"किसान संगठनों ने केंद्र सरकार की किसानों के प्रति उदासीनता को देखते हुए एक बार फिर केंद्र के खिलाफ मोर्चा खोलने का फैसला लिया है। इसको लेकर किसान संगठनों ने एक बार फिर दिल्ली कूच करने का ऐलान किया है। संयुक्त किसान मोर्चा और उत्तर भारत के 18 किसान संगठनों की ओर से यह फैसला लिया गया है कि केंद्र की वादाखिलाफी के खिलाफ 13 फरवरी को दिल्ली में हल्ला बोल कर, विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।"
PC: Aajtak
किसानों ने ऐलान किया है कि वे एक बार फिर दिल्ली जाएंगे। किसान 13 फरवरी को दिल्ली पहुंचेंगे और सरकार के सामने अपनी मांगें रखेंगे और सरकार को उसका लिखित वायदे याद दिलाएंगे। इस आंदोलन में पूरे देश के किसान जुटेंगे। किसानों का कहना है कि सरकार उनकी मांगें माने वर्ना आंदोलन को तेज किया जाएगा। किसानों की प्रमुख मांगों में लखीमपुरी खीरी कांड में इंसाफ, कर्जमाफी और फसलों के लिए एमएसपी गारंटी प्रमुख हैं। किसान इस आंदोलन की पहले से तैयारी कर रहे हैं। इसी सिलसिले में मंगलवार को अमृतसर के जंडियाला में पंजाब और हरियाणा से आए किसान नेताओं ने महारैली की।
भारतीय किसान यूनियन एकता सिधूपुर के प्रदेशाध्यक्ष जगजीत सिंह दल्लेवाल ने बताया कि संयुक्त किसान मोर्चा और उत्तर भारत के 18 किसान संगठनों ने 13 फरवरी को दिल्ली की ओर कूच करने का फैसला लिया है।
सरकार ने नहीं किया वादा पूरा- दल्लेवाल
दल्लेवाल ने कहा कि केंद्र सरकार ने बड़े ऐतिहासिक किसान आंदोलन को स्थगित करते समय लिखित वादा किया था कि एमएसपी गारंटी कानून बनाया जाएगा। आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज की गई एफआईआर रद्द की जाएगी। लखीमपुर खीरी के शहीद किसानों के परिवारों को पूरा न्याय दिया जाएगा और किसानों से चर्चा किए बिना बिजली संशोधन बिल नहीं लाया जाएगा। दल्लेवाल ने आगे कहा कि सरकार ने इनमें से एक भी वादा पूरा नहीं किया है न ही 2014 के चुनाव में किसानों का कर्ज माफ करने और डॉ स्वामीनाथन की रिपोर्ट लागू करने का वादा पूरा नहीं किया। उल्टे, बदले की भावना से किसानों के प्रति लापरवाही बरतते हुए कृषि जिंसों पर आयात शुल्क खत्म करने या कम करने की धूर्त रणनीति अपनाकर देश के किसानों को परेशान करने का काम किया जा रहा है।
पंजाब-हरियाणा में विरोध तेज
पंजाब और हरियाणा अभी भी किसानों के आंदोलन का गढ़ बना हुआ है। हरियाणा में इस साल चुनाव भी है जिसे देखते हुए किसान अपनी मांगों को तेज कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के किसान भी लामबंद हो रहे हैं। पंजाब में गन्ना किसानों की मांग लगातार बनी रही है। किसान चाहते हैं कि गन्ने का रेट बढ़ाया जाए। हालांकि पंजाब सरकार ने इसमें वृद्धि की है, लेकिन बढ़ती लागत के मद्देनजर वे इससे अधिक की मांग कर हैं। हरियाणा में भी ऐसी ही मांग है जिसे लेकर किसान लामबंद हो रहे हैं। यहां किसानों की सबसे बड़ी मांग उनके कर्ज की माफी को लेकर है। किसान सरकार से चाहते हैं कि कृषि के लिए जो भी कर्ज लिया गया है, उसे माफ कर दिया जाए। इसमें राज्य सरकारों से लेकर केंद्र तक के कर्ज शामिल हैं। इस तरह दिल्ली कूच के दौरान MSP गारंटी आदि के साथ किसानों की कर्जमाफी की मांग अहम रहने वाली है। इसके बाद लखीमपुरी खीरी का मामला है जिसमें कई किसानों पर गाड़ी चढ़ा दी गई थी। किसानों का कहना है कि इस घटना में भी तक उन्हें इंसाफ नहीं मिला है। किसान दिल्ली आंदोलन में इस बात को भी पुरजोरी से उठाएंगे।
ये हैं किसानों की बड़ी मांगें
किसानों की एक बड़ी मांग फसलों की एमएसपी गारंटी की है। किसान चाहते हैं कि सरकार फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलाने के लिए गारंटी दे और इसके लिए संसद से कानून बनाया जाए। किसानों का कहना है कि इससे किसानों की निश्चित आय तय हो सकेगी। किसाानों का कहना है कि उनकी उपज और उनकी मेहनत का अधिक फायदा व्यापारी उठा लेते हैं जबकि उन्हें अक्सर लागत निकालना भी मुश्किल हो जाता है। कई बार देखा गया कि टमाटर और प्याज के भाव आसमान पर चढ़े और कई बार इतने कम हुए कि किसानों को लागत निकालना मुश्किल हो गया। किसानों को इस तरह के नुकसान से उबारने के लिए एमएसपी की गारंटी की मांग की जा रही है।
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किसानों ने ऐलान किया है कि वे एक बार फिर दिल्ली जाएंगे। किसान 13 फरवरी को दिल्ली पहुंचेंगे और सरकार के सामने अपनी मांगें रखेंगे और सरकार को उसका लिखित वायदे याद दिलाएंगे। इस आंदोलन में पूरे देश के किसान जुटेंगे। किसानों का कहना है कि सरकार उनकी मांगें माने वर्ना आंदोलन को तेज किया जाएगा। किसानों की प्रमुख मांगों में लखीमपुरी खीरी कांड में इंसाफ, कर्जमाफी और फसलों के लिए एमएसपी गारंटी प्रमुख हैं। किसान इस आंदोलन की पहले से तैयारी कर रहे हैं। इसी सिलसिले में मंगलवार को अमृतसर के जंडियाला में पंजाब और हरियाणा से आए किसान नेताओं ने महारैली की।
भारतीय किसान यूनियन एकता सिधूपुर के प्रदेशाध्यक्ष जगजीत सिंह दल्लेवाल ने बताया कि संयुक्त किसान मोर्चा और उत्तर भारत के 18 किसान संगठनों ने 13 फरवरी को दिल्ली की ओर कूच करने का फैसला लिया है।
सरकार ने नहीं किया वादा पूरा- दल्लेवाल
दल्लेवाल ने कहा कि केंद्र सरकार ने बड़े ऐतिहासिक किसान आंदोलन को स्थगित करते समय लिखित वादा किया था कि एमएसपी गारंटी कानून बनाया जाएगा। आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज की गई एफआईआर रद्द की जाएगी। लखीमपुर खीरी के शहीद किसानों के परिवारों को पूरा न्याय दिया जाएगा और किसानों से चर्चा किए बिना बिजली संशोधन बिल नहीं लाया जाएगा। दल्लेवाल ने आगे कहा कि सरकार ने इनमें से एक भी वादा पूरा नहीं किया है न ही 2014 के चुनाव में किसानों का कर्ज माफ करने और डॉ स्वामीनाथन की रिपोर्ट लागू करने का वादा पूरा नहीं किया। उल्टे, बदले की भावना से किसानों के प्रति लापरवाही बरतते हुए कृषि जिंसों पर आयात शुल्क खत्म करने या कम करने की धूर्त रणनीति अपनाकर देश के किसानों को परेशान करने का काम किया जा रहा है।
पंजाब-हरियाणा में विरोध तेज
पंजाब और हरियाणा अभी भी किसानों के आंदोलन का गढ़ बना हुआ है। हरियाणा में इस साल चुनाव भी है जिसे देखते हुए किसान अपनी मांगों को तेज कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के किसान भी लामबंद हो रहे हैं। पंजाब में गन्ना किसानों की मांग लगातार बनी रही है। किसान चाहते हैं कि गन्ने का रेट बढ़ाया जाए। हालांकि पंजाब सरकार ने इसमें वृद्धि की है, लेकिन बढ़ती लागत के मद्देनजर वे इससे अधिक की मांग कर हैं। हरियाणा में भी ऐसी ही मांग है जिसे लेकर किसान लामबंद हो रहे हैं। यहां किसानों की सबसे बड़ी मांग उनके कर्ज की माफी को लेकर है। किसान सरकार से चाहते हैं कि कृषि के लिए जो भी कर्ज लिया गया है, उसे माफ कर दिया जाए। इसमें राज्य सरकारों से लेकर केंद्र तक के कर्ज शामिल हैं। इस तरह दिल्ली कूच के दौरान MSP गारंटी आदि के साथ किसानों की कर्जमाफी की मांग अहम रहने वाली है। इसके बाद लखीमपुरी खीरी का मामला है जिसमें कई किसानों पर गाड़ी चढ़ा दी गई थी। किसानों का कहना है कि इस घटना में भी तक उन्हें इंसाफ नहीं मिला है। किसान दिल्ली आंदोलन में इस बात को भी पुरजोरी से उठाएंगे।
ये हैं किसानों की बड़ी मांगें
किसानों की एक बड़ी मांग फसलों की एमएसपी गारंटी की है। किसान चाहते हैं कि सरकार फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलाने के लिए गारंटी दे और इसके लिए संसद से कानून बनाया जाए। किसानों का कहना है कि इससे किसानों की निश्चित आय तय हो सकेगी। किसाानों का कहना है कि उनकी उपज और उनकी मेहनत का अधिक फायदा व्यापारी उठा लेते हैं जबकि उन्हें अक्सर लागत निकालना भी मुश्किल हो जाता है। कई बार देखा गया कि टमाटर और प्याज के भाव आसमान पर चढ़े और कई बार इतने कम हुए कि किसानों को लागत निकालना मुश्किल हो गया। किसानों को इस तरह के नुकसान से उबारने के लिए एमएसपी की गारंटी की मांग की जा रही है।
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