वाराणसी: BHU में फ़ीस वृद्धि के ख़िलाफ़ छात्र-छात्राओं ने सेन्ट्रल ऑफ़िस का घेराव किया!

Written by Fazal rahaman | Published on: October 26, 2022
बीएचयू में फीस वृद्धि के खिलाफ सैकड़ों छात्र-छात्राओं ने बीएचयू विश्वनाथ मंदिर से केंद्रीय कार्यालय तक मार्च निकाला। छात्र-छात्राओं ने केंद्रीय कार्यालय जाकर उसका घेराव कर विरोध प्रदर्शन किया।


 
संयुक्त छात्र संघर्ष समिति की ओर से किये गये इस घेराव के दौरान सेन्ट्रल ऑफ़िस पर सभा की गयी। सभा में वक्ताओं ने कहा कि अलग-अलग पाठ्यक्रमों और हॉस्टल के शुल्क में 100 से लेकर 500 प्रतिशत तक की फ़ीस वृद्धि कर दी गयी है। विश्वविद्यालय प्रशासन इसे मामूली फ़ीसवृद्धि कहकर छात्रों में भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहा है लेकिन असल में यह फ़ीस वृद्धि अधिकांश छात्रों के लिए बीएचयू के दरवाज़े बन्द कर देगी। इस फ़ीस वृद्धि का असर न केवल बीएचयू में इस सत्र में दाखिल होने वाले सभी छात्रों पर पड़ेगा, बल्कि जो भी छात्र स्नातक के बाद परास्नातक में या किसी नये कोर्स मंं दाखिला लेगा, उन सभी पर पड़ेगा। अभी भी शिक्षा में प्रवेश करने वाले छात्रों का 10% ही स्नातक स्तर तक पहुँच पाता है। दलितों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों और आदिवासियों में यह प्रतिशत और भी कम है। प्रशासन का यह क़दम ग़रीब, दलित, महिला, अल्पसंख्यक और आदिवासी पृष्ठभूमि से आने वाले सभी छात्रों के भविष्य पर कुठाराघात साबित होने वाला है।
  
ग़ौरतलब है कि मोदी सरकार द्वारा लायी गयी नयी शिक्षा नीति के तहत विश्वविद्यालयों को अपने फ़ण्ड का इंतज़ाम ख़ुद करने के लिए कहा गया है। प्रदर्शनकारी छात्रों ने कहा, ‘’स्पष्ट है कि विश्वविद्यालय यह इंतज़ाम आम छात्रों की ज़ेब से और ज़्यादा वसूली करके ही करेंगे। साथ ही, यह प्रक्रिया आने वाले समय में विश्वविद्यालयों को देशी-विदेशी कॉरपोरेट घरानों के हाथों में बिकने पर मज़बूर कर देगी। इसलिए हमें न केवल इस फ़ीस वृद्धि को वापस करने के लिए लड़ना होगा, बल्कि साथ ही नयी शिक्षा नीति जैसे छात्रविरोधी-जनविरोधी नीति को भी रद्द कराने के संघर्ष में लगना होगा।’’
 
छात्रों ने प्रदर्शन के दौरान नई शिक्षा नीति 2020 वापस लो, ‘शिक्षा मंत्री मुर्दाबाद, बीएचयू वीसी होश में आओ, सुधीर कुमार जैन मुर्दाबाद, मोदी सरकार होश में आओ, WTO-GATS मुर्दाबाद, फीस वृद्धि वापस लो, 
सबको शिक्षा सबको काम वरना होगी नींद हराम,
 शिक्षा पर जो खर्चा हो, बजट का वो 10वां हिस्सा हो,
मजदूर हो या राष्ट्रपति की संतान, सबको शिक्षा एक समान’ आदि नारे लगाए व क्रांतिकारी गीत गाये।
 
सभा में आइसा के राजेश ने कहा, ‘जो नई शिक्षा नीति है वह किसान, मजदूर, गरीब, शोषित, वंचित समाज से आने वाले छात्रों को शिक्षा से बेदखल करने की साज़िश है साथ ही साथ फीस वृद्धि से छात्र-छात्रों को विश्वविद्यालय से बाहर कर देगी. हम इस शिक्षा नीति के तहत फीस वृद्धि की मुखालफत करते है।‘
 
भगतसिंह छात्र मोर्चा के मानव उमेश ने कहा कि फ़ीस वृद्धि के ज़िम्मेदार सिर्फ़ कुलपति और बीएचयू प्रशासन नहीं है बल्कि सरकार भी उतनी ही ज़िम्मेदार है। जिस तरह देश की सभी संपत्तियों का सरकार तेज़ी से निजीकरण कर रही है उसी नीति के तहत यह बीएचयू एवं अन्य विश्वविद्यलयों का निजीकरण करने की योजना है।
 
सीवाईएसएस के अभिषेक ने कहा कि बीएचयू प्रशासन के इस मनमाने रवैया का हम विरोध करते हैं।
 
दिशा छात्र संगठन के अमित ने कहा, ‘‘प्रशासन द्वारा की गई फ़ीस वृद्धि आम छात्रों के सामने पैसे की दीवार खड़ी करके उन्हे कैंपस में प्रवेश से रोक देगी।‘‘
 
समाजवादी छात्र सभा के निर्भय यादव ने कहा, ‘‘बीएचयू प्रशासन ने इस मौजूदा शिक्षा विरोधी सरकार से मिलकर ये फ़ीस वृद्धि का फैसला लिया है और हम सब छात्र इसका विरोध करते हैं।‘‘
 
इस विरोध प्रदर्शन में शामिल चंदा ने कहा, नई शिक्षा नीति के तहत ही विश्वविद्यालयों की फ़ीस वृद्धि की जा रही है ये नीति हम महिलाओं के लिए सबसे पहले घातक है।‘‘
 
आकांक्षा ने कहा, ‘‘फ़ीस वृद्धि  करके ये शिक्षा का प्राइवेटाइजेशन करना चाहते हैं और शिक्षा को पूंजीपतियों के हाथ में बेचने का काम किया जा रहा है।‘‘ इप्शिता, अर्चना, सोनाली, विश्वजीत, शशि, रिषभ, तनुज, उमर, अजित, तुषार, आलोक विद्रोही, ब्रह्मनारायन, लोकेश, आदर्श, गणेश, सूरज, सौरभ, वसुन्धरा,  सौम्य, किशन समेत आदि ने बात रखी।
 
घेराव के बाद सेन्ट्रल ऑफ़िस से लंका गेट तक जुलूस निकाला गया तथा प्रशासन को चेतावनी दी गयी कि यदि जल्द से जल्द यह फ़ैसला वापस नहीं लिया गया तो छात्र एक बड़े आन्दोलन की दिशा में बढ़ने के लिए बाध्य होंगे। सभा में सैकड़ों छात्र शामिल रहे।

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