UP चुनाव: गर्मी शांत करने की धमकी पर उतरे योगी, अखिलेश बोले 'खून गर्म है तभी तो हम जिंदा हैं'

Written by Navnish Kumar | Published on: February 3, 2022
कड़ाके की ठंड में वेस्ट यूपी में चुनाव प्रचार की गर्मी तेज हो गई है। एक दूसरे पर जुबानी तीर चलाने में मर्यादा को भी ताक पर रख दिया जा रहा है। खासकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भाषा पूरी तरह बदल गई है और वह सुरक्षा-विकास के मुद्दों से सीधे धमकी भरे लहजे में "वोटरों" की गरमी उतारने तक पर उतर आए हैं। 



बता दें कि 31 मार्च को सीएम योगी ने कहा था, "ये जो गर्मी अभी कैराना और मुजफ्फरनगर में दिखाई दे रही है न, ये सब शांत हो जाएगी इसके बाद...मैं मई और जून में भी 'शिमला' बना देता हूं।" धमकी भरे बयान पर सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव से लेकर जयंत चौधरी और असदुद्दीन ओवैसी तक ने जवाब देते हुए, इसे बीजेपी की हार की बौखलाहट करार दिया है। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कहा कि 'खून गरम है तभी तो हम जिंदा हैं।' सपा ने सीएम योगी की भाषा पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से भी इसकी शिकायत की है।

मुजफ्फरनगर और कैराना में गर्मी दिखा रहे लोगों की 10 मार्च के बाद गर्मी शांत करने और मई जून में शिमला बना देने की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बात पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तगड़ा पलटवार किया है। उन्होंने चुनाव आयोग से इसका संज्ञान लेने की बात करते हुए कहा कि बीजेपी ने उन्हें गोरखपुर भेज दिया। इस वजह से उनमें गर्मी आ रही है। 

शामली में प्रेस कॉन्फ्रेंस में अखिलेश यादव ने कहा, ''आप मुख्यमंत्री जी से क्या उम्मीद कर सकते हो। अखिलेश ने आगे कहा जहां तक गर्मी की बात है, जिस दिन गर्मी खत्म हो जाएगी, उस दिन हम लोग मर जाएंगे। जितने भी हम लोग बैठे हैं, अगर गर्म खून हमारे अंदर ना बहे तो हम जिंदा क्या रहेंगे। जहां तक मुख्यमंत्री का सवाल है, आप उनका शपथ पत्र देखिए कितनी धाराएं उनके ऊपर थीं, बीजेपी सोच रही है कि गलती तो नहीं कर दी उन्हें मुख्यमंत्री बनाकर। ये जो मुख्यमंत्री के अंदर गर्मी आ रही है वह इसलिए क्योंकि ये टिकट जगह-जगह से मांग रहे थे, मनपसंद टिकट नहीं मिला, उन्हें घर भेज दिया। प्रधानमंत्री ने उन्हें पैदल-पैदल चलाया। जो पैदल चल रहे हैं और बेदल हैं, कभी उनसे पूछिएगा कि उनका दल कौन सा है, क्या वह बीजेपी के सदस्य हैं। बीजेपी ने तय किया है कि आने वाले समय में इन्हें कुछ मिलने वाला नहीं है इसलिए उनकी भाषा बदल गई है।

अखिलेश यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री जी को यह बताना चाहिए कि बिजली का बिल सस्ता होगा या नहीं। पहली बार उनकी ऐसी भाषा नहीं सुन रहे हैं, मैं तो कहूंगा कि चुनाव आयोग उनके बयान का संज्ञान ले कि एक मुख्यमंत्री की यह भाषा नहीं हो सकती। अखिलेश ने कहा कि सवाल यह है कि क्या गन्ना किसानों को भुगतान समय पर मिलेगा और जो बकाया है वह मिलेगा या नहीं मिलेगा? जो वादा भाजपा ने किया था कि "किसानों की आय दोगुनी होगी...कमाई घटती जा रही है और महंगाई बढ़ती जा रही है।"

उन्होंने आगे कहा, "उत्तर प्रदेश को डबल इंजन की सरकार ने बर्बाद कर दिया है, तो गर्मी तो स्वाभाविक आएगी। जो खिसियाया है और जिसके पास कोई जवाब नहीं है, वह गर्म होता है, वह गर्म नहीं होता, जिसके पास जवाब हो...इसलिए यह गर्मी-सर्दी की बात नहीं है। सवाल यह है कि किसान खुशहाल होगा कि नहीं होगा? कहा, यह चुनाव भाजपा बनाम भाईचारा है।" जिस तरह से पिछले तीन चुनावों (2014 लोकसभा, 2017 विधानसभा व 2019  लोकसभा) में यहां धुव्रीकरण हुआ था, इस बार ये नहीं होगा। अखिलेश ने कहा, "यह चुनाव किसानों के मान सम्मान से जुड़ा है, किसानों ने तकलीफ और परेशानी का सामना किया है। 700 किसान शहीद हुए हैं। किसानों को कुचला गया है और न जाने कितने किसानों पर मुकदमे दर्ज हुए।" उन्होंने आगे कहा, "अगर भाजपा का एक-एक प्रत्याशी 700 बार कान पकड़कर उठक-बैठक करेगा फिर भी किसान उन्हें माफ करने वाले नहीं हैं।"

यही नहीं, कैराना में पलायन को लेकर लगाए जा रहे आरोपों पर अखिलेश ने कहा, "अमित शाह को उत्तराखंड जाना चाहिए, जहां पलायन हुआ है। गांव के गांव खाली हो गए हैं। उत्तर प्रदेश से भाजपा का राजनीतिक पलायन होगा। इनके कार्यकर्ता और नेता गांवों में घुस नहीं पा रहे हैं और लखीमपुर खीरी की घटना के बाद तो शर्मिंदा होकर कार्यकर्ताओं ने इनका झंडा उतार दिया है।"

रालोद मुखिया जयंत चौधरी व एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने भी सीएम योगी के 'गरमी' वाले बयान पर तंज कसे हैं। जयंत चौधरी ने कहा, ''ऐसा भर-भर के वोट दो, ईवीएम मशीन को ऐसा भरके दो, नलके-हैंडपंप के बटन को ऐसा दबाओ कि बीजेपी की जो चर्बी चढ़ रही है, सारे नेताओं की चर्बी उतार दो आप।'' यही नहीं, इस जुबानी जंग में यूपी में अपनी जमीन तलाशते एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी भी कूद पड़े हैं। ओवैसी ने बीजेपी से पूछा है कि कृषि कानून वापस लेते समय ये गर्मी कहां चली गई थी। ओवैसी इतने पर नहीं रूके और पलटवार करते हुए कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी पर ताना मार दिया। ओवैसी ने कहा, “मुख्यमंत्री योगी की विशेषता यह है कि वह जिन्ना पर बात करते हैं और मई-जून में गर्मी पैदा करते हैं। अगर बाबा मई और जून में गर्मी पैदा कर रहे थे तो 2021 जून-जुलाई में ऑक्सीजन क्यों नहीं दे पाए? गंगा मे लाशें बह रही थीं। लोगों को दवाएं नहीं मिलीं।’’

इसके अलावा भी कुल मिलाकर अगर सीएम योगी आदित्यनाथ की पिछले 30 दिनों की भाषा का एनालिसिस किया जाए तो कई सवाल खड़े होते हैं। सबसे अहम यह कि आखिर सीएम योगी अपने सुरक्षा, विकास, कल्याण और सबका साथ सबका विकास जैसे मुद्दों से जिन्ना, तमंचा और गर्मी शांत करने जैसे धमकी भरे बयानों पर क्यों उतर आए हैं? जानकारों के अनुसार, इसके लिए हिन्दू युवा वाहिनी व उनके सीएम बनने के बाद की स्थितियों के साथ उनके पिछले एक माह के बयानों पर ध्यान देना होगा। देंखे तो...

8 साल पहले 25 जनवरी, 2014 को, बतौर गोरखपुर सांसद और हिन्दू युवा वाहिनी अध्यक्ष योगी आदित्यनाथ ने कहा था 'अगर एक हिन्दू का खून बहेगा तो हम एफआईआर नहीं दर्ज करवाएंगे, कम से कम 10 ऐसे लोगों की हत्या करवाएंगे, जो किसी हिन्दू की हत्या में शामिल होंगे। बर्दाश्त की सीमा खत्म हो चुकी है।' तब उनके भाषणों में ‘बाबर की औलाद, हिन्दू-मुस्लिम, श्रीराम, बजरंगबली और अब्बाजान’ होते थे। इसके बाद 19 मार्च 2017 को जब वह यूपी के सीएम बने तो उनकी भाषा बदल गई। 22 अक्टूबर 2021 को CM योगी का ट्वीट देंखे जिसमें वह एकजुटता की बात कर रहे हैं, “सबका साथ और सबका विकास का ये मंत्र ही अपने आप में सब कुछ कह देता है, एकजुट रहकर ही हम विकास कर पाएंगे, सुरक्षित रहेंगे और सम्मान पाएंगे, यही कार्य बीजेपी और पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश के अंदर हो रहा है”। इसके बाद अब जनवरी 2022 में उनकी भाषा फिर से बदल गई है। अब वह फिर से गोरखपुर के सांसद और हिन्दू युवा वाहिनी के अध्यक्ष की तरह बात करने लगे हैं। 8 जनवरी को चुनाव ऐलान होते ही उनकी भाषा बदल गई है। 

8 जनवरी को यूपी चुनाव का ऐलान होते ही, दूरदर्शन के इंटरव्यू में योगी आदित्यनाथ दो-चार बातें कोविड थर्ड वेव पर अपनी तैयारियों, वैक्सीनेशन, लॉकडाउन और गरीब-मजदूरों पर करते हैं। फिर अचानक कहते हैं, ''यह चुनाव 80% बनाम 20% का होगा’। विपक्षियों ने आरोप लगाए कि योगी ने ध्रुवीकरण शुरू कर दिया है। वह 80% हिन्दू और 20% मुस्लिम वोटरों की बात करने लगे हैं।'' 9 जनवरी को योगी आदित्यनाथ एक राष्ट्रीय चैनल को इंटरव्यू देने पहुंचे। एंकर ने पूछा, ''अखिलेश यादव के सपने में श्रीकृष्ण आए थे। तब योगी ने जवाब देते हुए कहा, उनके सपने में श्रीकृष्ण अगर आए होंगे तो यही कहे होंगे कि तू गया काम से।'' 15 जनवरी को उन्होंने सपा पर परिवारवाद का आरोप लगाते हुए फेसबुक पर लिखा, “भ्रष्टाचार जिनके ‘जींस’ का हिस्सा हो, वे सामाजिक न्याय की लड़ाई नहीं लड़ सकते।” 17 जनवरी, सपा की पहली सूची पर तंज कसते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा, “भाजपा ने सहारनपुर के दंगे, कैराना में पलायन के जिम्मेदार अपराधियों को प्रत्याशी बना दिया।” 17 जनवरी को ही योगी ने अखिलेश यादव के शासनकाल को दंगा युक्त बताते हुए उन्हें ‘जिन्ना प्रेमी’ बताया। 

19 जनवरी को योगी ने चोला 'समाजवादी' + सोच 'दंगावादी' + सपने 'परिवारवादी' = 'तमंचावादी', ये बीजगणित का सवाल नहीं है, ट्वीट करते हुए कहा, “सपा हो या कांग्रेस, ये दल आपराधिक मानसिकता, तमंचावादी मानसिकता और माफियावादी मानसिकता से उबर नहीं पाए हैं।” 23 जनवरी को उन्होंने गाजियाबाद में कहा कि सपा सरकार ने गाजियाबाद में हज हाउस बनाया था, हमारी सरकार ने कैलाश मानसरोवर का भवन बनाया। वे जिन्ना के उपासक और हम सरदार पटेल के पुजारी। 28 जनवरी को सीएम योगी ने इशारों-इशारों में अखिलेश यादव को जिन्ना का उपासक बता दिया। चुनाव को हिन्दू-मुस्लिम मुद्दे पर ले जाने की कोशिश की। इसके पहले स्वयं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी अखिलेश को जिन्ना-प्रेमी बताया था।

यही नहीं, 29 जनवरी हापुड़ की सभा में योगी आदित्यनाथ ने कहा ”कैराना और मुजफ्फरनगर में अभी जो गर्मी दिख रही वह जल्द समाप्त हो जाएगी। मई-जून की गर्मी में भी मैं शिमला जैसा ठंडा बना देता हूं।” उसी दिन CM योगी ट्वीट करते हैं  'कैराना में तमंचावादी पार्टी का प्रत्याशी धमकी दे रहा है, यानी गर्मी शांत नहीं हुई है। 10 मार्च के बाद गर्मी शांत हो जाएगीं।” इस बयान को सीधे धमकी के तौर पर देखा गया। जानकारों के अनुसार, ये उनके अपने एजेंडे पर चुनाव न सेट कर पाने की कसक है। जनवरी माह में सीएम योगी ने जिन्नावादी, तमंचावादी व परिवारवादी शब्द का इस्तेमाल 20 बार से ज्यादा किया। रैलियों में बुलडोजर शब्द का प्रयोग 30 बार से अधिक किया। बुलडोजर यानी सख्ती वाला सीएम। भाजपा का ये प्रयोग मुद्दा गढ़ने में सफल रहा। तभी कार्यकर्ताओं की सोशल मीडिया पर 50% पोस्ट इसी के इर्द-गिर्द घूम रहे हैं। 

राजनीति चिंतक प्रीतम चौधरी कहते हैं कि भाजपा चुनाव में धुर्वीकरण की तमाम कोशिशें कर रही है। सीएम के बयान भी उन्हीं कोशिशों का एक हिस्सा है। चौधरी कहते हैं कि किसानों के साथ कई बड़े पिछड़े नेता भी बीजेपी छोड़कर सपा में चले गए हैं। ओपिनियन पोल के आंकड़े भी इस बार मुकाबला तगड़ा बता रहे हैं, ऐसे में ध्रुवीकरण को लेकर ऐसी भाषा बोली जा रही है। कहा, "2017 चुनाव से ठीक पहले योगी आदित्यनाथ ने पश्चिमी यूपी की रैलियों में कैराना, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर के पलायन को राष्ट्रीय मुद्दा बना दिया था। उन्होंने लोगों के भीतर ये डर स्थापित कर दिया कि अगर भाजपा सत्ता में नहीं आई तो यहां की स्थिति 1990 के कश्मीर जैसी हो जाएगी, जहां सिर्फ हिंसा होगी, लोगों को भगाया जाएगा।"

Related:
 

बाकी ख़बरें