UP चुनाव: हिसाब मांग रही जनता, डिप्टी CM से लेकर सांसद सहित इन 10 बीजेपी नेताओं को भगाया

Written by Bhavendra Prakash | Published on: February 5, 2022
साल 2022 में उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब सहित पांच राज्यों में चुनाव होने हैं। लेकिन सभी की नजरें उत्तर प्रदेश पर टिकी हुई हैं। कहा जाता है कि दिल्ली का रास्ता उत्तर प्रदेश प्रदेश से जाता है। यानि, जिस पार्टी ने यूपी फतह कर लिया उसकी राहें दिल्ली की राजनीति के लिए आसान हो जाती हैं। इस बार कोरोना गाइडलाइंस के तहत चुनाव होने हैं लेकिन भीड़ फिर भी उमड़ ही रही है। सभी पार्टियां दिल जान लगाकर अपने प्रत्याशियों को जिताने की जद्दोजहद में लगी हैं। लेकिन इस बार कुछ ऐसा हो रहा है कि 5 साल पहले बहुमत में आई राज्य सरकार के दिग्गज नेताओं को प्रचार करने में पसीने छूट रहे हैं। 



यहां बात हो रही है यूपी की सत्तासीन पार्टी भाजपा की। पांच साल पहले यूपी और करीब साढ़े सात साल पहले केंद्र सरकार में पूर्ण बहुमत से आई बीजेपी के नेताओं को अपने बड़बोलेपन और भारी भरकम घोषणाओं को पूरा न करने का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। चुनावी समय में जुबानी जंग भी तेज हो गई है। बीजेपी नेताओं के साथ परेशानी यह हो रही है कि जब भी वे बहुप्रचारित विकास के नाम पर वोट मांगते हैं तो जनता उनसे विकास कार्यों की जानकारी मांगने लगती है। पिछले एक महीने से ऐसी घटनाओं में तेजी से वृद्धि हुई है जहां जनता ने प्रत्याशियों से विकास कार्यों का विवरण मांग लिया और प्रत्याशी बगलें झांककर वहां से निकलते दिखे। 

चुनावी जंग के बीच बीजेपी के करीब दर्जनभर नेताओं को जनता के आक्रोश का सामना करना पड़ा। यह विरोध बीजेपी की वादाखिलाफी के साथ तो है ही लेकिन किसान आंदोलन को लेकर भी लोगों में आक्रोश है। भारतीय किसान यूनियन प्रवक्ता राकेश टिकैत लगातार टीवी चैनलों पर आकर बीजेपी को सत्ता से खदेड़ने की बात कह रहे हैं। इसके अलावा भी बहुत सारे कारण हैं जिनकी वजह से बीजेपी नेताओं को विरोध का सामना करना पड़ रहा है। विरोध से एक प्रत्याशी तो इतना हलकान हो गए कि अपने ही क्षेत्र की जनता के खिलाफ FIR तक दर्ज करवा दी।

1. भाजपा सांसद महेश शर्मा को अपने ही गोद लिए गांव से भागना पड़ा
बीजेपी से सांसद हैं डा महेश शर्मा। उन्हें 2 फरवरी को अपने ही गोद लिए सिकंदराबाद तहसील के गांव दुल्हेरा में जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ा। लोगों ने उनके सामने महेश शर्मा वापस जाओ और अखिलेश यादव जिन्दाबाद के नारे लगाए। इसके बाद महेश शर्मा को लौटना पड़ा। 

2. जब जनता के गुस्से का शिकार हुए डिप्टी CM 
UP सरकार में डिप्टी CM केशव प्रसाद मौर्य कई वजह से चर्चाओं में रहे हैं। एक है उनकी भाजपा में हैसियत। उन्हें खुद सीएम योगी द्वारा मंच पर डांट लगाई जा चुकी है। उनके साथ कई ऐसे वाकये हुए हैं जिसके कारण उन्हें 'स्टूल मंत्री' का भी तमगा दिया गया है। केशव मौर्य प्रयागराज के पड़ोसी जिले कौशांबी की सिराथू सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। 22 जनवरी को अपने विधानसभा क्षेत्र गुलामीपुर में प्रचार करने पहुंचे तो महिलाओं ने घेरकर नारेबाजी शुरू कर दी। वे केशव मौर्य के खिलाफ नारा लगाने लगीं। डिप्टी CM ने महिलाओं को चुप करवाने की कोशिश जरूर की, पर महिलाएं चुप नहीं हुईं। वीडियो वायरल हुआ तो सपा नेता आईपी सिंह ने लिखा, ‘पहले कुर्सी खतरे में आई अब स्टूल भी खतरे में है।’ दरअसल सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर ने एक बार कहा था कि केशव प्रसाद मौर्य को मंत्रिमंडल में बैठने के लिए सोफा नहीं बल्कि स्टूल मिलता है। 

3. विधायक जी से जनता ने मांगा 5 साल का हिसाब, हाथ जोड़कर बचते नजर आए 
जिला जालौन की उरई सीट से विधायक गौरी शंकर वर्मा को बीजेपी ने तो भरोसा जताते हुए फिर प्रत्याशी बनाया है। लेकिन  29 जनवरी को क्षेत्र में प्रचार करने पहुंचे तो नारेबाजी शुरू हो गई। लोगों ने कहा, ‘पांच साल में न गांव की एक सड़क बनी और न ही नल मिला।’ विधायक जी फंस गए और सफाई देने लगे। लोग नहीं माने तो विधायक वहां से निकल गए। घर पहुंचे तो कहा, ‘2 शराबी थे, वही विरोध कर रहे थे, बाकी पूरा गांव हमारे ही साथ है।’ 

4. राम मंदिर भी नहीं आया बीजेपी MLC के काम, लोग नहीं माने, वापस लौटाया
प्रयागराज जिले से MLC सुरेंद्र चौधरी 29 जनवरी को केशव प्रसाद मौर्य के लिए सिराथू प्रचार करने गए थे। अफजलपुर वारी के लोगों ने गांव में घुसने से पहले ही रोक लिया। सुरेंद्र समझाते रहे कि ‘भइया मेरी सुन लो भाजपा ने राममंदिर बनाया’ लेकिन लोग नहीं माने। आखिर में सुरेंद्र चौधरी को वापस जाना पड़ा।

5. भाजपा विधायक देवेंद्र सिंह लोधी को भी जनता ने लौटाया
बुलंदशहर की स्याना सीट से भाजपा के विधायक देवेंद्र सिंह लोधी 25 जनवरी को प्रचार करने पहुंचे तो लोग हूटिंग करने लगे। लोगों ने कहा कि गांव में न सड़क बनी, न कोई नल लगवाया। वोट मांगने आए हैं तो विरोध करेंगे ही। विधायक ने पहले तो हाथ जोड़े और फिर वहां से निकल आए। घर आकर मीडिया से कहा, ‘ये हमारे क्षेत्र की जनता है। मुझे डांटेगी भी और पूछेगी भी, मैं इनको मना लूंगा। ये सभी मुझे ही वोट देंगे।’

6. जनता ने घेरा तो भाजपा विधायक ने कराई अपने ही क्षेत्र के लोगों पर FIR
मुजफ्फरनगर की खतौली सीट से भाजपा विधायक विक्रम सैनी 20 जनवरी को मनव्वरपुर गांव में प्रचार करने पहुंचे तो लोगों ने घेर लिया। मुर्दाबाद के नारे लगने लगे। विधायक समझाने की कोशिश करते रहे, लेकिन जनता नहीं मानी। विक्रम सैनी चले गए। उन्हें फिर 29 जनवरी को चांद समंद गांव में घेर लिया गया। नारेबाजी हुई और काफिले की एक गाड़ी का सामने वाला शीशा तोड़ दिया गया। विधायक को अपने ही क्षेत्र के लोगों पर FIR दर्ज करानी पड़ी।

7. भाजपा प्रत्याशी के सामने लगे जयंत चौधरी जिंदाबाद के नारे
मेरठ की सिवलखास सीट से भाजपा प्रत्याशी मनिंदर पाल 21 जनवरी को पथोनी गांव में प्रचार करने पहुंचे तो हंगामा हो गया। ‘योगी-मोदी जिंदाबाद’ से ज्यादा ‘जयंत चौधरी जिंदाबाद’ का नारा लगने लगा। दोनों पार्टियों के समर्थकों के बीच हाथापाई की नौबत आ गई। इस पर विधायक मनिंदर पाल वापस लौट गए। जाट बाहुल्य पथोनी गांव में भाजपा के नेता जब भी गए, उन्हें खाली हाथ ही लौटना पड़ा।

8. भाजपा प्रत्याशी को दिलाई किसान आंदोलन में आंसू गैस, कील और पानी की बौछार की याद
संभल की असमोली सीट पर भाजपा से चुनाव लड़ रहे हरेंद्र सिंह रिंकू जोरदार प्रचार कर रहे हैं। 21 जनवरी को शकरपुर गांव पहुंचे तो विरोध शुरू हो गया। ग्रामीणों ने कहा, ‘भाजपा ने गाजीपुर बॉर्डर पर हम लोगों के लिए कील लगाई गई थी। आंसू गैस के गोले छोड़े। हम कुछ भूले नहीं है...कभी वोट नहीं देंगे’। वायरल वीडियो में ये भी कहा जा रहा कि किसी भाजपा नेता को गांव में घुसने नहीं देंगे।

9. भाजपा प्रत्याशी की पत्नी के सामने लगे अखिलेश यादव जिंदाबाद के नारे
फिरोजाबाद की जसराना सीट भाजपा ने मानवेंद्र सिंह को टिकट दिया है। मानवेंद्र की पत्नी ज्योति किरण राजपूत प्रचार करने पहुंचीं तो विरोध शुरू हो गया। लोग ‘अखिलेश यादव जिंदाबाद’ के नारे लगने लगे। ज्योति वापस लौट गईं तो मानवेंद्र का बयान आया। कहा, 'ऐसी हरकत ठीक नहीं है, हम यहां से पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं और विरोधी ऐसा कर रहे हैं।'

10. भाजपा नेता के विरोध में उतरे अपनी ही पार्टी के लोग
बीजेपी नेताओं के विरोध की इस लिस्ट में प्रेमपाल धनगर का मामला थोड़ा सा अलग है। ऊपर के सभी नेताओं का दूसरी पार्टियों ने विरोध किया, लेकिन प्रेमपाल के खिलाफ उनकी ही पार्टी के लोग खड़े हो गए। 29 जनवरी को नारखी में सर्व समाज की बैठक हुई तो लोगों ने कहा- बाहरी प्रत्याशी नहीं चाहिए। प्रेमपाल अपने कार्यकर्ताओं को नहीं पहचानते। इसके बाद नारेबाजी शुरू हो गई।

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