झारखंड में डबल इंजन वाली सरकार ने पांच साल राज किया अब दोबारा सत्ता पाने की कोशिश चल रही है। 81 विधान सभा वाले राज्य में 30 नवंबर को पहले चरण का मतदान था और पांचवे या अंतिम चरण का मतदान 20 दिसंबर को है। अंग्रेजी अखबार द टेलीग्राफ ने 22 नवंबर को प्रकाशित एक खबर में याद दिलाया था कि बिहार चुनाव में जब नीतिश कुमार भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ रहे थे तो चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री पूछा करते थे, “बिजली आई”। अब चार साल बाद यह सवाल झारखंड की डबल इंजन वाली सरकार रघुबर दास से पूछा जा सकता है। इस खबर के साथ मैंने लिखा था सिर्फ बिजली ही क्यों, झारखंड के प्रमुख शहरों में एक, जमशेदपुर को राजधानी और निकटम हवाई अड्डे रांची से जोड़ने वाली 120 किलोमीटर की सड़क दुनिया भर में अच्छी सड़क बनाने के दावों के बावजूद खराब है। और यह यात्रा तीन घंटे से कम में पूरी नहीं हो पाती है (औसत रफ्तार 40 किलोमीटर प्रति घंटा) जबकि मुख्यमंत्री का चुनाव क्षेत्र भी जमशेदपुर ही है। प्राथमिकताओं के मामले में ऐसा गड़बड़झाला भाजपा ही कर सकती है।
वह इसलिए कि लोकसभा चुनाव के ठीक पहले पुलवामा हो जाता है मोदी जी उसके नाम पर वोट माँग लेते हैं। जीत भी जाते हैं और पुलवामा कैसे-क्यों हुआ उसकी कोई जांच नहीं होती। झारखंड चुनाव के पहले उत्तरपूर्व से लेकर दिल्ली तक को आग में झोंक दिया गया। क्यों-कैसे के विस्तार में जाने की जरूरत नहीं है। सीएबी ही काफी है। कहने के लिए आप कुछ भी कह सकते हैं। सच यही है कि देश को ना सीएबी की जरूरत थी और ना देशभर में एनआरसी लागू किए जाने की जरूरत है। डर आप फैला रहे हैं। पर आरोप दूसरों पर लगा रहे हैं। एनआरसी और सीएबी का मकसद अगर कुछ लाख घुसपैठियों को छांटना है तो करोड़ों नागरिकों को परेशान करने की जरूरत नहीं है। पर यह आश्वासन नहीं है क्योंकि मकसद कुछ और है।
दूसरी ओर, आदर्शों नैतिकता से कोई संबंध नहीं है। झारखंड में शशि भूषण मेहता पलामू जिले के पांकी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार बना दिए गए। उनपर अपने स्कूल की वार्डन सुचित्रा मिश्रा की हत्या का आरोप हैं। मृतक महिला के परिवार के विरोध के बावजूद उन्हें हाल में भाजपा में शामिल किया गया। शशिभूषण मेहता के समर्थकों ने सुचित्रा मिश्रा के बेटे के साथ मारपीट की और उन्हें मंच से धकेल दिया। ऑक्सफोर्ड स्कूल के डायरेक्टर पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा में थे और गए महीने भाजपा में शामिल हुए। भाजपा को इससे भी फर्क नहीं पड़ता है। हो सकता है, पांकी से उनका जीतना पक्का हो और अखबारों में उनपर जो आरोप है वह नहीं छपना है। भाजपा की गाड़ी चलती रहेगी। और इसके लिए पार्टी के स्टार प्रचारक प्रधानमंत्री होंगे और प्रदेश अध्यक्ष गृह मंत्री भी रहेंगे ताकि बेहिसाब वसूली के बावजूद सरकारी खर्चे से चुनाव प्रचार हो सके।
पांच चरण के चुनाव के लिए प्रधानमंत्री कम से कम चार बार रांची गए। लोग पढ़ाई पर खर्चे में अपने टैक्स की राशि देखते हैं। यहां नहीं दिखता। यही स्थिति गृहमंत्री के साथ रही। मतदान 30 नवंबर, 07 दिसंबर, 12 दिसंबर और 16 दिसंबर को हो चुके अंतिम चरण 20 दिसंबर को है। आप देखिएगा अब आंदोलन थम जाएगा। लेकिन मतदान शुरू होने के बाद की पांच प्रमुख सुर्खियां देख लीजिए। सरकारी दावे आपने सुने पर क्या अखबारों ने बताया कि क्या काम नहीं हुए। इसके बावजूद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार, 2 दिसंबर को चक्रधरपुर में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी को झारखंड के विकास पर बहस की चुनौती दी थी। क्या काम किया वो नहीं बताएंगे बहस करेंगे। वो भी उससे जो सत्ता में है ही नहीं, रहा ही नहीं। अब तो पार्टी में भी पद पर नहीं है। पप्पू है सो अलग।
इसी रणनीति के क्रम में मंगलवार, 03 दिसंबर को जमशेदपुर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, ''कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने देश को सिर्फ लूटा है जबकि हमने देश को लौटाया है। उन्होंने आरोप लगाया, कांग्रेस और झामुमो सिर्फ छल और स्वार्थ की राजनीति करते हैं, जबकि भाजपा अनुच्छेद 370 एवं रामजन्मभूमि जैसे लंबे समय से अटकायी गयी राष्ट्रीय समस्याओं के समाधान के संकल्प के साथ देश की सेवा कर रही है। भाजपा सरकार ने अनुच्छेद 370 खत्म कर दिया, मंदिर बन गया। दावा हो गया। गुरुवार, 12 दिसंबर को प्रधानमंत्री ने धनबाद में कहा कि राजनीति के लिए ही कांग्रेस और उसके साथी नॉर्थ ईस्ट में भी आग लगाने की कोशिश कर रहे हैं। वहां भ्रम फैलाया जा रहा है कि बांग्लादेश से बड़ी संख्या में लोग आ जाएंगे। जबकि ये कानून पहले से ही भारत आ चुके शरणार्थियों की नागरिकता के लिए है।
कहने की जरूरत नहीं है कि भ्रम अगर फैलाया भी जा रहा हो तो सीएबी और एनआरसी के कारण है और वह सरकार का ही किया हुआ है। शनिवार 14 दिसंबर को अमित शाह ने कहा," आज मैं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया जी और राहुल बाबा से पूछना चाहता हूं कि आपने 55 साल में झारखंड के लिए क्या किया इसका जरा हिसाब-किताब लेकर आइए। झारखंड 2000 में बना था हिसाब 55 साल का चाहिए जबकि राहुल अभी 55 के नहीं हैं और अमित शाह खुद 55 के ही हैं। रविवार 15 दिसंबर को झारखंड के दुमका में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ये जो आग लगा रहे हैं, टीवी पर जो उनके दृश्य आ रहे हैं, ये आग लगाने वाले कौन हैं, उनके कपड़ों से ही पता चल जाता है।'
इसके बाद पता चला कि दिल्ली में जामिया के छात्रों को पीटने वालों में कुछ बिना वर्दी के लोग भी थे। प्रधानमंत्री के फॉर्मूला से ये आग लगाने वाले माने गए पर दिल्ली पुलिस ने कह दिया के वे पुलिस वाले ही थे और बिना वर्दी के क्यों थे उसपर सफाई भी दी पर अगर लोगों ने आग लगाने वाला समझकर कार्रवाई की होती तो क्या होता इससे किसी को मतलब नहीं है।
बेरहट में मंगलवार, 17 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, 'मैं आज कांग्रेस और उनके साथी दलों को खुलेआम चुनौती देता हूं कि अगर उनमें हिम्मत हैं तो वो खुलकर घोषणा करें कि पाकिस्तान के हर नागरिक को भारत की नागरिकता देने के लिए तैयार हैं। देश उनका हिसाब चुकता कर देगा।' इसमें मुद्दे की बात यही है कि देश उनका हिसाब चुकता न करे इसीलिए वे ऐसी बात कर रहे हैं। कोई नहीं कह रहा है कि पाकिस्तान के नागरिकों को नागरिकता देनी है। जो नागरिक हैं उन्हें सुविधाएं और अधिकार देना ही भूल गए हैं। सिर्फ मन की बात करते हैं और अब कह रहे हैं सबकी बात सुनी जाएगी पर संसद में जो कहा गया उसका कोई जवाब नहीं दिया गया।
वह इसलिए कि लोकसभा चुनाव के ठीक पहले पुलवामा हो जाता है मोदी जी उसके नाम पर वोट माँग लेते हैं। जीत भी जाते हैं और पुलवामा कैसे-क्यों हुआ उसकी कोई जांच नहीं होती। झारखंड चुनाव के पहले उत्तरपूर्व से लेकर दिल्ली तक को आग में झोंक दिया गया। क्यों-कैसे के विस्तार में जाने की जरूरत नहीं है। सीएबी ही काफी है। कहने के लिए आप कुछ भी कह सकते हैं। सच यही है कि देश को ना सीएबी की जरूरत थी और ना देशभर में एनआरसी लागू किए जाने की जरूरत है। डर आप फैला रहे हैं। पर आरोप दूसरों पर लगा रहे हैं। एनआरसी और सीएबी का मकसद अगर कुछ लाख घुसपैठियों को छांटना है तो करोड़ों नागरिकों को परेशान करने की जरूरत नहीं है। पर यह आश्वासन नहीं है क्योंकि मकसद कुछ और है।
दूसरी ओर, आदर्शों नैतिकता से कोई संबंध नहीं है। झारखंड में शशि भूषण मेहता पलामू जिले के पांकी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार बना दिए गए। उनपर अपने स्कूल की वार्डन सुचित्रा मिश्रा की हत्या का आरोप हैं। मृतक महिला के परिवार के विरोध के बावजूद उन्हें हाल में भाजपा में शामिल किया गया। शशिभूषण मेहता के समर्थकों ने सुचित्रा मिश्रा के बेटे के साथ मारपीट की और उन्हें मंच से धकेल दिया। ऑक्सफोर्ड स्कूल के डायरेक्टर पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा में थे और गए महीने भाजपा में शामिल हुए। भाजपा को इससे भी फर्क नहीं पड़ता है। हो सकता है, पांकी से उनका जीतना पक्का हो और अखबारों में उनपर जो आरोप है वह नहीं छपना है। भाजपा की गाड़ी चलती रहेगी। और इसके लिए पार्टी के स्टार प्रचारक प्रधानमंत्री होंगे और प्रदेश अध्यक्ष गृह मंत्री भी रहेंगे ताकि बेहिसाब वसूली के बावजूद सरकारी खर्चे से चुनाव प्रचार हो सके।
पांच चरण के चुनाव के लिए प्रधानमंत्री कम से कम चार बार रांची गए। लोग पढ़ाई पर खर्चे में अपने टैक्स की राशि देखते हैं। यहां नहीं दिखता। यही स्थिति गृहमंत्री के साथ रही। मतदान 30 नवंबर, 07 दिसंबर, 12 दिसंबर और 16 दिसंबर को हो चुके अंतिम चरण 20 दिसंबर को है। आप देखिएगा अब आंदोलन थम जाएगा। लेकिन मतदान शुरू होने के बाद की पांच प्रमुख सुर्खियां देख लीजिए। सरकारी दावे आपने सुने पर क्या अखबारों ने बताया कि क्या काम नहीं हुए। इसके बावजूद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार, 2 दिसंबर को चक्रधरपुर में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी को झारखंड के विकास पर बहस की चुनौती दी थी। क्या काम किया वो नहीं बताएंगे बहस करेंगे। वो भी उससे जो सत्ता में है ही नहीं, रहा ही नहीं। अब तो पार्टी में भी पद पर नहीं है। पप्पू है सो अलग।
इसी रणनीति के क्रम में मंगलवार, 03 दिसंबर को जमशेदपुर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, ''कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने देश को सिर्फ लूटा है जबकि हमने देश को लौटाया है। उन्होंने आरोप लगाया, कांग्रेस और झामुमो सिर्फ छल और स्वार्थ की राजनीति करते हैं, जबकि भाजपा अनुच्छेद 370 एवं रामजन्मभूमि जैसे लंबे समय से अटकायी गयी राष्ट्रीय समस्याओं के समाधान के संकल्प के साथ देश की सेवा कर रही है। भाजपा सरकार ने अनुच्छेद 370 खत्म कर दिया, मंदिर बन गया। दावा हो गया। गुरुवार, 12 दिसंबर को प्रधानमंत्री ने धनबाद में कहा कि राजनीति के लिए ही कांग्रेस और उसके साथी नॉर्थ ईस्ट में भी आग लगाने की कोशिश कर रहे हैं। वहां भ्रम फैलाया जा रहा है कि बांग्लादेश से बड़ी संख्या में लोग आ जाएंगे। जबकि ये कानून पहले से ही भारत आ चुके शरणार्थियों की नागरिकता के लिए है।
कहने की जरूरत नहीं है कि भ्रम अगर फैलाया भी जा रहा हो तो सीएबी और एनआरसी के कारण है और वह सरकार का ही किया हुआ है। शनिवार 14 दिसंबर को अमित शाह ने कहा," आज मैं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया जी और राहुल बाबा से पूछना चाहता हूं कि आपने 55 साल में झारखंड के लिए क्या किया इसका जरा हिसाब-किताब लेकर आइए। झारखंड 2000 में बना था हिसाब 55 साल का चाहिए जबकि राहुल अभी 55 के नहीं हैं और अमित शाह खुद 55 के ही हैं। रविवार 15 दिसंबर को झारखंड के दुमका में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ये जो आग लगा रहे हैं, टीवी पर जो उनके दृश्य आ रहे हैं, ये आग लगाने वाले कौन हैं, उनके कपड़ों से ही पता चल जाता है।'
इसके बाद पता चला कि दिल्ली में जामिया के छात्रों को पीटने वालों में कुछ बिना वर्दी के लोग भी थे। प्रधानमंत्री के फॉर्मूला से ये आग लगाने वाले माने गए पर दिल्ली पुलिस ने कह दिया के वे पुलिस वाले ही थे और बिना वर्दी के क्यों थे उसपर सफाई भी दी पर अगर लोगों ने आग लगाने वाला समझकर कार्रवाई की होती तो क्या होता इससे किसी को मतलब नहीं है।
बेरहट में मंगलवार, 17 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, 'मैं आज कांग्रेस और उनके साथी दलों को खुलेआम चुनौती देता हूं कि अगर उनमें हिम्मत हैं तो वो खुलकर घोषणा करें कि पाकिस्तान के हर नागरिक को भारत की नागरिकता देने के लिए तैयार हैं। देश उनका हिसाब चुकता कर देगा।' इसमें मुद्दे की बात यही है कि देश उनका हिसाब चुकता न करे इसीलिए वे ऐसी बात कर रहे हैं। कोई नहीं कह रहा है कि पाकिस्तान के नागरिकों को नागरिकता देनी है। जो नागरिक हैं उन्हें सुविधाएं और अधिकार देना ही भूल गए हैं। सिर्फ मन की बात करते हैं और अब कह रहे हैं सबकी बात सुनी जाएगी पर संसद में जो कहा गया उसका कोई जवाब नहीं दिया गया।