व्यथा खेती किसानी की: 512 किलो प्याज बेचने पर मिला दो रुपये का चेक, किसान पूछ रहे कहां है MSP?

Written by Navnish Kumar | Published on: February 25, 2023
"आज जब MSP का मुद्दा संसद से सड़क तक गरमाया है और सरकार रात दिन किसान हितों के लिए काम करने का दावा करते नहीं थक रही है, वहीं हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। ताजा मामला महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में सामने आया है जहां 512 किलो प्याज बेचने पर किसान को महज दो रुपये मिले हैं, वो भी चेक से। जो सोशल मीडिया पर वायरल है। किसान पूछ रहे हैं कि कहां है MSP?, क्या यही है अच्छे दिन का वादा? ऐसे कैसे बढ़ेगी किसान की आय? लेकिन इन सबसे बड़ा सवाल यह है कि ऐसे में वो (किसान) कैसे जिए?



"महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के किसान राजेंद्र तुकाराम चव्हाण, जिनकी उम्र 58 वर्ष है और वह बोरगांव बारशी, सोलापुर के रहने वाले हैं, उन्होंने 17 फरवरी, 2023 को सोलापुर मार्केट यार्ड में 512 किलो प्याज बेचा। प्याज के दाम गिरने से किसान को एक रुपये प्रति किलो का भाव मिला। लेकिन गाड़ी भाड़ा, तौलाई और मजदूरी का पैसा काटने के बाद किसान को मात्र दो रुपये दिए गए।" 2 रूपये का यह चेक सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है।



टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के अनुसार, महाराष्ट्र का यह किसान राजेंद्र तुकाराम चव्हाण, 512 किलो प्याज बेचने के लिए 70 किलोमीटर दूर सोलापुर मंडी (एपीएमसी) जाता है और अपनी उपज को एक रूपये प्रति किलो पर बेचने में कामयाब होता है। सभी कटौती के बाद, चव्हाण का शुद्ध मुनाफा महज 2.49 रुपये था। यही नहीं, 2 रुपये का भुगतान भी, उन्हें 15 दिन बाद के (पोस्ट-डेटेड) चेक के रूप में प्राप्त हुआ। यानी ये 2 रूपये भी उसे 15 दिन बाद ही मिल पाएंगे। 49 पैसे की शेष राशि चेक में दिखाई नहीं दे रही है क्योंकि बैंक लेनदेन आमतौर पर (राउंड फिगर) पूरे आंकड़ों में होते हैं। इस बाकी रकम का दावा करने के लिए, चव्हाण को सीधे व्यापारी के पास जाना होगा, लेकिन किसान को लगता है कि यह प्रयास करना ही निरर्थक है।  

किसान राजेंद्र तुकाराम चव्हाण निराश है। यह इंगित करते हुए कि पिछले साल वह 20 रुपये प्रति किलो कमाने में कामयाब रहे थे, उसने कहा "मुझे प्याज का 1 रुपया प्रति किलो मिला है। लेकिन एपीएमसी व्यापारी ने कुल राशि 512 रूपये में से 509.50 रुपये की कटौती, ट्रांसपोर्टेशन चार्ज, हेड-लोडिंग और तुलाई फीस आदि के लिए," की है। उन्होंने कहा, "पिछले 3-4 सालों में बीज, उर्वरक और कीटनाशकों की कीमत दोगुनी हो गई है। मैंने इस 5 कुंतल प्याज के लिए करीब 40,000 रुपये खर्च किए हैं।" 

दो रुपये के लिए पोस्ट डेटेड चेक जारी करने के पीछे के तर्क की बाबत, सोलापुर मंडी व्यापारी नासीर खलीफा जिन्होंने चव्हाण से प्याज खरीदे, ने कहा, "हमने प्राप्ति रसीदों और चेक जारी करने की प्रक्रिया को कम्प्यूटरीकृत किया है। लिहाजा चव्हाण का चेक पोस्ट-डेटेड था। चेक जारी करने की बाबत नासीर कहते है  कि राशि कितनी भी हो, यह (चेक) आम चलन है। हमने पहले भी इतनी छोटी मात्रा के चेक जारी किए है।" 

नासीर ने कहा "बिक्री के लिए लाया गया प्याज कम गुणवत्ता वाला था। इससे पहले, चव्हाण उच्च गुणवत्ता वाला प्याज लाया था जो 18 रुपये प्रति किलो पर बिके थे। एक बार 14 रुपये किलो बिका है। सूर्या ट्रेडिंग फर्म के मालिक (व्यापारी) नासीर कहते है कि कम गुणवत्ता वाले प्याज आमतौर पर मांग में नहीं होते हैं।" विशेषज्ञों के मुताबिक, किसानों को 25% से अधिक उच्च गुणवत्ता वाला उत्पाद नहीं मिल पाता हैं। 30% उपज मध्यम गुणवत्ता का होता है और शेष निम्न ग्रेड का होता है। महाराष्ट्र और अन्य सभी प्याज-उत्पादक राज्यों में बंपर पैदावार ने प्याज की थोक कीमतों को धराशाई कर दिया है। यही कारण है कि चव्हाण जैसे किसान ठीक से अपनी उत्पादन लागत तक भी नहीं निकाल पा रहे हैं। 



देश की सबसे बड़ी प्याज मंडी, नासिक के लासलगांव एपीएमसी में प्याज की थोक कीमतें पिछले दो माह में लगभग 70% गिर गई हैं। वहीं, किसानों के पास मौजूदा दरों पर उपज बेचने के अलावा कोई विकल्प नहीं है क्योंकि देर से बोई खरीफ वाली प्याज को किसान लगभग एक महीने ही रोक पाता है। उसके बाद, यह (उपज) सड़ने लगती है। चूंकि सभी किसान लगभग एक साथ अपनी फसल बाजार लाते हैं, लिहाजा मंडी में भरमार हो जाती है। 

लासलगांव बाजार में आने वाली प्याज की मात्रा, जो दिसंबर में एक दिन में लगभग 15,000 कुंतल थी, अब एक दिन में 30,000 कुंतल हो गई है। इसी सब से लासलगांव में प्याज की औसत थोक कीमतें 26 दिसंबर, 2022 को 1850 रूपये कुंतल से गिरकर 23 फरवरी, 2023 को 550 रुपये कुंतल हो गईं। राज्य भर में यही कहानी है। 

सोलापुर एपीएमसी के निदेशक केदार उमबराजे, जो प्याज व्यापारी भी हैं, ने कहा "जिस दिन चव्हाण अपने प्याज लाया था, एपीएमसी में 12,000 बैग के साथ प्याज की बाढ़ आई हुई थी।" कहा कि कुछ हफ्ते पहले, बोर्गन ग्राम पंचायत ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर इस में हस्तक्षेप की मांग की थी। पत्र में प्याज उत्पादकों को हो रहे नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजे के साथ, भविष्य में उपज के लिए निश्चित मूल्य तय किए जाने की भी मांग की थी। ग्राम पंचायत के सदस्य, जिनमें से अधिकतर खुद किसान भी थे, ने धमकी देते हुए कहा था कि अगर उनकी चिंताओं (समस्याओं) का उचित हल नहीं तलाशा गया तो वह आत्मदाह करने तक से भी पीछे नहीं हटेंगे। दो सप्ताह हो गए लेकिन अभी तक सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है। 

स्वाभिमानी शेतकारी संगठन अध्यक्ष राजू शेट्टी भी जवाब चाहते है। उन्होंने कहा कि फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पाने से जो किसान अपनी जीवन लीला समाप्त कर ले रहे हैं, ऐसी घटनाओं (किसानों) को रोकने के लिए सरकार क्या करने जा रही है?। हम मांग करते हैं कि अतिरिक्त प्याज का तत्काल निर्यात किया जाए। कहा कि महंगाई को नियंत्रित करने के नाम पर, सरकार उन कदमों को उठा रही है जो किसानों को संकट में धकेल दे रहे हैं।" 

प्याज किसानों की समस्या का संज्ञान लेते हुए, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री भारती पवार, जो नासिक की प्याज बेल्ट डिंडोरी से सांसद भी हैं, ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को यह सुनिश्चित करने के लिए आग्रह किया कि प्याज की थोक कीमतों को स्थिर बनाए रखने में मदद के लिए, राष्ट्रीय कृषि सहकारी मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NAFED) की प्याज की खरीद को बढ़ाया जाए।

किसान कैसे जिएगा?

दो रुपए के चेक वाले मजाक को लेकर किसानों में रोष है। दरअसल महाराष्ट्र में प्याज के किसानों की समस्या खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। किसान निराश हैं, एक तरफ बकाया के चलते उनके बिजली कनेक्शन कट जा रहे है और उनकी आंखों के सामने फसल नष्ट हो जाती है। दूसरी ओर फसल का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है। किसानों का कहना हैं कि पिछले साल की तरह इस साल भी प्याज की गिरती कीमतें रुला रही है। इस समय राज्य की कई मंडियों में प्याज का दाम एक रुपये किलो तक मिल रहे हैं। किसान बताते है कि जबकि प्रति किलो प्याज की खेती में 18 से 20 रुपये का खर्च आता है। ऐसे में किसान अपनी लागत तक नहीं निकाल पा रहे हैं। 

मामला सोशल मीड‍िया पर गरमाया हुआ है। किसान गुस्से में है। बोल रहे है कि हुक्मरानों, कुछ तो शर्म करो। किसानों को और कितना लुटोगे?। अपनी पीड़ा बयां करते हुए कहते है कि लगातार सभी फसलों की कीमतों में गिरावट आ रही है। ऐसे में आगे का सवाल और बड़ा हो जाता है कि यही हाल रहा तो किसान जियेगा कैसे?

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