‘हमारे पूर्वजों ने कभी उनका काम नहीं किया’: मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड में नाइयों ने दलित ग्रामीणों के बाल काटने से किया इनकार

Written by sabrang india | Published on: February 4, 2025
गांव के नाइयों ने दलित लोगों के बाल काटने और दाढ़ी बनाने से इनकार कर दिया है, जिससे उन्हें इसके लिए 10 किलोमीटर दूर टीकमगढ़ शहर जाना पड़ता है। इस भेदभाव से निराश होकर, ग्रामीणों ने पुलिस को दखल देने की मांग की है।


साभार : टीओआई (प्रतीकात्मक तस्वीर)

मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले के हीरानगर गांव में दलित बंसाकर समुदाय के ग्रामीणों ने स्थानीय नाइयों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है, जिन्होंने उनका बाल काटने से इनकार कर दिया।

द ऑब्जर्वर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, गांव के नाइयों ने दलित लोगों के बाल काटने और दाढ़ी बनाने से इनकार कर दिया है, जिससे उन्हें इसके लिए 10 किलोमीटर दूर टीकमगढ़ शहर जाना पड़ता है। इस भेदभाव से निराश होकर, ग्रामीणों ने पुलिस को दखल देने की मांग की है।

गांव की एक महिला ने कहा, “यह सालों से हो रहा है।” “यहां तक कि शादियों और मृत्यु संस्कारों के दौरान भी कोई नाई हमारे काम नहीं करते हैं। हमारे पास जिला मुख्यालय जाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है।”

एक स्थानीय नाई सौरभ सेन ने भेदभावपूर्ण व्यवहार को मानते हुए कहा, “हमारे पूर्वजों ने कभी बंसाकर समुदाय का काम नहीं किया तो हम कैसे कर सकते हैं? यह प्राचीन काल से हमारी परंपरा रही है।”

शिकायत के बाद एसडीपीओ राहुल कटरे ने जांच का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा, "पुलिस की एक टीम गांव का दौरा करेगी और सभी संबंधित लोगों से बात करेगी और मामले को सुलझाएगी।" कानूनी सुरक्षा के बावजूद, भारत भर में जातिगत भेदभाव अभी भी जारी है। हाल के दिनों में, मध्य प्रदेश, राजस्थान और कर्नाटक जैसे राज्यों में मिड-डे मील में भेदभाव, सार्वजनिक संसाधनों तक पहुंच को लेकर हिंसक हमले और सामाजिक बहिष्कार की घटनाएं सामने आई हैं।

ज्ञात हो कि इसी साल जनवरी महीने में तमिनलाडु के मदुरै ग्रामीण जिला पुलिस ने 17 वर्षीय दलित किशोर पर जातिवादी गाली देने, उसे पीटने और पुरानी दुश्मनी के चलते उसे पैर पकड़ने को मजबूर करने के आरोप में छह लोगों के खिलाफ एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया। हालांकि पीड़ित ने यह भी आरोप लगाया कि छह वर्षीय लड़के की मौजूदगी में उस पर पेशाब किया गया, लेकिन पुलिस ने इसे खारिज कर दिया।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना 16 जनवरी को तमिलनाडु के मदुरै जिले के उसिलामपट्टी तालुक के संगमपट्टी गांव में हुई। किशोर ने मीडियाकर्मियों को बताया कि पिछले साल दिसंबर में गांव के कुछ लोगों ने उसकी जाति के कारण उसे और उसके परिवार को परेशान किया था, जिसके बाद से वह कुछ दिनों से केरल में रह रहा था। वह हाल ही में पोंगल के लिए घर लौटा था।

उसने कहा "मैं चुपचाप लेटा रहा, लेकिन वे मुझे जबरन गांव में एक सुनसान जगह पर ले गए और मेरी जाति के कारण मुझे गाली देते हुए पीटा। उन्होंने मुझे अपने पैरों पर गिरने के लिए मजबूर किया और मुझसे माफी मांगने को कहा, जबकि मैंने कुछ भी गलत नहीं किया था। एक छह वर्षीय लड़के की मौजूदगी में मुझ पर पेशाब भी किया गया। उन्होंने मुझे जान से मारने की धमकी दी। मैं घायल हो गया और मुझे अस्पताल में भर्ती होना पड़ा।"

वहीं पिछले साल दिसंबर महीने में उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में दलित दूल्हे पर पथराव करने का मामला सामने आया था। जिले के जहांगीराबाद थाना क्षेत्र में दलित पुलिसकर्मी दूल्हे को घुड़चढ़ी के दौरान कुछ दबंगों ने रोक दिया और उस पर पथराव शुरू कर दिया। आरोप है कि दलित दूल्हे को घोड़ी से नीचे भी गिरा दिया गया।

रिपोर्ट के अनुसार, मामला 11 दिसंबर का था। टीटोटा गांव निवासी नन्दराम सिंह जो कि दलित समाज से आते है उनके बेटे रोबिन सिंह की शादी लखावटी निवासी स्वाति से तय हुई थी। रोबिन पीएसी गाजियाबाद में तैनात हैं, रोबिन की धूमधाम से घुड़चढ़ी हो रही थी डीजे बज रहा था। सब खुशी मना रहे थे। कुछ दूर चलने पर अचानक गांव के कुछ दबंगों ने पथराव कर दिया, जिससे डीजे व गाड़ी क्षतिग्रस्त हो गई और साथ ही डीजे संचालक भी घायल हो गया।

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