रामगढ़: पति की हत्या के बावजूद अलीमुद्दीन अंसारी की पत्नी ने दरियादिली दिखाई है. अंसारी की पत्नी मरियम खातून ने कहा कि वे नहीं चाहतीं कि उनके पति के हत्यारों को फांसी मिले. मरियम खातून ने कहा कि वे नहीं चाहतीं कि उनके पति को मारने वाले भी अपनी जान गंवा दें. वे चाहती हैं कि कोर्ट उन्हें फांसी के बजाय उम्रकैद की सजा सुनाए.
झारखंड की एक अदालत ने शुक्रवार को गोरक्षा से जुड़े अलीमुद्दीन उर्फ असगर अंसारी की हत्या के मामले में 11 ‘गो-रक्षकों’ को दोषी करार दिया है. देश में ऐसा पहली बार हुआ है जब कथित गो-रक्षा के नाम पर हुई हिंसा से जुड़े किसी मामले में आरोपियों को सजा हुई है. सजा का ऐलान 20 मार्च को होगा.
कोर्ट ने इस मामले में एक भाजपा नेता सहित 11 लोगों को आईपीसी की धारा 302 के तहत दोषी पाया गया है. इनमें से तीन पर धारा 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र) के आरोप भी साबित हुए हैं. अदालत ने यह माना है कि यह एक पूर्व नियोजित हमला था.
Jharkhand victim’s widow says she does not want death penalty for convicted gau rakshaks
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को कथित गौरक्षकों पर ध्यान देना चाहिए. उन्हें इसे रोकने के प्रयास करने चाहिए ताकि किसी की जान ना जाए. मरियम खातून ने अपने आस पड़ोस के माहौल के बारे में कहा कि उनके हिंदू पड़ोसी उनके परिवार के लिए कम सपोर्टिव नहीं हैं.
मालूम हो कि अलीमुद्दीन उर्फ असगर अंसारी नाम के मांस कारोबारी को रामगढ़ में 29 जून 2017 को गो-मांस ले जाने के संदेह में भीड़ द्वारा पीट-पीटकर मार दिया गया था. जिस दिन असगर अंसारी पर यह हमला हुआ, उसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गाय और गोरक्षा के नाम पर क़ानून हाथ में न लेने की अपील कर रहे थे.
बताया जाता है कि असगर अंसारी अपनी वैन में करीब 200 किलोग्राम मांस लेकर जा रहे थे, जब उन पर हमला हुआ. उनकी गाड़ी को आग लगा दी गई. पुलिस के बीच-बचाव के बाद असगर को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उन्होंने दम तोड़ दिया.
यह घटना रामगढ़ शहर के बाज़ार टांड इलाके में हुई थी, जिसके बाद जिले में तनाव के मद्देनज़र अतिरिक्त सुरक्षा बल को तैनात किया और आपराधिक दंड संहिता की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा भी लागू की गई थी.
पुलिस ने इस मामले में एक स्थानीय भाजपा नेता नित्यानंद महतो सहित दो लोगों को गिरफ़्तार किया था, साथ ही एक अन्य व्यक्ति ने अदालत में आत्मसमर्पण किया था.
झारखंड की एक अदालत ने शुक्रवार को गोरक्षा से जुड़े अलीमुद्दीन उर्फ असगर अंसारी की हत्या के मामले में 11 ‘गो-रक्षकों’ को दोषी करार दिया है. देश में ऐसा पहली बार हुआ है जब कथित गो-रक्षा के नाम पर हुई हिंसा से जुड़े किसी मामले में आरोपियों को सजा हुई है. सजा का ऐलान 20 मार्च को होगा.
कोर्ट ने इस मामले में एक भाजपा नेता सहित 11 लोगों को आईपीसी की धारा 302 के तहत दोषी पाया गया है. इनमें से तीन पर धारा 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र) के आरोप भी साबित हुए हैं. अदालत ने यह माना है कि यह एक पूर्व नियोजित हमला था.
Jharkhand victim’s widow says she does not want death penalty for convicted gau rakshaks
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को कथित गौरक्षकों पर ध्यान देना चाहिए. उन्हें इसे रोकने के प्रयास करने चाहिए ताकि किसी की जान ना जाए. मरियम खातून ने अपने आस पड़ोस के माहौल के बारे में कहा कि उनके हिंदू पड़ोसी उनके परिवार के लिए कम सपोर्टिव नहीं हैं.
मालूम हो कि अलीमुद्दीन उर्फ असगर अंसारी नाम के मांस कारोबारी को रामगढ़ में 29 जून 2017 को गो-मांस ले जाने के संदेह में भीड़ द्वारा पीट-पीटकर मार दिया गया था. जिस दिन असगर अंसारी पर यह हमला हुआ, उसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गाय और गोरक्षा के नाम पर क़ानून हाथ में न लेने की अपील कर रहे थे.
बताया जाता है कि असगर अंसारी अपनी वैन में करीब 200 किलोग्राम मांस लेकर जा रहे थे, जब उन पर हमला हुआ. उनकी गाड़ी को आग लगा दी गई. पुलिस के बीच-बचाव के बाद असगर को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उन्होंने दम तोड़ दिया.
यह घटना रामगढ़ शहर के बाज़ार टांड इलाके में हुई थी, जिसके बाद जिले में तनाव के मद्देनज़र अतिरिक्त सुरक्षा बल को तैनात किया और आपराधिक दंड संहिता की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा भी लागू की गई थी.
पुलिस ने इस मामले में एक स्थानीय भाजपा नेता नित्यानंद महतो सहित दो लोगों को गिरफ़्तार किया था, साथ ही एक अन्य व्यक्ति ने अदालत में आत्मसमर्पण किया था.