TRP Scam: BARC के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगा टाइम्स नेटवर्क

Written by Sabrangindia Staff | Published on: January 23, 2021
नई दिल्ली। रिपब्लिक टीवी के मालिक व संपादक अर्नब गोस्वामी और ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) के पार्थो दासगुप्ता की व्हाट्सएप चैट ने कई राज खोल दिए हैं। टीआरपी में हेरफेर के केस में मुंबई पुलिस की ओर से बार्क की भूमिका सवालों के घेरे में खड़े किए जाने के बाद अब टाइम्स नेटवर्क/बेनेट कोलमैन ऐंड कंपनी लिमिटेड (बीसीसीएल) बार्क पर कानूनी कार्रवाई करने की तैयारी में है। इसी के साथ इस घपले में शामिल रहे लोगों के खिलाफ भी उचित कार्रवाई पर विचार किया जा रहा है।  



बीसीसीएल का अंग्रेजी न्यूज चैनल 'टाइम्स नाउ' टाइम्स नेटवर्क के तहत चल रहा है और इसके व्यूअरशिप डेटा के लिए वह बार्क का ग्राहक है। असल में साल 2017 से, जबसे कि रिपब्लिक टीवी लॉन्च हुआ था, बीसीसीएल/टाइम्स नेटवर्क बड़े पैमाने पर टीआरपी में हेरफेर का शक जताता आ रहा है। इसमें अवैध तरीके से रिपब्लिक की ओर से एक से ज्यादा लॉजिकल चैनल नंबर (एलसीएन) का इस्तेमाल, इलेक्ट्रॉनिक प्रोग्राम गाइड (ईपीजी) से इतर इस्तेमाल शामिल है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, टाइम्स नेटवर्क ने मार्केट के लिहाज से भी उस चैनल की रेटिंग में गड़बड़ियां पाईं जो इस बात का संकेत था कि जमीनी स्तर पर मूल डेटा से छेड़छाड़ करके उस चैनल को फायदा पहुंचाने की कोशिश हो रही है। टाइम्स नेटवर्क लगातार दो साल तक बार्क से इन अनियमितताओं की शिकायत करता रहा मगर कभी कोई समाधान नहीं निकाला गया। सिर्फ कोरे जवाब मिले।

वहीं मुंबई पुलिस के जॉइंट कमिश्नर (क्राइम) ने बार्क टीआरपी घोटाले के संबंध में 25 दिसंबर 2020 को प्रेस में जो बयान जारी किया, उससे साफ है कि 2017/18 में रिपब्लिक टीवी को फायदा पहुंचाने के लिए बार्क के अधिकारियों की हेराफेरी के सबूत सामने आ चुके हैं।

बार्क की जुलाई 2020 की फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट और उस दौर के कई ईमेल और वॉट्सऐप चैट जो पुलिस के हाथ लगे हैं, उनसे साफ होता है कि टाइम्स नाउ की टीआरपी को बार्क के अधिकारियों ने पब्लिश करने से पहले जानबूझकर इंसानी दखल के जरिए घटाया था।
पार्थो दासगुप्ता और रोमिल रामगढ़िया की अगुआई वाले बार्क ने अंग्रेजी न्यूज चैनलों की श्रेणी में फर्जी तरीके से रिपब्लिक टीवी को नंबर 1 घोषित किया। जबकि वास्तव में टाइम्स नाउ बराबर बड़े मार्जिन के साथ आगे बढ़ रहा था और अंग्रेजी न्यूज चैनलों में अविवादित रूप से नंबर वन पर था।

इस पूरे घपले से टाइम्स नेटवर्क को भारी वित्तीय नुकसान हुआ। इस पूरे मामले ने बार्क के मौजूदा बोर्ड और मैनेजमेंट के तौर तरीकों और नैतिकता पर सवाल खड़ा कर दिया है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ऐसे बोर्ड और मैनेजमेंट को बने रहना चाहिए। टाइम्स नेटवर्क ने बीते कई हफ्तों में बार्क की ओर से इस मसले पर आधिकारिक बयान लेने की कोशिशें कीं मगर जवाब नहीं मिला। ऐसे में टाइम्स नेटवर्क/बीसीसीएल अपनी शिकायतों की अनसुनी होने और खुद को पहुंचे नुकसान के खिलाफ हर संभव कानूनी कार्रवाई करने की तैयारी कर रहा है।

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