अर्नब गोस्वामी के व्हाट्सऐप्प लीक पर सरकारी और गोदी मीडिया के क्षेत्र में भारी सन्नाटे के बीच रिपबलिक टीवी ने एक बयान जारी कर पाकिस्तान को खरी-खोटी सुनाई है। द टेलीग्राफ की लीड आज इसी पर है। शीर्षक है, "देश को 'एनएम' या 'एएस' के बारे में पता नहीं चला पर पाकिस्तान के बारे में मालूम हो गया"। आपको बता दूं कि चैट में किसी 'एनएम' और 'एएस' का जिक्र कई बार आया है। अभी तक इस बारे में कोई स्पष्टीकरण, खंडन, घोषणा या स्वीकारोक्ति नहीं है लेकिन लीक के संबंध में पाकिस्तान में कुछ हुआ तो रिपबलिक टीवी का बयान आ गया। उधर, 'एएस' के बारे में पूछने पर लोग कह रहे हैं कि मैं मॉर्निंग वॉक पर जाता हूं वरना बता देता। यानी जानते तो सब हैं, बताने से डरते हैं।
पुलवामा मामला शुरू से विवादों में रहा है और गोधरा में कारसेवकों की मौत की ही तरह संदिग्ध हो गया है। इस मामले में अगर पाकिस्तान को लपेटा जाता रहा है तो मौका मिलने पर वह भी लाभ उठाएगा ही। यही नहीं, पाकिस्तान की राजनीति में भी इसका जिक्र होता रहा है और वहां भी मंत्री इस पर दावा ठोंकते रहे हैं। इससे पहले बिहार चुनाव के समय पाकिस्तान के एक मंत्री ने पुलवामा पर सीना ठोंका था और तब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके समर्थकों ने इसे भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ा था (देखिए, पुलवामा हमले से वोट निचोड़ते मोदी और गोदी मीडिया का खेल!)। अब भारत में जो हुआ उसका लाभ अगर पाकिस्तान उठा रहा है तो रिपलबिक टीवी से चुप नहीं रहा गया। गनीमत है, सरकारी स्तर पर यह सब नहीं कहा गया है। हालांकि, कहा भी गया हो तो भारतीय मीडिया वही बताता है जो सरकार बताना चाहती है।
ऐसे में आज द टेलीग्राफ की लीड दिलचस्प है। इसमें खबर के साथ एक फोटो है। इसका कैप्शन अखबार ने यह लगाया है, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 फरवरी 2019 को इस तस्वीर को ट्वीट किया था। इसमें वे पुलवामा हमले में मारे गए सैनिकों के ताबूत के बीच खड़े दिख रहे हैं। 14 फरवरी 2019 को एक बम विस्फोट में 40 भारतीय सैनिकों की मौत हो गई थी जिसके बारे में समझा जाता है कि पाकिस्तानी चाल थी। तीन घंटे से भी कम समय के बाद अर्नब गोस्वामी के बताए जा रहे एक व्हाट्सऐप्प संदेश में कहा गया था, इस हमले में तो हम बेहद कामयाब रहे हैं। समझा जाता है कि इसका संदर्भ अर्नब के टीवी चैनल पर इसकी रिपोर्टिंग का था।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)
पुलवामा मामला शुरू से विवादों में रहा है और गोधरा में कारसेवकों की मौत की ही तरह संदिग्ध हो गया है। इस मामले में अगर पाकिस्तान को लपेटा जाता रहा है तो मौका मिलने पर वह भी लाभ उठाएगा ही। यही नहीं, पाकिस्तान की राजनीति में भी इसका जिक्र होता रहा है और वहां भी मंत्री इस पर दावा ठोंकते रहे हैं। इससे पहले बिहार चुनाव के समय पाकिस्तान के एक मंत्री ने पुलवामा पर सीना ठोंका था और तब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके समर्थकों ने इसे भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ा था (देखिए, पुलवामा हमले से वोट निचोड़ते मोदी और गोदी मीडिया का खेल!)। अब भारत में जो हुआ उसका लाभ अगर पाकिस्तान उठा रहा है तो रिपलबिक टीवी से चुप नहीं रहा गया। गनीमत है, सरकारी स्तर पर यह सब नहीं कहा गया है। हालांकि, कहा भी गया हो तो भारतीय मीडिया वही बताता है जो सरकार बताना चाहती है।
ऐसे में आज द टेलीग्राफ की लीड दिलचस्प है। इसमें खबर के साथ एक फोटो है। इसका कैप्शन अखबार ने यह लगाया है, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 फरवरी 2019 को इस तस्वीर को ट्वीट किया था। इसमें वे पुलवामा हमले में मारे गए सैनिकों के ताबूत के बीच खड़े दिख रहे हैं। 14 फरवरी 2019 को एक बम विस्फोट में 40 भारतीय सैनिकों की मौत हो गई थी जिसके बारे में समझा जाता है कि पाकिस्तानी चाल थी। तीन घंटे से भी कम समय के बाद अर्नब गोस्वामी के बताए जा रहे एक व्हाट्सऐप्प संदेश में कहा गया था, इस हमले में तो हम बेहद कामयाब रहे हैं। समझा जाता है कि इसका संदर्भ अर्नब के टीवी चैनल पर इसकी रिपोर्टिंग का था।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)