा, “हाईकोर्ट ने ओबीसी आरक्षण का विरोध करने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है, फिर भी सरकार ने आरक्षण बहाली के लिए ठोस कदम नहीं उठाए हैं। इससे स्पष्ट होता है कि सरकार की मानसिकता संविधान के विरोध में है। हम इस मानसिकता के खिलाफ आखिरी सांस तक संघर्ष करेंगे।”
महासभा के प्रदेश अध्यक्ष राकेश लोधी ने सवाल उठाया, “जब सरकार ने सवर्णों को बिना किसी रुकावट के 10% ईडब्ल्यूएस आरक्षण दे दिया है, तो ओबीसी वर्ग को उसका संवैधानिक अधिकार 27% आरक्षण क्यों नहीं मिल रहा?”
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार का समर्थन
ओबीसी आरक्षण की मांग वाले इस प्रदर्शन को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता उमंग सिंगार का भी समर्थन मिला। वे खुद मौके पर पहुंचे और कार्यकर्ताओं के साथ बैठकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। उन्होंने कहा, “यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रदेश की बहुसंख्यक ओबीसी आबादी को आज भी अपने अधिकारों के लिए सड़कों पर उतरना पड़ रहा है। सरकार जानबूझकर इस वर्ग की उपेक्षा कर रही है। कांग्रेस इस संघर्ष में पूरी मजबूती से ओबीसी वर्ग के साथ खड़ी है।”
महासभा ने इस आंदोलन को केवल आरक्षण की मांग नहीं बल्कि संविधान विरोधी मानसिकता के खिलाफ एक व्यापक जन-संघर्ष बताया। नेताओं ने कहा कि यह आंदोलन केवल राजधानी तक सीमित नहीं रहेगा। अगर सरकार उनकी मांगें नहीं मानती है, तो आने वाले दिनों में प्रदेशव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा। महासभा ने यह भी घोषणा की कि उनकी अगली रणनीति में रेल रोको आंदोलन और विधानसभा घेराव जैसे कड़े कदम शामिल हो सकते हैं।
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